हम दीवानों की क्या हस्ती है आज यहाँ कल वहाँ चले मस्ती का आलम साथ चला हम धूल उड़ाते जहाँ चले? - ham deevaanon kee kya hastee hai aaj yahaan kal vahaan chale mastee ka aalam saath chala ham dhool udaate jahaan chale?

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले
मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले

आए बनकर उल्लास कभी, आँसू बनकर बह चले अभी
सब कहते ही रह गए, अरे तुम कैसे आए, कहाँ चले

किस ओर चले? मत ये पूछो, बस चलना है इसलिए चले
जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले

दो बात कहीं, दो बात सुनी, कुछ हँसे और फिर कुछ रोए
छक कर सुख-दुःख के घूँटों को, हम एक भाव से पिए चले

हम भिखमंगों की दुनिया में, स्वछन्द लुटाकर प्यार चले
हम एक निशानी उर पर, ले असफलता का भार चले

हम मान रहित, अपमान रहित, जी भर कर खुलकर खेल चुके
हम हँसते हँसते आज यहाँ, प्राणों की बाजी हार चले

अब अपना और पराया क्या, आबाद रहें रुकने वाले
हम स्वयं बंधे थे और स्वयं, हम अपने बन्धन तोड़ चले

आगे पढ़ें

2 years ago

हम दीवानों की क्या हस्ती हैं आज यहाँ कल वहाँ चले?

हम दीवानों की क्या हस्ती, आज यहाँ कल वहाँ चले । मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले । सब कहते ही रह गए, अरे, तुम कैसे आए, कहाँ चले । जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले

हम दीवानों की क्या हस्ती हैं आज यहाँ कल वहाँ चले मस्ती का आलम साथ चला हम धूल उड़ाते जहाँ चले meaning in Hindi?

एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि "हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले । " दूसरी पंक्ति में उसने यह कहकर अपने अस्तित्व को महत्त्व दिया है कि "मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले । " यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है।

हम दीवानों की क्या हस्ती Question Answer?

Answer: कवि अपने आने को 'उल्लास' कहता है क्योंकि किसी भी नई जगह पर आने से उसे खुशी मिलती है तथा उस स्थान को छोड़कर जाते समय दुख होता है और इसीलिए आँखों से आँसू निकल जाते हैं। वह अन्य लोगों को खुशियाँ बाँटता है जिससे वे अपना दुख भूल जाते हैं। जब वह जाता है तो वह यह दुख लेकर जाता है कि ये खुशियाँ हमेशा के लिए नहीं हैं।

हम दीवानों की क्या हस्ती का अर्थ?

दीवानों की हस्ती भावार्थ : दीवानों की हस्ती कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि दीवानों की कोई हस्ती नहीं होती। अर्थात, वो इस घमंड में नहीं रहते कि वो बहुत बड़े आदमी हैं और ना ही उन्हें किसी चीज़ की कमी का कोई मलाल होता है। कवि ख़ुद भी एक दीवाने हैं और बस अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं।