बिलवासी जी ने सर्जन दो तरीकों से रुपयों का प्रबंध फकया क्या वह सही था या गलत? - bilavaasee jee ne sarjan do tareekon se rupayon ka prabandh phakaya kya vah sahee tha ya galat?

Short Note

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  • बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबन्ध कहाँ से किया?
  • बबलवासी जी ने सर्जन दो तरीकों से रुपयों का प्रबंध फकया क्या वह सही था या गलत?
  • अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने लाला जी को पहचानने तक से इंकार क्यों कर दिया वे ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे?
  • बिलवासी जी कौन थे?

बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए

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Solution

बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल को देने के लिए रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी की संदूक से चोरी करके कियाइसके लिए उन्होंने अपनी सोती हुई पत्नी के गले में पड़ी चेन से ताली निकाली और चुपचाप संदूक से रुपये निकालकर उसे बंद कर दियालाला झाऊलाल के लिए रुपये का इंतजाम अंग्रेज के माध्यम से हो जाने पर उन्होंने वे रुपए उसी तरह वापस रख दिये और उनकी पत्नी न जान सकी

Concept: गद्य (Prose) (Class 8)

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Chapter 14: अकबरी लोटा - कहानी की बात [Page 92]

Q 4Q 3Q 5

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NCERT Class 8 Hindi - Vasant Part 3

Chapter 14 अकबरी लोटा
कहानी की बात | Q 4 | Page 92

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बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था?


बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके किया था क्योंकि वे हर हाल में अपने मित्र की सहायता करना चाहते थे।

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“लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया” आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?


दो और दो जोड़कर स्थिति समझना-अर्थात् परिस्थिति को भाँप जाना। जब लालाजी के हाथों से लोटा गिरने के बाद आँगन में भीड़ एकत्रित हो गई और एक अंग्रेज़ नखशिख तक भीगा हुआ लोटा हाथ में लिए गालियाँ देता हुआ आ रहा था, तो लाला ने परिस्थिति का अनुमान लगा लिया कि कुछ गड़बड़ हो गई है।
इस प्रकार लालाजी दो प्रमुख बातें समझ गए कि लोटा अंग्रेज़ को लगा है और वह अब उनसे लड़ने आया है।

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“लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।” लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।


लाला झाऊलाल छत पर टहल रहे थे। कुछ प्यास लगने पर उन्होंने नौकर को पानी के लिए आवाज़ दी। नौकर के न होने पर उनकी पत्नी उनके लिए स्वयं पानी लेकर आई। वह पानी एक बेढंगे से लोटे में लाई जो लाला को जरा भी पसंद न था लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी को कुछ न कहा क्योंकि वे अपनी पत्नी की इज़्ज़त करते थे बिना वजह उसे टोकना नहीं चाहते थे। दूसरा वे पत्नी के तेज़-तर्रार स्वभाव को भी जानते थे वे सोचने लगे कि यदि मैंने लोटे के बारे में कुछ कह दिया तो खाना बाल्टी में ही खाना पड़ेगा। इसलिए वे चुप रहे।

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आपके विचार से अंग्रेज़ ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।


अंग्रेज़ को पुरानी व ऐतिहासिक वस्तुएं खरीदने का चाव था इसलिए उसने इस लोटे को खरीदा जिसका नाम बिलवासी जी ने ‘अकबरी लोटा’ रखा था। ऐसा हम इसलिए कह सकते हैं क्योंकि लालाजी के हाथों से लोटा खरीदने के पूर्व भी वह एक दुकान से पीतल की पुरानी मूर्तियाँ खरीद रहा था।

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“इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।”
बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।


यह बात बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल से कही क्योंकि वे जानना चाहते थे कि पाँच सौ रुपए कहाँ से आए। अब बिलवासी जी ने उन्हें यह कहा कि इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा क्योंकि उन्हें यह कहना भी सही नहीं लग रहा था कि उस बेढंगे लोटे को ‘अकबरी लोटा’ बताकर उन्होंने अंग्रेज़ को मूर्ख बनाकर ये रुपए ऐंठे हैं।

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अंग्रेज़ के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।


अंग्रेज़ के सामने बिलवासी जी ने ऐसा अजीब व्यवहार किया कि ये झाऊलाल को पहचानते नहीं हैं। ऐसा उन्होंने इसलिए किया ताकि अंग्रेज़ का क्रोध शांत हो जाए और मामला जल्दी ही समाप्त हो।

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Page No 92:

Question 1:

''लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।''

लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिलकुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे? अपने विचार लिखिए।

Answer:

लाल झाऊलाल ने चुपचाप लोटा ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का अदब मानते थे और उस समय वे चिंताग्रस्त भी थे कि अगर मना किया तो इससे भी खराब बर्तन में पानी भोजन मिले।

Page No 92:

Question 2:

''लाला झाऊलाल जी ने फौरन दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया।'' आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी?

