नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं बताइए? - naveen lok prashaasan se aap kya samajhate hain isakee visheshataen bataie?

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लोक प्रशासन दो शब्दों से मिलकर बना होता है- लोक और प्रशासन. यह भी प्रशासन के ही विशाल क्षेत्र का एक विशिष्ट अंग है जिसका संबंध लोक हित के कार्यों तथा नीतियों के क्रियान्वयन से है| हम इस पोस्ट में लोक प्रशासन और नवीन लोक प्रशासन क्या है के साथ इसके उदय एवं स्कोप के बारे में चर्चा करेंगें| What is New Public Administration in hindi.

नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं इसकी विशेषताएं बताइए? - naveen lok prashaasan se aap kya samajhate hain isakee visheshataen bataie?

समय के साथ प्रशासक वर्ग का उत्तरदायित्व बढ़ा है इसी अनुसार इस विषय में लोगों की अभिरुचि बढ़ी है. वर्तमान में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इतना महत्वपूर्ण विषय बन गया है की बौद्धिक वर्ग को अधिक से अधिक इस विषय से परिचित कराया जा रहा है. भारत की संदर्भ में भी देखें तो आजादी के बाद यह कानून व्यवस्था तक सीमित न रहकर जन जीवन से सम्बन्धित हो गया है.

लोक प्रशासन क्या है – What is Public Administration in hindi.

यह एक संयुक्त शब्द है जो शब्दों से मिलकर बना होता है- ‘लोक’ और ‘प्रशासन’| लोक का अर्थ होता है- सार्वजानिक या सम्पूर्ण जनता से संबंधित| यह सूचित करता है की प्रशासन लोगों के लिए किया जाना है| प्रशासन का शाब्दिक अर्थ होता है- कार्य करवाना, देखभाल करना एवं कार्यों की व्यवस्था या प्रबंध करना|

इस तरह यह एक ऐसा संगठन है जिसके अंतर्गत राज्य की सीमा में निवास करने वाले समस्त व्यक्ति आ जाते है और इसका उद्देश्य लोक कल्याण होता है| संक्षेप में, लोकतंत्र में सरकारी कार्यों के प्रशासन को पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन कहा जाता है|

लोक प्रशासन की परिभाषा

विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गयी इसकी परिभाषा प्रकार है:

एल डी व्हाइट के अनुसार- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में वे सभी कार्य आ जाते है, जिनका उद्देश्य लोक नीति को पूरा करना अथवा क्रियान्वित करना होता है| ( व्यापक क्षेत्र)

वुडरो विल्सन के अनुसार- यह विधि अथवा कानून को विस्तृत रूप में कार्यान्वित करने का नाम है| कानून को कार्यान्वित करने की प्रत्येक क्रिया एक प्रशासकीय क्रिया है| (संकुचित क्षेत्र)

साइमन के अनुसार- जन साधारण की भाषा में इससे अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केंद्र राज्य तथा स्थानीय सरकारो की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती है| (संकुचित क्षेत्र)

वाल्डो के अनुसार- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मानवीय पहलू तथा विभिन्न वर्गो वाले प्रशासन से संबंधित एक वर्ग है जो की उच्च कोटि की विचारशक्ति से युक्त एक प्रकार का सामूहिक मानवीय प्रयत्न है| (संकुचित क्षेत्र)

पार्सी मैकक्वीन के अनुसार- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का संबंध सरकार के कार्यों से है, चाहे वह केंद्र द्वारा सम्पादित हो अथवा स्थानीय सरकार द्वारा| (व्यापक क्षेत्र)

उपर्युक्त कोई भी परिभाषा सम्पूर्ण या सर्वमान्य नहीं है| विद्वानों में काफी विभिन्नता मिलती है| कुछ विद्वान इसके व्यापक क्षेत्र को तो कुछ संकीर्ण क्षेत्र को परिभाषित करते है|

कुछ विद्वानों का मत है की यह केवल प्रबंधकीय कार्यों से संबंधित है और वही तक सीमित भी| दूसरी ओर कुछ विद्वानों का मत है की प्रशासन को चलाने के लिए जितने भी कार्य किये जाते है सभी इसके अंतर्गत आते है|

उपर्युक्त सभी परिभाषाओं के विश्लेषण से निम्न निष्कर्ष निकाला जा सकता है-

  • लोक प्रशासन एक सामूहिक प्रयास है| यह वहां उत्पन्न होता है जहाँ एक से अधिक व्यक्ति परस्पर सहयोग की भावना से कार्य करते है| यदि एक व्यक्ति अकेले कार्य कर रहा है उसका कार्य प्रशासन नहीं कहा जा सकता|
  • इसका कोई निश्चित उद्देश्य होता है, जिसकी प्राप्ति हेतु वह निरंतर कार्यरत रहता है|
  • यह उपलब्ध मानवीय व भौतिक साधनों का संगठन है| संगठन की बिना यह अपने लक्ष्य की प्राप्ति नहीं कर सकता|
  • प्रशासक के पास आदेश-निर्देश करने की शक्ति होती है| अतः इसमें काम करना और करवाना दोनों शामिल है|

अध्ययन क्षेत्र – Scope of public administration in hindi.

पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का अध्ययन क्षेत्र निर्धारित करना विद्वानों के लिए एक बड़ी समस्या है| परिवर्तन के इस युग में यह एक गतिशील विषय बन गया है अतः इसके क्षेत्र को रेखांकित करना एक कठिन कार्य है| मूल रूप से समस्या है की इस विषय को केवल प्रबंधकीय अंश माना जाये या इसका संबंध सरकार के प्रत्येक अंगों को माना जाये|

इसके अध्ययन क्षेत्र के लिए चार दृष्टिकोण प्रचलित है|

  1. संकुचित दृष्टिकोण – Narrow View
  2. व्यापक दृष्टिकोण – Broader View
  3. पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण – Posdcorb View
  4. लोककल्याणकारी दृष्टीकोण – Idealistic View

संकुचित दृष्टिकोण – Narrow View

समर्थक- साइमन, गुलिक लूथर, सिमॉन, विल्सन आदि|

साइमन के अनुसार पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केंद्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती है| गुलिक लूथर के अनुसार इसका विशेष संबंध कार्यपालिका से है|

उपर्युक्त परिभाषाओं में साइमन तथा गुलिक ने संकुचित दृष्टिकोण को अपनाया है| पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का संबंध शासन की केवल कार्यपालिका शाखा से ही है| इसमें केवल उसी की कार्यपालिका तथा कार्य पद्धति का अध्ययन किया जाता है|

व्यापक दृष्टिकोण – Broader View

समर्थक– एल डी व्हाइट, एफ. एम मार्क्स, विलोबी, नीग्रो आदि|

एल डी व्हाइट के अनुसार इसमें वे सभी कार्य आते है जिनका उद्देश्य सार्वजनिक नीति को पूरा करना या लागू करना है| मार्क्स के अनुसार अपने व्यापकतम क्षेत्र में इसके अंतर्गत सार्वजनिक नीति से संबंधित समस्त क्रियाएँ आती है|

विलोबी के अनुसार अपने व्यापकतम अर्थ में लोक प्रशासन उस कार्य का प्रतीक है जो की सरकारी कार्यों के वास्तविक सम्पादन से संबंध होता है, चाहे वह सरकार की किसी भी शाखा से संबंधित क्यों न हो…|

लोक प्रशासन के संबंध में उपर्युक्त विद्वानों ने व्यापक दृष्टिकोण को अपनाया है| उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट होता है की ये विद्वान इसे सरकार की तीनों शाखाएँ- कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका का महत्वपूर्ण अंग मानते है|

पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण – Posdcorb View

समर्थक- ऊर्विक, हेनरी फेयोल, लूथर गुलिक

इस दृष्टिकोण की मान्यता है की लोक प्रशासन में केवल तकनीकी और प्रबंधकीय क्रिया का अध्ययन किया जाता है| लूथर गुलिक के अनुसार लोक प्रशासन प्रशासकीय विज्ञान का वह भाग है जिसका संबंध शासन एवं कार्यपालिका शाखा से है और जो सरकार का कार्य करती है| पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण को सुव्यवस्थित करने का श्रेय गुलिक को ही प्राप्त है| पोस्डकोर्ब की रचना अंग्रेजी के सात अक्षरों से मिलकर बना है जो इस प्रकार है-

  1. P- Planning योजना बनाना
  2. O- Organizing संगठन बनाना
  3. S- Staffing कर्मचारियों की व्यवस्था
  4. D- Dircting निर्देशन करना
  5. Co- Co-ordination समन्वय करना
  6. R- Reporting रिपोर्ट देना
  7. B- Budgeting बजट तैयार करना

पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण की आलोचना

वर्तमान समय में इस दृष्टिकोण को अपूर्ण, अमान्य तथा संकीर्ण माना जाता है| लेविस मेरियम इस सिद्धांत के कटु आलोचक है| इस सिद्धांत की आलोचना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है|

