जीवित रहने के लिए हमें कौन सी गैस चाहिए? - jeevit rahane ke lie hamen kaun see gais chaahie?

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

  • All categories
  • JEE (28.2k)
  • NEET (8.5k)
  • Science (750k)
    • Physics (258k)
    • Chemistry (253k)
    • Biology (213k)
  • Mathematics (243k)
  • Statistics (2.8k)
  • Environmental Science (5.0k)
  • Biotechnology (608)
  • Social Science (114k)
  • Commerce (63.5k)
  • Electronics (3.8k)
  • Computer (17.3k)
  • Artificial Intelligence (AI) (1.4k)
  • Information Technology (13.3k)
  • Programming (8.7k)
  • Political Science (6.5k)
  • Home Science (5.7k)
  • Psychology (3.4k)
  • Sociology (5.6k)
  • English (59.5k)
  • Hindi (24.5k)
  • Aptitude (23.7k)
  • Reasoning (14.6k)
  • GK (25.7k)
  • Olympiad (528)
  • Skill Tips (77)
  • CBSE (733)
  • RBSE (49.1k)
  • General (63.6k)
  • MSBSHSE (1.8k)
  • Tamilnadu Board (59.3k)
  • Kerala Board (24.5k)

वैज्ञानिक यह मानते हैं कि अगर धरती या किसी दूसरे ग्रह पर ऑक्‍सीजन है तो ये किसी पेड़ की वजह से आ रही होगी. ऐसे में जब कभी भी किसी ग्रह पर जिंदगी का पता लगाने की कोशिशें की जाती हैं तो वहां पर मौजूद ऑक्‍सीजन को ही जिंदगी का प्रतीत माना जाता है.

कोरोना वायरस महामारी भारत में एक बार फिर अपने खतरनाक रूप में आ गई है. हर तरफ इस समय ऑक्‍सीजन की कमी से त्राहि-त्राहि मची हुई है. इन सबसे अलग क्‍या आपने कभी ये सोचने की कोशिश की है कि जब इतनी गैस पर्यावरण में मौजूद हैं तो फिर सांस लेने और जिंदा रहने के लिए सिर्फ ऑक्‍सीजन ही क्‍यों चाहिए. एक रिसर्च में कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगाया था. इसके साथ ही उन्‍होंने इस बात पर भी रिसर्च की थी कि क्‍या ऑक्‍सीजन का कोई और विकल्‍प आने वाले दिनों में तलाशा जा सकता है.

वातावरण में कैसे बनती है ऑक्‍सीजन

जापान स्थित इंस्‍टीट्यूट ऑफ मॉलीक्‍यूलर साइंस ऑफ एनआईएनएस की तरफ से साल 2015 में एक स्‍टडी को अंजाम दिया गया था. इस स्‍टडी को असोसिएट प्रोफेसर शिगेयूकी मासाओका और नोरियो नरिता की तरफ से अंजाम दिया गया था. इन्‍होंने अपनी रिसर्च में कहा था कि क्‍योंकि धरती के वातावरण में ऑक्‍सीजन की मात्रा बाकी गैसेज की तुलना में कहीं ज्‍यादा है.

धरती पर मौजूद पेड़ और पौधे लगातार फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया को करते रहते हैं. इसकी ही वजह से धरती पर इंसान से लेकर जानवर तक को जिंदा रहने के लिए बस ऑक्‍सीजन चाहिए होती है.

इस रिसर्च को 10 सितंबर 2015 को साइंटिफिक रिपोर्ट्स में जगह मिली थी. लेकिन इसी रिसर्च में यह भी बताया गया था कि अभी तक यह माना जाता है कि अगर धरती या किसी दूसरे ग्रह पर ऑक्‍सीजन है तो ये किसी पेड़ की वजह से आ रही होगी. ऐसे में जब कभी भी किसी ग्रह पर जिंदगी का पता लगाने की कोशिशें की जाती हैं तो वहां पर मौजूद ऑक्‍सीजन को ही जिंदगी का प्रतीत माना जाता है.

दूसरे ग्रहों पर भी ऑक्‍सीजन!

डॉक्‍टर नरीता ने अपनी रिसर्च में यह बताने की कोशिश की थी कि अबॉयिटिक ऑक्‍सीजन जो टिटेनियम ऑक्‍साइड के लिए जिम्‍मेदार फोटोकैटेलिक्टि‍क रिएक्‍शन की वजह से पैदा होती है. रिसर्च के मुताबिक टिटेनियम ऑक्‍साइड धरती के अलावा दूसरे ग्रहों जैसे चांद और मंगल पर भी मौजूद है. अगर किसी ग्रह का पर्यावरण चांद-सूरज सिस्‍टम की तरह होता है तो फिर वहां पर टिटेनियम ऑक्‍साइड 0.05 फीसदी तक मौजूद रहती है. इस रिसर्च में डॉक्‍टर न‍रीता ने दावा किया था कि इतनी मात्रा के साथ दूसरे ग्रहों पर भी ऑक्‍सीन का उत्‍पादन ठीक मात्रा में संभव है.

