बालगोबिन भगत ने परंपरा से हटकर कौन सा कार्य किया? - baalagobin bhagat ne parampara se hatakar kaun sa kaary kiya?

बालगोबिन भगत(सम्पूर्ण अध्ययन) 

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बालगोबिन भगत ने परंपरा से हटकर कौन सा कार्य किया? - baalagobin bhagat ne parampara se hatakar kaun sa kaary kiya?

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यहाँ बालगोबिन भगत नामक व्यक्ति का चित्रण किया गया है। उसकी शारीरिक विशेषताओं के साथ उसके पहनावे का भी वर्णन किया गया है। उनके पहनावे और वेश से उन्हें साधु नहीं कहा जा सकता। व गृहस्थ थे, उनको एक बेटा और बहू थे। परिवार और खेतीबारी के होते हुए भी बालगोबिन संन्यासी की तरह थे। वे कबीर को साहब मानते थे, तथा उनके गीत से निकले हुए मुख्य भावों व आदेशों का अक्षरशः पालन करते थे। सीधा और सच्चा व्यवहार रखते थे। किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते थे। किसी दुसरे की चीज को बिना पूछे उपयोग नहीं करते थे, न ही दूसरे के खेत में शौच आदि करते थे। खेत में पैदा हुए अनाज को सिर पर लादकर कबीर के दरबार में ले जाते, वहाँ से प्रसाद के रूप में जो भी मिलता था उसी से गुजारा करते थे। लेखक उनके द्वारा गाए गए कबीर के पद को सुनकर आनन्दित हो उठता था।

यहाँ लेखक ने आषाढ़ के महीने में प्रकृति और खेतों में होने वाली चहल-पहल का उल्लेख किया है। आषाढ़ के महीने में बरसात होने के बाद गाँव के सभी लोग खेतों में आकर धान की रोपाई आरम्भ कर देते हैं। औरतें खाना लेकर आती हैं। बालगोबिन भगत भी अपने खेत में धान की रोपाई करता हुआ अपनी संगीतमय आवाज में जब गाता है तो सभी स्त्री, पुरुष बच्चे झूमने व गुनगुनाने लगते हैं, हलवाहों और रोपाई करने वालों में जोश और उमंग की लहर व्याप्त हो जाती है।

बालगोबिन भगत पाठ में भाद्रपद महीने की अंधेरी व आधी रात में मूलसाधार वर्षा के बाद होने वाली बादलों की गर्जन, बिजली की कड़क, टिड्डों और मेंढकों की आवाज़ का शोर भी बालगोबिन की मधुर आवाज को नहीं दबा पाते। अंधेरी रात में उनके द्वारा गाये जाने वाला एक गाना सबको चौंका देता है। जब सारा संसार सो जाता है तो बालगोबिन सबको सचेत करता हुआ गाना गाता है। कार्तिक के महीने में बालगोबिन शीघ्र ही नदी-स्नान करके प्रभात फेरी पर निकल पड़ते थे। माघ महीने की रक्त को जमाने वाली ठंड में वे पूर्व की ओर मुँह करके एक चटाई पर अपनी खंजड़ी बजाकर गाने बैठ जाते। गाते-गाते वे इतने रोमांचित हो जाते कि कंपकँपा देने वाले उस जाडे में भी उनके माथे पर पसीना आ जाता था।

गर्मियों में घर के आँगन में ही उनके कुछ प्रेमी आ बैठते बालगोबिन आगे-आगे गाते पीछे प्रेमी मंडली दोहराती । धीरे-धीरे उनका स्वर ऊँचा होता जाता और मन शरीर पर हावी हो जाता, देखते-देखते बालगोबिन नाचने लगते। बालगोबिन भगत के  संगीत की उत्त्कर्षता  उसके इकलौते बेटे की मृत्यु पर देखने को मिला। बालगोबिन का मानना था कि बीमार और कमजोर लोगों को प्रेम की अधिक आवश्यकता होती है। बेटे की लाश को आँगन में लिटाकर फूल और तुलसी उस पर बिखेर रखी थी। बालगोबिन जमीन पर बैठे अपने पुराने स्वर और तल्लीन भाव से गा रहे थे | गाने के बीच में वे अपनी पुत्रवधू को रोने के बदले उत्सव मनाने को कह रहे थे। वे कहते आत्मा और परमात्मा के मिलन से बढ़कर कोई आनन्द नहीं है। लेखक को वह कभी पागल लग रहा था, तो कभी उसमें उनका मृत्यु पर विजय प्राप्त करने का दृढ़ विश्वास बोलता दिखाई दे रहा था।

