ट्यूबरकुलोसिस को विश्व स्तर पर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या माना गया है। दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी, यानी लगभग दो अरब लोग टीबी रोग से संक्रमित हैं। अनुमान है कि हर साल लगभग 90 लाख लोग इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। 2020 तक करीब 20 करोड़ लोगों के इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका है (1)। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम टीबी से संबंधित हर प्रकार की जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। हम टीबी को होने से रोकने या फिर जिन्हें टीबी हैं, उनमें टीबी के लक्षण कम करने में मदद करने वाले कुछ घरेलू उपचार बता रहे हैं। वहीं, इस गंभीर बीमारी के संकेत मिलते ही तुरंत इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क किया जाना जरूरी है। Show
चलिए, सबसे पहले जान लेते हैं टीबी रोग कहते किसे हैं। विषय सूची
टीबी क्या है? – What is TB in Hindiट्यूबरकुलोसिस जिसे आम भाषा में टीबी के नाम से जाना जाता है, एक गंभीर बीमारी है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है। यह बैक्टीरिया अधिकतर फेफड़ों को निशाना बनाता है, लेकिन फेफड़े के साथ ही शरीर के अन्य अंग को भी यह नुकसान पहुंचा सकता है। यह हवा के माध्यम से फैलने वाली बीमारी है। जब टीबी रोग से ग्रसित व्यक्ति छींकता या खांसता है, तो माइकोबैक्टीरियम हवा के माध्यम से दूसरे व्यक्ति को अपना शिकार बना लेते हैं। अगर किसी का इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है, तो वो आसानी से टीबी रोग की चपेट में आ सकता है। अगर सही तरीके से इलाज न किया जाए, तो टीबी प्राणघातक भी साबित हो सकती है। टीबी बैक्टीरिया से संक्रमित लोगों को दवा देकर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है (2)। चलिए, अब एक नजर टीबी के प्रकार पर डाल लेते हैं। टीबी के प्रकार – Types of TB in Hindiटीबी रोग एक गंभीर बीमारी है, यह तो आप जानते ही हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि टीबी के प्रकार भी होते हैं। दरअसल, टीबी को दो प्रकार में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार है (3) (4): 1. लेटेंट टीबी (Latent TB): इस प्रकार के टीबी के दौरान शरीर में ट्यूबरकुलोसिस का बैक्टीरिया रहता है, लेकिन व्यक्ति को बीमार नहीं करता। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली कीटाणु को फैलने से रोकती है। इस प्रकार के टीबी से ग्रसित व्यक्ति में यह रोग नहीं फैलता है और कई मामलों में तो टीबी के लक्षण भी नजर नहीं आते हैं। ऐसे व्यक्ति संक्रामक नहीं होते, बल्कि टीबी ग्रसित संक्रामक (Infectious) लोगों से संक्रमित (Infected) होते हैं। ऐसे लोगों को एक्टिव टीबी होने का खतरा होता है। 2. एक्टिव टीबी (Active TB) : जब प्रतिरक्षा प्रणाली टीबी के बैक्टीरिया को पनपने से रोक नहीं पाता, तब टीबी बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। जब टीबी के जीवाणु सक्रिय होते हैं तो यह शरीर में गुणा यानी मल्टीप्लाई होने लगते हैं। इसे टीबी रोग व एक्टीव टीबी कहा जाता है। टीबी होने वाले लोग बीमार होते हैं। ये बैक्टीरिया एक से दूसरे व्यक्ति में फैलाते हैं, जिसके साथ संक्रमित व्यक्ति समय बिताते हैं। टीबी के प्रकार के साथ ही टीबी की साइट्स जानना भी जरूरी है। टीबी साइट्स यानी शरीर का वो हिस्सा जिसे टीबी प्रभावित करता है। टीबी साइट्स को तीन हिस्सों में बांटा गया है। नीचे हम विस्तार से इस बारे में बता रहे हैं। कहां-कहां होता है टीबी रोग – Sites of TB Diseaseआमतौर पर टीबी रोग फेफड़ों यानी लंग्स से संबंधित हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि टीबी रोग शरीर के अन्य हिस्सों को प्रभावित नहीं करता है। क्षय रोग के बैक्टीरिया की वजह से रीढ़ की हड्डी में टीबी, पेट का टीबी और बोन टीबी भी हो सकता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक टीबी रोग कहां-कहां होता है यह हम विस्तार से नीचे बता रहे हैं (5):
