बाइबल में सबसे बड़ा पाप क्या है - baibal mein sabase bada paap kya hai

प्रश्न

सबसे बड़ा पाप क्या है?

उत्तर

अनन्तकालीन अर्थों में कोई भी पाप किसी अन्य पाप से बड़ा नहीं होता है। सभी पाप हमें परमेश्‍वर से अलग करते हैं, और सभी पापों के लिए प्रायश्‍चित की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त, "प्राणघातक" और "छोटे" पापों के अर्थों में कोई भी "पाप सबसे बड़ा" नहीं होता है, जैसा कि रोमन कैथोलिक चर्च शिक्षा देती है। सभी पाप "प्राणघातक" पाप हैं, यहाँ तक कि एक किया हुआ पाप भी अपराधी को आत्मिक मृत्यु और परमेश्‍वर से अनन्तकालीन पृथकता के योग्य बना देता है। साथ ही, बाइबल यह भी बताती है कि न्याय के दिन कुछ पापों के लिए दूसरों की अपेक्षा अधिक दण्ड दिया जाएगा (मत्ती 11:22, 24; लूका 10:12, 14)।

यीशु ने यूहन्ना 19:11 में एक पाप को "बड़ा" या अधिक पाप (यद्यपि "सबसे बड़ा" नहीं) कहा है। पेन्तुस पिलातुस से बात करते हुए, उसने कहा कि जिसने उसे पीलातुस को सौंप दिया था, उसका "पाप अधिक" था। उसका अर्थ था कि जिस व्यक्ति ने उसे पिलातुस के हाथों में दे दिया था, चाहे वह यहूदा या कैफा ही क्यों न हो, वह पीलातुस से बड़ा था, क्योंकि उसके आश्‍चर्यकर्मों और शिक्षाओं के अत्यधिक तीव्र प्रमाण को देखने के पश्‍चात् भी यीशु को सौंपने के पीछे उद्देश्य सहित योजना और गम्भीर कार्य, मसीह और परमेश्‍वर के पुत्र के रूप में स्पष्ट रूप से उसकी ओर ही इंगित करते हैं। वह पाप उन लोगों के पास से अधिक बड़ा था, जो उसके बारे में अज्ञानी थे। इससे संकेत मिलता है कि जिन लोगों को यीशु के बारे में परमेश्‍वर के पुत्र के रूप में ज्ञान दिया गया है, और जिन्होंने तौभी उसे अस्वीकार कर दिया गया है, वे उन लोगों की अपेक्षा अधिक दण्ड के अधीन होंगे जो उसके बारे में अनजान रहते हैं: "यदि तुम अंधे होते तो पापी न ठहरते; परन्तु अब कहते हो कि हम देखते हैं, इसलिये तुम्हारा पाप बना रहता है" (यूहन्ना 9:41)।

यद्यपि, ये घटनाएँ प्रमाणित नहीं करती हैं कि एक पाप अन्य सभों में "सबसे बड़ा पाप" है। नीतिवचन 6:16-19 उन सात पापों की एक सूची है, जिनसे परमेश्‍वर घृणा करता है और जो उसकी दृष्टि मे घृणित हैं: "घमण्ड से चढ़ी हुई आँखें, झूठ बोलनेवाली जीभ, और निर्दोष का लहू बहानेवाले हाथ, अनर्थ कल्पना गढ़नेवाला मन, बुराई करने को वेग दौड़नेवाले पाँव, झूठ बोलनेवाला साक्षी और भाइयों के बीच में झगड़ा उत्पन्न करनेवाला मनुष्य।" परन्तु सात में से किसी को भी किसी अन्य की अपेक्षा अधिक बड़े पाप के रूप में नहीं पहचाना गया है, और किसी को भी सबसे बड़ा पाप के रूप में नहीं पहचाना गया है।

यद्यपि, बाइबल किसी भी पाप को सबसे बड़ा पाप नहीं मानती है, तथापि यह क्षमा न किए जाने वाले पाप को उद्धृत करती देता है, जो अविश्‍वास का पाप है। अविश्‍वास में मरने वाले व्यक्ति के लिए कोई क्षमा नहीं मिलती है। बाइबल स्पष्ट है कि, मानव जाति के लिए अपने प्रेम में होकर, परमेश्‍वर ने अनन्तकालीन उद्धार के साधन — यीशु मसीह और क्रूस पर उसकी मृत्यु — को उनके लिए प्रदान किया है, "जो कोई भी उसके ऊपर विश्‍वास करता है" (यूहन्ना 3:16)। एकमात्र शर्त जिसके अधीन क्षमा को उन लोगों को प्रदान नहीं की जाएगी यह वह है, जो उद्धार के एकमात्र साधन को अस्वीकार करते हैं। यीशु ने कहा है कि, "मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (यूहन्ना 14:6), यह स्पष्ट करता है कि वही और केवल वही एकमात्र परमेश्‍वर की ओर जाने वाला मार्ग और उद्धार है। उद्धार के एकमात्र साधन को अस्वीकार करना न क्षमा योग्य कार्य और इस अर्थ में, सब से बड़ा पाप है।

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सबसे बड़ा पाप क्या है?

बाइबल के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है?

"जीव हत्या" सबसे बड़ा पाप हैं , अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं।

पाप के बारे में बाइबल क्या कहती है?

पाप के बारे में बाइबल क्या कहती है? बाइबल बताती है सभी प्रकार का गलत काम या अधर्म जो किसी को चोट पहुंचाए या अपने आप को नुकसानदायक हो वह पाप की श्रेणी में आता है यहाँ तक कि आत्म हत्या भी सरासर पाप है. क्योंकि आप अपने नहीं हो आपको परमेश्वर ने रचा है इस पर परमेश्वर का अधिकार है न की हमारा.

मसीही जीवन कैसे जीना चाहिए?

Contents hide.
1 1. हर बात में धन्यवाद देना | धन्यवाद की प्रार्थना.
2 2. हमें सदैव नम्र रहना चाहिए | सच्ची मसीही जीवन.
3 3. बाइबल का अध्ययन करें | बाइबिल पढ़ने के नियम.
4 4. हमें बाइबल को कंठस्य (याद) भी करना है | बाइबल की गहरी बातें.
5 5. हमें एक दूसरे की सेवा करना चाहिए | और हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए.
6 6. ... .
7 7. ... .

मनुष्य का उद्धार कैसे हो सकता है?

उद्धार पापों की क्षमा और पाप के दण्ड, पाप के प्रभाव और पाप की उपस्थिति से छुटकारा पाना है। बाइबल का परमेश्वर सृष्टिकर्ता, पवित्र, धर्मी और न्यायी परमेश्वर है। वह पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ मापदण्ड है। परमेश्वर ने सब चीज को अच्छा बनाया और मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया, ताकि वह परमेश्वर को महिमा दे सके।