क्‍या है जिंदगी में ऑक्‍सीजन का रोल

इस रिसर्च से अलग अमेरिका के कोलोराडो में स्थित फार्मा कंपनी नेक्‍सस्‍टार फार्मा के साथ जुड़े रिर्सचर ड्रयू स्मिथ ने इस बात का जवाब देने की कोशिश की है कि क्‍या इंसान में वो क्षमता मौजूद है कि ऑक्‍सीजन से बेहतर किसी गैस का निर्माण किया जा सके. उन्‍होंने बताया कि ऑक्‍सीजन का अहम फंक्‍शन टर्मिनल इलेक्‍ट्रॉन एक्‍सेप्‍टर के तौर पर होता है.

दूसरे शब्‍दों में कहे तो यह बिल्‍कुल किसी बैटरी के पॉजिटिव टर्मिनल की तरह होती है. हम जो खाना खाते हैं वो निगेटिव टर्मिनल की तरह होता है. इस खाने से निकलने वाले इलेक्‍ट्रॉन्‍स ऑक्‍सीजन की तरफ फ्लो करते हैं और कोशिकाएं कुछ एनर्जी को ग्रहण कर लेती हैं. यह बिल्‍कुल वैसा ही है जैसे कोई बल्‍ब अचानक किसी इलेक्ट्रिक सर्किट से एनर्जी लेता और फिर स्विच ऑन करने पर रोशनी देने लगता है.

क्‍या दूसरी गैसें हैं ऑक्‍सीजन का विकल्‍प

स्मिथ के मुताबिक दूसरे कंपाउंड्स भी इलेक्‍ट्रॉन एक्‍सेप्‍टर के तौर पर काम कर सकते हैं. उन्‍होंने इस बात के पीछे बैक्‍टीरिया का उदाहरण दिया था. उन्‍होंने बताया था कि बैक्‍टीरिया नाइट्रेट, सलफेट और यहां तक कि कार्बन डाइऑक्‍साइड पर भी जिंदा रह सकता है. मगर सवाल जस का तस था कि क्‍या ये गैस ऑक्‍सीजन से बेहतर हैं? स्मिथ ने बताया कि अगर एनर्जी के लिहाज से देखें तो ये तमाम गैस इलेक्‍ट्रॉन एक्‍सेप्‍टर के तौर पर बहुत कमजोर हैं.

वहीं, क्‍लोरीन और फ्लोरीन गैस ऑक्‍सीजन की तुलना में एक मजबूत ऑक्‍सीडाइजर्स है. स्मिथ ने ये भी बताया था कि ये दोनों गैस बहुत जहरीली भी हैं तो इस बात की आशंका जीरो हो जाती है. साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा था कि आज से 2.5 बिलियन साल पहले साइनोबैक्‍टीरिया ने फोटोसिंथेसिस की मदद से इतनी ज्‍यादा ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन कर डाला था कि वह वातावरण में एक जहरीले स्‍तर तक पहुंच गई थी.

इसलिए जरूरी है ऑक्‍सीजन

स्मिथ ने बताया कि आपका शरीर एक नियंत्रित मात्रा में ऑक्‍सीजन को ग्रहण करता है. कोशिकाएं खाने से ऑक्‍सीजन लेती हैं तो टिश्‍यूज उसे नुकसान पहुंचने से बचाते हैं. आपके खून में मौजूद प्रोटीन कैटालाइज हाइड्रोहजन और पानी से मिलाकर ऑक्‍सीजन को तैयार करता है. इस प्रक्रिया में जरा भी देर आपकी मौत की वजह बन सकता है. स्मिथ के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि हम ऑक्‍सीजन गैस की तुलना में बेहतर इलेक्‍ट्रॉन एक्‍सेप्‍टर तैयार कर सकते हैं. लेकिन इंसान उन्‍हें प्रयोग करने के लिए अभी तैयार नहीं है. वो गैस जहरीली हैं और ऐसे में फिलहाल ऑक्‍सीजन का कोई विकल्‍प नहीं है.

यह भी पढ़ें-अब किचन में जाए बिना और गैस को हाथ लगाए बिना ही तैयार हो जाएगी आपकी फेवरिट डिश, जानिए कैसे

जीवित रखने वाली गैस कौन सी है?

जीवधारियों के लिये दो गैसे मुख्य हैं, आक्सीजन गैस जिसके द्वारा जीवधारी जीवित रहता है , दूसरी जिसे जीवधारी अपने शरीर से छोड़ते हैं, उसका नाम कार्बन डाई आक्साइड है।

मनुष्य जीवित रहने के लिए कौन सी गैस में सांस लेता है?

मनुष्य सांस (breathing) लेते वक्त, ऑक्सीजन अंदर करते है और कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं.

जीवदानी गैस कौन सी है?

ऑक्सीजन गैस को जीवन दायिनी गैस कहा जाता है ।

जीवित रहने के लिए सबसे आवश्यक क्या है?

इंसान के जीवित रहने के लिए" तीन का नियम"लागू होता है जो यह है। इन तीन वस्तुओं में हवा तीन मिनट पानी तीन दिन वभोजन तीन हफ्ते नहीं मिले तो मृत्यु संभव है। मुख्यतया ऑक्सीजन । धन्यवाद ।.
अपने गुनो का नही छोड़ना चाहिए।.
कर्म फल के विचार किये बिना कर्म नहीं करना चाहिए।.
अपनी ताकत को व्यर्थ नहीं करना चाहिए।.