लेख के अगले हिस्से में हम टीबी के कारण के बारे में बता रहे हैं। टीबी के कारण – Causes of Tuberculosis in Hindiटीबी के कारण कुछ इस प्रकार हैं (6) (7):
आगे हम टीबी रोग के लक्षण के बारे में बता रहे हैं। इसके बाद टीबी का घरेलू इलाज के बारे में बताएंगे, जो टीबी के लक्षण को कम करने में मदद कर सकता है। टीबी अधिकतर फेफड़ों में ही होता है, जिसके कई तरह के लक्षण सामने आते हैं। नीचे हम टीबी के आम लक्षणों के बारे में बता रहे हैं (2):
वहीं, बोन टीबी के लक्षण में जोड़ों में दर्द, कमर दर्द व रीढ़ की हड्डी में दर्द शामिल हैं। चलिए, अब एक नजर टीबी के जोखिम कारकों पर भी डाल लेते हैं। टीबी के जोखिम कारक – Risk Factors of TB in Hindiवैसे तो टीबी के इलाज के लिए डॉक्टर से ही संपर्क करना चाहिए, लेकिन इसके लक्षण कम करने के लिए टीबी का घरेलू इलाज भी किया जा सकता है। इसके बारे में हम लेख में आगे विस्तार से बताएंगे। वैसे आमतौर पर टीबी रोग की चपेट में आने के ज्यादा जोखिम को दो श्रेणियों में बांटा जाता है (8) (9): 1. ऐसे व्यक्ति, जो हाल ही में टीबी के बैक्टीरिया से संक्रमित हुए हों :
2. ऐसी बीमारी व शारीरिक समस्या, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती होशिशुओं और छोटे बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अक्सर कमजोर होती है। इसके अलावा, किसी बीमारी से लड़ रहे लोगों में भी प्रतिरक्षा प्रणाली की कमी देखी जाती है, जो कुछ इस प्रकार हैं:
इसके अलावा धूम्रपान और अल्कोहल के सेवन से भी टीबी होने का खतरा हो सकता है। एक शोध के मुताबिक, धूम्रपान भी टीबी संक्रमण और बीमारी का जोखिम कारक है। घर के अंदर वायु प्रदूषण यानी खाना पकाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लकड़ियों से निकलने वाला घुआं और कुषोषण को भी टीबी का जोखिम कारक माना गया है। टीबी के इलाज के लिए वैसे तो डॉक्टर से ही संपर्क करना चाहिए, लेकिन इसके लक्षण कम करने के लिए टीबी का घरेलू इलाज भी किया जा सकता है। आइए, अब इस बारे में ही जानते हैं। टीबी के लिए कुछ घरेलू उपाय – Home Remedies for TB in Hindi1. विटामिन-डीसामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: विटामिन-डी की कमी वालों में टीबी होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए, माना जाता है कि विटामिन-डी का सेवन करने और सुबह के समय सूरज की पहली किरणों में बैठने से ट्यूबरकुलोसिस के खतरे से बचा जा सकता है। विटामिन-डी के माध्यम से टीबी की समस्या पैदा करने वाले माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के संक्रमण को रोकने और इससे होने वाली समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। दरअसल, विटामिन-डी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के साथ ही साइटोकिन (प्रोटीन की श्रेणी) के उत्पादन में सहायता करता है। इससे टीबी के बचाव के साथ ही इसके लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है (10)। अगर आप विटामिन-डी के सप्लीमेंट लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछें। 2. एसेंशियल ऑयलसामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: इन तीनों एसेंशियल ऑयल को लेकर किए गए एक अध्ययन की मानें, तो ये एंटीमाइकोबैक्टीरियल (Antimycobacterial) गुणों से भरपूर होते हैं। ये गुण टीबी के बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। इसलिए, माना जाता है कि इन एसेंशियल ऑयल का इस्तेमाल करके ट्यूबरकॉलोसिस के लक्षण से बचने में मदद मिल सकती है। साथ ही इससे बचाव भी किया जा सकता है (11)। 