जरूरी बात: किसी को भी हो सकती है भगंदर की समस्या, जानिए इसके लक्षण से लेकर इलाज तक के बारे में विस्तार सेलाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: निलेश कुमार Updated Fri, 24 Jun 2022 03:55 PM IST Show फिस्टुला यानी कि भगंदर की समस्या काफी दर्दकारक स्थिति है। मलाशय में संक्रमण के कारण यह समस्या होती है। अगर इसपर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह एक मामूली फोड़े से बढ़कर भयंकर दर्द देने वाली समस्या हो सकती है। महिलाओं की तुलना में पुरुष इससे अधिक प्रभावित होते हैं। वैसे तो यह उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या के तौर पर जानी जाती है हालांकि वयस्कों में भी इस तरह की दिक्कत रिपोर्ट की जाती रही है। फिस्टुला की समस्या अत्यधिक असुविधा पैदा कर सकती है और यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो इसके कारण गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं। कुछ लोगों में बैक्टीरिया संक्रमण के कारण भगंदर की दिक्कत होती है जिसके परिणामस्वरूप सेप्सिस भी हो सकता है। इस तरह की समस्या से बचे रहने के लिए सभी लोगों को फाइबर युक्त आहार के सेवन की सलाह दी जाती है। जिन लोगों को भगंदर की समस्या होती है उन्हें इसके उपचार में सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है। आइए इस दर्दनाक समस्या के बारे में विस्तार से समझते हैं। फिस्टुला में सबसे आम होता है- एनल फिस्टुला यानी भगंदर। यह छोटी नली की तरह होता है, जो आंत के अंतिम हिस्से को गुदा के पास की त्वचा से जोड़ देता है। गुदा नली में पस जमा होने के कारण कई बार ऑपरेशन की जरुरत पड़ जाती है।
बचाव कैसे करें? अगर कभी आपको गुदा द्वार के पास फुंसी, फोड़ा वगैरह हो चुका है तो भगंदर से बचने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए।
फिस्टुला का
परीक्षण
इलाज
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फिस्टुला कितने दिन में ठीक होता है?परम्परागत उपचार विधि में मल त्याग में दिक्कत होती है। फिस्टुला की सर्जरी से होने वाले जख्म को भरने में छह सप्ताह से लेकर तीन माह का समय लग जाता है। वीडियो असिस्टेड एनल फिस्टुला ट्रीटमेंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है।
बिना सर्जरी के फिस्टुला को कैसे ठीक करें?आईजीआईएमएस में अब नई तकनीक से फिस्टुला (भगंदर) के इलाज की सुविधा बहाल हो गई है। इसमें ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती। नई तकनीक दूरबिन विधि (वीएएएफटी) से भगंदर की सेंकाई (जख्म को जला दिया जाता है) कर दी जाती है। मरीज दूसरे दिन घर चला जाता है।
फिस्टुला होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?अगर कभी आपको गुदा द्वार के पास फुंसी, फोड़ा वगैरह हो चुका है तो भगंदर से बचने के लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए। कब्ज या सूखे मल की स्थिति में पर्याप्त मात्रा में फाइबर लें। तरल पदार्थ/पेय का ज्यादा सेवन करें। शराब और कैफीन पीने से बचें।
फिस्टुला और बवासीर में क्या अंतर है?बवासीर और भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula) बवासीर में गुदा की रक्त वाहिकाओं और मलाशय के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। यह लंबे समय तक कब्ज और लंबे समय तक शौच में बैठने के कारण होता है। इसके अलावा मोटापे या गर्भवती महिलाओं को भी इसका खतरा रहता है।
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