Answer:

लाला झाऊलाल एक चतुर व्यक्ति थे। लोटा गिरने पर एक भारी भीड़ उनके आँगन में घुस आई। एक अंग्रेज को भीगे हुए तथा पैर सहलाते हुए देखकर वे समझ गए कि स्थिति गंभीर है और इस समय उनका चुप रहना ही ठीक है।

Page No 92:

Question 3:

अंग्रेज़ के सामने बिलवासी जी ने झाऊलाल को पहचानने तक से क्यों इनकार कर दिया था? आपके विचार से बिलवासी जी ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे? स्पष्ट कीजिए।

Answer:

परिस्थिति देखकर बिलवासी जी के दिमाग में लाला झाऊलाल की समस्या को हल करने का उपाए आया। इसी कारण बिलवासी जी ने ऐसा अजीब व्यवहार किया ताकि पुलिस थाने की र ध्यान हटाकर अपनी योजना कामयाब हो सके।

Page No 92:

Question 4:

बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए।

Answer:

बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया था। पर समस्या का हल हो जाने पर उन्होंने वे रूपए वापस अपनी पत्नी के संदूक में रख दिए।

Page No 92:

Question 5:

आपके विचार से अंग्रेज़ ने यह पुराना लोटा क्यों खरीद लिया? आपस में चर्चा करके वास्तविक कारण की खोज कीजिए और लिखिए।

Answer:

अंग्रेज़ को पुरानी ऐतिहासिक चीज़ें इकट्ठा करने का शौक था। उसके एक मित्र ने 300 रूपए देकर एक जहाँगीरी अंडा खरीदा था। उसे हीन दिखाने के लिए अंग्रेज़ ने यह लोटा, अकबरी लोटा समझकर 500 रूपए में खरीदा।

Page No 92:

Question 1:

''इस भेद को मेरे सिवाए मेरा ईश्वर ही जानता है। आप उसी से पूछ लीजिए। मैं नहीं बताँऊंगा।'' बिलवासी जी ने यह बात किससे और क्यों कही? लिखिए।

Answer:

'बिलवासी' जी ने यह बात 'लाला झाऊलाल' से कही क्योंकि उसने ये पैसे अपनी पत्नी के संदूक से चुराए थे। इस रहस्य को वह 'झाऊलाल' के सामने खोलना नहीं चाहते थे।

Page No 92:

Question 2:

''उस दिन रात्रि में बिलवासी जी को देर तक नींद नहीं आई।'' समस्या झाऊलाल की थी और नींद बिलवासी की उड़ी तो क्यों? लिखिए।

Answer:

''बिलवासी'' जी ने अपने मित्र ''लाला झाऊलाल'' की सहायता करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से रूपए चुराए थे। ''बिलवासी'' जी अपनी पत्नी के सोने की प्रतीक्षा कर रहे थे। वे चुपचाप उसी तरह रूपए संदूक में रखना चाहते थे। यहाँ समस्या झाऊलाल की नहीबल्कि बिलवासी जी की थी। इसीलिए बिलवासी जी को उस रात देर तक नींद नहीं रही थी।

Page No 92:

Question 3:

''लेकिन मुझे इसी जिंदगी में चाहिए।''

''अजी इसी सप्ताह में ले लेना।''

''सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?''

झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से क्या पता चलता है? लिखिए।

Answer:

यहाँ झाऊलाल तथा उनकी पत्नी की बातचीत से ऐसा लगता है कि पत्नी को अपने पति झाऊलाल के वादे पर भरोसा नहीथा। इस तरह की बातचीत का कारण यह भी हो सकता है कि उनकी पत्नी उन्हें उकसाकर उनसे रुपए लेना चाहती थी। उनकी पत्नि ने पहले भी कुछ माँगा होगा परन्तु उन्होंने हाँ करने के बाद भी लाकर नहीं दिया होगा।

Page No 93:

Question 1:

अंग्रेज़ लोटा खरीदता?

