भाषा के कौन कौन से रूप होते हैं? - bhaasha ke kaun kaun se roop hote hain?

किसी भी व्यक्ति और जाति की पहचान उसके भाषा से होती है हम किसी भी व्यक्ति के भाषा से हमें यह समझ जाते हैं वह किस क्षेत्र राज्य व देश से हैं। भाषा हमारे जीवन में बहुत बड़ा प्रभाव डालता है इसलिए हम आज जानेंगे भाषा के कितने रूप होते हैं जिससे हमारी समझ भाषा के प्रति और बढ़ेगी।

भाषा के कौन कौन से रूप होते हैं? - bhaasha ke kaun kaun se roop hote hain?

भारत में रहने वाले विभिन्न राज्य के लोग विभिन्न तरह की भाषाएं बोलते हैं जैसे हिंदी, गुजराती, भोजपुरी, बंगाली, तमिल, मराठी, उड़िया इत्यादि। इन सभी भाषाओं में एक ही प्रकार के व्याकरण के नियम लागू होते है।

आज हम भाषा के विषय पर हर प्रकार से चर्चा करेंगे जैसे भाषा किसे कहते हैं?,भाषा कितने प्रकार के होते हैं, भाषा का मानव जीवन में महत्व, साहित्य की भाषा आदि।

यदि आपके मन में भाषा के प्रति जिज्ञासा है तो आपके लिए यह पोस्ट अत्यंत महत्वपूर्ण होने वाला है। यदि आप भाषण के हर पहलू को अच्छे से समझना चाहते हैं तो आगे पढ़ें।

  • भाषा किसे कहते हैं?
    • विभिन्न दार्शनिकों द्वारा भाषा का अर्थ
  • भाषा के कितने रूप होते हैं
    • मौखिक भाषा
    • लिखित भाषा
    • सांकेतिक भाषा
  • भाषा का मानव जीवन में महत्व
  • भाषा और साहित्य
  • प्रश्न और उत्तर
  • निष्कर्ष

भाषा किसे कहते हैं?

भाषा एक विश्वस्तरीय प्रणाली है जिसके माध्यम से एक मनुष्य अपनी भावनाएं जैसे गुस्सा, प्यार, उपकार, आदेश, लालच, शिष्टाचार, आज्ञा, खुशी आदि अनेक मनोदशा को किसी दूसरे व्यक्ति के साथ व्यक्त करता है इसे ही हम भाषा कहते हैं। 

इसको को आप विभिन्न तरीके से समझ सकते हैं जैसे जब हम किसी से गुस्सा हो जाते हैं, किसी बात से खुश होते हैं, या किसी वस्तु के प्रति हमारी लालसा बढ़ती है या हम किसी से प्यार करते हैं इन सभी चीजों को हम किसी दूसरे व्यक्ति से शेयर करते हैं। इसी अनुभूति को व्यक्त करने में हम भाषा का उपयोग करते हैं।

विभिन्न दार्शनिकों द्वारा भाषा का अर्थ

अपने भीतर की अनुभूति को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने की क्रिया में इस्तेमाल किए जाने वाले को हम भाषा कहते हैं। लेकिन बहुत से ऐसे महान दार्शनिक हैं जिन्होंने भाषा के प्रति अपनी राय अलग-अलग दी है जैसे

हेनरी स्वीट के अनुसार:  ध्वन्यात्मक शब्द द्वारा अपने विचारों को प्रकट करने को ही भाषा कहते हैं।
प्लेटो के अनुसार:  प्लेटो ने भाषा पर अपना विचार देते हुए कहा है की अपने भीतर का विचार एक आत्ममंथन है जब वह हमारे होठों से निकलता है तो वह भाषा बन जाता है।
स्त्रुत्वा: भाषा  एक तंत्र है जिसके द्वारा एक सामाजिक समूह के सदस्य सहयोग एवं संपर्क करते हैं।
ट्रेगर के अनुसार: भाषा एक जैविक प्रणाली है जिसके द्वारा एक समूह दूसरे समूह के साथ संपर्क करता है।
स्त्रुक्टुरेलिस्म के अनुसार: भाषा एक स्व-निहित संबंधपरक संरचना है , जिसके तत्व अपने अस्तित्व और उनके मूल्य को उनके वितरण और ग्रंथों या प्रवचन में विरोध से प्राप्त करते हैं।

भाषा के कितने रूप होते हैं

भाषा के मुख्य तीन रूप होते हैं मौखिक भाषा, लिखित भाषा और सांकेतिक भाषा इन सभी का इस्तेमाल करके हम सभी अपने भाव को एक दूसरे के साथ प्रकट करते हैं

भाषा के कौन कौन से रूप होते हैं? - bhaasha ke kaun kaun se roop hote hain?

