चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती? - chauthe savaiye ke anusaar gopiyaan apane aap ko kyon vivash paatee?

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 11 सवैये

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पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम किन-किन रूपों में अभिव्यक्त हुआ है? [CBSE]
अथवा
कवि रसखान ने ब्रजभूमि के प्रति अपने प्रेम को किस प्रकार प्रकट किया है? [CBSE]
उत्तर:
ब्रजभूमि के प्रति कवि का प्रेम, निम्न रूपों में अभिव्यक्त हुआ है।

  • वह अगले जन्म में मनुष्य बनकर ब्रज के ग्वाल-बालों के मध्य बसना चाहता है।
  • वह पशु बनकर नंद की गायों के मध्य चरना चाहता है।
  • वह पत्थर के रूप में गोवर्धन पर्वत का हिस्सा बनना चाहता है।
  • वह पक्षी बनकर यमुना-किनारे कदंब के पेड़ पर बसेरा बनाना चाहता है।
  • कवि ब्रज के वन-बाग और तालाब निहारते रहना चाहता है।

प्रश्न 2.
कवि को ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं? [CBSE]
उत्तर:
कवि श्रीकृष्ण और उनसे जुड़ी हर वस्तु से अगाध प्यार करता है। ब्रज के वन, बाग, तथा तालाबों के आसपास श्रीकृष्ण आया करते थे। वे इनमें गाय चराते हुए, रासलीला रचाते हुए आया-जाया करते थे। उनसे कवि कृष्ण का जुड़ाव तथा लगाव महसूस करता है। इसलिए कवि इन वनों, बागों और तालाबों को निहारते रहना चाहता है क्योंकि वह उनमें कृष्ण का अंश महसूस करता है।

प्रश्न 3.
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है? [Imp.] [CBSE]
अथवा
कवि कृष्ण की लाठी और कंबल के बदले क्या त्यागने को तैयार हैं? [CBSE]
अथवा
रसखान किस पर कैसे न्योछावर हो जाने को तैयार है? [CBSE]
उत्तर:
एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ इसलिए न्योछावर करने को तैयार है क्योंकि ये वस्तुएँ उसके आराध्य प्रभु से जुड़ी हैं और इन वस्तुओं में कृष्ण की यादें बसी हैं।

प्रश्न 4.
सखी ने गोपी से कृष्ण का कैसा रूप धारण करने का आग्रह किया था? अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सखी ने गोपी से वही सब कुछ धारण करने को कहती है, जो श्रीकृष्ण धारण किया करते थे। वह गोपी से कहती है कि सिर पर मोर के पंख को मुकुट, गले में कुंजों की माला, तन पर पीले वस्त्र धारण कर तथा हाथ में लाठी लिए वन-वन गायों को चराने जाए।

प्रश्न 6.
चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?
अथवा
गोपी कृष्ण की किन विशेषताओं से प्रभावित होती है? [CBSE 2012]
उत्तर:
इस सवैथे के अनुसार-श्रीकृष्ण की मुरली की धुन अत्यंत मधुर तथा मादक है तथा उनका रूप अत्यंत सुंदर है। उनकी मुरली की मधुरता तथा उनके रूप सौंदर्य के प्रति गोपियाँ आसक्त हैं। वे इनके समक्ष स्वयं को विवश पाती हैं और कृष्ण की होकर रह जाती हैं।

प्रश्न 7.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) कोटिक ए कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।
(ख) माइ री वा मुख की मुसकानि सम्हारी न जैहै, न जैहै, न जैहै।
उत्तर:
भाव
(क) कवि रसखान श्रीकृष्ण और ब्रज क्षेत्र से असीम लगाव रखते हैं। श्रीकृष्ण ब्रज के करील के कुंजों की छाया में विश्राम किया करते थे। इस करील के कुंजों की छाया के बदले वे सोने के महलों का सुख भी न्योछावर करने को तैयार थे।

(ख) श्रीकृष्ण की मुसकान की मादकता के विषय में गोपी कहती हैं कि माई री, वह मुसकान इतना आकर्षक है कि मैं उससे बच नहीं पाऊँगी और मुझसे स्वयं को सँभाला नहीं जाएगा।

प्रश्न 8.
‘कालिंदी कुल कदंब की डारन’ में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
‘कालिंदी कूल कदंब की डारन’ में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार है।

प्रश्न 9.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए| या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौंगी। [CBSE]
उत्तर:
भाव-सौंदर्य- गोपी कह रही है कि वह श्रीकृष्ण का स्वांग करने को तैयार है पर वह मुरलीधर की मुरली को अपने होठों पर नहीं रखेगी।
शिल्प सौंदर्य

  • भाषा में व्रजभाषा की मधुरता है।
  • छंद सवैया है।
  • ‘म’ की आवृत्ति होने के कारण अनुप्रास अलंकार तथा अधरा न – अधरों पर, अधरा न – अधरों पर नहीं में यमक अलंकार है।
  • दृश्य बिंब साकार हो उठा है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 10.
प्रस्तुत सवैयों में जिस प्रकार ब्रजभूमि के प्रति प्रेम अभिव्यक्त हुआ है, उसी तरह आप अपनी मातृभूमि के प्रति अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कीजिए।
उत्तर:
मैं अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार करता हूँ। मैं इसी मातृभूमि का अन्न ग्रहण कर बड़ा हुआ हूँ। इसी की पावन तथा शीतल वायु में साँस लेकर पला-बढ़ा हूँ। यहीं की पावन नदियों का जल पीकर प्यास बुझाई है। मुझे यहाँ की गौरवशाली प्राचीन संस्कृति का अंग बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं हर जन्म में यहाँ की पावन भूमि पर जन्म लेना चाहूँगा। अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने को तैयार हूँ।

प्रश्न 11.
रसखान के इन सवैयों का शिक्षक की सहायता से कक्षा में आदर्श वाचन कीजिए। साथ ही किन्हीं दो सवैयों को कंठस्थ कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

पाठेतर सक्रियता

• सूरदास द्वारा रचित कृष्ण के रूप-सौंदर्य संबंधी पदों को पढ़िए।
उत्तर:
छात्र पढ़ें।

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चौथे सवैये के अनुसार कृष्ण का रूप अत्यंत मोहक है तथा उनकी मुरली की धुन बड़ी मादक है। उनकी मरली की धुन तथा मुस्कान इतनी आकर्षक है कि इन दोनों से गोपियो के लिए बच पाना काफ़ी मुश्किल है। गोपियाँ कृष्ण की सुन्दरता तथा तान पर आसक्त हैं इसलिए वे कृष्ण के समक्ष विवश हो जाती हैं। तथा उन्हें अपनी परिस्थिति का भी कोई ध्यान नही रहता।

चौथे समय के अनुसार गोपियां अपने आपको क्यों विवश पाती है?

चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं? उत्तर: इस सवैये के अनुसार, गोपियाँ कृष्ण की मुरली की मधुर तान तथा मनोहर मुसकान के कारण अपने-आपको विवश पाती हैं। वे आपा खो बैठती हैं और कृष्ण के वश में हो जाती हैं

चौथे सवैये के आधार पर गोपी क्यों नहीं संभाल पा रही?

गोपी को श्रीकृष्ण की मुस्कान इतनी सुंदर लगती है कि इसे देखकर वह अपना होश-हवास खोकर विवश हो जाती है और स्वयं को सँभाल नहीं पाती है। वह श्रीकृष्ण के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है। गोपी को महसूस होता है कि उसके और कृष्ण के बीच मुरली ही बाधक है। इस मुरली के कारण ही वह कृष्ण को सामीप्य पाने से वंचित रह जाती है।

आपके विचार से कवि पशु पक्षी और पहाड़ के रूप में भी कृष्ण का सान्निध्य क्यों प्राप्त करन चाहता है?

पशु-पक्षी सदैव कृष्ण के प्रिय रहे हैं। अतः वे इनके माध्यम से सरलतापूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का सान्निध्य प्राप्त कर सकता है। इनके माध्यम से अपने आराध्य देव की लीलाओं का रसपान कर सकता है। अन्य साधनों से प्रभु का साथ मिल पाने में कठिनाई हो सकती है परन्तु इनके माध्यम से सरलतापूर्वक प्रभु का सान्निध्य मिल जाएगा।

एक लकुटी और कामरिया पर कवि सब कुछ न्योछावर करने को क्यों तैयार है class 9?

इसलिए कृष्ण की एक-एक चीज़ उसके लिए महत्वपूर्ण और प्यारी है। कृष्ण गायों को चराते समय लकुटी और कामरिया अपने साथ रखते थे। यह कोई साधारण वस्तुएँ न होकर कृष्ण से सम्बंधित वस्तुएँ है। यही कारण है कि कृष्ण की लाठी और कंबल के लिए कवि अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार है।