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अलंकार का सामान्य अर्थ है, 'आभूषण' या 'गहना'। जिस प्रकार आभूषण से शरीर की शोभा बढ़ती है, उसी प्रकार अलंकार से काव्य की शोभा बढ़ती है। अलंकार शब्द का अर्थ है- वह वस्तु जो सुंदर बनाए या सुंदर बनाने का साधन हो। साधारण बोलचाल में आभूषण को अलंकार कहते हैं। जिस प्रकार आभूषण धारण करने से नारी के शरीर की शोभा बढ़ती है, वैसे ही अलंकार के प्रयोग से कविता की शोभा बढ़ती है। आचार्यों ने अलंकार के लक्षण इस प्रकार बताए हैं- वास्तव में अलंकार काव्य में शोभा उत्पन्न न करके वर्तमान शोभा को ही बढ़ाते हैं। इसलिए आचार्य विश्वनाथ के शब्दों में "अलंकार शब्द अर्थ-स्वरूप काव्य के अस्थिर धर्म हैं और ये भावों और रसों का उत्कर्ष करते हुए वैसे ही काव्य की शोभा बढ़ाते हैं जैसे हार आदि आभूषण नारी की सुंदरता में चार-चाँद लगा देते हैं।" अलंकार के भेद- अलंकार के तीन भेद होते हैं- हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। शब्दालंकार- काव्य में जहाँ शब्दविशेष के प्रयोग से सौन्दर्य में वृद्धि होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है। हिंदी के प्रमुख शब्दालंकार निम्नलिखित हैं- अनुप्रास अलंकार- जिस रचना में किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति होने से चमत्कार उत्पन्न हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। यमक अलंकार- जहाँ शब्दों या वाक्यांशों की आवृत्ति एक या एक से अधिक
बार होती है किंतु उनके अर्थ भिन्-भिन्न होते हैं, वहाँ यमक अलंकार होता है। श्लेष अलंकार- जहाँ एक ही बार प्रयुक्त हुए शब्द से एक ही स्थान पर दो या दो से अधिक अर्थ निकलते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार- जहाँ एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है और ऐसा होने से ही अर्थ की रुचिरता बढ़ जाती है, वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है। इससे काव्य सौंदर्य बढ़ जाता है। वक्रोक्ति अलंकार- जहाँ कथित का ध्वनि द्वारा दूसरा अर्थ ग्रहण किया जाए वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। अर्थालंकार- काव्य में जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। हिंदी के प्रमुख अर्थालंकार निम्नलिखित हैं- उपमा अलंकार- उप + मा = उपमा हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। रूपक अलंकार- काव्य में जहाँ उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमेय और उपमान का अभेद ही रूपक अलंकार है। इसमें वाचक शब्द का लोप होता है। उत्प्रेक्षा अलंकार- उत्प्रेक्षा का अर्थ है- किसी वस्तु को सम्मानित रूप में देखना। अतिशयोक्ति अलंकार- जहाँ लोकसीमा का अतिक्रमण करके किसी विषय वस्तु या विषय का वर्णन बढ़ा-चढ़ा कर किया
जाए, वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। हिन्दी व्याकरण के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़िए।। अन्योक्ति अलंकार- जहाँ प्रस्तुत के माध्यम से अप्रस्तुत का अर्थ ध्वनित हो, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। अर्थात् जहाँ किसी बात को सीधे या प्रत्यक्ष न कहकर अप्रत्यक्ष रूप से कहते हैं, वहाँ
अन्योक्ति अलंकार होता है। विरोधाभास अलंकार- जहाँ किसी कार्य,
पदार्थ या गुण में वास्तविक विरोध न होते हुए भी विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। अपह्नुति अलंकार- 'अपह्नुति' शब्द का अर्थ- 'छिपाना' भ्रांतिमान अलंकार- जहाँ भ्रमवश किसी
वस्तु को सादृश्य के कारण अन्य वस्तु समझ लिया जाए। समानता के भ्रम से निश्चयात्मक स्थिति होने पर भ्रांतिमान अलंकार होता है। इन प्रकरणों 👇 के
बारे में भी जानें। संदेह अलंकार- जहाँ किसी वस्तु में उसी के समान वस्तु का संशय हो जाए और अनिश्चय बना रहे तो वहाँ संदेह अलंकार होता है। व्याजस्तुति अलंकार- जब कथन में देखने या सुनने पर निंदा सी जान पड़े किंतु वास्तव में प्रशंसा हो, वहाँ व्याजस्तुति अलंकार होता है। व्याजनिंदा अलंकार- जहाँ कथन में स्तुति का आभास हो किंतु वास्तव में निंदा हो, वहाँ व्याजनिंदा अलंकार
होता है। इन प्रकरणों 👇 के बारे में भी जानें। विशेषोक्ति अलंकार- जब कारण के होते हुए भी कार्य नहीं होता, वहाँ विशेषोक्ति अलंकार होता है। विभावना अलंकार- जब कारण न होने पर भी कार्य का होना बताया जाता है, वहाँ विभावना अलंकार होता है। मानवीकरण अलंकार- जब कविता में प्रकृति पर मानवीय क्रिया कलापों का आरोप किया जाता है तो वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। इसे इस प्रकार परिभाषित करते हैं- "जब अचेतन प्रकृति में कवि चेतना आरोपित करता है तब वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।" दृष्टांत अलंकार- जब वाचक धर्म के बिना पृथक् धर्म वाले दो वाक्यों में समता स्थापित की जाती है, तब दृष्टांत अलंकार माना जाता है। व्यतिरेक अलंकार- जहाँ उपमेय को उपमान से बढ़ाकर वर्णन किया जाता है, वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। उभयालंकार- जहाँ काव्य में ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार हो वहाँ उभयालंकार होता है। भ्रांतिमान और संदेह अलंकार में निम्नलिखित अंतर है- यमक और श्लेष अलंकार में निम्नलिखित अंतर है- विभावना और विशेषोक्ति अलंकार में निम्नलिखित अंतर है- व्याजस्तुति और व्याजनिन्दा अलंकार निम्नलिखित अंतर है- इन प्रकरणों 👇 को भी पढ़ें। आशा है, अलंकारों से संबंधित यह जानकारी परीक्षापयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी। I hope the above information will be useful and important. Watch related
information below बैठि बैठि में कौन सा अलंकार है?किसी कविता या काव्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और भिन्न-भिन्न स्थानों पर उसका अर्थ भिन्न-भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है।
बैठे बिठाए में कौनसा अलंकार है?'बैठे-बिठाए' में अनुप्रास अलंकार है।
बेटी बेटी में कौन सा अलंकार है?उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये। उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है क्योंकि इसमें वर्णों की आवृत्ति हो रही है जिससे काव्य सुंदर बन पड़ा है।
यमक अलंकार का उदाहरण क्या है?यमक अलंकार का उदाहरण
माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर। पद्य में 'मनका' शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है।
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