बालगोबिन भगत ने क्रिया-कर्म संबंधी रीति एवं परम्पराओं की चिंता न करते हुए अपनी पुत्रवधू से ही बेटे की आग दिलाई। श्राद्ध आदि के बाद उन्होंने पुत्रवधू को उसके भाई के साथ भेजते हुए कहा कि इसकी दूसरी शादी करा देना। किंतु बहू भगतजी की सेवा में ही अपने बाकी दिन बिताना चाहती थी। बहू वहीं रहने की बात करती है तो भगत जी घर छोड़ कर जाने की बात कह देते हैं। बेचारी चली गई। बालगोबिन भगत हर वर्ष गंगा-स्नान के लिए 30 कोस पैदल जाते और आते। वे रास्ते में न किसी का सहारा लेते और न ही किसी का कुछ खाते। बुढ़ापे में भी जवानी जैसा जोश था। अंतिम बार जब नहाकर आए तो बीमार रहने लगे किंतु अपने नियम नहीं छोड़े। अंतिम संध्या के समय जब उन्होंने गाया तो आवाज में बिखराव आया हुआ था। सुबह के समय जब लोगों ने गीत नहीं सुना तो आकर देखा कि बालगोबिन भगत इस दुनिया से प्रस्थान कर चुके थे।


बालगोबिन भगत का प्रश्न उत्तरबालगोबिन भगत पाठ का प्रश्न उत्तर

प्रश्न-1-  खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?

उत्तर- बालगोविन भगत खेतीबारी करते हुए बेटा-पतोहू से युक्त परिवार में रहते थे फिर भी उनका आचरण साधु जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें करते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वह बिना वजह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे।

प्रश्न-2- भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?

उत्तर- बेटे की मृत्यु के बाद बालगोवि भगत की पुत्रवधू ही उसकी देखरेख करने वाली बची थी किंतु भगत जी उसे भी उसके भाई के साथ भेज देते हैं। पुत्रवधू यह सोच कर उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहती कि बुढ़ापे में उनके लिए भोजन कौन बनाएगा। बीमार पड़ने पर उनकी देखभाल कौन करेगा कौन उनकी दवा-पानी का प्रबंध करेगा।

प्रश्न-3- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की है ?

उत्तर- जब बालगोविंन भगत का इकलौता बेटा मरा तो उसने उसे आँगन में एक चटाई पर लिटाया और सफेद कपड़े से ढक दिया। उसके सामने जमीन पर बैठकर भगत जी अपने पुराने स्वर और तल्लीनता के भाव से गीत गाते रहे। गाते-गाते बीच में कहते कि यह रोने का नहीं उत्सव मनाने का समय है। आत्मा और परमात्मा का मिलन हुआ है। विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली है। सबसे बड़ा आनंद का समय यही है। 

प्रश्न-4- भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा का अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत एक संत स्वभाव के व्यक्ति थे। जैसा भी मिला उसे पाकर संतोष धारण कर लिया। वे सामान्य कद के गोरी चिट्टे व्यक्ति थे। लगभग 60 वर्ष से ऊपर की आयु होने के कारण बाल सफेद हो गए थे। वह दाढ़ी या जटाएँ नहीं रखते थे। वे नाम मात्र के कपड़े पहनते थे जिनमें एक लंगोटी और सिर पर कबीरपंथीयों जैसी नफटी टोपी थी। सर्दी में एक कंबल ले लेते थे माथे पर रामानंदी चंदन का टीका लगाते थे और गले में तुलसी के जड़ों की बेडौल माला पहने रहते थे।

प्रश्न-5- बालगोविन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?

