गूगल तुम हिंदू हो कि मुस्लिम - googal tum hindoo ho ki muslim

                
                                                                                 
                            हमने अपना सारा विवेक हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई बनने में झोंक दिया लेकिन इंसान बनने की कोशिश नहीं की। लेकिन हम धार्मिक भी तो पूरे न हो पाए। जो हो जाते तो इतने झगड़े ही क्यूं होते। हर धर्म की किताब में लिखा है कि अच्छे इंसान बनो, यानी धर्म ने कहा कि धार्मिक होने से पहले इंसान बनो। यही साहिर की इस नज़्म का सार भी है। भाईचारे और शांति का संदेश देती यह नज़्म आप भी ज़रूर पढ़ें। यह 1959 की फ़िल्म 'धूल का फूल' में मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में सुनाई दी थी।
                                                                
                
                
                 
                                    
                     
                                             
                                                
                                                                
                                        
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तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा

2 years ago

कौमी एकता और भाईचारे की घिसी पिटी बातों को एक तरफ रखते हैं और आज ये मान लेते हैं कि भारत में हिन्दू मुसलमानों से और मुसलमान हिन्दुओं से नफरत करते हैं... इस बात ज्यादा आश्चर्य में पड़ने की जरूरत नहीं है. सोशल मीडिया का रुख करिए, रोज दंगा होता है. सुबह होते ही एक धड़ा दूसरे पर हमला बोल देता है. ऐसे में दूसरा भी खामोश नहीं रहता, पलटवार करता है. इसमें से हिंदू कौन है और मुसलमान कौन, ये ज्‍यादा दिमाग लगाने वाली चीज नहीं है. आज के हालात पर ये कहना गलत नहीं है कि सोशल मीडिया के आने के बाद नफरत के उन परिंदों को पंख मिल गए जिनके जीवन का एक ही उद्देश्य है- दूसरे समुदाय को अपशब्द कहना. एक वक़्त था जब लोग दिलों में कुंठा लिए थे, मगर इस बात से डरते थे कि अगर अपने दिल में बसी उस नफरत को वो लोगों के सामने लाएं तो समाज क्या कहेगा. लेकिन सोशल मीडिया ने अब ऐसा लोगों को बेपरवाह बना दिया है. सियासी कहा-सुनी देखते हुए देखते धार्मिक उलाहने पर पहुंचने लगी है.

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नफरत फैलाने के मामले में भी आज सोशल मीडिया समाज को बुरी तरह प्रभावित करता दिख रहा है

इस हफ्ते दो ऐसे मामले आए हैं, जिन्‍होंने हमारी सामाजिक संवेदनाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है. आखिर कितना जहर भरा है हमारे भीतर? दीगर धर्म वालों के साथ हम क्‍या करना चाहते हैं ? आखिर कौन सा बदला लेने के बाद हमारा गुस्‍सा शांत होगा ?

पहला मामला ट्विटर यूजर @pooja303singh और एयरटेल के बीच का है जबकि दूसरा मामला पत्रकार @AshrafAsad और ओला कैब के कारण लगातार सुर्खियां बटोर रहा है :

आइये सर्वप्रथम पहले मामले को समझा जाए और जाना जाए कि आखिर ऐसा क्या हुआ, जो स्थिति इतनी विकराल हो गई. प्रोडक्ट के खराब होने या फिर कस्टमर सैटिस्फैक्शन के चलते हममें से बहुत से लोग ट्विटर पर अपनी-अपनी शिकायतें दर्ज कराते हैं. @pooja303singh ने भी कराई, लेकिन पूजा ये चाहती थी कि जो भी रिप्रेजेन्टेटिव उनकी मदद को आए वो मुसलमान न हो, बल्कि हिन्दू हो. इस मांग के तर्क में पूजा के पास बस इतना जवाब है कि उन्हें मुसलमानों, उनके धर्मग्रन्थ क़ुरान और उनके काम के तौर-तरीकों पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं है. अतः जो भी रिप्रेजेन्टेटिव उनकी मदद को आए, वो गलती से भी मुसलमान न हो.

@airtelindia pathetic Airtel DTH customer service.I raised complaint for reinstallation of DHT.but assigned service engineer miss behaved with me. His words are "Tum Phone Rakho Dobara call mt krna " his number is+91 79-85195094.   This is how Airtel is looting it's customer.

