हिन्दी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं * 1 Point 35 33 34 31? - hindee varnamaala mein kitane vyanjan hote hain * 1 point 35 33 34 31?

Contents

  • 1 हिन्दी वर्णमाला
    • 1.1 स्वर
    • 1.2 स्वर के भेद
      • 1.2.1 ह्रस्व स्वर
      • 1.2.2 दीर्घ स्वर 
      • 1.2.3 प्लुत स्वर 
      • 1.2.4 व्यंजन
  • 2 व्यंजन की परिभाषा 
  • 3 व्यंजनों का वर्गीकरण

हिन्दी वर्णमाला

हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है। इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है। वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण होते हैं। इनमें 10 स्वर और 35 व्यंजन होते हैं। लेखन के आधार पर 52 वर्ण होते हैं इसमें 13 स्वर, 35 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।

जिन ध्वनियों के उच्चारण में श्वांस – वायु बिना किसी रूकावट के मुख से निकलती है , उन्हें स्वर कहते हैं। यद्यपि ‘ ऋ ‘ को लिखित रूप में स्वर माना जाता है। परंतु आजकल हिंदी में इसका उच्चारण ‘ री ‘ के समान होता है।

पारंपरिक वर्णमाला में ‘ अं ‘ और ‘ अः ‘ को स्वरों में गिना जाता है , परंतु उच्चारण की दृष्टि से यह व्यंजन के ही रूप है। ‘अं‘ को अनुस्वर और ‘ अः ‘ को विसर्ग कहा जाता है। यह हमेशा स्वर के बाद ही आते हैं जैसे – इंगित , अंक , अतः , प्रातः विसर्ग का प्रयोग हिंदी में प्रचलित संस्कृत शब्दों में से होता है। अनुस्वार जिस स्पर्श व्यंजन से पहले आता है उसी व्यंजन के वर्ग के अंतिम नासिक के वर्ण के रूप में वह उच्चरित होता है।

वर्णमाला के दो भाग होते हैं : 1. स्वर 2. व्यंजन

1. स्वर क्या होता है : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उन्हें ‘स्वर’ कहा जाता है या जिन वर्णों को स्वतंत्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं। परम्परागत रूप से स्वरों की संख्या 13 मानी गई है लेकिन उच्चारण की दृष्टि से 10 ही स्वर होते हैं। 1. उच्चारण के आधार पर स्वर :- अ, आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ आदि। 2. लेखन के आधार पर स्वर :- अ, आ, इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ , अं , अ: , ऋ आदि।

2. व्यंजन क्या होता है : जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस कंठ, तालु आदि स्थानों से रुककर निकलती है, उन्हें ‘व्यंजन‘ कहा जाता है प्राय: वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं। हर व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता है। अ के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं हो सकता। वर्णमाला में कुल 35 व्यंजन होते हैं। कवर्ग : क , ख , ग , घ , ङ चवर्ग : च , छ , ज , झ , ञ टवर्ग : ट , ठ , ड , ढ , ण ( ड़ ढ़ ) तवर्ग : त , थ , द , ध , न पवर्ग : प , फ , ब , भ , म अंतस्थ : य , र , ल , व् उष्म : श , ष , स , ह संयुक्त व्यंजन : क्ष , त्र , ज्ञ , श्र यह वर्णमाला देवनागरी लिपि में लिखी गई है। देवनागरी लिपि में संस्कृत , मराठी , कोंकणी , नेपाली , मैथिलि भाषाएँ लिखी जाती हैं। हिंदी वर्णमाला में ऋ , ऌ , ॡ का प्रयोग नहीं किया जाता है।

हिंदी के वर्ण को अक्षर भी कहते हैं , और उनका स्वतंत्र उच्चारण भी किया जाता है। स्वर को अपनी प्रकृति से ही आकृति प्राप्त होती है। परंतु हिंदी के व्यंजनों में ‘ अ ‘ वर्ण रहता है। कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब स्वर रहित व्यंजन का प्रयोग करना पड़ता है , स्वर रहित व्यंजन को लिखने के लिए उसके नीचे ‘ हलंत ‘ का चिन्ह लगाया जाता है।

स्वर

अ , आ ( ा ) , इ ( ि ) , ई ( ी ) , उ (ु ) , ऊ (ू ) , ऋ (ृ ) , ए (े ) , ऐ (ै ) , ओ (ो ) , औ (ौ )
अनुस्वर – अं
विसर्ग – अः (ाः )

स्वर के भेद

उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों को दो भागों में बांटा गया है

ह्रस्व स्वर short vowels
दीर्घ स्वर long vowels

ह्रस्व स्वर

जिस वर्ण को सबसे कम समय में उच्चारित किया जाता है , उन्हें हर स्वर कहते हैं। जैसे – अ , इ ,उ ,ऋ इनके उच्चारण में जो समय लगता है उसे एक मात्रा का समय कहते हैं। ह्रस्व ‘ ऋ ‘ का प्रयोग केवल संस्कृत के तत्सम शब्दों में होता है जैसे – ऋषि , रितु , कृषि , आदि। ह्रस्व स्वरों को मूल स्वर भी कहते हैं।

दीर्घ स्वर 

जिन स्वरों के उच्चारण में स्वरों से अधिक समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। यह स्वर हैं – आ , ई , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ।यह स्वर ह्रस्व स्वरों के दीर्घ रूप नहीं है वरन स्वतंत्र ध्वनियाँ है। इन स्वरों में ‘ ए ‘ तथा ‘ औ ‘ का उच्चारण संयुक्त रूप से होता है। ‘ एे ‘ मे औ+ इ स्वरों का संयुक्त रूप है। यह उच्चारण तब होगा जब बाद में क्रमशः – ‘ य ‘ और ‘ व ‘ आए जैसे – भैया = भइया , कौवा = कउआ

प्लुत स्वर 

जिन स्वरों के उच्चारण में 2 मात्राओं से अधिक समय लगे उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं।आजकल यह प्रचलन समाप्त हो चुका है , हिंदी में प्लुत स्वर का प्रयोग ना के बराबर होता है। अब व्याकरण की पुस्तकों में भी इसका उल्लेख नहीं मिलता।

व्यंजन

हिन्दी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं * 1 Point 35 33 34 31? - hindee varnamaala mein kitane vyanjan hote hain * 1 point 35 33 34 31?

कण्ठय कवर्ग क, ख, ग, घ, ङ
तालव्य चवर्ग च, छ, ज, झ, ञ
मूर्धन्य टवर्ग ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़
दन्त्य तवर्ग त, थ, द, ध, न
ओष्ठय पवर्ग प, फ, ब, भ, म
अन्तःस्थ अंतस्थ व्यंजन य, र, ल, व
सिबिलैंट उष्म व्यंजन श, ष, स, ह
गृहीत आगत व्यंजन ज़, फ़, ऑ
संयुक्त व्यंजन क्ष – क् + ष्
त्र – त् + र्

ज्ञ – ज् + ञ्
श्र – श् + र्

कम्पन के आधार पर हिंदी वर्णमाला के दो भेद होते हैं।

(1) अघोष व्यंजन
(2) सघोष व्यंजन

(1) अघोष व्यंजन
इनकी संख्या 13 होती है
क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स(2) सघोष व्यंजन

इनकी संख्या 31 होती है
इसमें सभी स्वर अ से ओ तक औरग, घ, ङ
ज, झ, ञ
ड, ढ, ण
द, ध, न
ब, भ, म
य, र, ल, व, ह

व्यंजन की परिभाषा 

जिन वर्णों के उच्चारण में वायु रुकावट के साथ या घर्षण के साथ मुंह से बाहर निकलती है , उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन का उच्चारण सदा स्वर की सहायता से किया जाता है। हिंदी में कुल 37 व्यंजन है , जिनमें दो आगत व्यंजन ( ज़ , फ़ ) भी शामिल है। उन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है –