3. ग्रीन टीसामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन टी सहित विभिन्न चाय की पत्तियों में एपिग्लोकैटेचिन-3-गैलेट (ईजीसीजी) नामक पॉलीफेनोल्स मौजूद होते हैं। माना जाता है कि यह गुण ट्यूबरकुलोसिस के जीवाणु को बढ़ने से रोक सकता है। इसलिए, टीबी की रोकथाम और बचाव के लिए ग्रीन टी का नियमित सेवन करना अच्छा माना गया है। ग्रीन टी के साथ ही काली और ऊलोंग (Oolong) चाय का सेवन भी किया जा सकता है (12)। 4. प्रोबायोटिक (Probiotics)सामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: प्रोबायोटिक्स एक तरह के जीवित सूक्ष्म जीव यानी लाइव माइक्रोऑर्गेनिजम होते हैं। इन्हें स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। दरअसल, प्रोबायोटिक्स में बैक्टीरिया-न्यूट्रलाइजिंग यानी जीवाणु को बेअसर करने का प्रभाव पाया जाता है। इसलिए, माना जाता है कि यह टीबी को बढ़ने से रोकने के साथ ही इससे लड़ने में भी मदद कर सकते हैं। प्रोबायोटिक्स योगर्ट व फर्मेंटिड मिल्क जैसे खाद्य पदार्थों में मौजूद होते हैं (13) (14) (15)। 5. लहसुनसामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: लहसुन टीबी के बैक्टीरिया को फैलने से रोकने में मदद करता है। दरअसल, इसमें एलिसिन (Allicin) और अजिन (Ajoene) नामक यौगिक होता है, जो एंटीमाइकोबैक्टीरियल (Antimycobacterial) गुण प्रदर्शित करता है। यह टीबी के बैक्टीरिया से भी लड़ने में लाभदायक होता है। इसलिए, माना जाता है कि लहसुन ट्यूबरकुलोसिस को रोकने और क्षय रोग के लक्षण को कम करने में सहायक हो सकता है (16)। [ पढ़े: Lahsun Khane Ke Fayde in Hindi ] 6. आंवला (Indian Gooseberry)सामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: आंवले में मौजूद विटामिन-सी शरीर में बतौर एंटीऑक्सीडेंट काम करता है। इसलिए, यह ट्यूबरकुलोसिस, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपचार के लिए जरूरी माना जाता है (17)। वहीं, जवारिश (Jawarish) आंवला का सेवन करने से टीबी के लक्षण और टीबी की दवा, जैसे डॉट्स की वजह से होने वाली समस्याएं – जी-मिचलाना, उल्टी आदि से कुछ राहत पाने में मदद मिल सकती है। जवारिश आंवला मीठा, अर्ध-ठोस और दानेदार होता है। यह आंवला (Emblica officinalis) गाय के दूध और चीनी को मिलाकर बनाया जाता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाने और लिवर को मजबूत बनाने का भी काम कर सकता है (1)। 7. साबूत काली मिर्चसामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: आमतौर पर लोग काली मिर्च का इस्तेमाल घरघराहट और छींकों को कम करने के लिए करते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल घर में टीबी का इलाज यानी इसके लक्षणों को कम करना और इससे बचाव के लिए भी किया जा सकता है। दरअसल, काली मिर्च में पिपेरिन नामक घटक पाया जाता है, जो इम्युनोमॉड्यूलेटरी एक्टिविटी की क्षमता रखता है। इसकी मदद से शरीर जरूरत के हिसाब से बैक्टीरिया से लड़ता है और माइकोबैक्टीरियल को पनपने से रोकता है (18) (19)। 8. सहजन (Drumstick) के पत्तेसामग्री:
उपयोग का तरीका:
कितनी बार इस्तेमाल करें:
कैसे लाभदायक है: सहजन की पत्तियां सीधे तौर पर टीबी व क्षय रोग के लिए लाभदायक नहीं होती हैं, लेकिन माना जाता है कि इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबियल गुण ट्यूबरकुलोसिस से संबंधित बैक्टीरिया को शरीर में पनपने से रोक सकता है (20)। फिलहाल, इस संबंध में और वैज्ञानिक अध्ययन किए जाने की जरूरत है। नोट: ध्यान रखें कि टीबी एक गंभीर बीमारी है। अगर किसी को भी टीबी के लक्षणों का अनुभव होता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह एक गंभीर स्थिति है, जिसके लिए चिकित्सकीय परामर्श और इलाज जरूरी है। घरेलू उपचार टीबी का इलाज नहीं, बल्कि इस बीमारी के लक्षणों को कम करने और इसके बैक्टीरिया को फैलने से रोकने में मदद कर सकता है। घर में क्षय रोग