यूरिया, डीएपी, एनपीके तथा एमओपी के दामखरीफ सीजन 2022 शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी राहत दे दी है। अंतरष्ट्रीय बाजार में कच्चे माल के भाव में बढ़ोतरी के बाबजूद केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी इफको (IFFCO) ने वर्ष 2022 में खरीफ सीजन के लिए उर्वरक की कीमतों में किसी भी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की है | पिछले वर्ष कि भांति इस वर्ष भी सभी प्रकार के उर्वरकों का मूल्य सामान रहेगा | Show
IFFCO इफको के अनुसार अंतराष्ट्रीय स्तर पर रासायनिक उर्वरकों के मूल्य में काफी वृद्धि के बावजूद भी देश में कीमत को स्थिर रखा गया है। केंद्र सरकार ने इस वर्ष पीएंडके आधारित उर्वरकों के मूल्य को स्थिर रखने के लिए कंपनियों को भारी सब्सिडी देने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार वर्ष 2022 के खरीफ सीजन के लिए 60,939 करोड़ रुपए की सब्सिडी देगी, जो इस वर्ष के खरीफ मौसम के दौरान लागू रहेगी। किसानोंकोइनदामोंपरमिलेगा खाद Fertilizer Rate-2022इफको ने वर्ष 2022 के खरीफ सीजन के लिए रासायनिक उर्वरक का मूल्य जारी किया है | यह मूल्य उर्वरक के पैकेट पर लिखा रहता है, किसान इन दामों पर ही इस वर्ष अलग-अलग खाद खरीद पाएँगे:-
बिनासब्सिडी केइनदामोंपरमिलेगाखाद Fertilizer Rate without Subsidy-2022विभिन्न प्रकार के उर्वरक का मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार में काफी अधिक है | इसके कारण सरकार सीधे किसानों के द्वारा खरीदे गए उर्वरक के अनुसार कंपनियों को सब्सिडी देती है। यदि कोई किसान खुले बाज़ार में बिना सब्सिडी के यह खाद लेता है तो उसे निम्न दामों पर वह खाद दिया जाएगा:-
देशमेंउर्वरककीआवश्यकता कितनी है ?देश में खरीफ तथा रबी सीजन में विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती की जाती है | इन सभी फसलों के लिए रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता होती है | देश में रासायनिक खादों में सबसे ज्यादा यूरिया का उपयोग किया जाता है| वर्ष 2020–21 के अनुसार देश में यूरिया की 350.51 लाख टन, डीएपी 119.18 लाख टन, एनपीके 125.82 लाख टन तथा एमओपी 34.32 लाख टन की आवश्यकता थी | देशमेंउर्वरककाआयातकितनाहोताहै ?देश में उर्वरक का उत्पादन जरूरत से कम होता है | इसके कारण सभी प्रकार के उर्वरकों का आयात करना पड़ता है | इसके कारण आयातित उर्वरक का मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार के अनुसार रहता है | वर्ष 2020–21 में विभिन्न प्रकार के उर्वरक का आयात इस प्रकार है :-
-Sponser Links- मध्य प्रदेश में रासायनिक खाद के दाम बढ़ाने के आदेश जारी किए गए हैं. आने वाले दिनों में एमएसपी के अलावा दूसरी फसलों जैसे सब्जी और अन्य अनाज के दाम भी बढ़ सकते हैं. बढ़े हुए दाम रबी की फसल के लिए 1 अक्टूबर 2021 से लागू होंगे.एक ओर किसानों के लिए केंद्र सरकार ने एमएसपी बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की पहल की है तो वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में उन पर खाद के बढ़े दामों का बोझा लादा जा रहा है. किसानों का कहना है कि खाद के बढ़े दामों से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा, हालांकि जानकारों का कहना है कि सरकार चाहती है कि किसान रासायनिक खाद के बजाए, नैनो यूरिया या प्राकृतिक (जैविक) खाद का इस्तेमाल शुरू करें. मध्य प्रदेश में रासायनिक खाद के दाम बढ़ाने के आदेश जारी किए गए हैं. आने वाले दिनों में एमएसपी के अलावा दूसरी फसलों जैसे सब्जी और अन्य अनाज के दाम भी बढ़ सकते हैं. बढ़े हुए दाम रबी की फसल के लिए 1 अक्टूबर 2021 से लागू होंगे.
