बुद्धि का केंद्र कौन सा भाग है? - buddhi ka kendr kaun sa bhaag hai?

अक्सर बुद्धि को व्यक्ति के मस्तिष्क से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन नवीन विज्ञान ने इस बात को सिद्ध कर दिया है कि बुद्धि केवल मस्तिष्क तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि शरीर के सभी अंग सोचते हैं। यदि शरीर...

बुद्धि का केंद्र कौन सा भाग है? - buddhi ka kendr kaun sa bhaag hai?

लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 Dec 2013 10:04 PM

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अक्सर बुद्धि को व्यक्ति के मस्तिष्क से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन नवीन विज्ञान ने इस बात को सिद्ध कर दिया है कि बुद्धि केवल मस्तिष्क तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि शरीर के सभी अंग सोचते हैं। यदि शरीर के किसी कटे हुए अंग को विषैली वस्तु के पास रख दिया जाए, तो उस अंग के जीवाणु उससे दूर जाने का प्रयास करते हैं। इसके विपरीत कोई लाभदायक औषधि उस अंग के पास रख दी जाए, तो वह पास जाकर लाभ उठाने का प्रयास करता है। दरअसल, सकारात्मक और नकारात्मक विचारों का प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर रिचर्ड फॉक्स कहते हैं कि, ‘सकारात्मक बदलाव अच्छाई की तरंगों को उत्पन्न करता है, जो आपकी जिंदगी और पूरे शरीर को प्रभावित करता है। सकारात्मक बदलाव से व्यक्ति का शरीर खिल उठता है और ताजगी से भर जाता है।’ इससे भी यह पता चलता है कि बुद्धि का केंद्र केवल मस्तिष्क में ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर के सभी अंगों में है। हां, यह जरूर है कि मस्तिष्क बना ही चीजों को समझने-बूझने के लिए है, इसलिए उसकी क्षमता कहीं अधिक है।

एक अंधा व्यक्ति अपनी समझ का कार्य अंगुलियों के स्पर्श से लेता है। एक धारणा यह है कि ऐसे में मस्तिष्क में पाई जाने वाली श्वेत कोशिकाएं अंधे व्यक्ति की अंगुलियों के पोरों पर उपस्थित हो जाती हैं। जब व्यक्ति नींद में होता है, तो उस समय हृदय की धड़कन को चलाने के लिए उस अंग का तंत्र लगातार अपने काम में लगा रहता है। इसी तरह, कई बार मस्तिष्क में चोट लगने के कारण याददाश्त लुप्त होने पर भी शरीर की स्वाभाविक क्रियाएं जैसे चलना, देखना, सुनना आदि होती रहती हैं। यह बताता है कि बुद्धि का केंद्र मस्तिष्क में ही नहीं, बल्कि शरीर के अंग-अंग में है। यह सब यही बताता है कि मनुष्य के लिए मानसिक विकास ही काफी नहीं, उसे पूरे शरीर के विकास पर ध्यान देना चाहिए।

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

दोस्तों आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न कि मानव मस्तिष्क में बुद्धि का केंद्र कौन सा है तो देखिए दोस्तों मैं आपको बता दूं कि मानव मस्तिष्क में बुद्धि का केंद्र सेरेब्रम है

doston aapke dwara poocha gaya prashna ki manav mastishk me buddhi ka kendra kaun sa hai toh dekhiye doston main aapko bata doon ki manav mastishk me buddhi ka kendra cerebrum hai

दोस्तों आपके द्वारा पूछा गया प्रश्न कि मानव मस्तिष्क में बुद्धि का केंद्र कौन सा है तो देख

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Kahawat in Hindi: हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे का उपयोग हम सभी कभी ना कभी जरूर करते है। हिंदी कहावतें आपकी भाषा को सशक्त बनाने में मदद करती है, लोकोक्तियों एवं मुहावरों का प्रयोग करके हम अपनी बात को आसानी से समझा सकते हैं।

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Kahawat in Hindi

यह कहावतें कम शब्दों में बहुत कुछ कहने का अर्थ बताती है। हमने बचपन से कई कहावते सुनी है, जैसे आ बैल मुझे मार, आम खाने हैं या पेड़ गिनने ऐसी कई और भी कहावतें है, जो हम आपको आज की इस पोस्ट 250 से भी अधिक प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं उनके अर्थ (Proverbs in Hindi) आपको बताने वाले है।

