नवीकरणीय ऊर्जा
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में नवीकरणीय ऊर्जा और उसके महत्त्व पर चर्चा की गई है। साथ ही भारत में उसकी स्थिति और मौजूदा चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भऊर्जा के परंपरागत स्रोतों मुख्यतः जीवाश्म ईंधन की खोज ने मानव इतिहास के विकास को एक नई दिशा दी। उल्लेखनीय है कि जीवाश्म ईंधन में कई सौ वर्षों तक पूरी दुनिया की ऊर्जा मांगों को पूरा करने की क्षमता है। इसने बीसवीं शताब्दी में हुई औद्योगिक क्रांति में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। परंतु दुनिया भर में इसकी अत्यधिक खपत ने कई चुनौतियों को भी जन्म दिया जिसके कारण दुनिया इसके प्रतिस्थापन के बारे में सोचने को मजबूर हो गई। 1970 के दशक में पर्यावरणविदों ने जीवाश्म ईंधन से हमारी निर्भरता को कम करने और उसके प्रतिस्थापन के रूप में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना शुरू किया। 21वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की ऊर्जा खपत का 20 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होने लगा था। ध्यातव्य है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने भी अपनी बिजली उत्पादन क्षमता का काफी विस्तार किया है। विगत तीन वर्षों में नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होने वाली ऊर्जा में लगभग 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। क्या होती है नवीकरणीय ऊर्जा?
नवीकरणीय ऊर्जा का महत्त्व
यह ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, अर्थात् इसमें न्यूनतम या शून्य कार्बन और ग्रीनहाउस उत्सर्जन होता है। जबकि इसके विपरीत जीवाश्म ईंधन ग्रीनहाउस गैस और कार्बन डाइऑक्साइड का काफी अधिक उत्सर्जन करते हैं, जो कि ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन और वायु की गुणवत्ता में गिरावट के लिये काफी हद तक ज़िम्मेदार हैं। इसके अतिरिक्त जीवाश्म ईंधन वायुमंडल में सल्फर का भी उत्सर्जन करते हैं जिसके प्रभाव से अम्लीय वर्षा होती है। नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को काफी कम करता है।
नवीकरणीय संसाधनों से प्राप्त ऊर्जा को ऊर्जा का स्थायी स्रोत माना जाता है, इसका तात्पर्य यह है कि वे कभी भी समाप्त नहीं होते हैं या कह सकते हैं कि उनके खत्म होने की संभावना लगभग शून्य होती है। वहीं दूसरी ओर जीवाश्म ईंधन (तेल, गैस और कोयला) जैसे ऊर्जा के स्रोतों को सीमित संसाधन माना जाता है और इस बात की प्रबल संभावना होती है कि वे भविष्य में समाप्त हो जाएंगे।
नवीकरणीय ऊर्जा अन्य परंपरागत विकल्पों की अपेक्षा एक बेहतर और सस्ता स्रोत है। ध्यातव्य है कि जैसे-जैसे विश्व में नवीकरणीय ऊर्जा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है, नए और स्थायी रोज़गारों का भी निर्माण होता जा रहा है। उदाहरण के लिये जर्मनी और ब्रिटेन जैसे देशों में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को प्रोत्साहन देने के लिये कई नए रोज़गारों का सृजन हुआ है।
नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन दिये जाने से दुनिया के कई देशों में इसका काफी बढ़ चढ़ कर प्रयोग हो रहा है जिसके कारण वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में काफी स्थिरता आई है।
कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि नवीकरणीय ऊर्जा और लोगों के स्वास्थ्य में सीधा संबंध होता है और सरकारें ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों पर जो भी निवेश करती हैं उसका स्पष्ट प्रभाव आम लोगों के स्वास्थ्य स्तर में देखने को मिलता है। ध्यातव्य है कि जीवाश्म ईंधन द्वारा उत्सर्जित ग्रीनहाउस, कार्बन और सल्फर आदि मानव स्वास्थ्य के लिये काफी हानिकारक होते हैं। प्रतिस्थापन की आवश्यकता क्यों?
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की स्थिति
क्या हैं चुनौतियाँ?
नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु सरकारी प्रयासजवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशनजवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन की शुरुआत 11 जनवरी, 2010 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा की गई थी। इस मिशन के तहत वर्ष 2022 तक 20,000 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी सौर ऊर्जा के उत्पादन का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया था। वर्ष 2015 में भारत सरकार ने वर्ष 2022 तक भारत की सौर ऊर्जा क्षमता लक्ष्य को पाँच गुना तक बढ़ाने के लिये अपनी स्वीकृति दी, जो कि 1,00,000 मेगावाट हो गया है। राष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रमराष्ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है। इसके तहत देश के ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्र के घरों में खाना पकाने के ईंधन और प्रकाश के स्रोत के रूप में बायोगैस गैस को प्रोत्साहित करने के लिये एक बायोगैस संयंत्र की स्थापना का प्रावधान किया गया है। सूर्यमित्र कार्यक्रमइस कार्यक्रम की शुरुआत नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान द्वारा की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उत्पन्न हो रहे नए अवसरों को देखते हुए इस क्षेत्र में युवाओं को कौशल प्रदान करना है। सूर्यमित्र कार्यक्रम युवाओं को सौर ऊर्जा क्षेत्र में नए उद्यमी बनने के लिये भी तैयार करता है। सौर ऋण कार्यक्रमइस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी और मात्र तीन वर्षों में लगभग 16,000 से अधिक सोलर होम सिस्टम को 2,000 बैंक शाखाओं के माध्यम से वित्तपोषित किया गया है। इस कार्यक्रम ने विशेष रूप से दक्षिण भारत के उन ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य किया जहाँ पर तब तक बिजली नहीं पहुँची थी। क्या किया जाना चाहिये
प्रश्न: स्पष्ट कीजिये कि क्या नवीकरणीय ऊर्जा को ऊर्जा के परंपरागत स्रोतों के प्रतिस्थापन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है? अनवीकरणीय ऊर्जा का स्रोत क्या है?Solution : कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ऊर्जा के स्रोत, जिनका दोबारा से पुनःपूरण नहीं हो सकता है, ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं।
नवीकरणीय और अनवीकरणीय में क्या अंतर है?नवीकरणीय संसाधन असीमित होते हैं। उदाहरण-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा। <br> अनवीकरणीय संसाधन-वे वस्तुएँ जिनका भण्डार सीमित होता है तथा जिनके निर्माण होने की नहीं रहती या निर्माण होने में बहुत अधिक समय लगता हैं, अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। उदाहरण- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से क्या अभिप्राय है प्रत्येक का एक एक उदाहरण दीजिए?उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें। Solution : नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत-ऐसे ऊर्जा स्रोत जो प्रकृति में निरंतर उत्पन्न रहते हैं तथा कभी समाप्त नहीं होते, उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहते हैं, जैसे सौर-ऊर्जा, वायु-ऊर्जा, जल-ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, सागरीय तापीय ऊर्जा इत्यादि।
ऊर्जा के नवीकरणीय और गैर नवीकरणीय स्रोत क्या है?सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण हैं। जीवाश्म ईंधन और प्राकृतिक गैस ऊर्जा के गैर-नवीकरणीय स्रोतों के उदाहरण हैं।
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