— Pooja Singh ???????? (@pooja303singh) June 18, 2018

Hey, I most definitely appreciate you reaching out here! We’ll take a closer look into that & get back shortly with more information. Thank you, Shoaib

— Bharti Airtel India (@Airtel_Presence) June 18, 2018

Dear Shohaib, as you’re a Muslim and I have no faith in your working ethics because Kuran may have different version for customer service, thus requesting you to assign a Hindu representative for my request. Thanks

— Pooja Singh ???????? (@pooja303singh) June 18, 2018

अब आते हैं दूसरे मामले पर. दूसरा मामला दिल्ली का है, जहां असद अशरफ नाम के एक पत्रकार ने दिल्ली की बी.के. दत्त कॉलोनी से जामिया तक ओला से कैब बुक की. निर्धारित समय पर कैब आई और असद कैब में बैठ गए. लेकिन जैसे ही ड्राइवर को ये बात मालूम पड़ी कि असद जामिया जाना चाहते हैं, जो कि ओला ड्राइवर के हिसाब से एक मुस्लिम कॉलोनी है, उसने असद को बीच रास्ते में ही उतार दिया.

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ओला को भी जल्द से जल्द अपने कर्मचारी द्वारा की गयी इस हरकत का गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए

इस घटना के बाद असद ने ट्विटर पर अपने इस अनुभव को साझा किया. असद ने लिखा कि कैब ड्राइवर ने उन्हें यह कहकर डराया, धमकाया कि जामिया नगर कोई जाने की जगह नहीं है. वो एक मुस्लिम कॉलोनी है. जब असद ने ड्राइवर के इस बात का विरोध किया तो उसने अपने आदमियों को बुलाकर पीटने की धमकी दी.

@Olacabs your driver would have killed me for being a Muslim today. Where are your ethics ? @DelhiPolice . Screenshot of my complaint is here. pic.twitter.com/tXSGFvHcZA

— Asad Ashraf (@AshrafAsad) June 17, 2018

Specific to the shocking Incident that happened last night, we have off-roaded the driver. Ola, like India, believes in secularity & will never allow any sort of discrimination amongst its customers & driver partners. We stand by you & deeply apologise for the incident.

— Ola (@Olacabs) June 18, 2018

इन दोनों ही घटनाओं के बाद ट्विटर पर वही हो रहा है जो हमेशा से होता चला आ रहा है. एक वर्ग है जो पूजा और असद के साथ है, और दूसरा वर्ग है जो इनके विरोध में है. दोनों ही मामले हैशटैग और ट्रोलिंग की क्रांति की भेंट चढ़ चुके हैं. कुछ ने इन मामलों में चुटकी ली तो कुछ ने अपने-अपने रंग से इसे सांप्रदायिक रंग दे डाला. कहीं लोग पूजा हो सही ठहरा रहे हैं और ये कह रहे हैं कि उसने बिल्कुल सही किया तो कहीं लोगों ने ओला के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार की मुहीम छेड़ दी है.

yeh sb rayta muslims ka hi failaya hua hai jo world me terrorism faila rhe hai!

— Pawan Tirthwani (@PawanTirthwani) June 19, 2018

Dear Pooja, I work for customer service. I am sure u enjoyed bullying him. But can u believe it? many use same tone to us for being Indian too (be it hindu or muslim) coz people like u r real-racist & bigot. Imagine that now, how would u feel? An indian being bullied in ur tone?

— Chota Ketley (@NanoChipNote) June 18, 2018

Thats the best thing to do. I appreciate u doing it...

— Jatin Bansal (@jatinbansal) June 18, 2018

First the @Olacabs driver misbehavior with @AshrafAsad and now this airtel customer bigotry & hatred towards customer executive for being muslim. Instead of airtel reporting this tweet they are condoning it. Islamophobia & hatred is new normal now. New India Mubarak. #StopHate https://t.co/Rydp6ADcdh