  1. संकीर्णता- यह दृष्टिकोण इतना संकीर्ण है की यह लोक प्रशासन से शब्द से प्रकट होने वाले अर्थ को भी समाहित नहीं करता है|
  2. लोक हित की उपेक्षा- पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर का मुख्य उद्देश्य लोक हितो की रक्षा करना है, लेकिन इस दृष्टिकोण में तकनीकी की चर्चा की गई है और लोकहितों की उपेक्षा की गई है|
  3. विषय वस्तु की उपेक्षा- यह दृष्टिकोण अध्ययनकर्ताओं को केवल तकनिकी ज्ञान प्रदान करता है, विषयवस्तु का ज्ञान नही प्रदान करता| जबकि प्रशासन चलाने हेतु तकनीकी के साथ-साथ विषयवस्तु का भी ज्ञान होना चाहिए|
  4. मानवीय तत्व की उपेक्षा- यह दृष्टिकोण मानवीय संबंधों एवं तत्वों की उपेक्षा करता है जबकि हार्थोर्न प्रयोग से यह सिद्ध हो चूका है की प्रशासन मानवीय व्यवहार एवं संबंधो से प्रभावित होता है| मिलवर्ड के शब्दों में, संगठन अपने आप कुछ नही करता, जो कुछ भी करते है उसके कर्मचारीविन्द करते है|

लोककल्याणकारी दृष्टीकोण – Idealistic View

पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से संबंधित एक अन्य दृष्टिकोण और भी है इन्हें आदर्शवादी दृष्टिकोण भी कहते है| इस दृष्टिकोण के समर्थक राज्य व लोक प्रशासन में अधिक अंतर नहीं मानते| उनके अनुसार राज्य और लोक प्रशासन दोनो ही कल्याणकारी है| दोनों का एक ही कार्य है- जनहित अथवा जनता को हर हर प्रकार से सुखी बनाना|

इस दृष्टिकोण के समर्थक कहते है की ‘आज लोक प्रशासन सभ्य जीवन मात्र नहीं है, वह सामाजिक न्याय तथा सामाजिक परिवर्तन का महान साधन है’ अर्थात इसका क्षेत्र जनता के हित में किये जाने वाले कार्यों तक फैला हुआ है|

नवीन लोक प्रशासन से क्या तात्पर्य है

अपना नारा ‘नैतिकता एवं सामाजिक उपयोगिता’ के साथ नवीन लोक प्रशासन या New public administration 70 के दशक में सामने आया| इसने प्रशासन के क्षेत्र में नवीन क्रांति को जन्म दिया.

यह एक विकासशील विषय है| इसमें सतत रूप से सिद्धांतों तथा प्रविधियों का विकास हो रहा है| इसमें 1960 के पश्चात कुछ अति महत्वपूर्ण नवीन विचारों का सूत्रपात हुआ| इन विचारों को नवीन लोक प्रशासन कहा जाता है|

1960 का दशक पश्चिमी देशों के लिए विशेषकर usa के लिए अनेक सामाजिक समस्याओं का काल था| लेकिन परम्परागत लोक प्रशासन के पास इन समस्याओं का कोई हल नहीं था| फलस्वरूप इस दशक के अंतिम वर्षों में (1968) अमेरिकी विद्वानों की युवा पीढ़ी ने इसका पथ प्रदर्शन किया| इससे इस क्षेत्र में नये आन्दोलन का जन्म हुआ|

इविइट वाल्डो के संरक्षण में मिन्नो बुक के कुछ विद्वान एकत्रित हुए और परम्परागत लोक प्रशासन की स्वीकृत मान्यताओं को चुनौती देना प्रारम्भ कर दिया| इस तरह कहा जा सकता है की इस सम्मलेन ने लोक प्रशासन को जन्म दिया| सम्मलेन में यह निष्कर्ष निकाला गया की इसकी सर्वोपरि विशेषता होनी चाहिए- सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता|

1971 में फ्रेंक मेरिनी सम्पादित पुस्तक ‘नवीन लोक प्रशासन की दिशाएँ मिन्नोबुक परिप्रेक्ष्य में’ के प्रकाशन के साथ ही नवीन लोक प्रशासन को मान्यता प्राप्त हुई| यह नवीन लोक प्रशासन की प्रतिनिधि पुस्तक है| यह पुस्तक संभवतः मिन्नो बुक सम्मलेन 1968  पर आधारित है| इसके अग्रणी विचारक है- फ्रेंक मेरिनी, जार्ज पेडरिक्सन, जोसेफ, उवाजेस, चार्ल्स लिन्डब्लोक|

