बदलू के मन में ऐसी कौन सी व्यवस्था थी जो लेखक? - badaloo ke man mein aisee kaun see vyavastha thee jo lekhak?

बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।


मशीनी काँच की चूड़ियों का चलन बढ़ जाने से बदलू की लाख की चूड़ियाँ अब कोई न खरीदता था। इसी कारण उसका चूड़ियों का काम बंद हो गया। यही व्यथा थी जिसे बदलू लेखक के समक्ष छिपा न सका।

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हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।


वर्तमान में दिन-प्रतिदिन आधुनिकता बढ़ती जा रही है। और इसका विशेष प्रभाव पड़ रहा है हमारे खान-पान, रहन-सहन और पहनावे पर। इस आधार पर मैंने बहुत लोगों से बातचीत की। कुछ ने इसके पक्ष में व कुछ ने इसके विपक्ष में अपने विचार रखे अर्थात् कुछ इस बदलाव को सही कहते हैं और कुछ सही नहीं मानते।

लेकिन मैंने सभी के विचारों से यह निष्कर्ष निकाला कि बदलाव भी जीवन का एक विशेष पहलू है। कुछ बड़े-बुजुर्ग आधुनिकता को जल्दी से अपना लेते हैं; रूढ़िवादी विचारों को त्यागने या उनमें बदलाव लाने में वे संकोच नहीं करते। ऐस लोग युवाओं के भी प्रिय हो जाते हैं व समया नुसार उनका मार्ग-दर्शन भी कर सकते हैं लेकिन दूसरी ओर वे बड़े-बुजुर्ग भी हैं जिन्हें समाज में होता बदलाव अच्छा नहीं लगता। वे अपने प्राचीन विचारों के साथ ही जीना चाहते हैं। एेसे में उनका बात-बात पर नवीन वर्ग के विचारों के साथ मतभेद होता है। ऐसा होने पर बच्चे भी उन्हें उतना सम्मान नहीं दे पाते जितना उन्हें देना चाहिए।

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आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए।


छुट्टियों में मुझे अपनी बड़ी बहन के घर जाना सबसे अच्छा लगता है। मैं अपनी दीदी से बेहद प्यार करता हूँ। अपने घर में तो यही दिनचर्या होती है कि सुबह उठो, तैयार होकर विद्यालय जाओ, घर आकर खाना खाओ, फिर थोड़ी दर सो जाओ। शाम को एक घंटा टी.वी. देखो या खेलकर पड़ने बैठो। रात को पिताजी के आते ही खाना खाकर थोड़ी दर टहलो और फिर सो जाओ। दीदी के घर तो सुबह आराम से उठो। फिर थोड़ी दर टी.वी. देखो और नहा धोकर तैयार हो जाओ। मनपसंद नाश्ता करने के बाद आसपास के दोस्तों के साथ मजे करो। दोपहर को खाना खाओ और टी.वी. देखो, सो जाओ या मनपसंद कंप्यूटर गेम खेलो। मुझे तो इंटरनेट पर नई-नई जानकारियाँ प्राप्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। साथ ही मेरी दीदी भी मुझ इसमें काफी मदद करती हैं। शाम को जीजा जी के साथ घूमने जाना तो मुझे बेहद पसंद है। वे रोज मुझे नई-नई जगह ले जाते हैं व अच्छी-अच्छी चीजें खिलाते हैं। रात को गर्मागर्म खाना खाओ और टहलने के बाद सो जाओ। न कोई पढ़ाई की चिंता न माता-पिताजी की रोक-टोक इसीलिए तो सबसे अच्छा लगता है मुझे दीदी का घर।

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मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।


