प्रेगनेंसी नहीं रुक रही हो तो क्या करना चाहिए? - preganensee nahin ruk rahee ho to kya karana chaahie?

सही समय पर गर्भ न ठहर पाना अपर्याप्त पोषण, शारीरिक कमी या
देरी से शादी करने का नतीजा हो सकता है। इसके अलावा भी कुछ कारण हैं जो फर्ट‍िलिटी को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह 10 उपाय आपकी समस्या को हल करने में सहायक हो सकते हैं -

1 आवश्यक जांच - अगर आप परिवार बढ़ाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपना स्वास्थ्य चेकअप करवाना होगा। पति-पत्नी दोनों ही अपनी जांच अवश्य कराएं, ताकि किसी प्रकार की समस्या होने पर उसका पता लगाया जा सके और समाधान भी निकला जा सके।

2 वजन - अपने वजन को नियंत्रित रखने का प्रयास करें। वजन का कम या अधिक होना, दोनों ही स्थिति में आपके लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। दरअसल वजन बहुत अधिक कम होने पर अंडाशय में अंड बनने के लिए आवश्यक हार्मोन स्त्रावित नहीं हो पाते, जिससे गर्भ ठहरा नहीं रह पाता। इसलिए वजन बहुत कम भी न करें और बहुत अधिक बढ़ाएं भी ना।

3 व्यायाम - व्यायाम को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। कम से कम आधा घंटा व्यायाम जरूर करें और हल्की एक्सरसाईज ही करें। इससे आप फिट भी रहेंगी और तरोताजा भी। लेकिन ध्यान रहे बहुत अधिक देर तक एक्सरसाईज न करें, ना ही बहुत भारी व्यायाम करें।

4 पोषण - पोषण का विशेष ध्यान रखें। पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लें, यह फर्टिलिटी बढ़ाने में सहायक होगी। इसके लिए अपनी डेली डाइट में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएं और विटामिन-सी, आयरन व कैल्शियम से भरपूर चीजों का सेवन करें। इन जरूरी पोषक तत्वों की कमी से पीरियड्स अनियमित होकर गर्भपात की संभावना बढ़ सकती है। इसके लिए डाइट में हरी सब्ज‍ियां, फल, बीन्स और फिश को शामिल करें।

5 कुछ आदतों से तौबा - शराब, सिगरेट व अन्य लतों से दूर ही रहें। इनमें पाए जाने वाले तत्व गर्भ को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। इसके अलावा इससे एस्ट्रोजन हार्मोन का स्त्राव भी कम हो सकता है, जो गर्भ के लिए बेहद नकारात्मक साबित होता है। इससे दोबारा गर्भ ठहरने में भी परेशानी हो सकती है।

6 चाय- कॉफी - चाय, कॉफी व कोल्ड्रिंक का सेवन अधिक न करें। यह फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा इसमें पाया जाने वाला कैफीन भी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

7 इंफेक्शन से बचाव - साफ सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए, इंफेक्शन से बचाव किया जा सकता है। प्राइवेट पार्ट्स की सफाई का ध्यान रखें और किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें। वेजाइनल इंफेक्शन के कारण भी गर्भ ठहरने में परेशानी आ सकती है।

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मन से दवा न लें - किसी भी प्रकार की समस्या होने पर बगैर चिकित्सक की सलाह के, अपने मन से कोई दवा न लें। कई बार दवाओं के दुष्प्रभावों के चलते गर्भ ठहरने में समस्या आती है। इसलिए डॉक्टर को अवश्य दिखाएं।

9 मासिक चक्र - मासिक चक्र के समय पर ध्यान दें। अगर आपका मासिक चक्र अनियमित हो रहा है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। अगर यह समय 10 दिन से भी अधिक बढ़ रहा है तो जांच कराएं। मासिक चक्र शुरू होने के दसवें दिन से लेकर अगले दस दिनों तक गर्भ ठहरने की संभावना अधिक होती है। इस समय साथी के साथ समय बिताएं।

10 सेक्स पर दें ध्यान - भले ही आपकी दिनचर्या कितनी भी व्यस्त हो, साथी के साथ संबंध बनाने के लिए पर्याप्त समय निकालें। इसके लिए सप्ताह में दो से तीन बार समय निकाल सकते हैं। नियमित तौर पर सेक्स को अपनी जीवनशैली में शामिल करने से एस्ट्रोजन का स्त्राव अधिक होता है, जो कंसीव करने में मदद करता है। इसके अलावा अंड बनने के पहले कुछ दिनों तक 36 से 48 घंटों के बीच संबंध बनाने पर गर्भ ठहरने की संभावना अधिक होती है।

इसके अलावा पति की सेहत का ध्यान रखना भी बेहद आवश्यक है। उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर डाइट दें जिसमें विटामिन ए, बी एवं अन्य पोषक तत्व अनिवार्य रूप से होने चाहिए। इससे स्पर्म स्वस्थ होते हैं। इसके अलावा शराब, सिगरेट जैसी चीजें बिल्कुल बंद कर दें, इनसे स्पर्म की मात्रा कम होती है, और फर्टिलिटी को नुकसान पहुंच सकता है।

गर्भावस्था की पहली तिमाही में मिचली व उल्टी होना एक सामान्य बात है। ​यदि आपको सुबह की मिचली (मॉर्निंग सिकनेस) रहती है, तो आप जानती होंगी कि यह केवल सुबह के समय ही नहीं होती। बल्कि अधिकांश महिलाओं को दिन के किसी भी समय मिचली महसूस हो सकती है।

मगर, यदि आपको दिन में बहुत बार उल्टी हो रही है और कुछ भी खाना-पीना पेट में न रुक रहा हो, यहां तक कि पानी भी उल्टी के जरिये बाहर आ रहा है, तो यह सामान्य नहीं है। यदि आपकी मिचली की स्थिति इतनी गंभीर हो, तो तुरंत अपनी डॉक्टर से मिलें। हो सकता है आपको हाइपरेमेसिस ग्रेविडेरम (एचजी) हो, जिसका मतलब है गर्भावस्था में सामान्य से अत्याधिक उल्टी होना। यह आमतौर पर गर्भावस्था की शुरुआत में करीब चार से छह हफ्ते की गर्भावस्था में शुरु होती है।

नियमित मिचली और उल्टी से आपको परेशानी जरुर हो सकती है, मगर यह आमतौर पर आपके या गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदेह नहीं है। आपको आराम करने और मिचली के घरेलू उपाय आजमाने से शायद राहत मिल जाएगी।

वहीं दूसरी तरफ हाइपरेमेसिस ग्रेविडेरम का उपचार न किया जाए तो यह आपको और गर्भ में पल रहे शिशु को प्रभावित कर सकता है। आपको इतनी ज्यादा उल्टी हो सकती है, कि आपका वजन भी कुछ कम हो सकता है। चूंकि सारा तरल उल्टी के जरिये बाहर आ रहा है और पेट में कुछ रुक नहीं पा रहा, इसलिए आपको निर्जलीकरण (​डिहाइड्रेशन) भी हो सकता है। इसकी वजह से आपका पेशाब गहरे पीले या भूरे रंग का भी दिख सकता है।

अच्छे से खा-पी न पाने की वजह से आपको जरुरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) में कमी की वजह से आपको चक्कर भी महसूस हो सकते है।

हाइपरेमेसिस ग्रेविडेरम आपको भावनात्मक और शारीरिक दोनों ही तरह से प्रभावित कर सकता है। इतनी ज्यादा उल्टी होने से आपकी दैनिक दिनचर्या पर भी असर पड़ सकता है। नौकरी पर जाना, घर के साधारण काम करना या फिर कहीं बाहर आना-जाना भी आपको बड़ी मेहनत का काम लग सकता है।

चाहे आप कभी-कभार थोड़ा बहुत खा-पी रही हों या मिचली से ज्यादा परेशानी न हो रही हो, तो भी आपको डॉक्टर से मदद लेनी ही चाहिए। गर्भावस्था में मिचली काफी गंभीर हो सकती है और शुरु में ही इसका उपचार कर लेने से इसे हाइपरेमेसिस ग्रेविडेरम के स्तर पर पहुंचने से रोका जा सकता है।

