भारत 26 नवंबर 2019 को अपना 70वां संविधान दिवस मनाने जा रहा है. आज से 70 साल पहले सरकार ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था. जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत का संविधान निर्माता कहा जाता है. Show वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे और उन्हें संविधान का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे. पूरे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. जानें भारत के आम नागरिक के लिए कितना महत्वपूर्ण है संविधान. संविधान की खास बात ये है कि अधिकार और कर्तव्य यानी 'Rights and Duites' के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है. संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे. जवाहरलाल नेहर, डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे. हमारा संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है. मसौदा लिखने वाली समिति ने संविधान हिंदी, अंग्रेजी में हाथ से लिखकर कैलिग्राफ किया था और इसमें कोई टाइपिंग या प्रिंटिंग शामिल नहीं थी. बता दें, संविधान के लागू के होते ही समाज को निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली. नागरिकों को मौलिक अधिकारों की आजादी मिली और कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी. भारतीय संविधान में ये महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं- - यह लिखित और विस्तृत है - मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है - न्यायपालिका की स्वतंत्रता, यात्रा, रहने, भाषण, धर्म, शिक्षा आदि की स्वतंत्रता, - एकल राष्ट्रीयता, - भारतीय संविधान लचीला और गैर लचीला दोनों है - राष्ट्रीय स्तर पर जाति व्यवस्था का उन्मूलन - समान नागरिक संहिता और आधिकारिक भाषाएं - केंद्र एक बौद्ध 'गणराज्य' के समान है. - बुद्ध और बौद्ध अनुष्ठान का प्रभाव - भारतीय संविधान अधिनियम में आने के बाद, भारत में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला है. - दुनिया भर में विभिन्न देशों ने भारतीय संविधान को अपनाया है. अंबेडकर को किया जाता है याद भारत में राष्ट्रीय संविधान दिवस 26 नवंबर को हर साल सरकारी तौर पर मनाया जाता है. इस संविधान के पितामाह डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर को याद किया है. बता दें, संविधान दिवस को नेशनल लॉ डे के नाम से भी जाना जाता है. संविधान तैयार करने के दौरान क्या थे भीमराव अंबेडकर के विचार डॉ. भीमराव अंबेडकर को 29 अगस्त, 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था. उनका मानना था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को बराबर करना महत्वपूर्ण था, अन्यथा देश की एकता को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा. उन्होंने धार्मिक, लिंग और जाति समानता पर जोर दिया था. अंबेडकर ने वर्गों के बीच सामाजिक संतुलन बनाने के लिए आरक्षण प्रणाली की शुरुआत की थी. 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 5 परिशिष्ट और 98 संसोधनों के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है.
संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका - फोटो : facebook Ambedkar Jayanti 2022: भारत का संविधान इसे अन्य देशों से अलग बनाता है। यह संविधान ही है जो हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है तो वहीं एक नागरिक के तौर पर उनके कर्तव्यों को सुनिश्चित करता है। इसी भारतीय संविधान के निर्माता के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मशहूर हैं। बाबा साहेब अंबेडकर की संविधान के निर्माण में भूमिका अतुल्य है। कई लोगों ने इस बाबत तमाम दलीलें दीं लेकिन डाॅ. अंबेडकर के योगदान और भूमिका को भारतीय संविधान में नकारा नहीं जा सकता है। 14 अप्रैल 1891 को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था। भीमराव अंबेडकर को बचपन से भेदभाव का सामना करना पड़ा। हालांकि उन्होंने कठिनाइयों से हार नहीं मानी और 32 डिग्री हासिल की। एक कुशल अर्थशास्त्री रहे डॉ. बी आर अंबेडकर की जयंती के मौके पर जानें कि संविधान निर्माण में बाबा साहेब की क्या भूमिका है। भारत का संविधान देश की आजादी के बाद भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा में कुल 379 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं थीं। संविधान की ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। यह उस दौर में बहुत बड़ी बात थी कि जब छुआछूत और जाति-पाति मानी जाती थी, तब एक अस्पृश्य व्यक्ति को प्रभावशाली पद मिला हो। कई विशेषज्ञों के मुताबिक, संविधान सभा में बाबा साहेब का चयन उनकी प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ था। संविधान निर्माण के लिए जिस ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ उसके मुखिया के तौर पर अंबेडकर का निर्वाचन हुआ। दरअसल उस समय नेहरू ने संविधान सभा के उद्देश्यों की एक रूपरेखा प्रस्तुत की थी, तब एक अन्य सदस्य रहे जयकर ने राय दी कि किसी भी प्रस्ताव पर मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि के बिना मतदान नहीं किया जा सकता। इस पर अंबेडकर ने भी पहली बार हस्तक्षेप करते हुए कहा अपनी राय दी। उनकी सलाह से बहुत सारे कांग्रेसी नेता प्रभावित हुए। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक क्यों कहा जाता है?संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉ. आंबेडकर की सबसे प्रभावी और निर्णायक भूमिका थी. 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान के उस प्रारूप को स्वीकार किया, जिसे डॉ. बीआर आंबेडकर की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमेटी ने तैयार किया था.
भारतीय संविधान का जनक कौन है और क्यों?भीम राव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक माना जाता है। वह भारत के संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। उन्हें 1947 में संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वह स्वतंत्र भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे।
भारत संविधान का जनक कौन है?भारतीय संविधान मदर कौन है-
मैडम भीकाजी कामा एक संपन्न पारसी परिवार से आती हैं। उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए भी जानी जाती थीं। 24 सितंबर, 1861 को जन्मी मैडम भीकाजी कामा को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के कारण भारतीय क्रांति की जननी भी माना जाता है।
संविधान के असली निर्माता कौन है?14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ भीमराव अंबेडकर ने न सिर्फ देश का संविधान बनाने में अहम भूमिका निभाई बल्कि एक इकॉनमिस्ट के तौर पर भी उन्होंने देश के निर्माण में बड़ा योगदान किया Ambedkar Jayanti 2021: डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का नाम आते ही भारतीय संविधान का जिक्र अपने आप आ जाता है.
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