Answer:

यदि अंग्रेज़ लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी को अपनी पत्नी से चुराए हुए रूपए लाला झाऊलाल को देना पड़ता। अन्यथा झाऊलाल अपनी पत्नि को पैसे नहीं दे पाते।

Page No 93:

Question 2:

यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता?

Answer:

यदि अंग्रेज़ पुलिस को बुला लेता तो सम्भवत: लाला झाऊलाल को गिरफ्तार कर लिया जाता या उन्हें जुर्माना देना पड़ता। दोनों ही परिस्थितियों में लाला झाऊलाल अपनी पत्नी को दिया हुआ वचन निभाने में असमर्थ होते।

Page No 93:

Question 3:

जब बिलवासी अपनी पत्नी के गले से चाबी निकाल रहे थे, तभी उनकी पत्नी जाग जाती?

Answer:

गले से चाबी निकालते समय यदि बिलवासी जी की पत्नी जग जाती तो अपनी पत्नी के समक्ष उन्हें शर्मिंदा होना पड़ता। चोरी का इल्ज़ाम भी बिलवासी जी को सहना पड़ता।

Page No 93:

Question 1:

''अपने वेग में उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।'' उल्का क्या होती है? उल्का और ग्रहों में कौन-कौन सी समानताएँ और अंतर होते हैं?

Answer:

आकाश में उपस्थित आग के गोले को उल्का कहते हैं। उल्का तथा ग्रह दोनों ही चमकते हैं। दोनो एक जैसे पदार्थोसे ही बने होते हैं। ग्रह अपने जगह पर रहकर सुर्य की परिक्रमा करते हैं परन्तु उल्का के गमन की कोई निश्चित दिशा नहीं होती है। किसी तारे का छोटा चट्टानी टुकड़ा उल्का कहलाता है।

Page No 93:

Question 2:

''इस कहानी में आपने दो चीज़ों के बारे में मजेदार कहानियाँ पढ़ीं-अकबरी लोटे की कहानी और जहाँगीरी अंडे की कहानी।''

आपके विचार से ये कहानियाँ सच्ची हैं या काल्पनिक?

Answer:

यह कहानियाँ काल्पनिक हैं। जहाँगीरी अंडे की बात पूरी तरह से काल्पनिक है। क्योंकि एक अंडे को इतने दिनों तक सँभालकर रखना सम्भव नहीहै तथा अकबरी लोटे के सम्बंध में भी कोई प्रमाण नहीहै।

Page No 93:

Question 3:

अपने घर या कक्षा की किसी पुरानी चीज़ के बारे में ऐसी ही कोई मजेदार कहानी बनाइए।

Answer:

अपने अनुभव पर इसका उत्तर दें।

Page No 93:

Question 4:

बिलवासी जी ने जिस तरीके से रुपयों का प्रबंध किया, वह सही था या गलत ?

Answer:

बिलवासी जी ने चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया। किसी की सहायता करने का यह तरीका गलत है। दूसरी ओर बिलवासी जी ने एक अंग्रेज़ से झूठ बोलकर भी रूपयों का प्रंबध किया था। यह भी गलत है। सम्भवत: उन्हेअपनी पत्नी को समझाकर उनसे रूपए माँगने चाहिए थे।

Page No 93:

Question 1:

इस कहानी में लेखक ने जगह-जगह पर सीधी-सी बात कहने के बजाय रोचक मुहावरों, उदाहरणों आदि के द्वारा कहकर अपनी बात को और अधिक मजेदार/रोचक बना दिया है। कहानी से वे वाक्य चुनकर लिखिए जो आपको सबसे अधिक मजेदार लगे।

Answer:

(i) अब तक बिलवासी जी को वे अपनी आँखो से खा चुके होते।

(ii) कुछ ऐसी गढ़न उस लोटे की थी कि उसका बापडमरू,माँचिलम रही हो।

(iii) ढ़ाई सौ रूपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी मिलते हैं।

Page No 93:

Question 2:

इस कहानी में लेखक ने अनेक मुहावरों का प्रयोग किया है। कहानी में से पाँच मुहावरे चुनकर उनका प्रयोग करते हुए वाक्य लिखिए।

Answer:

(i) आँख सेंकने के लिए भी मिलना - (दुर्लभ होना) पुरानी चीज़ें तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी हीं मिलते हैं।

