गर्भावस्था में मिट्टी खाने से क्या होता है? - garbhaavastha mein mittee khaane se kya hota hai?

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पानीपत. जिलेके सरकारी निजी स्वास्थ्य केंद्रों में हर माह औसतन 2 हजार महिलाओं की डिलीवरी होती है। इनमें से 70 प्रतिशत डिलीवरी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में होती है। 

हर रोज सरकारी निजी स्वास्थ्य केंद्रों में लगभग 800 महिलाएं जांच के लिए जाती हैं। डॉक्टरों के अनुसार जिले की 70 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में खून की कमी है। इसका सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था के दौरान फल सब्जी खाने की बजाय मुल्तानी मिट्टी, मिट्टी, कोयला राख का सेवन है। डॉक्टरों के अनुसार इन महिलाओं में आयरन कैल्शियम की कमी होती है। जिस कारण उनका यह अजीबो गरीब चीजें खाने का मन करता है। इसी के कारण गर्भवती के पेट में कीड़े होना आम बात हो जाती है। शरीर में पूर्ण मात्रा में खून नहीं बन पाता। इस सबसे दुष्प्रभाव बच्चें की ग्रोथ पर पड़ता है। खून की कमी के कारण डिलीवरी के दाैरान 1 हजार में से 11 महिलाओं की मौत हो जाती है। 

महिलाओं में औसतन मिलता है 6 से 8 ग्राम ही खून, 12 ग्राम होना चाहिए 
जिलेकी लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं में खून की मात्रा काफी कम मिलती है। गर्भवती महिलाओं में औसतन 12 ग्राम खून होना चाहिए। मगर जांच के दौरान महिलाओं में 6 से 8 ग्राम खून ही मिल रहा है। यही सर्जरी से डिलीवरी होने का भी सबसे बड़ा कारण बन रहा है। खून की कमी के कारण गर्भ में बच्चे का सही प्रकार से विकास नहीं हो पाता। 

स्वास्थ्य विभाग देता है गर्भवती महिलाओं को 360 गोलियां : डिप्टी सिविल सर्जन 
स्वास्थ्यविभाग गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की तरफ काफी ध्यान देता है। गर्भवती महिलाओं के लिए सरकार सीएचसी पीएचसी स्तर पर कैंप लगाती है। बच्चे के शरीर के पूरे अंग बनने के लिए फोलिक एसिड दवा दी जाती है। तीन माह के बाद इन्हें कैल्शियम आयरन की गोलियां दी जाती हैं। डिलीवरी होने तक प्रत्येक महिला के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर 360 गोलियां पहुंचती हैं। इतनी ही गोलियां उनकी डिलीवरी के बाद उन्हें दी जाती हैं। मगर जागरूकता की कमी लापरवाही के कारण अब भी 70 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी है। विभाग अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रहा है। डॉ.निशि जिंदल, डिप्टी सिविल सर्जन पानीपत 
‘गर्भ में पल से बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सबसे अहम जच्चा का स्वस्थ रहना है’।

गर्भ में पल से बच्चे के स्वास्थ्य के लिए सबसे अहम जच्चा का स्वस्थ रहना है। महिलाओं गर्भावस्था में खाने पीने में काफी लापरवाही बरतती हैं। खाने में फल सब्जियां लेने की बजाय मुल्तानी मिट्टी, चूल्हे की मिट्टी कोयले जैसी चीजें खाकर खुद को नुकसान पहुंचा रही हैं। शरीर में खून कम होने के कारण बच्चे कमजोर पैदा होते हैं। यह गैर खाद्य वस्तुएं हैं इसलिए यह विटामिन मिनरल को बनने से रोकती हैं। स्वास्थ्य विभाग किलकारी ऐप से भी महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहा है। डॉ.सुखदीप कौर, डॉक्टर पीएचसी गांव सिवाह 

हम सभी जानते हैं, कि जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो उसके शरीर में काफी सारे परिवर्तन आते हैं. हार्मोन अल चेंज के कारण महिलाओं के स्वाद में भी काफी परिवर्तन आ जाता है.

ऐसे में कुछ महिलाओं को कभी-कभी मिट्टी खाने की इच्छा होने लगती है. वैज्ञानिक भाषा में इसे पिका सिंड्रोम कहते हैं.
इसी टॉपिक पर आज हम  बात करेंगे –

मिट्टी खाने की इच्छा क्यों होती है. पिका सिंड्रोम किसे कहते हैं. इससे बच्चे के स्वास्थ्य पर किस प्रकार के प्रभाव पड़ते हैं. मिट्टी खाने की इच्छा से कैसे छुटकारा पाएं.गर्भावस्था के दौरान दूसरे प्रकार के पिका सिंड्रोम कौन-कौन सी होती हैं.  

