Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज Textbook Exercise Questions and Answers. Show
Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिजHBSE 12th Class Hindi कैमरे में बंद अपाहिज Textbook Questions and Answersकविता के साथ प्रश्न 1. (2) कैमरा
(ख) दर्शकों को कही गई पंक्तियाँ-
(ग) स्वयं से कथन –
ये पंक्तियाँ अलग-अलग लोगों को संबोधित की गई हैं जिससे यह कविता रोचक बन गई है तथा इसमें नाटकीयता उत्पन्न हो गई है। प्रश्न 2.
प्रश्न 3. ‘हम दुर्बल को लाएँगे’ के माध्यम से यह व्यंग्य किया है कि दूरदर्शनकर्मी किसी अपंग व्यक्ति को दूरदर्शन के पर्दे पर दिखाकर उसकी मजबूरी का फायदा उठाने का प्रयास करते हैं। कभी-कभी तो लगता है कि वे दर्शकों के सामने अपाहिज व्यक्ति का मज़ाक उड़ा रहे हैं और उसकी व्यथा को द्विगुणित कर रहे हैं। उनके मन में न तो अपाहिज के प्रति सहानुभूति है और न ही वह उसकी सहायता करना चाहते हैं। वे तो केवल एक असहाय व्यक्ति को पर्दे पर दिखाकर धन कमाना चाहते हैं। प्रश्न 4. प्रश्न 5. कविता के आसपास प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4.
HBSE 12th Class Hindi कैमरे में बंद अपाहिज Important Questions and Answersसराहना संबंधी प्रश्न प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
विषय-वस्तु पर आधारित लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर 1. रघुवीर सहाय का जन्म कहाँ हुआ? 2. रघुवीर सहाय का जन्म कब हुआ? 3. रघुवीर सहाय के पिता का नाम क्या था? 4. रघुवीर सहाय ने किस विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की? 5. रघुवीर सहाय ने किस वर्ष अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की? 6. दिल्ली आकर रघुवीर सहाय किस पत्रिका के सहायक संपादक बन गए? 7. सन् 1949 में रघुवीर सहाय किस दैनिक समाचार-पत्र को अपनी सेवाएँ देने लगे? 8. पहली बार रघुवीर सहाय ने आकाशवाणी को कब-से-कब तक सेवाएँ दी? 9. रघुवीर सहाय किस पत्रिका के संपादक मंडल के सदस्य बने? 10. रघुवीर सहाय पुनः आकाशवाणी से कब जुड़े? 11. सन् 1967 में रघुवीर सहाय किस प्रमुख पत्रिका को अपनी सेवाएँ देने लगे? 12. रघुवीर सहाय का निधन कब हुआ? 13. रघुवीर सहाय ने किस काव्य-संग्रह के प्रकाशन द्वारा साहित्य में प्रवेश किया? 14. ‘दूसरा सप्तक’ का प्रकाशन कब हुआ? 15. ‘सीढ़ियों पर धूप में काव्य-संग्रह के रचयिता हैं 16. ‘सीढ़ियों पर धूप में’ का प्रकाशन कब हुआ? 17. ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ काव्य-संग्रह का प्रकाशन वर्ष कौन-सा है? 18. ‘हँसो-हँसो जल्दी हँसो’ का प्रकाशन कब हुआ? 19. ‘लोग भूल गए हैं’ के रचयिता हैं 20. ‘लोग भूल गए हैं’ का प्रकाशन कब हुआ? 21. ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ का प्रकाशन कब हुआ? 22. रघुवीर सहाय का संपूर्ण साहित्य किस शीर्षक से प्रकाशित हुआ है? 23. ‘कुछ पते, कुछ चिट्ठियाँ’ के रचयिता हैं- 24. कार्यक्रम कैसा होना चाहिए? 25. कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में किस पर व्यंग्य किया गया है? 26. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में किस शैली का प्रयोग हुआ है? 27. दूरदर्शन वाले बंद कमरे में किसे लाए थे? 28. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में दूरदर्शनकर्मियों की किस प्रवृत्ति का उद्घाटन किया गया है? 29. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ करुणा के मुखौटे में छिपी किसकी कविता है? 30. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में किस प्रकार की भाषा का प्रयोग हुआ है? 