उपचार कैसे किया जाता है, यह तो आप जान ही चुके हैं। अब हम टीबी का निदान और इलाज के बारे में बता रहे हैं। टीबी का निदान और इलाज – TB Treatment in Hindiटीबी रोग जैसी गंभीर स्थिति का समय पर निदान और इलाज जरूरी है। इसको लेकर पूरी जानकारी हम नीचे आपको दे रहे हैं। टीबी की बीमारी का निदान: टीबी का निदान करने के लिए टीबी की जांच करना जरूरी है। क्षय रोग से कोई ग्रसित है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए टीबी स्किन और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं। इससे सिर्फ यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति को टीबी की बीमारी है या नहीं, लेकिन यह नहीं पता चलता कि व्यक्ति को लेटेंट टीबी है या एक्टिव टीबी। इसके लिए आगे कई अन्य टेस्ट किए जाते हैं, जैसे – चेस्ट एक्स-रे और थूक का नमूना लिया जाता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि व्यक्ति को लेटेंट टीबी है या एक्टिव टीबी रोग (21)। टीबी की बीमारी का इलाज: टीबी रोग का इलाज संभव है। 6 से 9 महीने तक कई दवाओं का सेवन करके टीबी का इलाज किया जा सकता है। वर्तमान में टीबी के इलाज के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) द्वारा 10 दवाएं अनुमोदित की गई हैं। टीबी की दवा कुछ इस प्रकार हैं :
इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 1990 के दशक की शुरुआत से टीबी के इलाज और स्वास्थ्य देखभाल में सुधार करने के लिए शॉर्ट कोर्स डॉट – DOT (डायरेक्टली ऑबसर्बड ट्रीटमेंट – Directly observed treatment) की सिफारिश की थी। इसे टीबी रोग के इलाज के लिए अभी भी भारत व अमेरिका जैसे कई देशों में इस्तेमाल किया जाता है (22)। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार डॉट कई तरह से टीबी रोगी की मदद भी करता है, जो कुछ इस प्रकार है (23):
वैसे अगर किसी को अंग्रजी दवाओं से एलर्जी है, तो एक विकल्प टीबी का आयुर्वेदिक इलाज भी हो सकता है। ध्यान रहे कि आयुर्वेदिक डॉक्टर से टीबी के इलाज के लिए तभी संपर्क किया जा सकता है, जब समस्या ज्यादा गंभीर न हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि टीबी का आयुर्वेदिक इलाज अपना असर दिखाने में समय लेता है। आगे हम टीबी से ग्रसित होने पर किस आहार का सेवन करना चाहिए, इस बारे में बता रहे हैं। क्षय रोग में आहार के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें यह लेख। टीबी में आहार – Diet for TB in Hindiट्यूबरकुलोसिस के लिए क्षय रोग उपचार के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करना जरूरी है, क्योंकि क्षय रोग में आहार की अहम भूमिका होती है। टीबी पीड़ित कुछ इस तरह की डाइट को फॉलो कर सकते हैं (24) (25)।
नोट: अगर ऊपर बताई गई किसी खाद्य सामग्री में से एलर्जी हो, तो उसका सेवन न करें। साथ ही इनमें कुछ ऐसा हो, जो पसंद न हो, तो उसे किसी अन्य पौष्टिक खाद्य पदार्थ से बदल सकते हैं।
टीबी को फैलने से रोकने के कुछ टिप्स नीचे बता रहे हैं। टीबी से बचाव – Prevention Tips for TB in Hindiटीबी रोग को बढ़ने और फैलने से रोकना ही इसके रोकथाम की कुंजी कहलाता है। टीबी की संक्रामकता को रोकने के लिए सक्रिय टीबी रोग का प्रारंभिक निदान और उपचार जरूरी है। टीबी से बचने के कुछ जरूरी टिप्स हम नीचे बता रहे हैं (26) (27)।
अगर कोई टीबी से प्रभावित है तो उसे टीबी को फैलने से रोकने के लिए इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