कहावत की परिभाषा (Proverbs Meaning in Hindi)

वह पद जिसमें ज्ञान और अनुभव की बात किसी विशेष तरीके से सुंदर और प्रभावशाली तरीके से बताई हो, उन्हें कहावत कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ “कही गई बात” होता है। लेकिन हर बात कोई कहावत नहीं होती है। कहावत को उर्दू भाषा में “मसल” और अंग्रेजी में Proverb कहते है।

लोकोक्ति की परिभाषा

लोकोक्ति में लोक का अर्थ “जनसामान्य” है और उक्ति का अर्थ “कथन” से है। यह कहावत का ही एक रूप है। जनसामान्य में प्रसिद्ध कहावत लोकोक्ति कहलाती है। लोकोक्ति सामान्यतः जनसामान्य में होती है।

250+ प्रसिद्ध हिंदी कहावतें एवं उनके अर्थ (Kahawat in Hindi)

बाज के बच्चे मुंडेर पे नही उड़ा करते: बड़ा सोच रखने वाले छोटी चीजों के बारे में नही सोचते।

वर जीत लिया कानी, वर भावर घूमे तब जानी: रिश्ते हमेशा बराबर वालों से करना चाइये।

अपने जोगी नंगा तो का दिए वरदान: जिसके पास खुद के साधन ना हो वो आपको क्या देगा।

पांव गरम पेट नरम और सिर हो ठंडा तो वैद को मारो डंडा: सब कुछ ठीक है तो आप स्वस्थ है।

घी खाया बाप ने सूँघो मेरा हाथ: काम दूसरे का करना और श्रेय खुद लेना।

अपना रख, पराया चख: अपनी वस्तु की जगह दूसरों की इस्तेमाल करना।

अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना: संवेदनहीन व्यक्ति को अपना दुख बताना।

अपनी करनी, पार उतरनी: स्वयं मेहनत करके आगे बढ़ना।

अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गयी खेत: समय पर कार्य ना करने पर पछताना व्यर्थ है।

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Image: Kahawat in Hindi

अरहर की टट्टी, गुजराती ताला: छोटी चीजों के लिए अधिक व्यय करना।

हम 10 कहावतें हिंदी में पढ़ चुके है, चलिए आगे पढ़ते है।

अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग: सभी अपनी राय को महत्व देते है।

अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी, टका सेर खाजा: मूर्ख लोगो और गुणवान लोगो में एकसमान व्यवहार करना।

अंत भला तो सब भला: अंत में कार्य का ठीक होना सबककुछ ठीक होता है।

अटका बनिया, देय उधार– दबाव आने पर कार्य करना।

जैसा राजा, वैसी प्रजा– जैसे हम कार्य करते है, वैसे ही हमसे सीखते है।

ज्यादा जोगी, मठ उजाड़– ज्यादा नेतृत्व करने पर भी काम बिगड़ सकता है।

ज्यों ज्यों भीगे कामरी, त्यों त्यों भारी होय– समय के साथ साथ जिम्मेदारी भी बढ़ती है।

जान है तो जहान है– जीवन को पहला महत्व देना।

जिन खोजा तीन पाइयां, गहरे पानी पैठ– कठिन परिश्रम करने पर आपको सफलता मिलती है।

जान मारे बनिया, पहचान मारे चोर– चोर और बनिया अपने वालो से ही फायदा लेते है।

घाट-घाट का पानी पीना– हर तरह से अनुभवी होना।

Kahawat in Hindi

अंधा क्या चाहे दो आंखें– जरूरत की वस्तु का प्राप्त होना।

अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर अपने देय– सम्पूर्ण लाभ खुद और अपनो के लिए उठाना।

नाच न आवै आंगन टेढ़ा– अपनी कमी ना देखते हुए दूसरे में दोष ढूँढना।

अधजल गगरी छलकत जाय– ज्ञान ना होने पर भी अधिक प्रदर्शन करना।

चिकने घड़े पे पानी नहीं ठहरता – मुर्ख को कुछ भी नहीं सिखाया जा सकता है।

चोर उचक्का चौधरी, कुटनी भई परधान – अपने कार्य या सत्ता को अयोग्य हाथों में होना।

जब आया देही का अंत जैसा गदहा वैसा संत – मृत्यु सभी की निश्चित है, इसलिए ऊँच नीच का भेदभाव नही करना चाहिए।