उत्तर- बालगोविन भगत अपने जीवन के अंतिम दिनों में बीमार रहने लगे थे। उनका स्वास्थ दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा था फिर भी उन्होंने अपने नियम नहीं छोड़े। दोनों समय स्नान करना, दोनों समय नियमित रूप से गाना और खेत खलिहानो की देखभाल करने संबंधी दिनचर्या को देखकर लोग अचरज में रह जाते थे। 

प्रश्न-6- पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएं लिखिए।

उत्तर- बालगोविन भगत के गीत की विशेषताएं थी कि उनका स्वर धीरे-धीरे ऊंचा होने लगता था। स्वर एक निश्चित ताल और गति के चढ़ाव से आगे बढ़ता हुआ श्रोताओं के मन को भी ऊपर उठा देता था, जिसे सुनकर सभी झूमने और नाचने लगते थे।

प्रश्न-7- कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बाल गोविन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- पाठ के आधार पर कई ऐसे प्रसंग आए हैं जिनसे यह पता चलता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। उन्होंने अपने बेटे का क्रिया-कर्म करते समय भी सामाजिक मान्यताओं को नहीं माना। उन्होंने अपनी पुत्रवधू के हाथों ही बेटे को मुखाग्नि दिलाई। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने अपनी पुत्रवधू के भाई को बुला कर उसका पुनर्विवाह करवाने का आदेश दे दिया। उन्होंने अपनी पुत्रवधू को वैधव्य जीवन जीने के लिए विवश न करके दूसरी शादी कर देने को कहा।

प्रश्न-8- धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियां किस तरह चमत्कृत कर देती ? उस माहौल का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर- बाल गोविंद जब अपने खेत में धान की रोपाई कर रहे होते हैं तब वे अपने मधुर स्वर में संगीत को सीढ़ियों पर चढ़ाते हुए ऊँचा ले जाते हैं जिसे सुनकर खेलते हुए बच्चे झूमने लगते हैं। औरतें साथ-साथ गुनगुनाने लगती हैं। बाल गोविंद के संगीत के जादुई प्रभाव से हलवाहों के पैर एक ताल में उठने लगते हैं और धान की रोपाई करने वालों की अंगुलियां संगीतमय गति से चलने लगती हैं।

बालगोबिन भगत की रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न-9- पाठ के आधार पर बताए कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?

उत्तर- बालगोविन भगत का पहनावा और आचरण कबीरपंथीओं जैसा था। वह कबीर को साहब मानते थे और उनसे असीम श्रद्धा और विश्वास रखते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूप में प्रकट हुई है—

क) उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था।

ख) उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता था।

ग) वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते और दूसरे की वस्तु अस्पृश्य समझते।

घ) उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।

ङ) उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए दिन बिताया। 

प्रश्न-10- आपकी दृष्टि से भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के क्या कारण रहे ?

उत्तर- मेरी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के अनेक कारण रहे ---

क) कबीर भी घर-परिवार के साथ रहते हुए साधुओं जैसा जीवन बिताते थे।

ख) कबीरदास का सादा जीवन उच्च विचार भगत को पसंद आया होगा।

ग) भगत को कबीर का सीधा-साधा वह सपाट बयानी व्यवहार बहुत पसंद आया होगा।

प्रश्न-11- गांव का सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश आषाढ़ चढ़ते ही उल्लास से क्यों भर जाता ?

उत्तर- आषाढ़ का महीना बरसात का महीना होता है। बरसात की रिमझिम जल-वृष्टि बच्चे, बूढ़ों, स्त्री, पुरुषों में उल्लास भर देती है। बच्चे पानी भरे खेतों में उछल कूद करते हैं। स्त्री पुरुष खुशी से झूमते हुए खेतों में धान की रोपाई करने लगते हैं। इस तरह स्त्री पुरुष एवं बच्चे नाचने गाने लगते हैं झूमते हैं और खुशियां मनाते हैं।

प्रश्न-12- "ऊपर की तस्वीर से यह नहीं माना जाय की बालगोबिन भगत साधु थे |" क्या साधु की पहचान पहनावे के आधार पर की जानी चाहिए? आप किन आधारों पर यह सुनिश्चित करेंगे की आमुक व्यक्ति साधु है ?