भाषा के मुख्य 3 रूप होते हैं जो निम्नलिखित प्रकार से हैं

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा
  3. सांकेतिक भाषा

आइए बाड़ी बाड़ी से समझते हैं की मौखिक, लिखित एवं सांकेतिक भाषा क्या है और इसके उदाहरण।

मौखिक भाषा

मौखिक भाषाओं की सूची में उन सभी भाषाओं को शामिल किया जाता है जिसके माध्यम से हम अपने दिलों दिमाग में चल रही बातों को दूसरे के सामने प्रकट करते हैं। 

भाषा के इस रूप में प्रथम व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को बोल कर अपनी बातों को समझाने की कोशिश करता है। जैसे कोई व्यक्ति जो रेडियो स्टेशन पर काम करता है वह रेडियो में बोलकर पूरे राज्य तक अपनी बातों को पहुंचाता है। यह भी एक मौखिक भाषा का उदाहरण है। 

मौखिक भाषा बोल कर अपने भीतर के विचारों को अन्य व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। इस प्रक्रिया में मौखिक भाषा को बोली भी कहा जाता है यह बहुत प्राचीन व्यवस्था है जो युगो युगो से हमारे समाज में चला आ रहा है।

मौखिक भाषा के निम्नलिखित उदाहरण

जैसे दो लोग जब आपस में फोन पर बात करते हैं तो प्रथम व्यक्ति बोलता है और दूसरा उसके बातों को सुनता है जिसमें प्रथम व्यक्ति कुछ शब्दों के माध्यम से अपने दिमाग में चल रही बातों को दूसरे व्यक्ति को सुनाता है।

जब हम टीवी में समाचार देख रहे होते हैं तो टीवी के अंदर बैठा व्यक्ति हमें मौखिक तरीके से बोलकर या समझाने की कोशिश करता है कि कल क्या-क्या घटनाएं हुई थी यह भी एक मौखिक भाषा का उदाहरण है।

लिखित भाषा

लिखित भाषा वह भाषा है जिससे हम अपनी भावनाओं एवं विचारों को किसी दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए लिखित शब्दों का सहारा लेते हैं उसे हम लिखित भाषा कहते हैं।

इस भाषा का सबसे बेहतर उदाहरण यह है कि जब हमारे फोन में बैलेंस नहीं होता है तब हम अपनी बातों को दूसरे व्यक्ति तक लिखित रूप में भेज देते हैं इसे ही हम लिखित भाषा कहते हैं। वर्तमान समय में इसका इस्तेमाल सबसे अधिक सोशल मीडिया पर होता है। पत्र लेखन में भी लिखित भाषा का ही सहारा लिया जाता है।

इसको को अन्य 2 भाषाओं से ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि मौखिक भाषा मिट जाती है पर लिखित भाषा इतिहास बन जाता है। लिखित भाषा का सबसे अधिक उपयोग कीमती दस्तावेजों में किया जाता है।

लिखित भाषा के निम्नलिखित उदाहरण

जब कोई व्यक्ति व्हाट्सएप पर अपनी बातों को लिखकर किसी दूसरे व्यक्ति को भेजता है और दूसरा व्यक्ति उसे पड़ता है तथा उसकी बातों को समझ जाता है कि वह क्या कहना चाह रहा है। इस प्रक्रिया में इसका का उपयोग होता है।

वर्तमान समय में चल रही घटनाओं का संशोधन पत्रकारों द्वारा समाचार पत्रों में लिखकर जनता तक पहुंचाने की क्रिया में भी लिखित भाषा का ही उपयोग होता है।

किताबों में भी इसका का उपयोग होता है जिसके माध्यम से लेखक अपनी बातों को किताबों द्वारा प्रकाशित करता है जिससे ग्रहण करता उस किताबों को पढ़कर लेखक की बातों को समझ जाता है।

सांकेतिक भाषा

यह एक ऐसी भाषा है जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अपने विचारों को सांकेतिक रूप से प्रकट करता है इसे ही हम सांकेतिक भाषा कहते हैं।

सांकेतिक भाषा का उपयोग मुक बधिर बच्चे और दिव्यांग लोगों के लिए किया जाता है। इसकी भी एक विशेष पढ़ाई है जिसमें आपको सांकेतिक भाषा को समझना सिखाया जाता है। सांकेतिक भाषा मैं एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अपनी मनोदशा संकेतों के माध्यम से पहुंचाता है।

सांकेतिक भाषा के निम्नलिखित उदाहरण

जब हम क्रिकेट के मैदान में क्रिकेट देख रहे होते हैं तब बल्लेबाज द्वारा चौका या छक्का लगाने पर एंपायर द्वारा हाथों से इशारा किया जाता है यह भी एक सांकेतिक भाषा का उदाहरण है।

जब हम किसी पर गुस्सा होते हैं तो उसे मुक्के दिखाकर हम अपनी गुस्सा को उसे दर्शाते हैं यह भी एक सांकेतिक भाषा का उदाहरण है।

सड़क के बीच में खड़ा हुआ ट्रैफिक पुलिस हाथ के इशारे से गाड़ी को सिग्नल दे देता है कि उसे किस दिशा में चलना है यह एक सांकेतिक भाषा का उदाहरण है।