अपने बेरों को कोई खट्टा नही कहता – कोई भी अपनी बुराई स्वयं नही करता है।

कर्महीन खेती करे बैल मरे पत्थर परे – जो व्यक्ति कर्म नहीं करता, उसकी स्थिति खराब हो जाती है।

अफलातून का नाती: स्वयं को ज्यादा महत्व देना।

भेड़ जहाँ जाएगी वहीं मुड़ेंगी – सीधा साधा व्यक्ति अपने रास्ते पर चलता है।

ओस चाटने से प्यास नही बुझती – आवश्यकता से कम कार्य करने पर सफलता नही मिलती।

अंधो का हाथी – मूर्खो में मुर्ख व्यक्ति द्वारा ज्ञान देना।

अंडे सेवे कोई लेवे कोई – कार्य कोई और करता है, और फायदा किसी और को होना।

अंधा क्या जाने बसंत की बहार – जिसे किसी बात का ज्ञान ना हो उसे समझाना उचित नहीं होता है।

अंधा मुल्ला, टूटी मस्जिद – किसी कार्य को नहीं करने वाले को कार्य की कमान सोपना।

अपना ढेढर देखे नही दूसरे की फुल्ली निहारे – अपने अवगुण को ना देखना और दुसरो की बुराई करते रहना।

अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो – अपने से छोटे का फायदा लेना और नुकसान कर देना।

अरहर की टटिया गुजराती ताला – छोटे से आयोजन के लिए बड़ा तामझाम करना।

मन मन भावे, मुड़िया हिलावे – करने की इच्छा रखना और मुँह से मना करते रहना।

हिंदी कहावतें अर्थ सहित (Kahawat in Hindi)

खेत खाये गदहा मार खाये जोलाहा – किसी और कि गलती की सजा दूसरे को मिल जाना।

घी का लडडू टेढ़ा ही भला – काम के व्यक्ति में बुराई नहीं देखि जाती है।

अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख – अपनी वस्तु खो देना और दूसरे से मांगना।

चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात – कुछ समय के लिए सुख मिलना।

अक्‍ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना: अपनी समझदारी का उपयोग नहीं करना।

अपनी खाल में मस्‍त रहना – किसी से मतलब न रखना।

अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे – हम स्वस्थ रहते है, तो आगे चलकर कुछ भी कर सकते है।

अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता – सिर्फ अपने कार्य को महत्व देना।

दूध का जला मट्ठा भी फूक फूक कर पीटा है – एक बार गलती करने पर दूसरी बार ध्यान से कार्य करना।

जहाँ मुर्गा नहीं बोलता वहां क्या सवेरा नहीं होता – किसी के बिना कोई कार्य नहीं रुकता है।

नाच न जाने आँगन टेढ़ा – कार्य ना आने पर बहाने बनाना।

कहावत हिंदी में लिखी हुई (Kahawat in Hindi)

अंटी में न धेला, देखन चली मेला – पैसे ना होने पर बड़े कार्य को करने जाना।

अघाना बगुला, सहरी तीत – भूख लगने पर हर चीज स्वादिष्ट लगती है।

अपना बैल, कुल्हाड़ी नाथब – बैल के नथुने में रस्सी डालना।

दूसरे की पैंट में बड़ा दिखता है – दूसरे के पास ज्यादा धन दिखाई देता है।

बाभन को घी देव बाभन झल्लाय – मूर्ख और अभिमानी आदमी आपको इज्जत नहीं देता।

गुड़ खाये गुलगुलों से परहेज – फर्जी नाटक करना।

अनके (दूसरे का) पनिया मैं भरूँ, मेरे भरे कहार – अपना कार्य नहीं करना और दूसरे का करना।

अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज – जिस बात का कोई अर्थ ना हो वो बात करना।

तुरंत दान महा कल्यान– लेन देन तुरंत चुकाना।

तू भी रानी मैं भी रानी, कौन भरेगा पानी– दो लोगो के बिच अहं का टकराव होना।

थोथा चना, बाजे घना– जिसमे ज्ञान की कमी होती है, वह ज्यादा बोलता है।

 तेतो पांव पसारिये, जितनी लम्बी सौर– अपने सामर्थ्य के अनुसार खर्च करना चाहिए।

चित भी मेरी, पट भी मेरी– दोनों तरफ से अपना लाभ देखबना।

दिनभर चले अढ़ाई कोस– अधिक समय में बहुत कम कार्य करना।

देसी कुतिया, विलायती बोली– अपने से बड़ों की तरह दिखावा करना।

दूध का दूध पानी का पानी करना– निष्पक्ष न्याय होना।

कहावत इन हिंदी (hindi kahawat with meaning)

