विद्युत ऋणात्मक से आप क्या समझते हैं? - vidyut rnaatmak se aap kya samajhate hain?

विद्युत ऋणता या विद्युत ऋणात्मकता : सहसंयोजक बंध के इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता को विद्युत ऋणता कहते है। इसे E.N (electronegativity) से व्यक्त करते है।

जिस परमाणु की विद्युत ऋणात्मकता अधिक होती है , उस पर आंशिक ऋण आवेश व जिस परमाणु की विद्युत ऋणात्मकता कम होती है उस पर आंशिक धनावेश पाया जाता है।

विद्युत ऋणात्मकता को प्रभावित करने वाले कारक

1. परमाण्विक त्रिज्या : परमाण्विक त्रिज्या बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन व नाभिक के मध्य की दूरी बढती जाती है जिससे उस इलेक्ट्रॉन पर नाभिकीय आकर्षण बल कम होता जाता है अर्थात इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृति बढती जाती है अत: विद्युत ऋणात्मकता कम होती जाती है।

अर्थात परमाण्विक त्रिज्या , विद्युत ऋणात्मकता के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

2. प्रभावी नाभिकीय आवेश : आवर्त में बाएं से दायें जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता जाता है , साथ ही साझित इलेक्ट्रॉन युग्मों के बीच आकर्षित करने की क्षमता बढती जाती है अत: विद्युत ऋणता का मान भी बढ़ता जाता है , अर्थात विद्युत ऋणात्मकता का मान प्रभावी नाभिकीय आवेश के समानुपाती होता है।
3. ऑक्सीकरण अवस्था : धनात्मक ऑक्सीकरण क्षमता बढ़ने पर परमाणु का आकार छोटा होता जाता है जिससे विद्युत ऋणता का मान भी बढ़ता जाता है जबकि ऋणात्मक ऑक्सीकरण क्षमता बढने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है अत: विद्युत ऋणता का मान कम होता जाता है।
4. ‘s’ गुणों की प्रतिशत मात्रा : ‘s’ गुणों की प्रतिशत मात्रा बढने पर साझित इलेक्ट्रॉन उस परमाणु के नाभिक के पास आ जाते है अर्थात आकर्षण बढ़ता है जिससे विद्युत ऋणात्मकता भी बढती है।
आवर्त सारणी में तत्व फ्लुओरिन [F] की विद्युत ऋणात्मकता सबसे अधिक होती है।

विद्युत ऋणात्मकता के अनुप्रयोग

1. धात्विक व अधात्विक गुण :आवर्त में बाएं  से दायें जाने पर विद्युत ऋणात्मकता बढती जाती है , अत: लक्षण बढ़ता जाता है जबकि वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक गुण बढ़ता है व विद्युत ऋणात्मकता का मान कम होता है।

2. अणुसूत्र लिखने में : द्विगंशीय अकार्बनिक यौगिक का अणुसूत्र लिखते समय कम विद्युत ऋणी तत्व का प्रतीक पहले लिखा जाता  जबकि अधिक विद्युत ऋणी तत्व का प्रतिक बाद में लिखा जाता है।

उदाहरण : NaCl

अपवाद : NH3
N3H में अधिक विद्युत ऋणी परमाणु पहले व कम विद्युत ऋणी परमाणु बाद में उपस्थित है जो कि इनके प्रचलित नाम के कारण है।

3. बंध लम्बाई का परिकलन : दो आबन्धित असमान एकल परमाणुओं के मध्य की दूरी निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात करते है –

dA-B = rA + rb – 0.09 (XA – XB)

जहाँ = XA अधिक विद्युत ऋणी परमाणु की विद्युत ऋणता

XB = कम विद्युत ऋणी परमाणु की विद्युत ऋणता

4. बंध सामर्थ्य : सह संयोजक बंध में बंधित परमाणुओं की विद्युत ऋणात्मकता  अंतर बढने पर बंध सामर्थ्य व स्थायित्व दोनों बढ़ते है।

बंध व स्थायित्व का बढ़ता क्रम :-

H-F > H-Cl > H-Br > H-I

5. ऑक्साइड की अम्लीय या क्षारीय प्रकृति : आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों की ऑक्साइड की अम्लीय प्रकृति बढती है जबकि वर्ग में ऊपर  से नीचे जाने पर तत्वों के ऑक्साइड की क्षारीय प्रकृति बढती है।

नोट : [Xe – Xm] ≥ 2. 3 है तो ऑक्साइड क्षारीय और [Xe – Xm] <= 2. 3 है तो ऑक्साइड अम्लीय है।

6. यौगिकों के जल अपघटन की क्रियाविधि : विद्युत ऋणता की सहायता से यौगिको के जल अपघटन की क्रिया विधि को समझाया जा सकता है।