उदय के कारण

इसके उदय के निम्न कारण कहे जा सकते है

  • 1960 के दशक में पश्चिमी देशों विशेषकर अमेरिका में सामाजिक समस्याओं का उत्पन्न होना और तत्कालिक लोक प्रशासन के विद्वानों के द्वारा उसका हल न किया जाना|
  • नये विद्वानों द्वारा समस्याओं को दूर करने की दिशा में किया जाने वाला प्रयास
  • लोक प्रशासन के सिद्धांत व व्यवहार पर फिलाडेल्फिया सम्मलेन (1967)
  • मिन्नोबूक सम्मलेन (1968)
  • फ्रेंक मेरिनी की पुस्तक
  • वाल्डो द्वारा सम्पादित “विक्षोभ के समय में लोक प्रशासन” का प्रकाशन (1971)

विशेषताएं

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएँ इस प्रकार है

  • यह राजनीती और लोक प्रशासन के भेद को अवास्तविक मानता है और दोनों के एकीकरण पर बल देता है|
  • यह मूल्य निरपेक्षता को एक भ्रम मानता है| इसकी मान्यता है की प्रशासन में नीति निर्माण, नीति क्रियान्वयन और नीति मूल्यांकन सदैव नैतिकता के आधार पर होता है|
  • मूल्य निरपेक्ष- मूल्य साक्षेप
  • यह सकारात्मक और आदर्शात्मक है और यह प्रत्यक्ष रूप से जनता के प्रति उत्तरदायी है|
  • यह परिवर्तन में विश्वास रखता है तथा यह सामाजिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील है|
  • इसका मुख्य लक्ष्य सामाजिक न्याय की प्राप्ति है| यह जनता के कल्याण और कार्यक्रम के प्रति निष्ठावान है|
  • यह विकेंद्रीकरण का समर्थन करता है|
  • संक्षेप में कहें तो नवीन लोक प्रशासन का नारा है- ‘नैतिकता एवं सामाजिक उपयोगिता’ जबकि लोक प्रशासन का नारा है- ‘मूल्य निरपेक्षता एवं दक्षता’|

हम आशा करते है की इस लेख ने आपको लोक प्रशासन और नवीन लोक प्रशासन क्या है के साथ इसके उदय एवं स्कोप के बारे में जानने में सहायता की होगी| आपको प्रशासन क्या है और लोक प्रशासन और निजी प्रशासन में अंतर तथा समानता क्या है पढना पंसद हो सकता है| क्या आप जानते है की विश्व गौरैया दिवस कब मनाया जाता है?

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  • लोक प्रशासन का महत्व

नवीन लोक प्रशासन की विशेषताएं क्या है?

परंपरागत लोक प्रशासन यथास्थितिवादी स्वरूप का था जबकि नवीन लोक प्रशासन सामाजिक समता के सिद्धांत पर बल देता है। यह समाज के कमजोर वर्गों-मसलन महिलाओं, बच्चों एवं दलितों को सामाजिक न्याय प्रदान करने हेतु संवेदनशील रहता है। नवीन लोक प्रशासन का उद्देश्य विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग का अंत कर सामाजिक समता पर बल देना है।

नविन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं?

लोक प्रशासन में नवीनता से तात्पर्य है 'किसी भी प्रचलित प्रशासनिक व्यवस्था में नवीन तथ्यों व नवीन विधियों को प्रभावी करना । ' तकनीकी दृष्टि से इसका आशय 'प्रशासनिक संगठन व्यवहार विधियों एवं प्रक्रियाओं में संगठित एवं व्यवस्थित सुधार करना है ।

नवीन लोक प्रशासन क्या है इसके लक्षण विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?

नवीन लोक प्रशासन तथ्यों की प्रांसगिकता पर अत्यधिक बल देता है। यह परम्परागत लोक प्रशासन के लक्ष्यों कार्यकुशलता एवं मितव्यतिता को समकालीन समाज की समस्याओं के समाधान हेतु अपर्याप्त मानता है और इस बात पर बल देता है कि लोक प्रशासन का ज्ञान एवं शोध समाज की आवश्यकता के सन्दर्भ में प्रासंगिक तथा संगतिपूर्ण होना चाहिए।

नवीन लोक प्रशासन का जनक कौन है?

एक विषय के रूप में लोक-प्रशासन का जन्म 1887 में हुआ। अमेरिका के प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी में राजनीतिशास्त्र के तत्कालीन प्राध्यापक वुडरो विल्सन को इस शास्त्र का जनक माना जाता है।