भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र कौन कौन सा है? - bhooskhalan se prabhaavit kshetr kaun kaun sa hai?

इस पृथ्वी पर भारत की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला हिमालय है जो भारतीय तथा यूरेषियन प्लेट के टकराव के कारण बनी है, भारतीय विवर्तनीय परत (इंडियन प्लेट) का चीन की तरफ उत्तरी दिषा में विचलन चट्टानों पर लगातार दबाव डालता है जिससे वे अंदर से चूर-चूर (फ्राइबल), कमजोर तथा भूस्खलन तथा भूकंपों के प्रति प्रवण हो जाती हैं। भारतीय भूपटल (क्रस्ट) की धीमी गति जो कि 5 सेमी. प्रतिवर्श है, के कारण दबाव पड़ता है जिसके कारण प्राकृतिक आपदाएं होती हैं। कुछ भूस्खलन अनोखे तथा अद्वितीय परावर्तन (अनपैरेलल्ड कैटास्ट्रोफ्स) बनाते हैं। भूस्खलन तथा हिमस्खलन बड़े हाइड्रो- जियोलॉजिकल (जल-भूविज्ञानी) खतरों में आते हैं जो हिमालय पर्वतों की पूर्वोत्तर पर्वत-श्रेणी, पष्चिमी घाट, नीलगिरी, पूर्वी घाट तथा विंध्याचल (विध्यांस) जो कि भारतीय भू-भाग का 15% हिस्सा है के अलावा भारत के बड़े हिस्सों पर असर डालते हैं। अकेले हिमालय में सभी प्रकार के कुख्यात, नामी तथा ब्यौरे वाले, बड़े तथा छोटे, तेज तथा धीमे, पुराने तथा नए भूस्खलन आए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र कई विस्मयकारी भूस्खलन संबंधी समस्याओं से बुरी तरह प्रभावित है। सिक्किम, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, असम, नागालैण्ड तथा अरुणाचल प्रदेष के साथ-साथ पष्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में भूस्खलन भी चिरकालिक समस्याएं उत्पन्न करते हैं जिनके कारण करोड़ों रुपए की आर्थिक हानियां होती हैं। एक लैटरिटिक कैप की विषेशता वाले भूस्खलनों की अनेक किस्में नीलगिरी के साथ कोंकण समुद्री तट के सामने खड़ी ढाल वाली चट्टानों (स्टीप स्लोप्स) जो उच्च भूस्खलन प्रवण इलाका है, के साथ दक्षिण में पष्चिमी घाट को लगातार खतरे में रखते हैं।

कुछ उल्लेखनीय दुखद हादसों में वार्णावत् भूस्खलन, उत्तरकाशी जिला, मालफा भूस्खलन, पिथौ़रागढ़ जिला, चमोली जिला उत्तराखंड में ऊखीमठ भूस्खलन दार्जिलिंग जिले में पगलाझोड़ा के साथ-साथ सिक्किम, आइजॉल स्पोट्र्स काॅम्पलैक्स, मिजोरम के हादसे षामिल हैं। ये भूस्खलन के कुछ और हालिया उदाहरण हैं। अतः इस समस्या के प्रषमन तथा प्रबंधन के लिए इसका निपटारा करने की आवष्यकता है जिसके लिए खतरनाक क्षेत्रों को चिह्नित किया जाना है

भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र कौन कौन सा है? - bhooskhalan se prabhaavit kshetr kaun kaun sa hai?

और माॅनीटरिंग तथा पूर्व-चेतावनी प्रणालियों के अलावा विषेश सरकने वाली सतहों (स्लाइडो) को स्थिर (स्टेबलाइज) तथा व्यवस्थित (मैनेज) किया जाना है।

यहां दिखाए गए भारत के एक सामान्य भूस्खलन खतरा मानचित्र में भारत के विभिन्न राज्यों में अनेक खतरे वाले क्षेत्रों के हिस्सों को दर्षाया गया है। कोई भी यह देख सकता है कि भारत के उत्तर पष्चिमी तथा उत्तर पूर्वी हिमालयी क्षेत्र और पष्चिमी घाट अति असुरक्षितता के दो क्षेत्र हैं और भूस्खलन प्रवण हैं।

भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र कौन कौन सा है? - bhooskhalan se prabhaavit kshetr kaun kaun sa hai?

भूस्खलन खतरा क्षेत्र मानचित्र के लिए 1:50,000 के पैमाने तथा विषेश क्षेत्रों के लिए उत्तरोत्तर बड़े पैमाने पर एनडीएमए के दिषानिर्देषों का अनुपालन किया जा रहा है। राश्ट्रीय दूरसंवेदी केंद्र (एनआरएससी), विज्ञान तथा प्रोद्यौगिकी विभाग, भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी) के विष्वविद्यालयों ने इस बारे में प्रषंसनीय कार्य किया है। उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेष के चुनिंदा गलियारों (कॉरिडोरों) पर एनआरएससी के एटलस एक बहुत उपयोगी एटलस रही है। (कृपया भूस्खलन पर एनआरएससी का कार्य देखें)। विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग ने भारत में विभिन्न षैक्षिक (ऐकेडेमिक) संस्थाओं द्वारा चलाई जा रही 30 से अधिक परियोजनाओं को फंड दिया है, जिसकी रिपोर्टों के लिए विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग (एनआरडीएमए) से अनुरोध किया जा सकता है।