गर्भावस्था में मिट्टी खाने से क्या होता है? - garbhaavastha mein mittee khaane se kya hota hai?

पिका सिंड्रोम किसे कहते हैं - Pregnancy me Pica Syndrome Kya Hai

दोस्तों प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती स्त्री को किसी भी चीज खाने की जब प्रबल इच्छा होती है. चाहे वह वस्तु खाने योग्य हो, चाहे वह वस्तु खाने योग्य ना हो, उसे पिका सिंड्रोम कहा जाता है.

इसके अंदर महिला को कभी-कभी
अचार खाने की इच्छा,
आइसक्रीम खाने की इच्छा,
बर्फ की इच्छा बहुत ज्यादा होती है,
और कभी-कभी ऐसी वस्तुएं खाने की भी इच्छा होती है जिसके दुष्परिणाम सामने आते हैं, जैसे की चाक, खड़िया मिट्टी, राख इत्यादि.

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मिट्टी खाने का मन क्यों होता है - Pregnancy me Mitti Khane ka Maan Kyo Kerta hai

  • गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में काफी ज्यादा हार्मोन अल उत्तल पुथल होती है. और बहुत ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता भी महिलाओं के शरीर में होती है.

  • वैसे पिका सिंड्रोम के अंदर मिट्टी खाने की इच्छा क्यों होती है. इसका कोई ठोस प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन क्रेविंग होने की मुख्य वजह शरीर में किसी विशेष पोषक तत्व की कमी होती है.

  • अब यह महिला के भोजन और लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है, कि उसके शरीर के अंदर किस पोषक तत्व की कमी हो रही है. उसी के अनुसार विभिन्न प्रकार के वस्तुओं को खाने की इच्छा महिलाओं को होती है. उसमें से एक मिट्टी भी है.

  • कभी-कभी शरीर में आयरन की कमी हो जाती है. तो उस अवस्था में भी महिलाओं को मिट्टी खाना पसंद आता है.

  • हार्मोन अल चेन जिसके कारण महिलाओं के स्वाद में परिवर्तन आ जाता है तो कभी-कभी मिट्टी का स्वाद महिलाओं को काफी पसंद आता है इस वजह से भी वह मिट्टी खाना पसंद करने लगती हैं.

  • कई लोगों को प्रेगनेंसी के दौरान मिट्टी की गंध बड़ी लुभावनी लगती है, और वह अपने आप को मिट्टी खाने से रोक नहीं पाते.

प्रेगनेंसी में मिट्टी खाने के फायदे - Pregnancy me Mitti Khane Ke Fayade

दोस्तों प्रेगनेंसी में मिट्टी खाने के फायदे बिल्कुल भी नहीं होते हैं. बस इतना होता है, कि महिला का मन मिट्टी खाने का कर रहा होता है. और मिट्टी खाने से उसे थोड़ी सी संतुष्टि प्राप्त होती है. लेकिन मिट्टी खाने के काफी सारे नुकसान सामने आते हैं.

मिट्टी खाने से गर्भवती को होने वाले नुकसान - Mitti (Mud) Khane se Pregnancy me Hone Wale Side Effect


  • मिट्टी के कुछ करण बहुत ज्यादा कठोर होते हैं जिसके कारण कभी-कभी गर्भवती स्त्री के दांतो में किसी भी प्रकार की दिक्कत आ सकती है टूट सकते हैं .
  • मिट्टी में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचाते हैं निरंतर मिट्टी का सेवन करने से कब्ज की शिकायत नजर आने लगती है .
  • मनुष्य का पाचन तंत्र मिट्टी को पचाने के लिए नहीं बना है इससे आंतों के कार्य में रुकावट आ जाती है जो भविष्य में बड़ी समस्या का कारण बन सकती है.
  • मिट्टी में किसी भी प्रकार के पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं, अगर गर्भवती स्त्री मिट्टी खाती है तो वह कुपोषण का शिकार हो जाएगी क्योंकि मिट्टी खाने से भूख का एहसास नहीं होगा और वह सही तरीके से भोजन भी नहीं खाएगी तो कुपोषण होना ही है.
  • मिट्टी के अंदर तरह-तरह के परजीवी पाए जाते हैं, अगर महिला मिट्टी का सेवन करती है तो परजीवी द्वारा किसी भी प्रकार का संक्रमण महिला के शरीर में पहुंच सकता है और वह बीमार हो सकती है.
  • मिट्टी के अंदर कुछ कीटनाशक और विषैले तत्व भी पाए जाते हैं, अगर महिला उस प्रकार की मिट्टी का सेवन कर ले तो पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है.
  • और दूसरे प्रकार की कई बीमारियां मिट्टी खाने से महिला को हो सकती हैं खासकर गर्भवती स्त्री का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिसके कारण उसे रोक जल्दी पकड़ता है.