उदाहरण : BCl3 के जल अपघटन से बोरिक अम्ल व Cl2O के जल अपघटन से हाइपो फ्लोरस अम्ल और जल बनता है।

7. सहसंयोजक बंध में आंशिक आयनिक गुण : जब भिन्न भिन्न परमाणुओं के मध्य सहसंयोजक बन्ध बनता है तो उस बंध मे आंशिक आयनिक गुण आ जाते है।

इस आयनिक गुणों वाली प्रतिशतता को विद्युत ऋणता के आधार पर “हैने” व “स्मिथ” ने निम्न सूत्र द्वारा व्यक्त किया –

% आयनिक गुण = 16[XA – XB] + 3.5[XA – XB]2

यहाँ XA = अधिक विद्युत ऋणी परमाणु की विद्युत ऋणता

 XB = कम विद्युत ऋणी परमाणु की विद्युत ऋणता

tags in english : electronegativity in 11th in hindi ?

संयोजकता : कोई परमाणु जितने इलेक्ट्रॉन त्यागता या ग्रहण करता है या साझा करता है वह उसकी संयोजकता कहलाती है।

प्रथम वर्ग के तत्वों की संयोजकता = 1

द्वितीय वर्ग के तत्वों की संयोजकता = 2

(13 , 14 , 15 , 16 , 17) वें वर्ग के तत्वों की संयोजकतायें क्रमशः 3 , 4 , 3 , 2 , 1 होती है।

(n – 1)d व ns कक्षकों के मध्य ऊर्जा का अंतर कम होने के कारण संक्रमण तत्व अलग अलग संयोजकता प्रदर्शित करते है।

किसी तत्व की विद्युत-ऋणात्मकता को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि इसके परमाणु की सहसंयोजक आबन्ध में साझे के इलेक्ट्रॉन-युग्म को अपनी ओर आकर्षित करने की प्रवृत्ति की माप, तत्व की विद्युत-ऋणात्मकता कहलाती है।

विद्युत्-ऋणात्मकता (Electronegativity) किसी परमाणु का एक रासायनिक गुण है जो दर्शाता है कि वह परणाणु किसी सहसंयोजी आबंध में एलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने में कितना सक्षम है। कभी-कभार प्रकार्यात्मक समूह (फंशनल ग्रुप) के विद्युत-ऋणात्मकता की भी बात की जाती है। इसे प्रतीक χ द्वारा प्रदर्शित करते हैं। इसे लाइनस पाउलिंग (Linus Pauling) ने सन् 1932 में सहसंयोजी आबंध सिद्धान्त के विकास में प्रयुक्त किया था। यह प्रदर्शित हो चुका है कि विद्युत-ऋणात्मकता अनेको अन्य रासायनिक गुणों के साथ सहसम्बन्धित है। विद्युत-ऋणात्मकता का सीधे मापन सम्भव नहीं है। यह अन्य परमाणविक या आणविक गुणो से गनना करके निकाली जाती है। श्रेणी:रसायनशास्त्र की विमाहीन संख्याएँ.

