एमएसपी 2022 के तहत कितनी फसलें? - emesapee 2022 ke tahat kitanee phasalen?

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रबी फसल की खेती करने वाले किसानों के लिए आज खुशी का दिन है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को विपणन सीजन 2023-24 के लिए छह रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी है। मसूर के एमएसपी में अधिकतम 500 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी मिली है। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार के फैसले की जानकारी दी है।

केंद्रीय कैबिनेट और आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) के बीच आज बैठक में छह रबी फसलों का मिनिमम सपोर्ट प्राइस बढ़ाने का फैसला लिया गया। खास बात यह है की सबसे ज्यादा दालों पर MSP में बढ़ोतरी की गई है। वहीं जूट की MSP में 110 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सभी सिफारिशों को कैबिनेट से मंजूरी मिली है।

छह रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा–

  • गेहूं का MSP 110 रु बढ़कर 2125 र/क्विंटल
  • जौ का MSP 100 रु बढ़कर 1735 रु/क्विंटल
  • चने का MSP 105 बढ़कर 5335 रु/क्विंटल
  • मसूर का MSP 500 रु बढ़कर 6000 रु/क्विंटल
  • सरसो का MSP 400 रु बढ़कर 5450 रु/क्विंटल
  • कुसुम का MSP 209 रु बढ़कर 5650 रु/क्विंटल

 

केंद्र सरकार ने कल, सोमवार को, पीएम किसान सम्मान निधि योजना का पैसा ट्रांसफर किया तो आज किसानों को दिवाली का एक और तोहफा दिया है। आज मंगलवार को सरकार ने रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया है। इस खबर से किसानों के बीच खुशियों का माहौल है। किसान MSP में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे थे।

आपको बता दें कि एमएसपी कमेटी ने रबी की 6 फसलों के लिए 9 फीसदी तक की MSP बढ़ाने की सिफारिश की थी। इसके बाद कृषि मंत्रालय ने भी इन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की सिफारिश की और आज केंद्रीय कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी।

किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है। एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला 2018-19 के बजट की उस घोषणा को पूरा करने हेतु लिया गया है, जिसमें कहा गया था कि MSP को पूरे भारत में उत्पादन की लागत से 1.5 गुना तय किया जाएगा।

सरकार ने कहा कि उसके 11,040 करोड़ रुपये के खाद्य तेल- पाम तेल(एनएमईओ-ओपी) पर राष्ट्रीय मिशन खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने में मदद करेगा। इसे किसानों की आय और फसलों का उत्पादन बढ़ाने के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या है MSP दर

केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। इसे ही मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) कहते हैं। मान लीजिए अगर कभी फसलों की क़ीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार इस MSP पर ही किसानों से फसल खरीदती है ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके। 60 के दशक में सरकार ने अन्न की कमी से बचाने के लिए सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी शुरू की ताकि सरकार किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना के तहत ग़रीबों को बांट सके। कृषि मंत्रालय का एक विभाग कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कोस्ट्स एंड प्राइसेस गन्ने पर एमएसपी तय करता है।

|| न्यूनतम समर्थन मूल्य | Nyuntam Samarthan Mulya New List | Minimum Support Price Login Process | Important Download | Helpline Number || सरकार दवारा किसानो के हितो का ध्यान रखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य को लागू किया गया है| जिसके अंतर्गत भारत सरकार द्वारा फसल की खरीद पर एक न्यूनतम मूल्य यानि MSP (Minimum Support Price) का भुगतान किया जाता है। इस मूल्य को न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है। जिसके जरिये किसानो को लाभ प्रदान किया जाता है| कैसे मिलेगा किसानो को इस सुविधा लाभ और आवेदन कैसे किया जाएगा| ये सारी जानकारी लेने के लिए आपको ये आर्टीकल अंत तक पढ्ना होगा| तो आइए जानते हैं – न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 के वारे मे|

एमएसपी 2022 के तहत कितनी फसलें? - emesapee 2022 ke tahat kitanee phasalen?