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गर्भावस्था में मिट्टी खाने से क्या होता है? - garbhaavastha mein mittee khaane se kya hota hai?
 

मिट्टी खाने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान - Mitti (Mud) Khane se Pregnancy Baby ko Nuksan


  • मिट्टी के विषैले तत्वों के कारण कभी-कभी समय से पूर्व प्रसव की समस्या नजर आ सकती है जो कि शिशु के लिए घातक है.
  • गर्भावस्था के दौरान उचित पोषक तत्व न मिल पाने के कारण बच्चे में चिड़चिड़ापन जैसे विकार भी देखने को मिल सकते हैं.
  • अगर महिला लगातार मिट्टी का सेवन करती है तो गर्भस्थ बच्चा कुपोषण का शिकार हो सकता है. और उसकी मृत्यु तक होने की संभावना होती है प्रसव के समय भी यह मृत्यु हो सकती है.
  • लगातार मिट्टी का सेवन करने से ग्रस्त गर्भस्थ शिशु अविकसित रह सकता है उसके कुछ अंगों का विकास ठीक तरीके से नहीं होगा.

मिट्टी खाने की समस्या से छुटकारा कैसे पाएं - Mitti Khane se kaise bache

  • इस संबंध में गर्भवती स्त्री चिकित्सक से परामर्श ले सकती है. वह इस बात का पता लगाने की कोशिश करेगा कि यह मिट्टी खाने की इच्छा किस वजह से हो रही है. शरीर में क्या कमी है उसके लिए ट्रीटमेंट देगा और आपकी समस्या ठीक हो जाएगी.
  • यह समस्या काफी हद तक महिला की अपनी विल पावर पर भी निर्भर करती है अगर किसी मनोवैज्ञानिक चिकित्सक के पास महिला काउंसलिंग कराए तो वह इस समस्या को ठीक कर सकता है महिला अपनी विल पावर को मजबूत करके इस समस्या से अपने आप मुक्ति पा सकती है.
  • इसके लिए महिला के घर वाले उसकी मदद कर सकते हैं. वह यह जाने महिला की मिट्टी खाने की इच्छा कब सबसे ज्यादा होती है.  वह उस वक्त उस पर नजर रखे. मिट्टी ना खाने दे.
  • गर्भावस्था के दौरान गर्भवती स्त्री को जब भी मिट्टी खाने की इच्छा सबसे ज्यादा होती है उस वक्त महिलाओं को उसकी पसंद का और गर्भावस्था के लिए पौष्टिक भोजन ऑफर करें और उसे खाने के लिए प्रेरित करें . 

गर्भावस्था के दौरान अन्य पिका क्रेविंग - Other Pica Craving 

गर्भावस्था के दौरान अन्य पिका क्रेविंग का अर्थ है मिट्टी के अलावा अन्य गैर खाद्य पदार्थों को खाने की तीव्र इच्छा का उभरना। आइए कुछ बिन्दुओं की सहायता से इनके बारे में जानते हैं .

चॉक
बेबी पाउडर
राख
कागज
रंग
पशु का मल
चिकनी मिट्टी
गंदगी
कॉफी ग्राउंड्स
रेत
कच्चे स्टार्च (एमाइलोफैगी)
चारकोल
हेयरबॉल्स (फर वाली बॉल या बालों का गुच्छा)
बर्फ
अंडे का छिलका
कपड़ा


मिट्टी खाने से बच्चे पर क्या असर पड़ता है?

मिट्टी और चॉक खाने से पेट में कीड़े पड़ सकते हैं और इसकी वजह से कई बार पथरी की समस्या भी हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चों और बड़ों की भी इस आदत को खत्म करना चाहिए।

प्रेग्नेंट महिला मुल्तानी मिट्टी खाने से क्या होता है?

गर्भावस्था के दौरान मुल्तानी मिट्टी खाने के दुष्प्रभाव गर्भावस्था के दौरान मुल्तानी मिट्टी खाना भी सुरक्षित नहीं है. यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य और पेट के मुद्दों का कारण बन सकता है. यह आंतों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. यह बच्चे और मां को भी नुकसान पहुंचा सकता है.

महिलाएं मिट्टी क्यों खाती है?

जब शरीर में किसी तत्व की कमी होने लगती है तो शरीर उसे पूरा करने के लिए स्वतः चाह रखने लगता है। इसी में लोगों का मिट्टी खाना भी शामिल होता है।

काली मिट्टी खाने से क्या होता है?

मिट्टी खाने की वजह से भूख कम लगेगी तो शरीर में कमजोरी आ जाएगी। मिट्टी या ऐसे अखाद्य पदार्थ खाने से पेट का पाचन तो बिगड़ता ही है साथ ही पेट में दर्द की समस्या पैदा हो जाती है। मिट्टी पेट में जाकर पचती नहीं है। इसकी वजह से पेट में कीड़े होंगे।