स्पर्श व्यंजन 27
अंतः स्थ व्यंजन 4
उष्म व्यंजन 4
आगत व्यंजन 2

क्ष, त्र, ज्ञ, श्र मूलत: व्यंजन नहीं है ये संयुक्त व्यंजन है।

व्यंजनों का वर्गीकरण

उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन वर्णों को दो प्रकार से विभाजित किया गया है
1 स्थान के आधार पर
2 प्रयत्न के आधार पर

स्थान के आधार पर – व्यंजनों का उच्चारण मुख के विभिन्न अवयवों – कंठ , तालु , मूर्धा आदि से किया जाता है , जो वर्ण मुख के जिस भाग से बोला जाता है वही उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहलाता है।

प्रयत्न के आधार पर – व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में स्वास का कंपन , स्वास की मात्रा तथा जीवा आदि अवयवों द्वारा स्वास के अवरोध की प्रक्रिया का नाम प्रयत्न है।

प्रायः यह तीन प्रकार से होता है
1 स्वरतंत्री में सांस के कंपन के रूप में
2 स्वास की मात्रा के रूप में
3 मुख अवयव द्वारा स्वास रोकने के रूप में।

भाषा की सबसे महत्वपूर्ण इकाई ध्वनि है। ध्वनि के लिखित रूप को वर्ण कहते हैं। वर्णों की व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। वर्ण के दो भेद हैं 1 स्वर 2 व्यंजन। स्वर दो प्रकार के हैं ह्रस्व और दीर्घ।अनुनासिक स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से होता है। व्यंजनों का वर्गीकरण उच्चारण स्थान तथा प्रयत्न के आधार पर किया जाता है।व्यंजनों को सघोष – अघोष , अल्पप्राण – महाप्राण , स्पर्श – संघर्षी वर्गों में बांटा जाता है। शब्द के जिस अक्षर पर बल दिया जाता है उसे बलाघात कहते हैं।किसी भाषा को सीखने और बोलने के लिए यह आवश्यक है कि उस भाषा की वर्णमाला का ज्ञान होना आवश्यक है। अंग्रेजी भाषा में मात्र 26 अक्षर है , इनमें से 5 वर्ण स्वर vowels है (a , e , i , o , u )

A ( ए ) , B( बी ) , C (सी) , D(डी) ,

E(ई) , F(एफ) , G(जी) , H(एच) ,

I(आई) , J(जे) , K(के) , L(एल) ,

M(एम) , N(एन) , O(ओ) , P(पी) ,

Q(क्यू) , R(आर) , S(एस) , T(टी) ,

U(यू) , V(वी) , W(डव्ल्यू) , X(एक्स) ,

Y(वाई) , Z(जेड)

हिन्दी में व्यंजन की संख्या कितनी है?

किसी एक भाषा या अनेक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला (वर्णों की माला या समूह) कहते हैं। उदाहरण के लिए देवनागरी की वर्णमाला में अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ अं अः क ख ग घ ङ। च छ ज झ ञ। ट ठ ड ढ ण।

वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं answer?

हिन्दी वर्णमाला में 11 स्वर तथा 33 व्यंजन गिनाए जाते हैं, परन्तु इनमें ड़्, ढ़् अं तथा अः जोड़ने पर हिन्दी के वर्णों की कुल संख्या 48 हो जाती है। मुख के जिस भाग से जिस वर्ण का उच्चारण होता है उसे उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहते हैं

हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की संख्या कितनी है * 1 Point?

व्यंजनों की संख्या – 33 व्यंजनों (consonants)की संख्या 33 है – क ख ग घ ड़, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह ।

33 व्यंजन कौन कौन से हैं?

वर्णों को स्पर्श व्यंजन कहते हैं । कवर्ग- क, ख, ग, घ, ङ चवर्ग-च, छ, ज, झ, ञ टवर्ग- ट, ठ, ड, ढ, ण तवर्ग-त, थ, द, ध, न पवर्ग-प, फ, ब, भ, म । अन्तस्थ व्यंजन कहते हैं