अभी दिल्ली दूर है– सफलता पाने में समय लगेगा।

दूर के ढोल सुहावने होते हैं– वास्तविकता से दूर।

दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है– जिससे लाभ हो, उसके द्वारा किया गया अप्रिय व्यवहार भी सहन करना पड़ता है।

दूध का जला छाँछ भी फूंक कर पीता है– एक बार धोखा खाने पर उसका दोबारा ध्यान रखना।

धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का– जिस इंसान का कहि पर भी सम्मान न हो।

नौ नकद, न तेरह उधार– वस्तु बेचने पर किसी से कुछ भी उधार  नहीं करना।

न रहे बांस न बजे बांसुरी– पूरी तरह से किसी को खत्म करना।

नदी नाव संयोग– कम समय के लिए साथ देना।

पुराने बुजुर्गों की कहावतें

नक्कारखाने में तूती की आवाज– बड़ों के सामने ऊँची आवाज में बात करना।

नौ की लकड़ी, नब्बे खर्च– कम मूल्य की वस्तु पर ज्यादा खर्च करना।

नया नौ दिन, पुराना सौ दिन– नए से ज्यादा फायदा पुराने से होना।

कहावत का अर्थ हिंदी में (kahawatein in hindi)

नाई नाई बाल कितने, जजमान आगे आएंगे– किसी कार्य में जल्दी सफलता मिलना।

नेकी कर दरिया में डाल– भलाई करने के बाद भूल जाना।

पढ़े फ़ारसी बेंचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल– अपनी योग्यता के अनुसार काम न मिलना।

पूत कपूत तो क्या धन संचै, पूत सपूत तो क्या धन संचै– पुत्र के योग्य होने और ना होने पर धन संचय की जरूरत नहीं।

पीर, बावर्ची, भिश्ती, खर– सभी तरह के कार्य करने वाला।

फरेगा तो झरेगा– सफलता के बाद अवनति होना।

फिसल पड़े तो हरगंगा– मुसीबत में किसी कार्य को करना।

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद– मुर्ख आवश्यक बात को नहीं समझ पाता।

बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी– आने वाली आपत्ति ज्यादा दिन नहीं रूकती।

बद अच्छा बदनाम बुरा– बुराई की बजाय बुरे काम से दूर रहे।

नानी के आगे, ननिहाल की बातें– ज्ञानी व्यक्ति के आगे ज्ञान की बात करना।

नाम बड़े और दर्शन थोड़े– प्रसिद्धि के अनुसार इंसान में गुण का नहीं होना।

निर्बल के बल राम– गरीब लोगो को सिर्फ भगवान का भरोसा होता है।

नेकी और पूंछ पूंछ– किसी की मदद करने के लिए पूछने की जरूरत नहीं।

न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी– ऐसी बात करना जो पूरी नई हो सकती।

नीम हकीम खतरे जान– कम जानकार से हमे खतरा होता है।

न सावन सूखा, न भादो हरा– परिस्थिति का नहीं बदलना।

न ऊधौ का लेना, न माधो का देना– किसी से कोई मतलब नहीं रखना।

हिंदी कहावतें और उनका अर्थ (Popular Hindi Kahawat With Meaning)

नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली– बुरे कार्य करने के बाद धर्म करना।

नंगा नहायेगा क्या, निचोड़ेगा क्या– निर्धन के पास कुछ नहीं होना।

बाप न मारी मेंढकी, बेटा तीरंदाज– जो अपने बड़े से नहीं होता उस कार्य को करने की कहना।

बासी बचे, न कुत्ता खाये– बिना काम की वस्तु का कोई उपयोग नहीं रहता।

बिल्ली के भाग से छींका टूटा– संयोग से नुकशान हो जाना।

बैठे से बेगार भली– कुछ नहीं करने से अच्छा कुछ करते रहना।

बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख– मांगने से ज्यादा नहीं मिलता और बिना मांगे ज्यादा मिल जाता है।