नैनो डीएपी आने में समय लगेगाफिलहाल डीएपी बाज़ार में उपलब्ध नहीं हो रही है. इसकी प्रमुख वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में डीएपी के दाम बढ़े हुए हैं. सरकार डीएपी इंपोर्ट करती है और इस पर सरकार किसानों को सब्सीडी भी उपलब्ध कराती है. लिहाज़ा एनपीके की अलग अलग किस्मों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है. हालांकि एक वजह और भी है कि डीएपी का बेतरतीब इस्तेमाल होने से ज़मीन की उर्वरक क्षमका लगातार कम हो रही है, और सब्सीडी देने में सरकार पर आर्थिक रूप से काफी बोझ पड़ रहा है इसलिए सरकार इसका रिप्लेसमेंट यानि विकल्प भी चाहती है. मध्य प्रदेश में बढ़े हुए रासायनिक खादों की कीमत. जहां तक नैनो डीएपी का सवाल है तो उसका ट्रायल चल रहा है, और इसे बाजार में आने में अभी कम से कम 1 साल का समय लगेगा. परिणाम अच्छे रहे तो आने वाले दिनों में सरकार नैनो डीएपी को ही प्रमोट करेगी. इससे पहले नैनो यूरिया तकनीक बाज़ार में लॉन्च हो चुकी है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. एमएसपी से ज्यादा खर्च तो एनपीके का बढ़ जाएगाखाद के प्रति बोरी दाम बढ़ाए जाने से किसानों की उत्पादन की लागत पर इसका सीधा असर पड़ेगा; किसानों का कहना है कि एक ओर सरकार ने एमएसपी बढ़ाई है लेकिन दूसरी ओर किसान पर खाद का बोझ भी डाल दिया है. मसलन अगर प्रति एकड़ बात की जाए तो उदाहरण के लिए सरकार प्रति एकड़ 17 क्विंटल गेहूं की खरीद करती है. अब सरकार द्वारा बढ़ाए एमएसपी के अनुसार किसानों को 720 रुपए का फायदा होगा. अब अगर प्रति एकड़ 4 बोरी एनपीके 12:32:16 इस्तेमाल किया तो करीब 2,000 रुपए किसान का खर्च बढ़ जाएगा. अब इस गणित को किसान समझ नहीं पा रहा है कि उसे फायदा हुआ या नुकसान. ये भी पढ़ें: किसान अलर्ट: इस राज्य में आज तेज बारिश की चेतावनी, दिल्ली में अगले 4 दिनों तक लगातार बारिश की संभावना ये भी पढ़ें: पशु किसान क्रेडिट कार्ड: पशुपालन करना है तो लीजिए इस योजना का लाभ, जानिए इसके बारे में सबकुछ 2022 में डीएपी का क्या रेट है?dap fertilizer 50 kg price 2022
इस वर्ष किसानों को सिंगल फास्फेट खाद की 50 किलो की बोरी के लिए 425 रुपये की होगी । वही सिंगल सुपर फास्फेट की एक बोरी जिसका रेट पिछले साल 274 रुपये था उसमें 151 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। जिसके बाद नया रेट 425 रुपये प्रति बैग हो गया है।
Dap का कितना रेट है?DAP, NPK, यूरिया की कीमतों में वृद्धि और कमी के कारण –
अब देश मे डीएपी का नया स्टॉक पुरानी कीमतों यानी 50 kg बोरा/ कट्टा अब 1350 रुपए मे मिलेगा | हाल ही के ये नई किमते 150 रु / बोरा बढ़ाने से हुई है | – DAP खाद क्या है?
एमपी में डीएपी खाद का रेट क्या है?मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ ने शुक्रवार को नई रेस्ट लिस्ट जारी की है। लिस्ट अनुसार डीएपी के खाद के दाम प्रति बोरी (50 किग्रा) 1700 रुपए हो गए है। बताया गया कि खाद की बिक्री दरों का निर्धारण खरीफ 2021 के लिए उर्वरक समन्वयक समिति की बैठक में लिया गया।
1 एकड़ में कितना डीएपी डालना चाहिए?इसके लिए 65 किलोग्राम यूरिया, 150 किलोग्राम सुपर फास्फेट, 40 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ प्रयोग करें।
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