मशीनी युग के कारण बड़े से बड़े व छोटे से छोटे उद्योगों में अपार परिवर्तन आए हैं। हमारे घर के पास एक घर में ही लकड़ी का फर्नीचर बनता था। कितने ही कारीगर दिन-रात लकड़ियाँ चीर-चीर कर फर्नीचर बनाया करते थे। पिछले कुछ वर्षो में मैंने देखा कि कारीगर तो निरंतर कम होते जा रहे हैं लेकिन फर्नीचर और भी सुंदर बनने लगा है। मुझे उत्सुकता हुई कि एक बार अंदर जाकर देखकर आऊँ कि फर्नीचर कैसे बनता है। जब मैं उस लकड़ी के कारखाने में गया तो देखा कि लकड़ी काटने, साफ करने व उसे आकार देने का सभी कार्य मशीनें बखूबी कर रही थीं। मुझे देखकर बहुत अच्छा लगा कि काम कितनी जल्दी और सफाई से होता है लेकिन जब एक बढ़ई लकड़ी का सामान बनाने वाला) ने मुझे यह बताया कि एक समय था कि इस कारखाने में बीस लोग काम करते थे लेकिन अब केवल पाँच ही पूरा काम निबटा लेते हैं तो मुझ अफसोस हुआ कि मशीनों के कारण कितने लोग बेरोजगार भी हो जाते हैं। तभी मैने यह सोचा कि मशीनी युग परिवर्तन के साथ-साथ परेशानियाँ भी ला रहा है।

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बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।


बाज़ार में बिकने वाले सामानों के डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है क्योंकि एक ही डिज़ाइन की वस्तु का प्रयोग करते-करते लोग ऊब जाते हैं। कुछ नयापन लाने व रुचि के अनुसार परिवर्तन करने से वस्तुओं का रूप सौंदर्य बदलता रहता है। हम इन परिवर्तनों को केवल फैशन के रूप में ही देखते हैं।
इसी प्रकार की चर्चा आप कक्षा मे कर सकते हैं।

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बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलूो काे ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?


बचपन में जब लेखक गरमी की छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने जाता तो उस ‘बदलू काका’ से लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ लेने का चाव होता था। ये गोलियां इतनी सुंदर होती थी कि कोई भी बच्चा इनकी और आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता था।
वह बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ इसलिए कहता था क्योंकि गाँव के सारे बच्चे उस ‘बदलू काका’ के नाम से पुकारते थे।

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Solution : बदलू लाख की चूड़ी बनाने वाला एक कुशल मनिहार था। उसकी बनाई लाख की चूड़ियाँ उस गाँव की ही नहीं, आस-पास के गाँवों की भी प्रायः सभी औरतें खुश होकर पहनती थीं। समय बीतता गया और उसके गाँव की महिलाओं ने मशीन से बनने वाली काँच की चूड़ियों को पहनना शुरू कर दिया, क्योंकि उनमें सुन्दरता और चमक-दमक अपेक्षाकृत अच्छी थी। जिसके कारण उसकी बनाई चूड़ियों की गाँव में पूछ कम हो गई इसलिए उसका काम बन्द हो गया। परिणामस्वरूप वह कुशल कारीगर अब गाँव की हर कलाई पर काँच की चूड़ियाँ देखकर अपने आप में ही विवश होकर रह गया। उसकी यह मन की व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।

बदलू के मन में ऐसी कौन सी व्यवस्था थी?

उत्तर:- बदलू लाख की चूड़ियाँ बेचा करता था परन्तु जैसे-जैसे काँच की चूडियों का प्रचलन बढ़ता गया उसका व्यवसाय ठप पड़ने लगा। अपने व्यवसाय की यह दुर्दशा बदलू को मन ही मन कचौटती थीबदलू के मन में इस बात कि व्यथा थी कि मशीनी युग के प्रभावस्वरुप उस जैसे अनेक कारीगरों को बेरोजगारी और उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है।

बदलू के मन में ऐसी कौन सी व्यथा थी जो लेखक?

जिसके कारण उसकी बनाई चूड़ियों की गाँव में पूछ कम हो गई इसलिए उसका काम बन्द हो गया। परिणामस्वरूप वह कुशल कारीगर अब गाँव की हर कलाई पर काँच की चूड़ियाँ देखकर अपने आप में ही विवश होकर रह गया। उसकी यह मन की व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।

4 बदलू के मन में ऐसी कौन सी व्या थी जो लेखक से छिपी न रह सकी?

'बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से' और बदलू स्वयं कहता है – “जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव Page 8 वसंत भाग 3 है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है।

लेखक बदलू को क्या कहता था?

लेखक को बदलू काका से अत्यधिक लगाव था। वह लेखक को ढेर सारी लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ देता था इसलिए लेखक अपने मामा के गाँव चाव से जाता था। गाँव के सभी लोग बदलू को 'बदलू काका' कहकर बुलाते थे इस कारण लेखक भी 'बदलू मामा' न कहकर 'बदलू काका' कहता था