पूर्णिमा कितने प्रकार की होती है? - poornima kitane prakaar kee hotee hai?

पूर्णिमा कितने प्रकार की होती है? - poornima kitane prakaar kee hotee hai?

पूर्णिमा तिथि 2021 - फोटो : अमर उजाला

हिन्दू पंचांग में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है। यह शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि होती है। हर माह में प्रत्येक पूर्णिमा तिथि आती है। इस प्रकार एक साल में 12 पूर्णिमा तिथि होती हैं। पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है। शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा तिथि को विशेष लाभकारी और पुण्यदायी तिथि माना गया है। इस दिन दान, स्नान और व्रत रखने की परंपरा होती है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा
ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। ज्योतिष की लगभग प्रत्येक गणना में चंद्रमा को केन्द्र में रखकर भविष्यवाणी की जाती है। पूर्णिमा के दिन महान साधु संतों का जन्म दिन और त्योहार मनाया जाता है।

पूर्णिमा का वैज्ञानिक महत्व
चांद का गहरा संबंध पृथ्वी पर मौजूद जल से होता है। जब भी पूर्णिमा की तिथि आती है उस दिन समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। वैज्ञानिक नजरिए से पूर्णिमा के दिन चंद्रमा समुद्र के पानी को ऊपर की ओर खींचता है। पूर्णिमा के दिन जल की गति और गुण बदल जाने के कारण इसका प्रभाव मनुष्यों के शरीर पर भी पड़ता है क्योंकि मनुष्यों के शरीर में लगभग 80 फीसदी पानी होता है। वैज्ञानिक मत के अनुसार पूर्णिमा के प्रभाव से मनुष्यों के रक्त में न्यूरॉन कण अधिक क्रियाशील हो जाते है जिसके कारण इस दिन मनुष्यों के स्वभाव में परिव्रर्तन आ जाता है।

जानिए साल 2021 में कब-कब पड़ेगी पूर्णिमा तिथि

पूर्णिमा तारीखें
पौष पूर्णिमा 28 जनवरी, बृहस्पतिवार
माघ पूर्णिमा 27 फरवरी, शनिवार
फाल्गुन पूर्णिमा 28 मार्च, रविवार
चैत्र पूर्णिमा 26 अप्रैल, सोमवार
बुद्ध पूर्णिमा 26 मई, बुधवार
ज्येष्ठ पूर्णिमा जून 24, बृहस्पतिवार
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत जुलाई 23, शुक्रवार
श्रावण पूर्णिमा 22 अगस्त, रविवार
भाद्रपद पूर्णिमा 20 सितंबर, सोमवार
आश्विन पूर्णिमा 20 अक्तूबर, बुधवार
कार्तिक पूर्णिमा 18 नवंबर, बृहस्पतिवार
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 18 दिसंबर, शनिवार

पूर्णिमा हिंदू कैलेंडर अर्थात पंचांग  की बहुत ही खास तिथि होती है। धार्मिक रूप से पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व माना जाता है।  दरअसल पंचांग में तिथियों का निर्धारण चंद्रमा की चढ़ती उतरती कलाओं के आधार पर किया गया है जिस तिथि को चंद्रमा अपने पूरे आकार में दिखाई देता है वह तिथि पूर्णिमा कहलाती है। जिस तिथि को चंद्रमा दिखाई ही नहीं देता वह तिथि अमावस्या कहलाती है। अमावस्या पश्चात पड़ने वाली तिथि को चंद्र दर्शन की तिथि माना जाता है चंद्र दर्शन से पूर्णिमा तक के पूरे पखवाड़े को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। पूर्णिमा (Purnima) का एक महत्व यह भी है कि इस दिन पूर्णिमांत माह की समाप्ति भी होती है।

पूर्णिमा तिथि (purnima tithi) का नाम सौम्य और बलिष्ट भी है, क्योंकि इस तिथि पर चंद्रमा का बल अधिक होता है और उसमें आकर्षण की शक्ति बढ़ जाती है। इसे हिंदी में  पौर्णमासी को 'महाचैत्री', 'महाकार्तिकी', 'महा पौषी कहा जाता है। पूर्णिमा तिथि का निर्माण शुक्ल पक्ष में तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा का अंतर 169 डिग्री से 180 डिग्री अंश तक होता है। पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्रदेव को माना गया है। सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए इस तिथि में जन्मे जातकों को भगवान विष्णु और चंद्रदेव की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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पूर्णिमा तिथि में जन्मे जातक

पूर्णिमा तिथि में जन्मे जातक बुद्धिमान और संपत्तिवान होते हैं। इन लोगों का मनोबल बहुत अधिक होता है, इसलिए परेशानियों से हार नहीं मानती हैं। इन व्यक्तियों में कल्पनाशक्ति की अच्छी होती है और भीड़ में अपनी अलग पहचान बना ही लेते हैं। चंद्रमा की वजह से ये जातक भावनात्मक, कलात्मक, सौंदर्यबोध, रोमांस, आदर्शवाद जैसी बातों पर अमल करते हैं। इस तिथि में जन्मे लोग महत्वाकांक्षी भी होते हैं लेकिन जल्दबाजी में बहुत रहते हैं। 

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पूर्णिमा का महत्व

पूर्णिमा तिथि हिंदू धर्म में बहुत मायने रखती है। बुध, कबीर, रैदास जैसी महान आत्माओं से लेकर रक्षाबंधन, होली जैसे त्यौहार भी पूर्णिमा तिथि पर ही मनाये जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है। चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। इस दिन चूंकि चंद्रमा अपने पूरे आकार में होता है इसलिये जातकों के मन पर चंद्रमा का प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें तो पूर्णिमा तिथि की अहमियत होती है। इस दिन समुद्रों में ज्वारभाटा आता है। चंद्रमा पानी को आकर्षित करता है। मनुष्य के शरीर में भी 70 फीसदी पानी होता है। इसलिये मनुष्य के स्वभाव में भी इस दिन परिवर्तन आता है।

क्या करें और क्या ना करें

सुख, सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति के लिए इस तिथि पर सत्यानारण का पाठ करवाना उत्तम रहता है। पूर्णिमा तिथि पर गृह निर्माण, नया वाहन, गहने या कपड़ों की खरीदारी, शिल्प, मांगलिक कार्य, उपनयन संस्कार, सत्यनारायण की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस तिथि पर यात्रा करना भी अच्छा होता है। वहीं दूसरी ओर ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का कारक है। इस वजह से पूर्णिमा तिथि पर यह मन में काफी प्रभाव डालता है। यह मन को बैचन करता है और क्रोध, चिड़चिड़ाहट और नकारात्मकता भी ला सकता है। इसलिए बेहतर है कि आप किसी से बहस कतई ना करें।

2022 में कब-कब हैं पूर्णिमा तिथि

हिंदू वर्ष कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक मास में एक पूर्णिमा तिथि होती है। इस प्रकार 12 महीनों में 12 तिथियां पूर्णिमा की होती हैं। वर्ष 2022 में पूर्णिमा (purnima 2022) की तिथियां इस प्रकार हैं-

पूर्णिमा 2022

दिनांक 

पौष पूर्णिमा

जनवरी 17, 2022, सोमवार

माघ पूर्णिमा

फरवरी 16, 2022, बुधवार

फाल्गुन पूर्णिमा

मार्च 18, 2022, शुक्रवार

चैत्र पूर्णिमा

अप्रैल 16, 2022, शनिवार

वैशाख पूर्णिमा

मई 16, 2022, सोमवार

ज्येष्ठ पूर्णिमा

जून 14, 2022, मंगलवार

आषाढ़ पूर्णिमा

जुलाई 13, 2022, बुधवार

श्रावण पूर्णिमा

अगस्त 12, 2022, शुक्रवार

भाद्रपद पूर्णिमा

सितम्बर 10, 2022, शनिवार

आश्विन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा)

अक्टूबर 9, 2022, रविवार

कार्तिक पूर्णिमा

नवम्बर 8, 2022, मंगलवार

मार्गशीर्ष पूर्णिमा

दिसम्बर 8, 2022, बृहस्पतिवार

✍️ By- टीम एस्ट्रोयोगी

पूर्णिमा कितने प्रकार के होते हैं?

पूर्णिमा के पर्व.
चैत्र की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है।.
चैत्र की पूर्णिमा के दिन प्रेम पूर्णिमा पति व्रत मनाया जाता है।.
वैशाख की पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती मनाई जाती है।.
ज्येष्ठ की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री मनाया जाता है।.
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू-पूर्णिमा कहते हैं।.

पूर्णिमा का दूसरा नाम क्या है?

शरद पूर्णिमा, जिसे कोजागरी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा भी कहते हैं; हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चन्द्रमाँ सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं।

साल में कितनी पूर्णिमा होती है?

साल की 12 पूर्णिमा का अपना महत्व है. इन तिथियों पर वेद व्यास, गौतम बुद्ध जैसे महात्माओं का जन्म भी हुआ है.

सबसे बड़ी पूर्णिमा कौन सी है?

कार्तिक पूर्णिमा के दिन तमिलनाडु मै अरुणाचलम पर्वत की १३ किमी की परिक्रमा होती है। सब पूर्णिमा मै से ये सबसे बड़ी परिक्रमा कहलाती है । लाखो लोग यहां आकर परिक्रमा करके पुण्य कमाते है । अरुणाचलम पर्वत पर कार्तिक स्वामी का आश्रम है वहां उन्होंने स्कंदपुराण का लिखान किया था ।