2 संबंधों: परमाणु, सहसंयोजी आबंध।

एक परमाणु किसी भी साधारण से पदार्थ की सबसे छोटी घटक इकाई है जिसमे एक रासायनिक तत्व के गुण होते हैं। हर ठोस, तरल, गैस, और प्लाज्मा तटस्थ या आयनन परमाणुओं से बना है। परमाणुओं बहुत छोटे हैं; विशिष्ट आकार लगभग 100 pm (एक मीटर का एक दस अरबवें) हैं। हालांकि, परमाणुओं में अच्छी तरह परिभाषित सीमा नहीं होते है, और उनके आकार को परिभाषित करने के लिए अलग अलग तरीके होते हैं जोकि अलग लेकिन काफी करीब मूल्य देते हैं। परमाणुओं इतने छोटे है कि शास्त्रीय भौतिकी इसका काफ़ी गलत परिणाम देते हैं। हर परमाणु नाभिक से बना है और नाभिक एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन्स से सीमित है। नाभिक आम तौर पर एक या एक से अधिक न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की एक समान संख्या से बना है। प्रोटान और न्यूट्रान न्यूक्लिऑन कहलाता है। परमाणु के द्रव्यमान का 99.94% से अधिक भाग नाभिक में होता है। प्रोटॉन पर सकारात्मक विद्युत आवेश होता है, इलेक्ट्रॉन्स पर नकारात्मक विद्युत आवेश होता है और न्यूट्रान पर कोई भी विद्युत आवेश नहीं होता है। एक परमाणु के इलेक्ट्रॉन्स इस विद्युत चुम्बकीय बल द्वारा एक परमाणु के नाभिक में प्रोटॉन की ओर आकर्षित होता है। नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक अलग बल, यानि परमाणु बल के द्वारा एक दूसरे को आकर्षित करते है, जोकि विद्युत चुम्बकीय बल जिसमे सकारात्मक आवेशित प्रोटॉन एक दूसरे से पीछे हट रहे हैं, की तुलना में आम तौर पर शक्तिशाली है। परमाणु के केन्द्र में नाभिक (न्यूक्लिअस) होता है जिसका घनत्व बहुत अधिक होता है। नाभिक के चारो ओर ऋणात्मक आवेश वाले एलेक्ट्रान चक्कर लगाते रहते हैं जिसको एलेक्ट्रान घन (एलेक्ट्रान क्लाउड) कहते हैं। नाभिक, धनात्मक आवेश वाले प्रोटानों एवं अनावेशित (न्यूट्रल) न्यूट्रानों से बना होता है। जब किसी परमाणु में एलेक्ट्रानों की संख्या उसके नाभिक में स्थित प्रोटानों की संख्या के समान होती है तब परमाणु वैद्युकीय दृष्टि से अनावेशित होता है; अन्यथा परमाणु धनावेशित या ऋणावेशित ऑयन के रूप में होता है। आधुनिक रसायनशास्त्र में शताधिक मूल भूत माने गए हैं, जिनमें से कुछ तो धातुएँ हैं जैसे ताँबा, सोना, लोहा, सीसा, चाँदी, राँगा, जस्ता; कुछ और खनिज हैं, जैसे, गंधक, फासफरस, पोटासियम, अंजन, पारा, हड़ताल, तथा कुछ गैस हैं, जैसे, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन आदि। इन्हीं मूल भूतों के अनुसार परमाणु आधुनिक रसायन में माने जाते हैं। पहले समझा जाता था कि ये अविभाज्य हैं। अब इनके भी टुकड़े कर दिए गए हैं। नाभिक में प्रोटॉन की संख्या किसी रासायनिक तत्व को परिभाषित करता है: जैसे सभी तांबा के परमाणु में 29 प्रोटॉन होते हैं। न्यूट्रॉन की संख्या तत्व के समस्थानिक को परिभाषित करता है। इलेक्ट्रॉनों की संख्या एक परमाणु के चुंबकीय गुण को प्रभावित करता है। परमाणु अणु के रूप में रासायनिक यौगिक बनाने के लिए रासायनिक आबंध द्वारा एक या अधिक अन्य परमाणुओं को संलग्न कर सकते हैं। परमाणु की संघटित और असंघटित करने की क्षमता प्रकृति में हुए बहुत से भौतिक परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है, और रसायन शास्त्र के अनुशासन का विषय है। .

नई!!: विद्युत्-ऋणात्मकता और परमाणु · और देखें »

संयोजी बंधन का आरंभिक सिद्धान्त H2 का अणु सहसंयोजी बंधन द्वारा बनता है। इसमें दो हाइड्रोजन परमाणु दो एलेक्ट्रानों का साझा करते हैं। सहसंयोजी आबंध (covalent bond) वह रासायनिक आबंध है जिसमें परमाणुओं के बीच एलेक्ट्रान-युग्मों का सहभाजन (शेयरिंग) होता है। सहसंयोजी आबंधन में अनेक प्रकार की पारस्परिक क्रियाएँ (interaction) होते हैं जिनमें से σ-आबन्धन, π-आबन्धन, धातु-धातु आबन्धन आदि प्रमुख हैं। श्रेणी:रासायनिक बंध.

विद्युत ऋणात्मक से आप क्या समझते है?

विद्युत्-ऋणात्मकता (Electronegativity) किसी परमाणु का एक रासायनिक गुण है जो दर्शाता है कि वह परणाणु किसी सहसंयोजी आबंध में एलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करने में कितना सक्षम है। कभी-कभार प्रकार्यात्मक समूह (फंशनल ग्रुप) के विद्युत-ऋणात्मकता की भी बात की जाती है। इसे प्रतीक χ द्वारा प्रदर्शित करते हैं।

प्र 8 विद्युत ऋणात्मकता से आप क्या समझते है?

Solution : किसी परमाणु के द्वारा इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति उसकी वैधुत ऋणात्मकता कहलाती है

विद्युत ऋणात्मक तत्व कौन कौन से हैं?

Detailed Solution सही उत्तर फ्लोरीन हैं। आवर्त सारणी में फ्लोरीन सबसे अधिक विद्युत ऋणात्मक तत्व है।

विद्युत ऋणात्मकता क्या है इसका मान आवर्त सारणी में किस प्रकार परिवर्तित होता है?

Solution : विद्युत-ऋणात्मकता - आवर्त में बाई से दाई ओर जाने पर विद्युत ऋणात्मकता बढ़ती है। (शून्य वर्ग को छोड़कर) तथा वर्ग में नीचे की ओर जाने पर इसका मान घटता है। Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams.