गर्भधारण का शुभ मुहूर्त 2022 january - garbhadhaaran ka shubh muhoort 2022 january

संतान भाग्य से ही प्राप्त होती है। स्वस्थ संतान के लिए माता-पिता का स्वास्थ्य भी महत्वपूर्ण है। चंद्र, मंगल, रवि एवं बृहस्पति 'गर्भाधान' में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बशर्ते कुंडली में संतान प्राप्ति के योग हों। चंद्रमा तिथि, रवि माह तथा बृहस्पति गर्भाधान का वर्ष बताता है। शनि एवं बृहस्पति की दशा गर्भ को पुष्ट करती है।

स्त्री के मासिक धर्म का संबंध चंद्रमा के भ्रमण तथा मंगल के प्रभाव से है। जन्म कालीन चंद्रमा से 3, 6, 10 या 11वें भाव में चंद्रमा हो तथा मंगल से संबंध हो तब का मासिक धर्म 'गर्भ धारण' का कारण बन सकता है। स्त्री व पुरुष की चंद्र राशि से प्रथम, पंचम, सप्तम या एकादश भाव में गोचरस्थ शनि व बृहस्पति गर्भ की स्थिति निर्मित करते हैं। लग्न से पंचम या नवम भाव से शनि तथा पंचम भाव से बृहस्पति का गोचर गर्भधारण करवा सकता है। मंगल-शुक्र की परस्पर युति या पूर्ण दृष्टि संबंध तथा उसका लग्न, पंचम या एकादश भाव से संबंध गर्भधारण की स्थिति निर्मित करता है।
फलित ज्योतिष में गर्भाधान के अनेक योगों का उल्लेख आया है। इसी तरह गर्भ के सुरक्षित या पुष्ट होने के योग भी प्राप्त होते हैं। गर्भाधान के समय व्यय भाव का स्वामी शुभ ग्रहों की संगति तथा प्रभाव में हो तथा चंद्रमा केन्द्र या त्रिकोण भाव में हो तो गर्भ सुरक्षित रहता है। लग्न पर सूर्य का प्रभाव हो तो बच्चे व माता दोनों सुरक्षित रहते हैं। गर्भाधान के समय रवि लग्न, तृतीय, पंचम या नवम भाव में हो तथा इनके स्वामी से एक भी संबंध हो तो गर्भ सुरक्षित रहता है तथा भाग्यशाली व दीर्घायु मानव जन्म होता है।

पंचम लग्न या एकादश भाव पर प्रसव के समय मंगल व शनि का प्रभाव हो, या इन भावों के स्वामी इन ग्रहों के प्रभाव में हों तब शल्य क्रिया से संतान का जन्म होता है। भारतीय ज्योतिष ने संतान संख्या, संतान का लिंग, संतानोत्पत्ति के समय स्त्री के आसपास का वातावरण, पिता की स्थिति, गर्भाधान के समय माता-पिता की मनःस्थिति पर विस्तार से प्रकाश डाला है। इसके लिए जन्म कुंडली के साथ सप्तमांश व नवांश कुंडली के विभिन्न योगों का फलित ग्रंथों में विस्तार से वर्णन है। 'गर्भपात' संतान चाहने वाले दंपतियों के लिए एक दुःखद स्थिति है। इसके अतिरिक्त समय से पूर्व अविकसित प्रसव भी कष्टदायक है। फलित ज्योतिष ने इस विषय पर भी प्रकाश डाला है।

सप्ताह का ज्ञान
सबके बारे में उल्टे विचार, सबके अंदर कमीं खोजने की आदत हमें मुश्किलों में डाल देती है। आध्यात्मिक अवधारणा कहती है कि अपने कर्म उलट कर स्वयं पर अवश्य आते हैं।

प्रश्न: कुंडली में अगर मंगल अपने घर में हो तो अच्छा है या बुरा? – ज्योत्सना निहलानी
उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि जन्म कुंडली में यदि मंगल स्वघर का हो, तो व्यक्ति साहसी, दयालु, दबंग, मित्रों का परम मित्र और शत्रुओं का महाशत्रु होता है। स्वघर का मंगल यदि लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, और द्वादश भाव में हो तो मांगलिक होते हुए भी मंगल की तीव्रता में बेहद कमी हो जाती है। यदि स्वघर का मंगल लग्न या पराक्रम भाव में हो, तो ऐसे व्यक्ति अपनी निर्भीकता, साहस और हिम्मत के लिए बहुत दिनों तक याद किए जाते हैं और यदि स्वग्रही मंगल पराक्रम भाव में हो, तो व्यक्ति सफल प्रशासक बन कर उच्च पद पर आसीन होता है। अगर स्वग्रही मंगल कर्म या लाभ भाव में हो तो कुलदीपक/ दीपिका योग बना कर कुल कुटुंब में सर्वश्रेष्ठ स्थिति प्रदान करता है।