— Nissar Noori (نوری) (@NHNoori) June 18, 2018

@bhash pic.twitter.com/5Ud6XwRZda

— Asma Rafat (@asmarafat) June 17, 2018

ट्विटर, फेसबुक, वॉट्सएप... सोशल मीडिया के इन प्‍लेटफॉर्म पर कुंठित दिमाग वाले जहर पका रहे हैं. जहर परोस रहे हैं. और जहर ही खा रहे हैं. और इस जहर के खाने से इस जहरीले समुदाय की तादाद कम होने के बजाए बढ़ ही रही है. हर सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर इन्‍हें अपने जैसे लोग मिलते जा रहे हैं, और इनका कारवां हुजूम बनता जा रहा है. ये उन लोगों को फॉलो कर रहे हैं, जो इनसे मिलती-जुलती बात करते हैं. नतीजा ये होता है कि यदि विचारों में कुंठा शामिल है, तो वह कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है. इसका नतीजा है पूजा और उस ओला कैब ड्रायवर जैसे लोग. जो कही-सुनी बातों पर अपनी धार्मिक राय तय कर रहे हैं. और उसे दूसरों पर थोपकर समाज को चौंका रहे हैं. परेशान कर रहे हैं.

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एयरटेल का मामला ये बता देता है कि अब भी हम हिन्दू मुस्लिम से ऊपर उठ कर नहीं सोच पा रहे हैं

सोशल मीडिया पर फैलते जहर से उपजते हैं शंभू रैगर जैसे दानव. जो हत्‍या करने के बाद लाश के सामने खड़े होकर विभत्‍स वीडियो बनाते हैं और फिर सोशल मीडिया पर पोस्‍ट करते हैं. उनके इस दुस्‍साहस को आसानी से समझा जा सकता है कि कुछ लोग उस वीडियो में शंभू की दलील पर सहमति जताते हैं.

खैर वर्तमान परिदृश्य में सुचिता इसी में है कि खुले तौर पर मान लिया जाए कि हमें एक दूसरे से बेपनाह नफरत है और इस नफरत के कारण हम सामने वाले की शक्ल तो क्या उसे जीवित तक नहीं देखना चाहते.

अब जाहिर है जब ऐसी चीजें होंगी तो नफरत आना और उसे कहीं न कहीं निकलना स्वाभाविक है. उपरोक्त मामलों में जो भी हुआ उसे देखकर ये कहना गलत नहीं है कि यदि 21 वीं सदी में भी हम हिन्दू-मुस्लिम से ऊपर नहीं उठ पाए हैं तो वाकई स्थिति दयनीय है जो भविष्य में बेहद विकराल रूप धारण कर हमारे सामने आने वाली है. याद रहे जो युद्ध आज ट्विटर और फेसबुक पर छिड़ा है कल सड़कों पर होगा. और तब जो लाशों के ढेर लगेंगे उस पर कफन ओढ़ाने का काम सोशल मीडिया नहीं कर पाएगा. इसलिए इस मध्‍यम को इसकी औकत में रखिए. लोगों से उस औकात का पालन करने का आग्रह कीजिए. 

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कितने मुस्लिम हिन्दू बने?

इसमें 96.63 करोड़ हिंदू और 17.22 करोड़ मुस्लिम हैं. भारत की कुल आबादी में 79.8% हिंदू और 14.2% मुस्लिम हैं. इनके बाद ईसाई 2.78 करोड़ (2.3%) और सिख 2.08 करोड़ (1.7%) हैं. बाकी बौद्ध और जैन धर्म को मानने वालों की आबादी 1% से भी कम है.

हिंदू मुस्लिम कैसे हुए?

ब्राह्मणों से मिलते हैं मुसलमानों के जीन... यह बात तो सभी जानते हैं कि हमारे देश में बाहर से आए ईरानी, तुर्की और अरबी मुगलों ने हिन्दू जनता को धर्मांतरित करके उन्हें मुसलमान बनाया। मुगल काल में खासकर औरंगजेब के काल में हिन्दुओं के पास तीन ही विकल्प थे, मौत, मुसलमान या जजिया कर।

इंसान पहले इंसान फिर हिंदू या मुसलमान या संदेश किसका है?

इंसान पहले इंसान, फिर हिंदू या मुसलमान' यह संदेश (अ) आचार्य तुलसी का है।

हिंदू बनने का तरीका क्या है?

हिन्दू धर्म लगभग ५००० साल से व्यवस्थित विकसित हुआ है और सात चरणों के रूप में देखा जा सकता है कि दूरबीन एक-दूसरे में है। कुछ हिंदुत्व के अधिवक्ताओं का मानना होगा कि १२,००० साल पहले हिमयुग के अंत तक हिंदू धर्म को अपने संपूर्ण रूप में ऋषियों के लिए प्रकट किया गया था।