फारसी भाषा कैसे बोली जाती है? - phaarasee bhaasha kaise bolee jaatee hai?

फ़ारसी (فارسی) एक भाषा है जो ईरान, ताज़िकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह तीन देशों की राजभाषा है और इसे क़रीब 7.5 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं। यह हिन्द यूरोपीय भाषाई परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और इसमें क्रियापद वाक्य के अंत में आता है। फ़ारसी संस्कृत से क़ाफ़ी मिलती-जुलती है, और उर्दू (और हिन्दी) में इसके कई शब्द प्रयुक्त होते हैं। ये फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखी जाती है। अंग्रेज़ों के आगमन से पहले भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ारसी भाषा का प्रयोग दरबारी कामों तथा लेखन की भाषा के रूप में होता है।

इतिहास

फ़ारसी वस्तुतः ईरान की भाषा है और अतीत में ईरान वर्तमान समय से कहीं बड़ा था और बहुत से क्षेत्र जो अब स्वतंत्र देश बन चुके हैं, ईरान का भाग थे। इस समय भी फ़ारसी, ईरान के अतिरिक्त अफ़ग़ानिस्तान और ताजेकिस्तान में बोली जाती है। इसी प्रकार भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ क्षेत्रों में बसे हुए लोग फ़ारसी बोलते हैं और बहरैन जैसे फ़ार्स की खाड़ी के कुछ तटवर्ती क्षेत्रों में भी यह भाषा बोली जाती है। पूरे संसार में लगभग बीस करोड़ लोग फ़ारसी भाषा में बात करते हैं। फ़ारसी भाषा की प्राचीनता के कारण उसके इतिहास को तीन कालखंडों में विभाजित किया गया है। पहले कालखंड को जो पांचवी से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व पर आधारित है, फ़ारसी बास्तान या प्राचीन फ़ारसी कहा जाता है। इस कालखंड अर्थात् लगभग ढाई हज़ार वर्ष पूर्व से संबंधित अनेक शिलालेख और मिट्टी तथा चमड़े पर लिखी हुई सामग्रियां मौजूद हैं। फ़ारसी बास्तान के पश्चात् दूसरा कालखंड जिसे फ़ारसी मियाने या माध्यमिक फ़ारसी कहा जाता है, तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सातवीं शताब्दी ईसवी अर्थात् इस्लाम धर्म के उदय से कुछ समय बाद तक ईरान में जारी रहा। इस कालखंड की भाषा में अनेक ऐतिहासिक और साहित्यिक अवशेष अब भी बाक़ी हैं।

फ़ारसी मियाने वस्तुतः भाषा के परिवर्तन का वह चरण है जो फ़ारसी बास्तान को फ़ारसी दरी या फ़ारसी-ए-नव अर्थात् नवीन फ़ारसी से जोड़ता है।

तीसरा कालखंड अर्थात् फ़ारसी-ए-नव, सातवीं शताब्दी ईसवी से लेकर अब तक ईरान में प्रचलित है। मानव इतिहास में ऐसे राष्ट्र कम ही हैं जिनके वैचारिक व साहित्यिक अवशेष अत्यधिक प्राचीन व दो हज़ार से अधिक वर्षों पर आधारित हैं। साहित्य जगत् में इस प्रकार की प्राचीनता के साथ ईरान का विशेष स्थान है और अनेक महान् विद्वानों ने इस संबंध में अध्ययन व शोध में अपना जीवन बिता दिया है। निश्चित रूप से पूरे संसार में फ़ारसी भाषा के प्रेमियों ने ईरानी साहित्य की ख्याति सुनी है और यह भाषा सीखने और ईरानी साहित्यकारों और विद्वानों की किताबें पढ़ने में रुचि रखते हैं। फ़िरदौसी, ख़ैयाम, सादी और हाफ़िज़ जैसे कवियों तथा इब्ने सीना, बैरूनी, राज़ी और फ़ाराबी जैसे विद्वानों ने फ़ारसी भाषा में अत्यंत मूल्यवान एवं अमर रचनाएं प्रस्तुत कीं जिनसे उन्हें विश्व स्तर पर ख्याति तो मिली ही, साथ ही साहित्य प्रेमियों में फ़ारसी सीखने का भी रुझान बढ़ा। दूसरी ओर फ़ारसी भाषा ने इस्लामी जगत् और इस्लामी-ईरानी सभ्यता व संस्कृति के क्षेत्र की दूसरी भाषा के रूप में धर्म, दर्शन-शास्त्र और इतिहास जैसे विभिन्न विषयों की रचनाओं को अपने आंचल में स्थान दिया और सदैव ही इस्लामी ज्ञानों के विद्यार्थियों के प्रेम का पात्र रही और संसार के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने फ़ारसी भाषा के माध्यम से ही इस्लाम और इस्लामी ज्ञान प्राप्त किया है। इस समय भी संसार के अनेक देशों के विश्व विद्यालयों तथा ज्ञान, संस्कृति और साहित्य के केन्द्रों में फ़ारसी भाषा, साहित्य, संस्कृति और विचारों की भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। इसी प्रकार संसार के अनेक देशों के विश्व विद्यालयों में फ़ारसी भाषा की अनेक सीटें इस भाषा के प्रति साहित्य प्रेमियों के लगाव को दर्शाती हैं।[1]

