Hindi Grammer Ke Important Topics: काल का अर्थ होता है – समय। क्रिया के जिस रूप से कार्य के होने के समय का पता चले उसे काल कहते हैं। अथार्त कार्य – व्यापार के समय और उसकी पूर्ण और अपूर्ण अवस्था के ज्ञान के रूपांतरण को काल कहते हैं। (i) सुनील गीता पढ़ता है। 1. भूतकाल भूतकाल का अर्थ होता है बिता हुआ। क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। अथार्त जिस क्रिया से कार्य के समाप्त होने का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था , थे , थी आदि से होती है। उदाहरण के लिए :- (i) रमेश पटना गया था। भूतकाल के प्रकार :- (1) सामान्य भूतकाल :- जिस क्रिया के भूतकाल में क्रिया के सामान्य रूप से बीते समय में पूरा होने का
संकेत मिले उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। अथार्त जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का बोध नहीं होता है उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं। सामान्य भूतकाल की क्रिया से यह पता चलता है की क्रिया का व्यापार बोलने से या लिखने से पहले हुआ। जिन वाक्यों के अंत में आ , ई , ए , था , थी , थे आते हैं वे सामान्य भूतकाल होता है। जैसे :- (i) मैंने गाना गाया। (2) आसन्न भूतकाल :- आसन्न का अर्थ होता है -निकट। जिस क्रिया के अभी-अभी या निकट के भूतकाल में पूरा होने का पता चले उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से हमें यह पता चले की क्रिया अभी कुछ समय पहले ही पूर्ण हुई है उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। क्रिया के जिस रूप से कार्य व्यापार की निकट समय में समाप्ति का पता चले उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। जैसे :- (i) मैं अभी हिसार से आया हूँ। (3) पूर्ण भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है की कार्य निश्चित किये गये समय से पहले ही पूरा हो चूका था उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की कार्य को समाप्त हुए बहुत समय बीत चूका है उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं। कार्य के पूर्ण होने के स्पष्ट बोध को पूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में था , थी , थे , चूका था , चुकी थी , चुके थे आदि आते हैं वो पूर्ण भूतकाल होता है। जैसे :- (i) पद्मा ने नृत्य किया। (4) अपूर्ण भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि कार्य भूतकाल में पूरा नहीं हुआ था अपितु नियमित रूप से जारी रहा उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में शुरू होने का पता चले लेकिन खत्म होने का पता न चले उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में रहा था , रही थी , रहे थे आदि आते हैं वे अपूर्ण भूतकाल होते हैं। जैसे :- (i) मोहन मैदान में घूम रहा
था। यह भी पढ़ें : क्रिया विशेषण , छंद (5) संदिग्ध भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से अतीत में हुए या करे हुए कार्य पर संदेह प्रकट किया जाये उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में गा , गे , गी आदि आते हैं वे संदिग्ध भूतकाल होते हैं। क्रिया के जिस रूप से कार्य के भूतकाल में पूरा होने पर संदेह हो कि वह पूरा हुआ था या नहीं उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं। जैसे :- (i) सुनील
हिसार गया था। (6) हेतुहेतुमद् भूतकाल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य हो सकता था लेकिन दूसरे कार्य की वजह से हुआ नहीं उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं। इसमें पहली क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर होती है। पहली क्रिया तो पूरी नहीं होती लेकिन दूसरी भी पूरी नहीं हो पाती। जिसमे क्रिया के होने में कोई शर्त पायी जाये उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं। जैसे :- (i) मैं आगरा जाती तो ताजमहल देखती। (7) समयकालीन भूतकाल :- जिन वाक्यों के अंत में रहा था , रही थी , रहे थे आदि आते हैं और समय का निश्चित बोध होता है उसे समयकालीन भूतकाल कहते हैं। जैसे :- (i) वे पिछले तीन घंटे से टीवी देख रहे थे। 