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य | Minimum Support Price

न्यूनतम समर्थन मूल्य किसी भी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य होता है जिसे सरकार किसानों को प्रदान करती है। इस मूल्य से कम कीमत पर सरकार द्वारा फसल को नहीं खरीदा जा सकता। सरकार द्वारा न्यूनतम मूल्य पर फसल की खरीद की जाती है। जिससे किसानों को उनकी फसल का सही दाम दिलवाने मे मदद मिलती है और उपभोक्ताओं तक भी फसल सही दामों में पहुंच जाती है। इस मूल्य को कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष घोषित किया जाता है, ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानो को लाभ प्रदान किया जा सके|

मुख्य पहलु

  • केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए रबी की 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि MSP तय कर दी है।
  • जिसमे से गेहूं पर 40 रुपए और सरसों पर 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।
  • इसके अलावा मसूर पर भी MSP 400 रुपए की बढ़ोतरी की गई हैं। सबसे अधिक बढ़ोतरी सरसों और मसूर में की गई है। सरकार का मानना है कि बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को काफी फायदा होने वाला है|
  • भारत सरकार के प्रेस इनफोमेशन ब्यूरो की ओर से जारी किए प्रेस नोट के अनुसार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रबी विपणन सीजन (RMS) 2022-23 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी करने को मंजूरी दे दी है और सरकार दवारा RMS 2022-23 के लिए रबी फसलों की MSP में भी इजाफा कर दिया है, ताकि किसानों को उनके उत्पादों की लाभकारी कीमत मिल सके।
  • पिछले वर्ष के MSP में मसूर की दाल और कैनोला तथा सरसों में उच्चतम संपूर्ण बढ़ोतरी (प्रत्येक के लिए 400 रुपए प्रति क्विंटल) करने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद चने (130 रुपये प्रति क्विंटल) को रखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में कुसुम के फूल का मूल्य 114 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है। कीमतों में यह अंतर इसलिए रखा गया है, ताकि भिन्न-भिन्न फसलें बोने के लिए किसानो प्रोत्साहन मिल सके|

न्यूनतम समर्थन मूल्य का अवलोकन 

योजना का नामन्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23किसके दवारा शुरू की गईभारत सरकार दवारालाभार्थीदेश के किसानप्रदान की जाने वाली सहायताकिसानो को फसल का सही मूल्य प्रदान करनाआधिकारिक वेबसाइटfarmer.gov.in/FarmerHome

Minimum Support Price का निर्धारण 

  • मांग और आपूर्ति;
  • उत्पादन की लागत;
  • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में मूल्य प्रवृत्तियाँ;
  • अंतर-फसल मूल्य समता;
  • कृषि और गैर-कृषि के बीच व्यापार की शर्तें;
  • उस उत्पाद के उपभोक्ताओं पर MSP का संभावित प्रभाव।

किस फसल पर कितना बढ़ाया गया है MSP

केंद्र सरकार के दवारा वर्ष 2022-23 के लिए रबी की 6 फसलों का MSP तय किया गया है। इन फसलों के MSP पर सरकार की ओर से जो बढ़ोतरी की गई है, उसका विवरण इस प्रकार है –

फसलेंकी गई बढ़ोतरीभाव / क्विंटलगेहूं40 रूपए2015 रूपएजौ35 रूपए1635 रूपएचना130 रूपए5230 रूपएमसूर400 रूपए5500 रूपएसरसों400 रूपए5050 रूपएसूरजमुखी114 रूपए5441 रूपए

नए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से किसानों को मिलने वाला लाभ

वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जारी किए गए नए समर्थन मूल्य से किसानों को रबी की 06 फसलों पर लागत के हिसाव से 50 से लेकर 100 फीसदी तक लाभ होगा। ये लाभ पात्र लाभार्थी नीचे लिस्ट के जरिये प्राप्त कर सकेंगे, जिसका विवरण इस प्रकार है-

फसलेंकुल लागत / क्विंटललागत पर मिलने वाला लाभगेहूं1008 रूपए100 फीसदीजौ2500 रूपए100 फीसदीचना3100 रूपए79 फीसदीमसूर3050 रूपए74 फीसदीसरसों1050 रूपए60 फीसदीसूरजमुखी3600 रूपए50 फीसदी