भाषा का मानव जीवन में महत्व

भाषा मानव संबंध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सभी प्रजातियों के संचार के अपने तरीके हैं, केवल मनुष्य ही हैं जिन्होंने संज्ञानात्मक भाषा संचार में महारत हासिल की है। भाषा हमें अपने विचारों और भावनाओं को दूसरों के साथ साझा करने की अनुमति देती है। 

इसमें समाजों को बनाने की शक्ति है और उन्हें तोड़ने की भी शक्ति है। भाषा का महत्व क्यों है? आपको वास्तव में यह समझने के लिए इसे तोड़ना होगा कि क्यों। 

भाषा ही हमें इंसान बनाती है। इस की मदद से आप लोगों से संवाद करते हैं। एक भाषा सीखने का मतलब है कि आपने दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बात करने के लिए शब्दों, संरचना और व्याकरण की एक जटिल प्रणाली में महारत हासिल कर ली है।

बहुत से लोगों के लिए, भाषा स्वाभाविक रूप से आती है। हम बात करने से पहले ही संवाद करना सीखते हैं और जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम शब्दों और जटिल वाक्यों के साथ जो कहना चाहते हैं। 

उसे सही मायने में व्यक्त करने के लिए भाषा में हेरफेर करने के तरीके खोजते हैं। सभी संचार भाषा के माध्यम से नहीं होते हैं, लेकिन किसी भाषा में महारत हासिल करने से निश्चित रूप से प्रक्रिया को गति देने में सहायता मिलती है।

भाषा और साहित्य

भाषा और साहित्य में बहुत गहरा संबंध है असल में भाषाओं के संग्रह को ही हम साहित्य कहते हैं क्योंकि भाषा का विकास साहित्य के माध्यम से ही हो पाया है।

सभी भाषाओं में उनके अपने साहित्य और ग्रंथ पाए जाते हैं जिनमें उस भाषाओं की विकसित अवस्था को विस्तार में लिखा जाता है इसलिए हम यह कह सकते हैं कि भाषा और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं।

भाषा के बिना साहित्य का विकास मुश्किल है और साहित्य के बिना भाषा का विकास इसलिए हमें दोनों का अनुसरण निरंतर करना चाहिए। 

प्रश्न और उत्तर

भाषा क्या है?

जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति तक अपनी भावनाओं एवं विचारों को पहुंचाना चाहता है तो उस क्रिया में वह शब्दों की मदद लेता है जिसे हम भाषा करते हैं।

भाषा क्यों महत्वपूर्ण है?

भाषा के उपस्थिति में हम तेजी से अपने समाज का विकास कर पाते हैं साथ ही अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया को दर्शाने में भी भाषा हमारी बहुत मदद करती है सच्चाई यह है कि भाषा ही हमें इंसान बनाती है।

भाषा के कितने रूप हैं?

भाषा के मुख्य तीन रूप होते हैं एक मौखिक भाषा दूसरा लिखित भाषा और तीसरा सांकेतिक भाषा जिसका इस्तेमाल करके हम अपने समाज में अपने विचारों को प्रकट करते हैं।

भाषा के भेद?

भाषा के दो भेद हैं एक लिखित भाषा दूसरा मौखिक भाषा जिसका इस्तेमाल करके हम अपने विचारों को किसी दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं।

भाषा कितने प्रकार के होते हैं?

1. मौखिक भाषा 2. लिखित भाषा 3. सांकेतिक भाषा

निष्कर्ष

सभी क्षेत्रों के लोग अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं जो उनके लिए बहुत अनमोल होता है। हमें सभी के भाषाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि भाषाओं में बस भावना छुपा होता है। इसलिए सदैव दूसरे के भाषाओं का सम्मान करें।

आशा करता हूं आपको हमारी Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain और भाषा कितने प्रकार के होते हैं जानकारी अच्छी लगी होगी।

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भाषा के कौन कौन से रूप होते है?

भाषा के कितने रूप होते हैं हिंदी में पूरी जानकारी.
1.1 मौखिक भाषा.
1.2 लिखित भाषा.
1.3 सांकेतिक भाषा.

भाषा कितने रूप में होते हैं?

भाषा के मुख्य तीन रूप होते हैं एक मौखिक भाषा दूसरा लिखित भाषा और तीसरा सांकेतिक भाषा जिसका इस्तेमाल करके हम अपने समाज में अपने विचारों को प्रकट करते हैंभाषा के भेद? भाषा के दो भेद हैं एक लिखित भाषा दूसरा मौखिक भाषा जिसका इस्तेमाल करके हम अपने विचारों को किसी दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं

भाषा के तीन रूप होते हैं क्या?

भाषा के तीन रूप होते हैं- मौखिक भाषा, लिखित भाषा, सांकेतिक भाषा

भाषा के मुख्य रूप कौन सा है?

मौखिक भाषा। 2. लिखित भाषा। आमने-सामने बैठे व्यक्ति परस्पर बातचीत करते हैं अथवा कोई व्यक्ति भाषण आदि द्वारा अपने विचार प्रकट करता है तो उसे भाषा का मौखिक रूप कहते हैं।