(ii) आँखों से खा जाना - (क्रोधित होना) काँच का ग्लास टूट जाने से उसने बच्चे को ऐसे देखा मानो आँखों से ही खा जाएगा।

(iii) बाप डमरू, माँ चिलम - (बेढ़ंग सा आकार) सौरभ के डब्बे का आकार देखकर ऐसा लगता जैसे उसका बाप डमरू तथा माँ चिलम रही होगी।

(iv) डींगे सुनना - (झूठ-मूठ की तारीफ सुनना) अपनी बहादुरी की इतनी डींगें मत सुनाओ।

(v) चैन की नींद सोना - (निश्चिंत सोना) परीक्षा के बाद मैं चैन की नींद सोया हूँ।

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बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबन्ध कहाँ से किया?

बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था? लिखिए। उत्तर:- बिलवासीजी ने रुपयों का प्रबंध अपने ही घर से अपनी पत्नी के संदूक से चोरी कर किया था।

बबलवासी जी ने सर्जन दो तरीकों से रुपयों का प्रबंध फकया क्या वह सही था या गलत?

बिलवासी जी ने रुपयों का इंतजाम दो तरीकों से किया था उनका यह तरीका गलत था क्योंकि उनकी पत्नी इस बीच यदि जाग जाती तो घर में बवंडर खड़ा हो जाता। रुपयों के प्रबंध के लिए उन्होंने जो दूसरा तरीका अपनायी उसे भी उचित नहीं कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने एक अनजान अंग्रेज को बेवकूफ बनाया था

अंग्रेज के सामने बिलवासी जी ने लाला जी को पहचानने तक से इंकार क्यों कर दिया वे ऐसा अजीब व्यवहार क्यों कर रहे थे?

उत्तर : अंग्रेज के सामने पंडित बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल को पहचानने से इंकार इसलिए कर दिया था क्योंकि वह जानते थे कि यदि उन्होंने अंग्रेज से कह दिया कि लाला जी के दोस्त हैं तो वह उनसे कोई बात नहीं करेगा। वह तुरंत पुलिस थाने जाकर लालाजी के खिलाफ रिपोर्ट करेगा और इसके बाद वह हर्जाने की मांग भी कर सकता है।

बिलवासी जी कौन थे?

बिलवासी मिश्र कौन थे? उन्होंने मित्र के लिए पैसों का प्रबंध कैसे किया? पंडित बिलवासी मिश्र झाऊलाल जी के घनिष्ठ मित्र थे। लालाजी ने जब उन्हें अपनी परेशानी बताई तो उन्होंने अपनी पत्नी के संदूक से ढाई सौ रुपए चुराकर उन्हें देने चाहे।

बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध कहाँ से किया था स्पष्ट कीजिए?

बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया था। पर समस्या का हल हो जाने पर उन्होंने वे रूपए वापस अपनी पत्नी के संदूक में रख दिए।

बिलवासी जी ने रुपयों का प्रबंध जिस ढंग से किया उसे बिलवासी के अलावा कौन जानता था?

बिलवासी जी ने रुपयों का इंतजाम दो तरीकों से किया था अपनी पत्नी की संदूक से उन्होंने चोरी से रुपये निकाले। इसके लिए उन्होंने अपनी सोती पत्नी के गले की चेन से ताली निकाली और चुपचाप रुपये निकाले थे। उनका यह तरीका गलत था क्योंकि उनकी पत्नी इस बीच यदि जाग जाती तो घर में बवंडर खड़ा हो जाता।

बिलवासी जी ने कितने रुपयों का प्रबंध किया था?

Answer: बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल की मदद करने के लिए अपनी पत्नी के संदूक से चोरी करके रूपयों का प्रबंध किया था। पर समस्या का हल हो जाने पर उन्होंने वे रूपए वापस अपनी पत्नी के संदूक में रख दिए।

घ .लाला झाऊ लाल की पत्न नेऐसा क्या क ा जिसेसु नकर लाला ि का ि बैठ गया?

लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुनकर लाला जी का जी बैठ गया? उत्तर - लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक दिन अचानक उनसे ढाई सौ रुपये की माँग कर दी। अच्छा खाने-पीने के बाद भी लाला जी के पास एक साथ ढाई सौ रुपये नहीं होते थे। ढाई सौ रुपये की माँग सुनकर उनका जी बैठ गया