वर्ष 2021-22 और 2022-23 के MSP में कुल अंतर

वर्ष 2021-22 और 2022-23 का तुलनात्मक अध्ययन करने पर सरकार दवारा घोषित किए MSP में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सबसे कम 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, तो वहीं सरसों पर 8.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कहाँ पर कितनी वढ़ोतरी हुई है, जिसकी पूरी लिस्ट नीचे दी गई है –

फसलेंMSP 2021-2022 वर्षMSP 2022-2023 वर्षगेहूं1975 रुपए प्रति क्विंटल2015 रुपए प्रति क्विंटलजौ1600 रुपए प्रति क्विंटल1635 रुपए प्रति क्विंटलचना5100 रुपए प्रति क्विंटल5230 रुपए प्रति क्विंटलमसूर5100 रुपए प्रति क्विंटल5500 रुपए प्रति क्विंटलसरसों4650 रुपए प्रति क्विंटल5050 रुपए प्रति क्विंटलसूरजमुखी5327 रुपए प्रति क्विंटल5441 रुपए प्रति क्विंटल

एमएसपी 2022 के तहत कितनी फसलें? - emesapee 2022 ke tahat kitanee phasalen?

सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य 2010 से अब तक

एमएसपी 2022 के तहत कितनी फसलें? - emesapee 2022 ke tahat kitanee phasalen?

Minimum Support Prices (MSP) Bonus
  • 75 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस
  • 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित।
  • 425 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस
  • 100 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस
  • 150 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस
MSP में शामिल लागतों का भुगतान
  • मानव श्रम,
  • बैल श्रम / मशीन श्रम
  • जमीन में पट्टे के लिए लगाया गया किराया
  • बीज, उर्वरक, खाद जैसे भौतिक आदानों पर होने वाले व्यय
  • सिंचाई का शुल्क
  • औजार और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास
  • कार्यशील पूंजी पर ब्याज
  • पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल / बिजली
  • पारिवारिक श्रम का इनपुट मूल्य
MSP में क्यों की जाती है बढ़ोतरी

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई बढ़ोतरी को लेकर कहा गया है कि RMS  2022-23 के लिए रबी फसलों की MSP में बढ़ोतरी केंद्रीय बजट 2018-19 में की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसमें ये कहा गया कि देशभर के औसत उत्पादन को मद्देनजर रखते हुए MSP में कम से कम डेढ़ गुना इजाफा किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को उचित लाभ मिल सके। किसान खेती में जितना खर्च करते है, उसके आधार पर होने वाले लाभ का अधिकतम अनुमान किया गया है। इस संदर्भ में गेहूं, कैनोला व सरसों (प्रत्येक में 100 प्रतिशत) लाभ दिए जाने का अनुमान है, तो वहीं दाल (79 प्रतिशत), चना (74 प्रतिशत), जौ (60 प्रतिशत), कुसुम के फूल (50 प्रतिशत) के उत्पादन में लाभ मिलने की जानकारी है|

MSP पर खरीद के लिए शामिल योजनाएँ

किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी के लिए कई योजनायें चलाई गई है। जिनके तहत देश के किसानों से विभिन्न फसलों की खरीद सरकार दवारा की जाती है। जिनमे से – ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ नामक ‘अम्ब्रेला स्कीम’ की घोषणा सरकार दवारा की गई है। इस योजना से किसानों को अपने उत्पाद के लिए लाभकारी कीमत मिलती है। इस अम्ब्रेला योजना में तीन उप-योजनाएं भी शामिल हैं, जैसे मूल्य समर्थन योजना (PSS), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS) और निजी खरीद व स्टॉकिस्ट योजना (PPSS) आदि शामिल हैं। जिनके तहत किसानो से MSP की खरीद की जाती है|