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प्रश्न: गर्भाधान के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त कौन सा है? – ऋचा गुप्ता
उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं की ज्योतिष के नियमों के अनुसार ऋतुकाल से चौदहवीं रात्रि को गर्भ धारण के लिए सर्वोत्तम माना गया है। जो भाग्यशाली दीर्घायु, गुणवान, और चतुर संतान का कारक है। किसी भी महीने में, विशेष रूप से माघ, फाल्गुनी या चैत्र मास में अगर रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, पुनर्वसु, पुष्य, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, उत्तराषाढ़ा और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र हो, साथ में अष्टमी, दशमी और द्वादशी तिथि के संग सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार हो तो यह योग सर्वोत्तम है। शनिवार और मंगलवार को गर्भधारण शुभ फल नहीं देता।गर्भधारण के दरम्यान पति-पत्नी दोनों का चंद्रमा बलवान होना आवश्यक है।

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प्रश्न: भाग्येश किस ग्रह को कहा जाता है। – अलौकिक नारायण
उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि जन्म कुंडली में नवम भाव को धन भाव कहा जाता है। इस भाव में जो भी राशि हो, उसके स्वामी ग्रह को भाग्येश या भाग्य का स्वामी कहा जाता है। उदाहरण के लिए यदि वहां 1 लिखा हो तो मंगल, 2 लिखा हो तो शुक्र, 3 हो तो बुध, 4 हो तो चंद्रमा, 5 सूर्य, 6 बुध, 7 शुक्र, 8 मंगल, 9 बृहस्पति, 10 शनि, 11 शनि और यदि वहां 12 लिखा हो, तो बृहस्पति भाग्य भाव के स्वामी यानि भाग्येश कहलाएंगे।

अगर, आप भी सद्गुरु स्वामी आनंद जी से अपने सवालों के जवाब जानना चाहते हैं या किसी समस्‍या का समाधान चाहते हैं तो अपनी जन्‍मतिथ‍ि, जन्‍म समय और जन्‍म स्‍थान के साथ अपना सवाल पर मेल कर सकते हैं।

गर्भधारण का शुभ मुहूर्त 2022 january - garbhadhaaran ka shubh muhoort 2022 january

सद्‌गुरुश्री स्वामी आनंदजी

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गर्भधारण करने के लिए कौन सा महीना अच्छा होता है?

उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि शीतकाल में विशेष रूप से माघ और फाल्गुन माह में धारण गर्भ उत्तम संतान का बीजारोपण करते हैं। यानी जो बच्चे जो अक्टूबर से दिसंबर के मध्य जन्म लेते हैं, उनके जीवन में संघर्ष का परिमाण अन्य लोगों से कम होता है। कभी-कभी यह स्थिति सितंबर के मध्य से लेकर जनवरी के मध्य तक निर्मित होती है।

कौन सी तिथि को गर्भ धारण करना चाहिए?

-वार के हिसाब से सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन कंसीव करना अच्छा माना गया है. वहीं अष्टमी, दशमी द्वादशी और तिथि भी गर्भधारण के लिए शुभ माने गए हैं. -शुद्ध होने के सात दिनों तक गर्भधारण के प्रयास से बचना चाहिए क्योंकि इन दिनों महिला का शरीर कमजोर होता है.

कौन से नक्षत्र में गर्भ धारण करना चाहिए?

नक्षत्रगर्भधारण संस्कार के लिए तीनों उत्तरा, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा, रोहणी, स्वाति, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा आदि नक्षत्र शुभ होते हैं। वार – गर्भधारण संस्कार के लिए रविवार, मंगलवार और शनिवार को वर्जित माना गया है।

2022 में शुभ मुहूर्त कौन कौन से हैं?

अप्रैल 2022 में विवाह के शुभ मुहूर्त: 15, 16, 17, 19, 20, 21, 22, 23, 24 और 27 तारीख को विवाह करना शुभ होगा। 5. मई 2022 में विवाह के शुभ मुहूर्त: 02, 03 (अक्षय तृतीया), 09, 10, 11, 12, 15, 17, 18, 19, 20, 21, 26, 27 और 31 तारीख को शादी करना शुभ रहेगा।

मंगलवार को गर्भ धारण करने से क्या होता है?

शनिवार और मंगलवार को गर्भधारण शुभ फल नहीं देता। गर्भधारण के दरम्यान पति-पत्नी दोनों का चंद्रमा बलवान होना आवश्यक है। उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि जन्म कुंडली में नवम भाव को धन भाव कहा जाता है। इस भाव में जो भी राशि हो, उसके स्वामी ग्रह को भाग्येश या भाग्य का स्वामी कहा जाता है।