 विद्यार्थी स्वयं करें ---

प्रश्न-13- मोह और प्रेम में अंतर होता है। भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर इस कथन का सच सिद्ध करेंगे?

उत्तर- लोग अपने प्रिय जनों की मृत्यु पर रोते-धोते हैं ।यह उनका मोह है परंतु भगत अपने बेटे से प्रेम करते हैं वे जीते जी उसे प्रेम का अधिक हकदार मानते रहे।

अपने बुढ़ापे में अकेला होने पर भी बहू को उसके भाई के साथ भेज देते हैं अपने बुढ़ापे से मोह नहीं दिखाते हैं।

 बालगोबिन भगत का भाषा अध्ययन 

प्रश्न-14- इस पाठ में आए कोई 10 क्रिया विशेषण छांटकर लिखिए और उनके भेद भी बताइए।

उत्तर-

1. धीरे-धीरे स्वर ऊंचा होने लगा।

रीतिवाचक

2. कपड़े बिल्कुल कम पहनते थे।

संख्यावाचक

3. कमली तो बार-बार सर से निचे सरक जाती 

रीतिवाचक

4. उनकी अंगुलियां खँजड़ी पर लगातार चल रही थी।

रीतिवाचक

5. अभी आसमान के तारों के दीपक नहीं बुझे थे |

कालवाचक 

6. रोशनी करने वालों की अंगुलियां अजीब क्रम से चलती है

रीतिवाचक

7. उनकी खँजड़ी डिमक-डिमक बज रही है।

रीतिवाचक

8. जो कुछ खेत में पैदा होता

परिमाणवाचक

9. इन दिनों वह सवेरे ही उठते हैं।

कालवाचक

10. श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते।

स्थानवाचक

प्रभातियाँँ गाते हुए बालगोबिन भगत

बालगोबिन भगत ने परंपरा से हटकर कौन सा कार्य किया? - baalagobin bhagat ne parampara se hatakar kaun sa kaary kiya?

बालगोबिन भगत के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर 

बालगोबिन भगत के अन्य प्रश्न 

प्रश्न- बालगोबिन भगत पाठ का उद्देश्य क्या है?

उत्तर- बालगोबिन भगत के पाठ का उद्देश्य सामाजिक रुढियों पर प्रहार करना व ग्रामीण जीवन की सजीव झाँकी से परिचित कराना है।

प्रश्न- बालगोबिन भगत पाठ का संदेश क्या है?

उत्तर- बालगोबिन भगत पाठ का संदेश यह है कि हमे मानवीय सरोकार व मानवीय मूल्यों को महत्व देना चाहिए।हमें व्यक्ति के बाहरी दिखावे या भेष-भूषा को महत्व नहीं देना चाहिए। हमे व्यक्ति के व्यावहारिक पक्ष को महत्व देना चाहिए।

प्रश्न-1-  लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु क्यों मानता ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- बालगोविन भगत बेटा पतोहू के साथ रहते थे। वह साधुओं की तरह रहते और साधु की सारी परिभाषा के ऊपर खरे उतरते थे इसलिए लेखक ने भगत को गृहस्थ साधु माना है।

प्रश्न-2- ‘भगत अपनी सब चीज साहब की मानते?’ उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- भगत के खेत में जो कुछ पैदा होता था उसे सिर पर लादकर साहब के दरबार में ले जाते थे। दरबार में या मठ में उसे भेंट स्वरूप रख लिया जाता और उन्हें जो कुछ प्रसाद स्वरूप दिया जाता उसी में गुजारा करते थे।

प्रश्न-3- लेखक बालगोबिन भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत के किस अन्य गुण पर मुग्ध था और क्यों?

उत्तर- लेखक भगत को गृहस्थ साधु मानता था पर वह भगत की मधुर गान पर मुग्ध था जिसे कोई भी सदा सर्वदा सुन सकता था।

प्रश्न-4- बालगोबिन भगत को संगीत का जादू क्यों कहा गया है?

उत्तर- बाल गोविंद भगत का संगीत हर आयु वर्ग के लोगों पर समान रूप से असर करता था। उनके मधुर गान को सुनकर बच्चे बूढ़े जवान सब झूम उठते थे। इस कारण बालगोबिन भगत को संगीत का जादू कहा जाता है।

प्रश्न-5- भगत प्रभातियाँ किस महीने में गाया करते थे? उनके प्रभाती गायन का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भगत प्रभातिया कार्तिक से फाल्गुन महीने तक गाया करते थे। वह नदी स्नान को जाते और लौटते समय पोखर के भिंडे पर चटाई बिछाकर पूरब की ओर मुंह करके प्रभातियाँ टेरना शुरु कर देते। प्रभातिया गाते गाते इतने सुरूर और उत्तेजना से भर जाते किस श्रमबिंदु झलक उठते थे।

प्रश्न-6- भगत का आँगन नृत्य-संगीत से किस तरह ओत-प्रोत  हो उठता था?

उत्तर- गर्मियों में भगत और उनकी प्रेम-मंडली आँगन में आसन जमा कर बैठ जाते। बालगोविन एक पद गाते प्रेम-मंडली उसे दोहराती-तिहराती इस प्रकार सारा आँगन नृत्य और संगीत से ओतप्रोत हो जाता।

प्रश्न-7- भगत अपने सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?

उत्तर- भगत का मानना था कि ऐसे लोगों पर ज्यादा निगरानी रखते हुए प्यार करना चाहिए जो शारीरीक और मानसिक रुप से अक्षम हों क्योंकि मोहब्बत की इन्हें ज्यादा जरूरत होती है। इस कारण भगत अपने उस बेटे को अधिक प्यार करते थे।

प्रश्न-8- पुत्र की मृत्यु के अवसर पर बालगोबिन भगत अपनी पत्नी को परंपरा से हटकर कौन सा कार्य करने को कह रहे थे और ?

उत्तर- इस समय भगत अपनी पतोहू से रोने के बदले उत्सव मनाने को कह रहे थे। वह ऐसा इसलिए कह रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि मृत्यु खुशी का अवसर है।

प्रश्न-9- बालगोबिन भगत की किस दलील के आगे उनकी पतोहू की एक न चली ?

उत्तर- भगत ने अपने बेटे की श्राद्ध की अवधि खत्म होते ही अपनी पतोहू के भाई को बुलवाया और आदेश दिया कि इसकी दूसरी शादी कर देना। भगत की पतोहू उनके बुढ़ापे का ध्यान रखकर उन्हें छोड़कर नहीं जाना चाहती थी पर भगत ने कहा कि यदि तू न गई तो मैं घर छोड़ कर चला जाऊंगा। इस दलील के आगे उसकी एक न चली।

प्रश्न-10-बालगोबिन भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई, कैसे? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- सामान्य जीवन में भगत की जैसी दिनचर्या रही जीवन के अंतिम समय तक यह दिनचर्या बनी रही अतः कहा जा सकता है कि भगत की मृत्यु उन्हीं के अनुरूप हुई।

प्रश्न-11- बालगोविंन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए क्या किया?

उत्तर- बालगोविन भगत ने महिलाओं की सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए दो कार्य किया-

क) उन्होंने अपने पुत्र को अपनी पतोहू से मुखाग्नि दिलाकर महिलाओं को पुरुषों के बराबर लाने का प्रयास किया।

ख) अपनी पतोहू को दूसरी शादी कर लेने का आदेश दिया इस प्रकार विधवा विवाह के माध्यम से उन्होंने नारियों की सामाजिक स्थिति को सुधारना चाहा।

प्रश्न-12- बालगोविंन भगत की गंगा स्नान यात्रा का वर्णन कीजिए।

उत्तर- बालगोबिन भगत प्रतिवर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे। इस यात्रा में चार-पांच दिन लग जाते थे। भगत इतने स्वाभिमानी थे कि पैदल आते-जाते किंतु किसी का सहारा न लेते। इसी प्रकार वे रास्ते में उपवास कर लेते पर किसी से माँग कर न खाते क्योंकि वे कहते थे कि गृहस्थ किसी से भीक्षा क्यों मांगे। इस प्रकार उन्होंने साधु और गृहस्थ होने के स्वाभिमान को बनाए रखा ।

प्रश्न- बालगोबिन भगत के लेखक कौन हैं?

उत्तर- बालगोबिन भगत पाठ के लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी हैं।

प्रश्न- बालगोबिन भगत की विधा क्या है?

उत्तर- बालगोबिन भगत की साहित्यिक विधा रेखाचित्र है।

बाल गोविंद भगत का शब्दार्थ बालगोबिन भगत पाठ का शब्दार्थ

संबल का क्या अर्थ है संबल का अर्थ है सहारा
कुश क्या अर्थ है कुश एक प्रकार की नुकीली खास है 

बोदा शब्द का क्या अर्थ है बोदा का अर्थ है कम बुद्धि वाला
आवृत्त का क्या अर्थ है आवृत का अर्थ है ढका हुआ, आच्छादित
लोही का क्या अर्थ है लोही का अर्थ है प्रातः काल की लालिमा
निस्तब्धता का क्या अर्थ है निस्तब्धता का अर्थ है सन्नाटा 

अधरतिया का क्या अर्थ है अधरतिया का अर्थ है आधी रात
कमली का क्या अर्थ है कमली का अर्थ है कंबल
मँझोला का क्या अर्थ है मझोला का अर्थ है न बहुत बड़ा न बहुत छोटा
कलेवा का क्या अर्थ है कलेवा का अर्थ है सवेरे का जलपान
खँजड़ी का क्या अर्थ है खँजड़ी का अर्थ है डफली के ढंग का परंतु आकार में उससे छोटा एक वाद्य यंत्र
पंजर का अर्थ क्या है पंजर का अर्थ है मृत शरीर
छीजना का अर्थ क्या है छीजना का अर्थ है कमजोर होना
दो टूक मुहावरे का अर्थ क्या है दो टूक मुहावरे का अर्थ है सटीक
प्रभातिया का अर्थ क्या है प्रभातिया का अर्थ सवेरे-सवेरे गाया जाने वाला गीत
लिथड़ा का क्या अर्थ है लिथड़ा का अर्थ है सना हुआ
मठ अर्थ क्या है मठ का अर्थ है आश्रम

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बालगोबिन भगत ने सामाजिक परंपरा से हटकर कौन से कार्य किए?

खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे? बालगोबिन भगत कबीर के पक्के भक्त थे। वे कभी झूठ नहीं बोलते थे और हमेशा खरा व्यवहार करते थे। वे किसी की चीज का उपयोग बिना अनुमति माँगे नहीं करते थे।

बालगोबिन भगत क्या कर रहे हैं?

बालगोबिन भगत भगवान के निराकार रूप को मानते थे। उनके अनुसार उनका जो भी है वह मालिक की देन है उस पर उसी का अधिकार है। इसीलिए वे अपने खेतों की पैदावार कबीर मठ में पहुँचा देते थे। बाद में प्रसाद के रूप में जो मिलता उसी से अपना निर्वाह करते थे।

पतोहू बाल गोविंद भगत को छोड़कर जाना क्यों नहीं चाहती थी?

प्रश्न 2: भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी? उत्तर: भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था।

बालगोबिन भगत रोपनी करते समय क्या करते थे?

बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं; मेंड़ पर खड़ी औरतों के होंठ काँप उठते हैं, वे गुनगुनाने लगती हैं; हलवाहों के पैर ताल से उठने लगते हैं; रोपनी करनेवालों की अँगुलियाँ एक अजीब क्रम से चलने लगती हैं! बालगोबिन भगत का यह संगीत है या जादू! 11 भादो की वह अँधेरी अधरतिया ।