भक्ति की दो प्रमुख विशेषताएं क्या थी? - bhakti kee do pramukh visheshataen kya thee?

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भक्तिकाल हिंदी साहित्य में स्वर्ण काल के रूप में माना जाना जाता है इसकी खास विशेषता यह रही है किस भक्ति काल में जब बहुत से विदेशी आतंकियों ने भारत पर आक्रमण किया था और उस समय ईश्वर की अतिरिक्त के यह समझ में नहीं आ रहा था कि ईश्वर के अलावा फोन हमारी सुरक्षा कर सकता है तब काव्य के रूप में अधिक से अधिक अपने अपने आराध्य का की विशेषताओं का हश्र जन काव्य में हुआ जैसे भगवान कृष्ण की सुंदर लीलाओं का वर्णन सूरदास जी ने अपने काव्य में किया और इसी प्रकार राम की लीलाओं राम की कथा राम की लीलाओं का वर्णन तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में किया अरे साथी साथी सबसे बड़ी खासियत भक्ति काल की यह रही कि इसमें लिखे जाने वाले काव्य देखे जाने वाला काव्य चाहे वह दोहे और चौपाई हो चप्पलों चाहे वो कविताओं को सभी गैर थे संकीर्तन में उनको गाया जाता था यह भक्तिकालीन काव्य की सबसे प्रमुख विशेषता है और यह इनकी पर पदावली जहां तक है रागों में भी निबंध है कहीं-कहीं यह दृष्टिगत भी होता है

bhaktikal hindi sahitya me swarn kaal ke roop me mana jana jata hai iski khas visheshata yah rahi hai kis bhakti kaal me jab bahut se videshi atankiyo ne bharat par aakraman kiya tha aur us samay ishwar ki atirikt ke yah samajh me nahi aa raha tha ki ishwar ke alava phone hamari suraksha kar sakta hai tab kavya ke roop me adhik se adhik apne apne aradhya ka ki visheshtaon ka hashra jan kavya me hua jaise bhagwan krishna ki sundar lilaon ka varnan surdas ji ne apne kavya me kiya aur isi prakar ram ki lilaon ram ki katha ram ki lilaon ka varnan tulsidas ji ne awadhi bhasha me kiya are sathi sathi sabse badi khasiyat bhakti kaal ki yah rahi ki isme likhe jaane waale kavya dekhe jaane vala kavya chahen vaah dohe aur chaupai ho chappalon chahen vo kavitao ko sabhi gair the sankirtan me unko gaaya jata tha yah bhaktikalin kavya ki sabse pramukh visheshata hai aur yah inki par padavali jaha tak hai ragon me bhi nibandh hai kahin kahin yah drishtigat bhi hota hai

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इसे सुनेंरोकेंसगुण तथा निर्गुण ब्रह्म की उपासना। ईश्वर के नाम की महिमा। ब्रजभाषा एवं अवधी भाषा का प्रयोग। समर्पण की भावना।

भक्तिकालीन काव्य धारा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभक्तिकाल की प्रमुख काव्य-धाराएं भक्तिकाल की प्रमुख दो काव्य-धाराएं हैं-निर्गुण भक्ति काव्य-धारा एवं सगुण भक्ति काव्य-धारा । निगुण काव्य-धारा के अन्तर्गत ज्ञानाश्रयी काव्य-धारा और प्रेमाश्रयी काव्य-धारा को स्थान प्राप्त है।

भक्ति काल का प्रथम महाकाव्य कौन सा है?

1. संत काव्य

क्रमकवि(रचनाकर)काव्य (रचनाएँ)1.कबीरदास (निर्गुण पंथ के प्रवर्तक)बीजक (1. रमैनी 2. सबद 3. साखी; संकलन धर्मदास)2.रैदासबानी3.नानक देवग्रंथ साहिब में संकलित (संकलन- गुरु अर्जुन देव)4.सुंदर दाससुंदर विलाप

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भक्ति काल को स्वर्ण युग क्यों कहा जाता है कारण बताते हुए भक्तिकाल की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए?

इसे सुनेंरोकेंइन ग्रंथों में भक्ति संबंधित रचनाओं के साथ-साथ काव्य के आवश्यक अंग रस, छन्द, अलंकार, बीम्ब, प्रतीक दोहा, सोरठा, योजना रुपक भाव का सुन्दर चित्रण हुआ है। इस प्रकार भक्ति काल का महत्व साहित्य और भक्ति भावना दोनों ही दृष्टियों से बहुत अधिक है। इसी कारण इस काल को स्वर्ण युग कहा जाता है।

भक्ति काल की रचना क्या है?