यहां दर्षाया गया चमोली जिला (पचैरी, 1992) में हिमालय क्षेत्र के एक भाग से 1:50,000 के पैमाने पर भूस्खलन खतरा क्षेत्र मानचित्र का एक उदाहरण है। अनेक भू-वैज्ञानिक, भू-तकनीकी पैरामीटरों पर आधारित है। ऐसे मानचित्र को परिश्कृत किया जा रहा है और जन-उपयोग हेतु सत्यापन तथा स्वीकार्यता के उच्च स्तर के लिए पुनर्विचार किया जा रहा है। लगभग 15 प्रतिषत भारतीय भू-भाग को खतरों के विभिन्न स्तरों में ढलान वाली चट्टानी सतहों (स्लोप) के वर्गीकरण के लिए 1:50,000 अथवा अधिक के पैमाने पर कवर किया जाना है। भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) और दूरसंवेदी अनुप्रयोगों का सभी संबंधित विभागों से डाटाबेस इकट्ठा करके एनडीएमए में भूस्खलन खतरा क्षेत्र निर्धारण के लिए जीआईएस के एक विषेश समूह के अधीन एनआरएससी के माध्यम से किया जा रहा है और इन्हें जीआईएस तथा अन्य एजेंसियों, सीएसआर लैबों, विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी विभाग आदि के अच्छे कार्यालयों के माध्यम से भूस्खलन प्रषमन पर एक समानान्तर विशय के रूप में जमा स्टोर किया जा रहा है।

भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र कौन कौन सा है? - bhooskhalan se prabhaavit kshetr kaun kaun sa hai?

आपातकालीन किट

  • बैटरी चालित टॉर्च
  • अतिरिक्त बैटरियां
  • बैटरी चालित रेडियो
  • प्राथमिक सहायता थैला तथा मैनुअल
  • आपातकालीन षुश्क खाद्य सामग्री (ड्राई आइटम्स) जल (बोतलबंद/पैक्ड तथा सीलबंद)
  • किसी वारटपू्रफ कंटेनर में मोमबत्तियाँ तथा माचिस
  • चाकू
  • क्लोरीन की गोलियां अथवा पाउडर-युक्त वाटर प्यूरीफायर।
  • केन ओपनर
  • अनिवार्य दवाइयां
  • नकदी, आधार कार्ड तथा राषन कार्ड
  • मोटी रस्सियां तथा डोरियां
  • मजबूत जूते

पुनर्बहाली और निर्माण

शांत रहे तथा सतर्क एवं जागरुक रहें, मौसम केंद्र से जारी होने वाली भारी बारिश तथा दीर्घावधिक बारिश की चेतावनी को ध्यान से सुनें, यदि आपका घर मलबे से ढके इलाके से नीचे की ओर स्थित हो तो सुरक्षित स्थान पर चले जाएं, चट्टान गिरने की आवाजों, मलबा खिसकने, पेड़ों के टूटने अथवा जमीन में पड़ने वाली दरारों अथवा किसी भी हलचल की आवाज को ध्यान से सुनें। रात के लिए एक बैटरी चालित टॉर्च तैयार रखें।

रेस्क्यू टीम को बुलाएं तथा उनकी मदद करें, पेयजल बर्तनों, प्लास्टिक सहायता थैला तथा अनिवार्य दवाइयों के साथ तैयार रहें और क्षतिग्रस्त मकानों में घुसने से बचें।

यदि नदी के पास रहते हों तो बाढ़ के पानी का ख्याल रखें, उन लोगों विशेष रूप से बुजुर्ग, बच्चें तथा महिलाएं जिन्हें खास तौर पर सहायता की जरूरत है, की

मदद करें। क्षतिग्रस्त मकानों, सड़कों आदि के पुनर्निर्माण के लिए स्थानीय प्राधिकरणों से सलाह मांगें। सड़कों, बिजली तथा टेलीफोन की तारों को हुई किसी क्षति के लिए संबंधित प्राधिकारियों को रिपोर्ट करें।

भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र कौन कौन सा है?

पूर्वोत्तर क्षेत्र कई विस्मयकारी भूस्खलन संबंधी समस्याओं से बुरी तरह प्रभावित है। सिक्किम, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, असम, नागालैण्ड तथा अरुणाचल प्रदेष के साथ-साथ पष्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में भूस्खलन भी चिरकालिक समस्याएं उत्पन्न करते हैं जिनके कारण करोड़ों रुपए की आर्थिक हानियां होती हैं।

भूस्खलन से सर्वाधिक प्रभावित राज्य कौन सा है?

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसई) ने 2015 से 2022 के बीच 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 3,782 प्रमुख भूस्खलनों को दर्ज किया है। सर्वाधिक 2,239 भूस्खलन की घटनाएं केरल में दर्ज की गईं।

भूस्खलन के क्या प्रभाव है?

भूस्खलन प्रक्रिया मे भूमि का एक भाग टूटकर निचले भागों की तरफ गुरुत्वाकर्षण के कारण खिसकता जाता है। तीव्र ढाल कमजोर चट्टानों एवं अधिक वर्षा होने वाले पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन एक प्रमुख प्राकृतिक आपदा के रूप मे काफी जन-धन की हानि करता है।

भूस्खलन सबसे अधिक कहाँ होता है?

सबसे पहले जवाब दिया गया: भारत में सबसे ज्यादा भूसंखलन कहा होता है? भारत के हिमालयीन क्षेत्र, जैसे हिमांचल प्रदेश व उत्तराखंड में सबसे अधिक भूस्खलन होता है।