टीबी रोग के बारे में विस्तार से हम आपको जानकारी दे चुके हैं। किसी में भी टीबी से संबंधित लक्षण नजर आने पर, सीधे डॉक्टर के संपर्क करना चाहिए। साथ ही टीबी के लक्षण को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए डाइट और टीबी के घरेलू इलाज का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बस इतना ध्यान रखें कि पूरी तरह से घरेलू उपचार और डाइट पर निर्भर रहना ठीक नहीं है, क्योंकि टीबी एक गंभीर रोग है। इसका संपूर्ण इलाज किया जाना जरूरी है। अब, नीचे हम टीबी से संबंधित पाठकों द्वारा पूछे गए कुछ सवाल के जवाब दे रहे हैं। इनके अलावा अगर आपके जहन में कुछ अन्य सवाल हों, तो उन्हें नीचे दिए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं। अक्सर पूछे जाने वाले सवालटीबी के इलाज के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? टीबी का इलाज महीनों तक चलता है। क्षय रोग के निर्धारित उपचार के पूरे होने के बाद एक बार फिर टीबी की जांच करवा लेनी चाहिए। इससे यह साफ हो जाएगा कि टीबी के बैक्टीरिया से पूरी तरह से छुटकारा मिल चुका है। साथ ही टीबी रोग के फिर से होने की आशंका से बचने के लिए लेख में ऊपर बताए गए टिप्स को अपनाया जा सकता है। टीबी शरीर में कब तक रहता है? शरीर को क्षय रोग के बैक्टीरिया से छुटकारा पाने में कम से कम छह महीने लगते हैं। दरअसल, 6 से 9 महीने तक दवाओं का सेवन करके टीबी रोग का इलाज किया जाता है (23)। टीबी परीक्षण कैसे काम करता है? टीबी रोग के संक्रमण का पता लगाने के लिए दो प्रकार से टीबी की जांच की जाती है, एक टीबी स्किन टेस्ट और दूसरा टीबी ब्लड टेस्ट। स्किन टेस्ट में बांह के निचले हिस्से की त्वचा में तरल पदार्थ (जिसे ट्यूबरकुलिन कहा जाता है) की छोटी-सी मात्रा को इंजेक्ट किया जाता है। अगर इंजेक्शन वाले क्षेत्र के चारों ओर की त्वचा एक-दो दिन में कठोर और लाल हो जाती है, तो टीबी हो सकता है। इसके अलावा, दूसरा ब्लड टेस्ट किया जाता है, जिसकी जांच के बाद पता चलता है कि रक्त में टीबी रोग के बैक्टीरिया मौजूद हैं या नहीं (28)। डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? टीबी रोग के लक्षण, जैसे – खांसी, सीने में दर्द, थकान, बुखार, वजन घटना व रात को पसीना आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। टीबी का इलाज और टीबी की दवा जितनी जल्दी शुरू होगी, उतना क्षय रोग के फैलने और बढ़ने का खतरा कम होगा। और पढ़े:
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सरल जैन ने श्री रामानन्दाचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, राजस्थान से संस्कृत और जैन दर्शन में बीए और डॉ. सी. वी. रमन... more क्या गले में टीबी हो सकती है?जब टीबी के बैक्टीरिया फेफड़ों के अलावा शरीर के दूसरे अंग जैसे ब्रेन, लिवर, पेट, गले आदि को प्रभावित करते हैं तो इन्हें एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी का एक रूप लिम्फ नोड (Lymph Node Tuberculosis) कहलाता है। लसिका प्रणाली या गर्दन की गंडमाला में होने वाली टीबी लिम्फ नोड टीबी कहलाती है।
गले की टीबी की जांच कैसे होती है?जब भी लक्षण दिखें, तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। गले या पैर में गिल्टी, वजन में कमी, खांसी आना, बुखार, अधिक पसीना आना, सांस फूलना, सीने में दर्द, कमजोरी, थकान, ठंड लगना, खाने में अरुचि आदि गिल्टी टीबी के लक्षण हैं।
टीबी के मरीज की पहचान कैसे करें?छाती में दर्द, खांसी में खून आना, थकान, रात में पसीना आना, ठंड लगना, बुखार, भूख ना लगना और वजन कम हो जाना इसके मुख्य लक्षण हैं. अगर आपको इनमें से कोई लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क कर अपना टेस्ट कराएं. टीबी के कारण- फ्लू की तरह हवा के जरिए फैलने वाले बैक्टीरिया से टीबी होता है.
टीवी में खांसी कैसे होती है?टीबी की खांसी में थूक, कफ और बलगम आता है, जो गले या फेफड़ों से लार और बलगम का मिश्रण है. जिन लोगों को लेटेन्ट टीबी होता है वो बीमार नहीं पड़ते और उनमें लक्षण नज़र नहीं आते. ऐसे लोग दूसरों को बीमारी नहीं फैलाते हैं. हालांकि जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उनका टीबी बढ़कर एक्टिव हो सकता है.
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