राम भक्ति काव्य

क्रमकाव्य (रचनाएँ)कवि(रचनाकर)4.राम आरतीरामानंद5.भक्त मालनाभादास6.पौरुषेय रामायणनरहरि दास7.रामचरित मानस (प्र०), गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, कृष्ण गीतावली, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, बरवै रामायण (प्र०), रामाज्ञा प्रश्नावली, वैराग्य संदीपनी, राम लला नहछूतुलसीदास

भक्तिकाल की प्रमुख शाखाएं कितनी है?

इसे सुनेंरोकेंभक्ति काल के प्रमुख कवि- सूरदास, संत शिरोमणि रविदास, ध्रुवदास, रसखान, व्यासजी, स्वामी हरिदास, मीराबाई, गदाधरभट्ट, हितहरिवंश, गोविन्दस्वामी, छीतस्वामी, चतुर्भुजदास, कुंभनदास, परमानंद, कृष्णदास, श्रीभट्ट, सूरदास, मदनमोहन, नंददास, चैतन्य महाप्रभु आदि।

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भक्ति काल की कितनी शाखाएं?

इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में भक्ति-युग की चार प्रमुख काव्य-धाराएं मिलती हैं : ज्ञानाश्रयी शाखा, प्रेमाश्रयी शाखा, कृष्णाश्रयी शाखा और रामाश्रयी शाखा, प्रथम दोनों धाराएं निर्गुण मत के अंतर्गत आती हैं, शेष दोनों सगुण मत के।

भक्ति काव्य से आप क्या समझते हो?

इसे सुनेंरोकेंभक्ति-काव्य को हिन्दी कविता का स्वर्ण युग कहने का सीधा तात्पर्य होता है कि यहाँ काव्य की रचनात्मक क्षमता अपने श्रेष्ठतम रूप में है। पर इस काव्य का एक अन्य स्तर पर जो वैशिष्ट्य है, उस की ओर ध्यान प्रायः नहीं जाता। भक्ति काव्य हिंदी समाज की उदारतम चेतना का दस्तावेज है। ये भक्ति कवि नहीं, पर भक्ति-काव्य इन्होंने लिखा है।

भक्ति काल के समय विधि क्या है?

इसे सुनेंरोकेंमुसलमान सूफी कवियों की इस समय की काव्य-धारा को प्रेममार्गी माना गया है क्योंकि प्रेम से ईश्वर प्राप्त होते हैं ऐसी उनकी मान्यता थी। ईश्वर की तरह प्रेम भी सर्वव्यापी तत्व है और ईश्वर का जीव के साथ प्रेम का ही संबंध हो सकता है, यह उनकी रचनाओं का मूल तत्व है। उन्होंने प्रेमगाथाएं लिखी हैं।

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भक्ति काल के महाकाव्य कौन हैं?

इसे सुनेंरोकेंरामचरितमानस, विनय पत्रिका, दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्ण गीतावली, पार्वतीमंगल, जानकी मंगल, वैराग्य संदीपनी, रामलला नहछू, रामाज्ञा प्रश्नावली, बरवै रामायण। रामचरितमानस (1574 ई.) तुलसी द्वारा रचित अवधी भाषा का महाकाव्य है।

भक्ति के प्रमुख विशेषताएं क्या थी?

भक्ति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थी - वे ईश्वर के प्रति सच्ची लगन और व्यक्तिगत पूजा पर बल देते थे। (2) भक्ति मार्ग अपनाने वाले वालों का यह मानना था कि यदि अपने आराध्य देवी या देवता की सच्चे मन से पूजा की जाए तो वह उसी रूप में दर्शन देते हैं जिस रूप में भक्त उसे देखना चाहता है।

भक्ति काल की दो विशेषताएं कौन सी है?

भक्तिकाल की विशेषताएं: भक्तिकाल हिंदी साहित्य का महत्वपूर्ण काल है। इस काल का साहित्य विशिष्ट साहित्य है। साहित्य के इतिहास का यह काल जिसमें संत कवियों ने अपनी अमृतवाणी से जनमानस को सिंचित किया उनमें ज्ञान का दीपक जलाया तथा पतनोन्मुख समाज को नवीन चेतना प्रदान की।