बहरा सो गहरा– चुप रहने वाला समझदार होता है।

बीती ताहि बिसारि दे, पुनि आगे की सुधि लेय– पुराणी गलती से आगे के लिए सिख लेना।

बूढ़ा तोता राम राम नहीं पढ़ता– व्रद्धावस्था में नई चीजें सीखना मुश्किल होता है।

बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होय– जैसा कार्य करते है, वैसा फल मिलता है।

बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम– अपने से ज्यादा दिखावा करना।

मन चंगा तो कठौती में गंगा– मन अगर शांत है, तो हर समय ख़ुशी मिलती है।

 मान न मान, मैं तेरा मेहमान– जबरदस्ती किसी के गले पड़ना।

मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक– अपनी पहुंच सीमित स्थान तक होना।

मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त– मुखिआ का कमजोर होना और सहायक का मजबूत।

मुंह में राम, बगल में छुरी– दिखावटी सहानुभूति रखना।

मरता क्या न करता– मजबूरी में किसी कार्य को करना।

माया से माया मिले, कर कर लम्बे हाथ– धन से धन को बढ़ाया जा सकता है।

मियां की जूती मियां के सिर– अपनी गलती अपने ही सर होना।

मेरी बिल्ली मुझी से म्याऊं– अपने ही अधिकारी से अकड़ना।

मतलबी यार किसके, दम लगाए खिसके– स्वार्थ निकलने पर भूल जाना।

यह मुंह और मसूर की दाल– अपनी औकात से बढ़कर कार्य को करना।

Kahawat in Hindi

रस्सी जल गई, पर ऐंठन न गयी– सब ख़त्म होने पर भी घमंडी बने रहना।

राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी– एक जैसे दो लोगो का मिलना।

राम नाम जपना, पराया माल अपना– दूसरे की चापलूसी करना और पैसा लेना।

लेना एक, न देना दो– कुछ भी प्राप्त नहीं करना।

लातों के भूत बातों से नहीं मानते– ख़राब लोग सजा के पात्र होते है।

लिखे ईशा, पढ़े मूसा– ऐसा लिखना जिसे कोई नहीं पढ़ पाता।

लोहा लोहे को काटता है– एक समान लोगो द्वारा लड़ाई करना।

लाल फीताशाही– सरकारी कार्यो में अड़ंगा।

वह गुड़ नहीं जो चींटी खाये– कार्य का आसान ना होना।

सावन के अंधे को चारों ओर हरा ही हरा दिखता है– पैसे वाले को सभी दूर पैसे ही दिखाई देते है।

सूप तो सूप चलनी भी बोले– खुद दोषी होने पर दोषी का साथ देना।

सिर मुंडाते ही ओले पड़े– कार्य के प्रारम्भ में मुसीबत का आना।

सब धान सत्ताईस सेर– समान व्यवहार करना।

सस्ता रोवे बार बार, महंगा रोवे एक बार– सस्ती चीज बार बार खराब होती है।

साँच को आंच नहीं– सच्चे व्यक्ति को किसी परेशानी का सामना नहीं करना होता है।

सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे– काम भी निकल जाए और कुछ हानि भी न हो।

सीधी उंगली से घी नहीं निकलता– ज्यादा सीधे रहने पर कार्य नहीं होता है।

सुनो सबकी करो अपने मन की– सलाह लेने के बाद अपने विवेक से काम करना।

सूत न कपास जुलाहों के घर लठ्ठम लठ्ठा– अपना कार्य नहीं होए पर भी अपने घर में लड़ाई करना।

सहज पके सो मीठा होय– धैर्य रखा हुआ काम सफल होता है।

सीधे का मुंह कुत्ता चाटे– ज्यादा सीधे रहने पर दूसरे फायदा उठाते है।

सूरदास की काली कमरी, चढ़ै न दूजो रंग– मुर्ख इंसान कभी नहीं सिख पाता।

सेर को सवा सेर मिलना– बुरे इंसान को उससे बुरा मिलना।

Hindi Kahawat With Meaning

सैयां भये कोतवाल, अब डर कहे का– प्रभावशाली व्यक्ति का साथ होना।

समरथ को नहीं दोष गुसाईं– सामर्थ्यवान को कोई दोषी नहीं बोलता है।

सौ सुनार की, तो एक लुहार की– कमजोर की सौ चोटों पर बलवान की एक ही चोट काफी होती है।

हर्रै लगे न फिटकरी, रंग चोखा– बिना खर्च किये कार्य पूर्ण करना।

हाथ कंगन को आरसी क्या– प्रशिक्षित व्यक्ति के लिए कोई कार्य मुश्किल नहीं होता।

हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और– अपने कथनानुसार कार्य ना करना।

होनहार बिरवान के होत चीकने पात– योग्य व्यक्ति की कुशलता पहले ही दिख जाती है।

हवन करते हाथ जले– भलाई करने पर बुराई मिलना।

हंसा थे सो उड़ि गए कागा भये दिवान– अच्छे लोगो को स्थान ना देकर बुरे लोगों को अधिकार मिलना।

हर मर्ज की दवा पास होना– हर समस्या का हल अपने पास होना।

अपनी टांग उघारिये, आपहि मरिये लाज– स्वयं की बातो को दबा के रखना चाहिए।

आधी धर पूरी को धावै, आधी रहै न पूरी पावै– ज्यादा लालच में प्राप्त होने वाली चीज भी खोना।

आप न जाये ससुरे औरन को सिख देय– खुद को नहीं आने पर दूसरों को शिक्षा देना।

खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे– गुस्से में दूसरे पर क्रोध करना।

खोदा पहाड़ निकली चुहिया– ज्यादा की संभावना होने पर कम मिलना।

Kahawat in Hindi

खग जाने खग ही की भाषा– एक समान व्यक्ति ही, एक दूसरे को समझ सकते है।

खेत खाये गदहा, मार खाये जुलहा– अपनी करनी की सजा किसी और को मिलना।

गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास– अवसर की तलाश करना।

गए रोज छुड़ाने, नमाज गले पड़ी– एक मुसीबत से छुटकारा पाने में दूसरी आ जाना।

गरीब की जोरू, सब की भौजाई– कमजोर व्यक्ति की चीजों पर सबका अधिकार।

घर में नहीं दाने, अम्मा चलीं भुनाने– अपने पास  योग्यता नहीं होने पर भी कार्य को करना।

उल्टा चोर कोतवाल को डांटे– अपनी गलती होने पर दुसरो की बताना।

एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी– गलती करने पर नहीं मानना।

न खुदा ही मिला न विसाले सनम– दोनों तरफ से फायदा नहीं होना।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे– दूसरों को शिक्षा देना आसान होता है, पर खुद अमल नहीं करते।

पिया गए परदेश, अब डर काहे का– निगरानी न होने पर डर नहीं।

राजहंस बिन को करै, नीर क्षीर बिलगाव– शिक्षित व्यक्ति के बिना शिक्षा नहीं मिलती।

वक्त पड़े पर जानिए, जो जन जैसो होय– व्यक्ति की परीक्षा समय आने पर होती है।

राम भरोसे जो रहें, पर्वत पर हरियाहिं– भगवान पर भरोसा रखने वाला कभी निराश नहीं रहता है।

घर का जोगी जोगना, आन गांव का सिद्ध– अपने व्यक्ति का सम्मान नहीं करना और दुसरो का करना।

आया है सो जाएगा, राजा, रंक, फकीर– एक दिन सभी को दुनिया छोड़कर जाना है।

हराम की कमाई, हराम में गंवाई– बेईमानी से कमाया धन कार्य नहीं आता।

हथेली पर सरसों जमाना- जल्दी सफलता प्राप्त करना।

विधि का लिखा को मेटनहारा– भाग्य में लिखा हुआ होकर रहता है।

Kahawat in Hindi with Meaning

स्वारथ लागि करहिं सब प्रीती– स्वार्थ के कारण सभी एकदूसरे से प्रेम करते हैं।

मार के आगे भूत नाचे– सजा से सभी डरते हैं।

मरी बछिया बाभन के सिर– अनुउपयोगी वस्तु का दान करना।

मुंह चिकना, पेट खाली– ऊपरी दिखावा करना और कुछ नहीं होना।

मुफ्त की शराब काजी को भी हलाल– मुफ्त का पैसा सभी को भाता है।

भूखे भजन न होय गोपाला- भूखे रहने पर कुछ नहीं होता।

भैंस के आगे बीन बाजे, भैंस खड़ी पगुराय– मूर्ख को कुछ नहीं समझाया जा सकता।

बने के सब यार हैं– अच्छे दिनों में सबका साथ मिलना।

पांचों उंगलियां घी में– सभी तरफ से सफलता मिलना।

दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम– सबका भाग्य निश्चित है, अपने भाग्य का सभी को मिलता है।