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लाभ
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की नई तकनीक किसानों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है |
  • MSP के द्वारा निर्धन व्यक्तियों की आय का हस्तांतरण होता है |
  • इससे कृषि व्यापर की शर्तो को उचित स्तर पर बनाकर रखा जाता है|
  • इसके जरिये सरकार प्रतिवर्ष किसानों के अनाज के मूल्य में बढ़ोत्तरी करती है|
  • इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा|
  • MSP किसानों एवं उपभोक्ताओं के लिए एक रियायती मूल्य सुनिश्चित करती है।
  • समर्थन मूल्य की घोषणा फसलों की बुवाई से ठीक पहले की जाती है।
  • इसके द्वारा क्रॉपिंग पैटर्न को ऐच्छिक दिशा में ले जाने में मदद मिलती है |
  • अगर किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अनुकूल शर्तें मिलती है या MSP से बेहतर कीमत मिलती है तो वह गैर सरकारी दलों को अपनी फसल बेचने के लिए स्वतंत्र होंगे।
  • इस प्रक्रिया से भारत में खाद्द्य सुरक्षा से निपटारे हेतु गेहूं , चावल ,आदि के क्षेत्र में क्रॉपिंग पैटर्न में बदलाव देखने को मिले हैं|
  • इसके माध्यम से भारत में खाद्द्यान उत्पादन में आत्मपूर्णता की स्थिति बनाने मे मदद मिलेगी|
  • MSP के जरिये खाद्द्यान और अन्य फसलों की मार्केट में कीमत स्थिरता के साथ लागू की जाती है |
MSP की मुख्य विशेषताएँ
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से भारत को अपना आयात बिल घटाने में मदद मिलेगी।
  • पोषक अनाजों के न्‍यूनतम मूल्‍य वृद्धि से पोषण सुरक्षा और किसानों की आय में सुधार होगा।
  • किसानों की आय बढ़ाने में फसलों की विविधता, पशुधन और बागवानी क्षेत्र सर्वाधिक लाभप्रद साबित होगें|
न्यूनतम समर्थन मूल्य का उद्देश्य

सरकार दवारा किसानों को अपनी फसल के सही दाम दिलवाना है| जिससे किसानो को सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा और उनकी आय मे भी वढ़ोतरी होगी|

न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए पात्रता
  • देश के स्थायी निवासी
  • आवेदक किसान होना चाहिए|
न्यूनतम समर्थन मूल्य लॉगिन प्रोसेस
  • सवसे पहले पात्र लाभार्थी की न्यूनतम समर्थन मूल्य की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करना होगा| 
  • उसके बाद आपको लॉगिन के ऑप्शन पर क्लिक कर देना है| 

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  • अब आपके सामने लॉगिन फार्म खुलकर आएगा
  • जिसमे आपको level State / Password / Capcha code दर्ज करके Sign in के विकल्प पे किलक कर देना है|
  • इस प्रक्रिया का पालन करके आप पोर्टल पर login कर सकोगे|

आशा करता हूँ आपको इस आर्टीकल के दवारा सारी जानकारी मिल गई होगी| आर्टीकल अच्छा लगे तो कोमेट और लाइक जरूर करे

भारत में एमएसपी में कितनी फसलें हैं?

वर्तमान में, एमएसपी 24 फसलों को शामिल करता है जिसमें सात अनाज (धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी) शामिल हैं; पांच दालें (चना, अरहर / अरहर, मूंग, उड़द और मसूर); आठ तेल बीज (मूंगफली, रेपसीड / सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज, तिल, कुसुम के बीज और नीगर के बीज); खोपरा, कच्चा कपास, कच्चा जूट और वर्जिनिया ...

मध्यप्रदेश में गेहूं का समर्थन मूल्य क्या है 2022?

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार सीसीईए ने फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) और विपणन सत्र 2023-24 में छह रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है। फसल वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं का एमएसपी (Wheat MSP) 110 रुपये बढ़ाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो फसल वर्ष 2021-22 में 2,015 रुपये प्रति क्विंटल था।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंतर्गत कितनी फसलें अच्छादित हैं?

इन 23 फसलों में 7 अनाज जैसे धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी, चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर जैसे 5 दालें, 7 तिलहन (मूंगफली, रेपसीड-सरसों, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, नाइजरके बीज) और 4 व्यावसायिक फसलें जैसे खोपरा, गन्ना, कपास और कच्चा जूट शामिल हैं