प्रचार-प्रसार

इस के साथ ही ईरान का इस्लामी संस्कृति व मार्गदर्शन मंत्रालय और इस्लामी संस्कृति व संपर्क संगठन अन्य देशों में फ़ारसी भाषा सिखाने के विभिन्न कोर्स आयोजित करके इस भाषा के प्रचार व प्रसार का प्रयास करते हैं और फ़ारसी भाषा व साहित्य के विषय में विदेशियों की शिक्षा प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। चूंकि फ़ारसी भाषा अत्यंत प्राचीन है अतः इसमें काफ़ी परिवर्तन आया है और चूंकि भाषा के परिवर्तन आरंभ में बोली में आते हैं अतः इस समय फ़ारसी भाषा के बोलने लिखने के दो अलग- अलग स्वरूप हैं। वस्तुतः फ़ारसी भाषा में बात करना, इस भाषा में पढ़ने व लिखने से भिन्न है और इस भाषा के लिखने और बोलने में स्वर, शब्द और व्याकरण की दृष्टि से अंतर पाया जाता है। इस बात के दृष्टिगत कि फ़ारसी के लिखने और बोलने के स्वरूप में अंतर है और चूंकि भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका उसकी संपर्क और बोली की भूमिका है।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आइए फ़ारसी सीखें १ (हिंदी) iran hindi radio। अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2014।

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फ़ारसी भाषा कैसे बोली जाती है?

पश्चिमी फ़ारसी (फारसी, ईरानी फ़ारसी, या फारसी) ईरान में बोली जाती हैं और इराक और फारस की खाड़ी राज्यों में अल्पसंख्यकों द्वारा। पूर्वी फ़ारसी (दरी फ़ारसी, अफगान फ़ारसी, या दरी) अफगानिस्तान में बोली जाती है। ताजिकी (ताजिक फारसी) ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान में बोली जाती है। यह सिरिलिक लिपि में लिखी जाती है।

फारसी भाषा कौन से देश में बोली जाती है?

फ़ारसी (فارسی) एक भाषा है जो ईरान, ताज़िकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और उज़बेकिस्तान में बोली जाती है। यह तीन देशों की राजभाषा है और इसे क़रीब 7.5 करोड़ लोग इस्तेमाल करते हैं। यह हिन्द यूरोपीय भाषाई परिवार की हिन्द ईरानी (इंडो ईरानियन) शाखा की ईरानी उपशाखा का सदस्य है और इसमें क्रियापद वाक्य के अंत में आता है।

फारसी शब्द को कैसे पहचाने?

सबसे मुख्य तरीका उच्चारण है। हिंदी वर्णो के उच्चारण में एक एकरूपता होती है। अगर आप उसको पहचानते है तो बाहर की आवाज पकड़ी जाती है। फ़ारसी वर्णो को हिंदी में लिखते समय नीचे नुख़्ता लगाया जाता है।

फारसी शब्द कौन कौन से हैं?

फारसी- आराम, अफसोस, किनारा, गिरफ्तार, नमक, दुकान, हफ़्ता, जवान, दारोगा, आवारा, काश, बहादुर, जहर, मुफ़्त, जल्दी, खूबसूरत, बीमार, शादी, अनार, चश्मा, गिरह इत्यादि। अरबी- असर, किस्मत, खयाल, दुकान, औरत, जहाज, मतलब, तारीख, कीमत, अमीर, औरत, इज्जत, इलाज, वकील, किताब, कालीन, मालिक, गरीब, मदद इत्यादि।