31. अपाहिज के होंठों पर कैसे भाव दिखाई देते हैं? 32. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कैमरा एक-साथ क्या दिखाना चाहता है? 33. ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में ‘समर्थ शक्तिवान’ किसे कहा गया है? 34. रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ में किसे रेखांकित करने का तरीका अपनाया है? कैमरे में बंद अपाहिज पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर [1] हम दूरदर्शन पर बोलेंगे शब्दार्थ-समर्थ = शक्तिशाली। शक्तिवान = ताकतवर। दर्बल = कमजोर। अपाहिज = विकलांग। प्रसंग-प्रस्तुत पद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसके कवि रघुवीर सहाय हैं। यह कविता उनके काव्य-संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ में से ली गई है। इस कविता में कवि ने दूरदर्शन कर्मियों की संवेदनहीनता तथा क्रूरता पर प्रकाश डाला है। इस पद्यांश में कवि दूरदर्शन के संचालक की क्रूरता का वर्णन करते हुए कहता है व्याख्या-दूरदर्शनकर्मी स्वयं को समर्थ और शक्तिशाली समझते हैं, क्योंकि वे अपनी बात को सब लोगों तक पहुँचाने में समर्थ हैं। दूरदर्शन का संचालक अपने साथियों से कहता है कि हम स्टूडियो के बंद कमरे में एक कमजोर तथा मजबूर व्यक्ति को लेकर आएँगे। वह व्यक्ति एक विकलांग होगा जो अपनी आजीविका नहीं चला सकता। बंद कमरे में हम उससे पूछेगे कि क्या आप विकलांग हो? इससे पहले कि वह हमारे प्रश्न का उत्तर दे, इस पर हम एक और प्रश्न दाग देंगे कि आप विकलांग क्यों हुए? हमारा यह प्रश्न बेतुका होगा और वह अपाहिज कुछ समय तक चुप रहेगा। फिर से हम उसे कुरेदकर पूछेगे कि आपका विकलांग होना आपको दुख तो देता होगा। वह बेचारा इस पर भी चुप रहेगा। हम पुनः वही प्रश्न पूछेगे कि आपको अपाहिज होना क्या सचमुच दुख देता है? बताइए, क्या सचमुच आप विकलांग होने से दुखी हैं? इस प्रश्न के साथ ही दूरदर्शन संचालक अपने साथी से कहेगा कि वह अपाहिज के दुखी चेहरे को और बड़ा करके दिखाए ताकि लोग उसके दुखी चेहरे को आसानी से व ध्यान से देख सकें। विकलांग को पुनः उत्तेजित करके पूछा जाएगा कि हाँ, उसे बताओ कि आपका दुख क्या है? समय बीता जा रहा है, हमें जल्दी से अपने दुख के बारे में बताओ। अन्ततः संचालक को लगेगा कि यह अपाहिज अपने दुख के बारे में कुछ नहीं बता सकता। विशेष-
पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर (ख) इस कविता के माध्यम से दूरदर्शन कर्मियों की संवेदनहीनता और क्रूरता पर करारा व्यंग्य किया गया है। ये लोग अपने कार्यक्रम को आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए विकलांगों की पीड़ा से खिलवाड़ करते हैं तथा उनसे बेतुके सवाल पूछकर उनकी भावनाओं से खेलते हैं। (ग) अपाहिज से पूछे गए प्रश्न यह सिद्ध करते हैं कि उनसे पूछे गए प्रश्न बेकार और व्यर्थ हैं तथा जो अपाहिजों को संवेदना प्राप्त करने के स्थान पर उनको पीड़ा पहुंचाते हैं। (घ) समर्थ शक्तिवान लोग दूरदर्शन के संचालक हैं। वे विकलांगों तथा दुर्बलों की पीड़ाओं को दर्शक के सामने रखकर अपने कार्यक्रम को इसलिए रोमांचित बनाते हैं ताकि वे अधिक-से-अधिक पैसा कमा सकें। [2] शब्दार्थ-अपाहिज = विकलांग। यानी = अर्थात् । अवसर = मौका। रोचक = दिलचस्प। इंतज़ार = प्रतीक्षा। प्रसंग-प्रस्तुत पद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसके कवि रघुवीर सहाय हैं। यह कविता उनके काव्य-संग्रह ‘लोग भूल गए हैं। में से ली गई है। इस पद्य में कवि उस स्थिति का वर्णन करता है जब कार्यक्रम संचालक अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए अपाहिज से बेतुके सवाल पूछता है। व्याख्या-कार्यक्रम-संचालक अपाहिज से पूछता है कि आप अच्छी प्रकार सोचकर हमें बताइए कि आपको विकलांग होना कैसा लगता है? अर्थात् क्या आपको विकलांग होने का दुख है, यदि है तो यह कैसा दुख है? आप सोचकर दर्शकों को बताइए कि आपको कितना दुख है और यह कितना बुरा लगता है। इस पर विकलांग व्यक्ति चुप रह जाता है। वह कुछ बोल नहीं पाता। वह मन-ही-मन बड़ा दुखी है। तब कार्यक्रम संचालक बेहूदे इशारे करके पूछता है कि आपका दुख कैसा है? फिर वह कहता है कि आप तनिक अच्छी तरह सोचिए, सोचने की कोशिश कीजिए तथा सोचकर हमें बताइए कि आपका दुख कैसा है? यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो यह मौका आपके हाथ से निकल जाएगा। कार्यक्रम-संचालक पुनः कहता है कि हमें तो अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना है। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपाहिज की पीड़ा को अच्छी तरह समझें और लोगों को खुलकर बताएँ। इसलिए हम उससे इतने प्रश्न पूछेगे कि वह रोने लगेगा। इस प्रकार दूरदर्शन के व्यक्ति विकलांग व्यक्ति के रो पड़ने की प्रतीक्षा करते हैं। वे उस क्षण का इंतज़ार करते हैं जब अपाहिज अपनी पीड़ा बताते-बताते रो पड़े, क्योंकि दर्शक भी यही सब देखना चाहते हैं। विशेष-
पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर (ख) कार्यक्रम संचालक अपाहिज के दुखों के बारे में प्रश्न पूछकर उनके दुख को इसलिए गंभीर बनाना चाहता है ताकि वह अपने कार्यक्रमों को अधिक रोचक बना सके और कार्यक्रम द्वारा अधिकाधिक धन कमा सके। (ग) कार्यक्रम का संचालक श्रोताओं को यह विश्वास दिलाता है कि विकलांग से इस प्रकार के प्रश्न पूछेगा कि वह अपनी पीड़ा को याद करके रोने लगेगा। (ङ) इस पद्यांश के द्वारा कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों की कार्य-शैली पर करारा व्यंग्य किया है। उनके मन में अपाहिजों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है। वे तो अपाहिजों से तरह-तरह के बेतुके प्रश्न पूछकर अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना चाहते हैं ताकि वे अधिकाधिक धन प्राप्त कर सकें और लोकप्रियता अर्जित कर सकें। [3] फिर हम परदे पर दिखलाएँगे शब्दार्थ-कसमसाहट = पीड़ा, छटपटाहट। अपंगता = अपाहिज होना। धीरज = धैर्य। संग = साथ। वक्त = समय। सामाजिक उद्देश्य = समाज को बेहतर बनाने का लक्ष्य । युक्त = जुड़ा हुआ। कसर = कमी। प्रसंग-प्रस्तुत पद्य हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कैमरे में बंद अपाहिज’ से अवतरित है। इसके कवि रघुवीर सहाय हैं। यह कविता उनके काव्य-संग्रह ‘लोग भूल गए हैं’ में से ली गई है। इस पद्यांश में कार्यक्रम-संचालक अपाहिज की पीड़ा और व्यथा को उभारकर दर्शकों को दिखाने का प्रयास करता है। इस संदर्भ में कवि कहता है व्याख्या-पहले तो कार्यक्रम-संचालक अपाहिज व्यक्ति से तरह-तरह के प्रश्न पूछकर उसकी पीड़ा से दर्शकों को अवगत कराना चाहते हैं। बाद में वे दूरदर्शन के पर्दे पर अपाहिज की सूजी हुई आँख की बहुत बड़ी तस्वीर दिखाने का प्रयास करते हैं। वे वस्तुतः अपाहिज की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना चाहते हैं और वे उसके होंठों पर विद्यमान मजबूरी और छटपटाहट को भी उभारकर दिखाना चाहते हैं। उनका लक्ष्य होता है कि दर्शक अपंग व्यक्ति की पीड़ा को समझें। इसके बाद संचालक कहते हैं कि हम एक और कोशिश करके देखते हैं। वे दर्शकों से धैर्य रखने की अपील करते हैं। कार्यक्रम-संचालक कहते हैं कि हमें अपाहिज के दर्द को इस प्रकार दिखाना है कि एक साथ अपाहिज और दर्शक रो पड़ें। परंतु ऐसा हो नहीं पाता। कार्यक्रम-संचालक अपने लक्ष्य में असफल रह जाते हैं। इसलिए वे कैमरामैन को आदेश देते हैं कि वह कैमरे को बंद कर दे। यदि अपाहिज रो नहीं सका तो न सही, क्योंकि पर्दे पर समय का अत्यधिक महत्त्व है। यहाँ तो एक-एक क्षण मूल्यवान होता है। समय के साथ-साथ धन का भी व्यय हो जाता है। इसलिए वे अपाहिज को दूरदर्शन के पर्दे पर दिखाना बंद कर देते हैं और दर्शकों से कहते हैं कि अब हम मुस्कुराएंगे और दर्शकों से कहेंगे कि आप इस समय सामाजिक पीड़ा को दिखाने वाला कार्यक्रम देख रहे थे। इसका लक्ष्य था कि हम और आप दोनों अपाहिजों की पीड़ा को समझें और अनुभव करें। लेकिन वे कार्यक्रम संचालक मन-ही-मन सोचते होंगे कि उसका कार्यक्रम पूर्णतया सफल नहीं हो सका क्योंकि वे अपाहिज और दर्शकों को संग-संग रुला नहीं सके। यदि दोनों एक-साथ रो पड़ते तो निश्चय से उसका कार्यक्रम सफल हो जाता। अंत में कार्यक्रम-संचालक दर्शकों को धन्यवाद करके कार्यक्रम समाप्त कर देते हैं। इसके पीछे भी कवि का करारा व्यंग्य है। वह कार्यक्रम-संचालक की हृदयहीनता को स्पष्ट करना चाहता है। विशेष-
पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर (ख) कार्यक्रम-संचालक पर्दे पर अपाहिज व्यक्ति की फूली हुई आँख को बड़ा करके इसलिए दिखाता है ताकि वह लोगों के सामने अपाहिजों के दुख-दर्द को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा सके और अपने कार्यक्रम को प्रभावशाली बना सके। (ग) कार्यक्रम-संचालक अपाहिज तथा दर्शकों को एक साथ रुलाना चाहता है ताकि वह अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय बना सके और लोगों में अपाहिजों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न कर सके। (घ) कार्यक्रम संचालक अपनी अनेक कोशिशों के बावजूद भी पर्दे पर अपाहिज को रोते हुए न दिखा सका। न उसकी आँखों में आँसू आए, न ही वह ज़ोर-ज़ोर से रोया। कारण यह था कि अपाहिज व्यक्ति भली प्रकार जानता था कि दूरदर्शनकर्मियों का उसके दुख-दर्द से कोई लेना-देना नहीं है, न ही उनके मन में अपाहिजों के प्रति सच्ची सहानुभूति की भावना है। कैमरे में बंद अपाहिज Summary in Hindiकैमरे में बंद अपाहिज कवि-परिचय प्रश्न- 2. प्रमुख रचनाएँ वस्तुतः रघुवीर सहाय सन् 1951 में अज्ञेय द्वारा संपादित ‘दूसरा सप्तक’ के कारण प्रकाश में आए। ‘सीढ़ियों पर धूप में इनका पहला काव्य-संग्रह है। उनकी उल्लेखनीय रचनाएँ हैं- 3. काव्यगत विशेषताएँ-पहले बताया जा चुका है कि रघुवीर सहाय आजीवन पत्रकारिता से जुड़े रहे। इसलिए उनकी काव्य रचनाओं में राजनीतिक चेतना के अतिरिक्त आधुनिक युग की विभिन्न समस्याओं पर समुचित प्रकाश डाला गया है। उनकी काव्यगत विशेषताएँ इस प्रकार हैं (ii) सामाजिक चेतना पत्रकार तथा संपादक होने के कारण रघुवीर सहाय के काव्य में सामाजिक चेतना भी देखी जा सकती है। कहीं-कहीं कवि जनसाधारण का पक्षधर दिखाई देता है। कवि ने अपनी अधिकांश कविताओं में सामाजिक विरोधों तथा अंतर्विरोधों एवं विसंगतियों का उद्घाटन किया है। कवि मध्यवर्गीय जीवन के दबाव और लोकतांत्रिक जीवन की विडंबना का यथार्थ वर्णन करता है। यही नहीं, वह आम आदमी के साथ खड़ा दिखाई देता है। इसलिए वह कहता है (iii) मानवीय संबंधों का वर्णन कवि ने अपनी कुछ कविताओं में मानवीय संबंधों का वर्णन करते हुए मानवीय व्यथा के विविध आयामों पर प्रकाश डाला है। कवि ने स्त्री जीवन की पीड़ा को अधिक मुखरित किया है। ‘बैंक में लड़कियाँ’ शीर्षक कविता में कवि स्त्री तथा पुरुष के मनोविज्ञान पर प्रकाश डालता है। इसी प्रकार ‘चेहरा’ कविता में गरीब लड़की का जो वर्णन किया है, वह बड़ा ही सजीव बन पड़ा है। कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता में कवि ने एक अपाहिज की पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त की है। (iv) आक्रोश और व्यंग्य का उद्घाटन-रघुवीर सहाय सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए दिखाई देते हैं। कहीं-कहीं उनके व्यंग्य की धार बड़ी तीखी तथा चुभने वाली लगती है। आज की अवसरवादिता, समझौतापरस्ती, जातिवाद, मध्यवर्गीय आडंबर को देखकर कवि की वाणी में आक्रोश भर जाता है। कवि लोकतंत्र पर भी व्यंग्य करने से नहीं चूकता। इस संदर्भ में ‘रामदास’ नामक कविता विशेष महत्त्व रखती है जो कि समाज के ताकतवरों की बढ़ती हुई हैसियत का एहसास कराती है। लोकतंत्र पर व्यंग्य करता हुआ कवि कहता है-.. 4. भाषा-शैली-अखबारों से जुड़े रहने के कारण रघुवीर सहाय की कविता में सहज, सरल तथा बोलचाल की भाषा का प्रयोग देखा जा सकता है। उनकी भाषा की अपनी शैली है। उसमें कहीं पर भी विद्वत्ता का मुलम्मा नहीं चढ़ा। परंतु इनकी बोलचाल की भाषा परिनिष्ठित हिंदी भाषा से जुड़ी हुई है। कुछ स्थलों पर कवि संस्कृतनिष्ठ शब्दों के साथ-साथ उर्दू के शब्दों का मिश्रण करते हुए चलते हैं। उदाहरण देखिए संक्षेप में हम कह सकते हैं कि भाव और भाषा दोनों दृष्टियों से रघुवीर सहाय का काव्य नई कविता से लेकर समकालीन कविता की प्रवृत्तियाँ लिए हुए हैं। उनकी कविताएँ प्रेम, प्रकृति, परिवार, समाज तथा राजनीति का यथार्थ वर्णन करने में सक्षम रही हैं। कैमरे में बंद अपाहिज कविता का सार प्रश्न- यह कविता दूरदर्शन तथा स्टूडियो की भीतरी दुनिया को रेखांकित करती है। कवि यह संदेश देना चाहता है कि पर्दे के पीछे तथा पर्दे के बाहर पीड़ा का व्यापार नहीं होना चाहिए। हमें उस स्थिति से बचना चाहिए जो दूसरों के मर्म को आहत करती है। विकलांग व्यक्ति के प्रति संवेदना तथा सहानुभूति रखनी चाहिए ताकि उसके आहत हृदय में आत्मविश्वास उत्पन्न हो सके। कैमरे में बंद अपाहिज कविता की शैली को क्या कहा जा सकता है?'कैमरे में बंद अपाहिज'करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता हैं-विचार कीजिए। यह कविता अपनेपन की भावना में छिपी क्रूरता को व्यक्त करती है। सामाजिक उद्देश्यों के नाम पर अपाहिज की पीड़ा को जनता तक पहुँचाया जाता है। यह कार्य ऊपर से करुण भाव को दर्शाता है परंतु इसका वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही होता है।
कैमरे में बंद अपाहिज की मूल संवेदना क्या है?कैमरे में बंद अपाहिज कविता का मूलभाव -
इस कविता मे कवि ने शारीरिक चुनौती को झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा के साथ – साथ दूर- संचार माध्यमों के चरित्र को भी रेखांकित किया गया है । किसी की पीड़ा को दर्शक वर्ग तक पहुंचाने वाले व्यक्ति को उस पीड़ा के प्रति स्वयं संवेदनशील होने और दूसरे को संवेदनशील बनाने का दावेदार होना चाहिए ।
कैमरे में बंद अपाहिज कौन से संग्रह से ली?प्रतिपाद्य –'कैमरे में बंद अपाहिज़' कविता को 'लोग भूल गए हैं' काव्य संग्रह से लिया गया है। इस कविता में कवि ने शारीरिक चुनौती को झेल रहे व्यक्ति की पीड़ा के साथ-साथ दूर- संचार माध्यमों के चरित्र को भी रेखांकित किया है।
कैमरे में बंद अपाहिज कैमरे में बंद अपाहिज करुणा के मुखोटे में छिपी हुई किसकी कविता है?'कैमरे में बंद अपाहिज' करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है'-विचार कीजिए। from Hindi रघुवीर सहाय Class 12 CBSE.
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