गवरइया की इच्छा पूर्ति का क्रम घूरे पर रुई के मिल जाने से प्रारंभ होता है। उसके बाद वह क्रमश: एक-एक कर कई कारीगरों के पास जाती है और उसकी टोपी तैयार होती है। आप भी अपनी कोई इच्छा चुन लीजिए। उसकी पूर्ति के लिए योजना और कार्य-विवरण तैयार कीजिए। Show
मुझे एक छोटा-सा सुंदर मोती मिला। मन में इच्छा जागृत हुई कि सुंदर रुमाल हो उस पर में यह मोती टाँक लूँ। मैं एक कपड़े वाले बजाज के पास गया उससे थोड़ा कपड़ा माँगा उसने मुझे बचे कपड़ों में से बिना दाम के ही दे दिया। फिर में एक दर्जी के पास गया उसे अपनी दिनभर की मिली दस रुपए की खर्ची में से दो रुपए देने तय हुए और उसने कपड़े को रुमाल के रूप में काटकर सिल दिया। फिर मैंने ढूँढा मोती टाँकने वाले को, उसने एक रुपए पचास पैसे में मेरा सुंदर मोती रुमाल पर टाँक दिया। फिर मैंने रुमाल को राजाना भी चाहा, मैं मनियारे वाले के पास गया और दो रुपए की सुंदर लैस खरीदी। फिर से मुझे दर्जी के पास जाना पड़ा उसने दो रुपए और लिए और उस रुमाल पर सुंदर लैस लगा दी। मेरा रुमाल खिल उठा। मेरी प्रसन्नता का ठिकाना न था। मेरे सात रुपए पचास पैसे तो लग गए लेकिन रुमाल बहुत सुंदर बना। 692 Views गवरइया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?गवरइया व गवरा के बीच आदमी के कपड़े पहनने पर बहस हुई। गवरइया का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर जँचता है जबकि गवरा का कहना था कि आदमी कपड़े पहनकर अपनी कुदरती सुंदरता को ढक लेता है। 2240 Views टोपी बनवाने के लिए गवरइया किस किस के पास गई? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें। गवरइया को कूड़े के ढेर पर चुगते-चुगते कई का एक फाहा मिल गया। उसे लगा कि अब वह अपनी टोपी पहनने की इच्छा पूरी कर सकेगी। सबसे पहले वह धुनिए के पास गई। उसने रुई को धुनवाया, इसके बाद वह कोरी के पास सूत कतवाने गई। सूत कत जाने पर वह बुनकर को खोजने लगी। बुनकर के मिलने पर उसने बहुत सुंदर कपड़ा बुनवाया फिर गई वह दर्जी के पास। दर्जी से प्रार्थना करने पर गवरइया की फुँदने वाली सुंदर टोपी तैयार हो गई। इन सबके कार्यों के लिए गवरइया ने सही पारिश्रमिक भी दिया। 1398 Views किसी कारीगर से बातचीत कीजिए और परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिलने पर उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी? ज्ञात कीजिए और लिखिए। एक मज़दूर था जो मकान बनाने का काम करता था। उसके मालिक ने एक दिन उसके द्वारा थोड़ा-सा सही कार्य न करने पर पूरे दिन की मज़दूरी काट ली, जबकि उसे सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मिलते थे। उस दिन वह बेचारा बहुत परेशान था। वह मेरे घर के पास ही रहता था। इसलिए उसके रोते बच्चे को देखकर मैं पूछ ही बैठा कि बच्चा इतना क्यों रो रहा है? उसने मुझे बात बताई और कहा कि आज उसे मजदूरी नहीं मिली। घर में खाना खाने को पैसे नहीं। में तो ताजा कमाता हूँ और ताजा ही खाता हूँ। में अब कहाँ से कुछ खाने को लाऊँ वह बेचारा अपने-आप में पछतावा कर रहा था। उसकी आँखें आँसुओं से भरी थीं। ऐसे में वह मालिक को भी भला-बुरा कह रहा था। लेकिन वह लाचार था क्योंकि अगले दिन फिर उसे वहीं काम करने जाना था। 1286 Views गवरइया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें। गवरइया और गवरे की बहस तीन तर्कों पर हुई- 1866 Views गौरैया और गौरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गौरैया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?Answer: आदमी के कपड़े पहनने की बात को लेकर 'गवरइया' और 'गवरा' में बहस हुई। गवरहया को आदमी का रंग बिरंगे कपड़े पहनना अच्छा लगता था। जबकि गवरा का कहना था कि कपड़े पहनने से आदमी की असली खुबसूरती कम हो जाती है, वह बदसूरत लगने लगता है।
गिरइया की टोपी पर दर्जी ने पांच फुँदने क्यों जड़ हदए?गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुदने क्यों जड़ दिए? Solution : गवरइया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फूंदने इसलिए जड़ दिए कि गवरइया के कहे अनुसार दर्जी ने उस कपड़े से दो टोपियाँ बनाकर एक टोपी अपने पास पारिश्रमिक रूप में रख ली थी, क्योंकि अच्छा पारिश्रमिक पाने से वह बहुत | खुश हुआ था।
टोपी पहनते ही गवरइया के मन में क्या इच्छा जागी?Solution : टोपी पहनते ही गवरइया के मन में इच्छा जागी कि वह एक बार राजा का जायजा लेकर आए जिसके लिए सभी इतने काम करते हैं।
गौरैया को क्या मिला था?घरेलू गौरैया. |