डॉक्टर आपके स्वास्थ्य की जांच कर सकती हैं। मिचली के अन्य संभावित कारणों का पता लगाने के लिए वे खून की कुछ जांचें भी करवा सकती हैं। कीटोन्स का पता लगाने के लिए आपको पेशाब की जांच भी करवानी होगी। पेशाब में कीटोन्स की मौजूदगी यह बताती है कि भोजन की कमी की वजह से आपके शरीर को ऊर्जा पाने के लिए ग्लूकोस की बजाय फैट को जबरन परिवर्तित करना पड़ रहा है।

डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाने के लिए भी कह सकती हैं, ताकि पता चल सके कि आपके गर्भ में एक से ज्यादा शिशु तो नहीं पल रहे या फिर इतनी गंभीर मिचली की वजह कोई अन्य स्थिति तो नहीं है।

आपके जांच परिणामों को देखते हुए डॉक्टर आपको मिचली रोकने की दवा दे सकती हैं, जो कि गर्भस्थ शिशु के लिए सुरक्षित होंगी।

हालांकि, कई बार एचजी की स्थिति में सुधार के लिए घरेलू उपचार भी काम नहीं आते। यदि आप बेहतर महसूस न कर रही हों, तो आपको अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है। अस्पताल में आपको ड्रिप के जरिये तरल पदार्थ और विटामिन व खनिज दिए जा सकते हैं।

अस्पताल में उपचार से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि आप जलनियोजित रहे और आपको पूरा पोषण मिले। कई बार अस्पताल में ड्रिप चढ़वाते हुए समय बिताना मुश्किल हो सकता है, मगर आप बस अपने शिशु के बारे में सोचें कि यह सब उसकी बेहतरी के लिए हो रहा है।

हाइपरेमेसिस ग्रेविडेरम का उपचार लेने से शिशु का जन्म के समय वजन कम होने की संभावना कम हो जाती है। आपको अस्पताल से छुट्टी तभी मिलेगी, जब आप ठीक से खाने-पीने लगेंगी।

डॉक्टर आपको ऐसी आहार योजना का पालन करने के लिए कह सकती हैं, जो कि मिचली और उल्टी को कम करने में मददगार हो। इससे सुनिश्चित हो सकेगा कि आप पोषण से भरपूर संपूर्ण आहार ले रही हैं।

घर आने के ​बाद मिचली पैदा करने वाली चीजों से दूर रहें, जैसे कि कोई विशेष गंध, कार में घूमना या घुटन भरे कमरे में रहना आदि। यदि आपको फिर से मिचली महसूस हो या तबियत खराब लगे ​तो तुरंत डॉक्टर से बात करें। साथ ही, ऐसे लक्षणों को ध्यान में रखें जिन्हें गर्भावस्था में अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।

क्या ऐसा कोई सुझाव है, जिससे आपको राहत मिली हो? क्यों न उस सुझाव को हमारी कम्युनिटी में अन्य गर्भवती महिलाओं के साथ साझा किया जाए?

अंग्रेजी के इस लेख से अनुवादित: I can't stop vomiting, and I'm afraid to eat or drink anything. Is this normal?

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अगर गर्भ नहीं ठहर रहा है तो क्या करें?

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कंसेप्शनमून.

गर्भ नहीं ठहरने का क्या कारण है?

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​अंडरगार्मेंट टाइट होना ... .
तनाव ... .
​प्रदूषण ... .
​बहुत ज्‍यादा या कम सेक्‍स करना.

गर्भ ठहरने की देसी दवा कौन सी है?

​लौंग के गुण लौंग से ओवुलेशन में सुधार आता है और महिलाओं को इनफर्टिलिटी से निजात मिलती है। लौंग से फर्टिलिटी बढ़ती है और इसमें फोलिक एसिड और जिंक जैसे एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही फर्टिलिटी को सुधारने का काम करते हैं। इससे महिलाओं को नैचुरली प्रेगनेंट होने में मदद मिलती है।

गर्भ रोकने के लिए क्या खाना चाहिए?

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विटामिन सी: विटामिन सी का सेवन कर आप अनचाहे गर्भ को रोक सकते हैं। ... .
अंजीर: अंजीर भी एक घरेलू उपाय के रूप में कारगर है। ... .
पपीता: अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बाद पपीता ज़रूर खाएं, इससे गर्भधारण नहीं होगा और आपको बाद में गर्भपात कराने की ज़रुरत नहीं होगी।.