2. वर्तमान काल :-क्रिया के जिस रूप से यह पता चले की काम अभी हो रहा है उसे वर्तमान काल कहते हैं। अथार्त क्रिया के जिस रूप से समय का पता चले और क्रिया व्यापर का वर्तमान समय में पता चले उसे वर्तमान काल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में ता , ती , ते , है , हैं आते हैं वो वर्तमान काल कहलाता है। क्रियाओं के होने की निरन्तरता को वर्तमान काल कहते हैं। जैसे :- (i) राम अभी-अभी आया है। वर्तमान काल के भेद :- (1) सामान्य वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से कार्य की पूर्णता और अपूर्णता का पता न चले उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। अथार्त जिस क्रिया से क्रिया के सामान्य रूप का वर्तमान में होने का पता चलता है उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं। जिन वाक्यों के अंत में ता है , ती है , ते है , ता हूँ , ती हूँ आदि आते हैं उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है। जो क्रिया वर्तमान में सामान्य रूप में पायी जाती है उसे सामान्य वर्तमान काल कहते है। जहाँ पर क्रिया का प्रारम्भ बोलने के समय होता है। जैसे :- (i) राम घर जाता है। (2) अपूर्ण वर्तमान काल :- अपूर्ण का अर्थ होता है – अधुरा। क्रिया के जिस रूप से कार्य के लगातार होने का पता चलता है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते है। जिन वाक्यों के अंत में रहा है , रहे है , रही है , रहा हूँ आदि आते है उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं। जैसे :- (i) श्याम गेंद खेल रहा
है। (3) पूर्ण वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से कार्य के अभी पूरे होने का पता चलता है। उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते है। इसमें हमें कार्य की पूर्ण सिद्धि का पता चलता है। इसमें हमें क्रिया के व्यापार के तत्काल पूरे होने के बारे में पता चलता है। जैसे :- (i) मैंने फल खाए हैं। (4) संदिग्ध वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से वर्तमान काल क्रिया के होने या करने पर शक हो उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते है।अथार्त जिन वाक्यों के अंत में ता होगा , ती होगी , ते होंगे आदि आते हैं उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं। इसमें उसकी वर्तमान काल में संदेह न हो। जैसे :- (i) सविता पत्र लिखती होगी। (5) तात्कालिक वर्तमान काल :- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता हो कि कार्य वर्तमान में हो रहा है उसे तात्कालिक वर्तमान काल कहते हैं। इसमें बोलते समय क्रिया का व्यापार चलता रहता है। इसमें इसकी पूर्णता का पता नहीं चलता है। जैसे :- (i) मैं पढ़ रहा हूँ। (6) संभाव्य वर्तमान काल :- संभाव्य का अर्थ होता है संभावित या जिसके होने की संभावना हो। इससे वर्तमान काल में काम के पूरे होने की संभावना होती है उसे संभाव्य वर्तमान काल कहते हैं। जैसे :- (i) वह आया हो। 3. भविष्य काल :-क्रिया के जिस रूप से क्रिया के आने वाले समय में पूरा होने का पता चले उसे भविष्य काल कहते हैं। इससे आगे आने वाले समय का पता चलता है। जिन वाक्यों के अंत में गा , गे , गी आदि आते हैं वे भविष्य काल होते हैं। जैसे :- (i) मैं कल विद्यालय जाउँगा। भविष्य काल के भेद :- (1) सामान्य भविष्य काल (1) सामान्य भविष्य काल :- क्रिया के जिस रूप से क्रिया के सामान्य रूप का भविष्य में होने का पता चले उसे सामान्य भविष्य काल कहते हैं। अथार्त जिन शब्दों के अंत में ए गा , ए गी , ए गे आदि आते हैं उन्हें सामान्य भविष्य काल कहते हैं। इससे क्रिया के भविष्य में होने का पता चलता है। जैसे :- (i) वह खाना खाएगी। (2) संभाव्य भविष्य काल :- क्रिया के जिस रूप से आगे कार्य होने या करने की संभावना का पता चले उसे संभाव्य भविष्य काल कहते हैं। इसमें क्रियाओं का निश्चित पता नहीं चलता। इसमें भविष्य में किसी कार्य के होने की संभवना होती है। जैसे :- (i) शायद कल सुनील आगरा जाए। (3) हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल:- क्रिया के जिस रूप से एक कार्य का पूरा होना दूसरी आने वाले समय की क्रिया पर निर्भर हो उसे हेतुहेतुमद्भविष्य भविष्य काल कहते है। इसमें एक क्रिया दूसरी पर निर्भर होती है। इसमें एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर होता है। जैसे :- (i) यदि छुट्टियाँ होंगी तो मैं आगरा जाउँगा। भूतकाल क्या है और उदाहरण?अथार्त जिस क्रिया से कार्य के समाप्त होने का पता चले उसे भूतकाल कहते हैं। इसकी पहचान वाक्यों के अंत में था , थे , थी आदि से होती है। (i) रमेश पटना गया था। (ii) पहले मैं लखनऊ में पढ़ता था।
बारिश हो रही है यह कौन सा काल है?(ii)अपूर्ण वर्तमानकाल(Present Continuous):- क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि वर्तमान काल में कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ, वह चल रहा है, उसे अपूर्ण वर्तमान कहते हैं। वाक्य में जाने का कार्य अभी हो रहा है, मोहन विद्यालय पहुँचा नहीं है। अतः यहाँ अपूर्ण वर्तमान है। वर्षा हो रही है।
महेश गीत गा रहा था वाक्य में कौन सा काल है?'सुरेश गीत गा रहा था। ' वाक्य अपूर्ण भूत काल का है। अपूर्ण भूत काल में कार्य के लगातार होने का पता चलता है।
वह पढ़ रहा है कौन सा काल है?तात्कालिक वर्तमान- इससे यह पता चलता है कि क्रिया वर्तमान काल में – हो रही है । जैसे-मैं पढ़ रहा हूँ; वह जा रहा है।
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