दस की लाठी, एक का बोझ– मिलकर सहयोग करने से काम हल्का हो जाता है।

दो लड़े, तीसरा ले उड़े– दो लोगों की लड़ाई में तीसरे को लाभ।

दान की बछिया के दांत नहीं गिनते– मुफ्त में मिली वस्तु की बुराई नहीं करते।

दाल-भात में मूसलचंद– अपना जहा कार्य नहीं होता वहा भी जाना।

अंगुली पकड़कर पोंचा पकड़ना – थोड़ी मदद करने पर पूरी तरह आश्रित होना।

अंचल पसारना या फैलाना – दूसरे के सामने अपने कार्य को रखना।

आसमान से गिरा खजूर में अटका – एक मुसीबत से बाहर होकर दूसरी में जाना।

ईंट का जवाब पत्थर से देना – सामने वाले से बेहतर उत्तर देना।

उंगलियों पर गिने जा सकना – कम कार्य करना।

हाथ-पाँव मारना- सफलता के लिए निरंन्तर प्रयास करना।

हाथ पीले करना- विवाह योग्य हो जाना।

हाथ को हाथ नहीं सूझना- अपने आप की गलती को नहीं देखना।

हाथ मलते रह जाना- कार्य ना होने पर पश्चात्ताप होना।

हुक्का भरना– अपने विरोध में खड़ा होना।

होश ठिकाने होना- अक्ल ठिकाने होना।

होश उड़ जाना— डर से घबरा जाना।

अन्त बुरे का बुरा- जिसने बार किया उसको बुरे परिणाम मिलना।

अन्धी पीसे कुत्ता खाय- कोई और के परिश्रमी का दूसरे को मिले।

जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ- दोनों इंसान में बुराई होना।

जो गरजते हैं बरसते नहीं- जो ज्यादा बोलते है, वह कुछ नहीं करते है।

Kahawat in Hindi

ढाक के वही तीन पात- किस कार्य का कोई निष्कर्ष न निकलना।

तबेले की बला बन्दर के सिर— किसी और के अपराध की सजा दूसरे को मिलना।

तीन लोक से मथुरा न्यारी- सबसे अलग होकर महत्त्वपूर्ण होना।

तीन में न तेरह में, मृदंग बजावे डेरा में – कोई कार्य ना करने पर भी अपने कार्य का ढिंढोरा पीटना।

तुम डाल-डाल हम पात-पात- किसी दूसरे से बराबर प्रतियोगिता रखना।

लोकप्रिय हिंदी कहावतें एवं हिंदी मुहावरे

तुरत दान महाकल्याण- उधर लिया हुआ पैसा जल्दी दे देना।

तू भी रानी मैं भी रानी, कौन भरेगा पानी— सभी अपने को ऊपर मानते है, तो काम कौन करेगा।

तेली का तेल जले, मशालची का दिल- दूसरे के खर्च करने पर दुःख किसी और को होना।

तेल देख तेल की धार देख– कार्य को करने से पहले सोचविचार करना।

थोथा चना बाजे घना- कम गुणी व्यक्ति में ज्यादा अहंकार होता है।

दिन दूनी रात चौगुनी- दिन प्रतिदिन वृद्धि होना।

दीवार के भी कान होते हैं – रहस्य का खुल जाना।

अन्धों में काना राजा – मूर्खो में कम समझदार का होना।

दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम- मुसीबत में पड़े इंसान को कुछ नहीं मिलता है।

दूर के ढोल सुहावने होते हैं— दूसरे से देखने पर सभी कार्य अच्छे लगते है।

धोबी का कुत्ता घर का न घाट का- लालची व्यक्ति को कहि स्थान नहीं मिलता।

न तीन में, न तेरह में – किसी भी कार्य में महत्वपूर्ण नहीं होना।

नीम हकीम खतरा-ए-जान – अप्रशिक्षित चिकित्सक सही नहीं होते, इनसे जान जा सकती है।

पढ़े फारसी बेचे तेल – ज्यादा योग्य होकर छोटे कार्य करना।

बगल में छोरा, नगर में ढिंढोरा- वास्तु अपने पास होना और दूसरी जगह ढूँढना।

बड़े मियाँ सो बड़े मियाँ छोटे मियाँ सुभानअल्लाह- छोटे का बड़े से भी ज्यादा मुर्ख होना।

बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद- मूर्ख व्यक्ति गुणों के महत्त्व को नहीं समझ सकता।

भइ गति साँप छछून्दति केरी- दुविधा की पैदा करना।

भरी जवानी में माँझा ढीला- युवावस्था में किसी कार्य करने में रूचि नहीं होना।

Kahawat in Hindi

भागते भूत की लँगोटी भली- कुछ ना मिलने से बेहतर कुछ मिल जाना।

अक्ल बड़ी या भैंस- बुद्धि को बड़ा ना समझना।

अधजल गगरी छलकत जाय- अधूरे ज्ञानवाला व्यक्ति अधिक बोलता है।

अपना पैसा खोटा तो परखनेवाले का क्या दोष- जब अपने ही गलत हो तो दूसरे का क्या दोष।

अपनी करनी पार उतरनी- अपने कर्मो का फल अपने को भोगना।

अपने घर पर कुत्ता भी शेर होता है- अपने स्थान पर निर्बल भी बलवान् हो जाता है।

अंजर-पंजर ढीला होना – मुसीबत में आने पर घबराना।

आँख का अंधा नाम नयनसुख – नाम के विपरीत कार्य करना।

आँख का काजल चुराना – अपने सामने वस्तु चोरी हो जाना।

आँख की ओट पहाड़ की ओट – अपने सामने खड़ी मुसीबत ना देख पाना।

आँखों का लालच बहुत बड़ा होता है – ज्यादा लालच नुकसान पहुंचाता है।

आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास – अपना काम छोड़कर दूसरा कार्य करना।

आधी छोड़ सारी को धावे, आधी मिले न सारी पावे – अपनी वस्तु छोड़कर दूसरे की चाहत करना।

हमने आपको आज हिंदी कहावतें और उनके अर्थो को बताया है, इन्हें आप जरूर पढ़े। इन सभी का उपयोग हमारी सामान्य बोलचाल में किया जाता है। आज की हमारी यह पोस्ट आपको किसी लगी, हमें जरूर बताये।

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Rahul Singh Tanwar

इनका नाम राहुल सिंह तंवर है। इनकी रूचि नई चीजों के बारे में लिखना और उन्हें आप तक पहुँचाने में अधिक है। इनको 4 वर्ष से अधिक SEO का अनुभव है और 6 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे है। इनके द्वारा लिखा गया कंटेंट आपको कैसा लगा, कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। आप इनसे नीचे दिए सोशल मीडिया हैंडल पर जरूर जुड़े।

बुद्धि का केंद्र क्या है?

' इससे भी यह पता चलता है कि बुद्धि का केंद्र केवल मस्तिष्क में ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर के सभी अंगों में है। हां, यह जरूर है कि मस्तिष्क बना ही चीजों को समझने-बूझने के लिए है, इसलिए उसकी क्षमता कहीं अधिक है। एक अंधा व्यक्ति अपनी समझ का कार्य अंगुलियों के स्पर्श से लेता है।

मानव मस्तिष्क में बुद्धि का केंद्र कौन सा होता है?

Detailed Solution प्रमस्तिष्क, अग्रमस्तिष्क का एक हिस्सा है। इसके दो भाग हैं जिन्हें प्रमस्तिष्कीय गोलार्द्ध कहा जाता है। यह मस्तिष्क के अग्र, प्रधान और पार्श्व पक्ष बनाता है। मानव मस्तिष्क में प्रमस्तिष्क बुद्धि, स्मृति और भावनाओं का केंद्र है।

मस्तिष्क में बुद्धि और चतुराई का केंद्र क्या है?

Solution : मस्तिष्क में वृद्धि और चतुराई का केंद्र सेरेब्रम है।

मस्तिष्क का कार्य क्या है?

मस्तिष्क के द्वारा शरीर के विभिन्न अंगो के कार्यों का नियंत्रण एवं नियमन होता है। अतः मस्तिष्क को शरीर का मालिक अंग कहते हैं। इसका मुख्य कार्य ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन करना है। तंत्रिका विज्ञान का क्षेत्र पूरे विश्व में बहुत तेजी से विकसित हो रहा है।