लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा? फादर बुल्के के मन में अपने प्रियजनों के लिए असीम ममता और अपनत्व था। इसलिए लेखक ने फादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ कहा है। 349 Views इस पाठ के आधार पर फादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।फादर कामिल बुल्के एक ऐसा नाम है जो विदेशी
होते हुए भी भारतीय है। उन्होंने अपने जीवन के 73 वर्षों में से 47 वर्ष भारत को दिए। उन 47 वर्षों में उन्होंने भारत के प्रति, हिंदी के प्रति और यहां के साहित्य के प्रति विशेष निष्ठा दिखाई है। 1530 Views पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है? फादर बुल्के ने पहला अंग्रेजी-हिंदी शब्दकोश तैयार किया था। वे हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाना चाहते थे। यहाँ के लोगों की हिंदी के प्रति उदासीनता देखकर वे क्रोधित हो जाते थे। इन प्रसंगों से पता चलता है कि वे हिंदी प्रेमी थे। 266 Views फादर बुल्के भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है? फ़ादर बुल्के को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग इसलिए कहा गया है क्योंकि वे बेल्जियम के रेश्व चैपल से भारत आकर यहाँ की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस गए थे। उन्होंने संन्यासी बन कर भारत में रहने का फैसला किया। 288 Views फादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी? देवदार एक विशाल और छायादार वृक्ष होता है, जो अपनी सघन और शीतल छाया से श्रांत-पथिक एवं अपने आस-पड़ोस को शीतलता प्रदान करता है। ठीक ऐसे ही व्यक्तित्व वाले थे- फ़ादर कामिल बुल्क़े। 915 Views Students who are searching for NCERT MCQ Questions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक with Answers Pdf free download can refer to this page thoroughly. Because here we have compiled a list of MCQ Questions for Class 10 Hindi with Answers. So, Plan your Exam Preparation accordingly with the मानवीय करुणा की दिव्या चमक Class 10 MCQs Questions with Answers PDF. Also, you can practice and test your subject knowledge by solving these मानवीय करुणा की दिव्या चमक objective questions. मानवीय करुणा की दिव्या चमक Class 10 MCQs Questions with AnswersPracticing the Class 10 Hindi Kshitij Chapter 13 MCQ with Answers aids students to learn all the fundamental concepts and prepare effectively for the exams. MCQ of मानवीय करुणा की दिव्या चमक Class 10 with Answers are prepared based on the latest exam pattern & CBSE guidelines. Here are the links available online for Free Download of Class 10 Hindi मानवीय करुणा की दिव्या चमक MCQ Multiple Choice Questions with Answers PDF. Question 1. Answer: (b) फ़ादर पास्कल तोयना Question 2. Answer: (c) रोने वालों की संख्या का अनुमान न लगा सकना। Question 3. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं Question 4. Answer: (a) लड़का तो हाथ से गया Question 5. Answer: (d) उपर्युक्त सभी कथन सत्य हैं Question 6. Answer: (c) रेम्स चैपल Question 7. Answer: (b) राष्ट्रभाषा Question 8. Answer: (a) उदास शांति में संगीत सुनने जैसा Question 9. Answer: (c) एक साहित्यक संस्था का Question 10. Answer: (b) मानवीय करुणा में दिव्य चमक Question 11. Answer:
(a) सन् 1927 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में Question 12. Answer: (b) त्रिशंकु Question 13. Answer: (c) मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ में फादर कामिल बुल्के का उल्लेख हुआ है। Question 14. Answer: (a) ज़हरबाद से Question
15. Answer: (d) संकल्प के Question 16. Answer: (c) हिंदी व संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष Question 17. Answer: (c) अंग्रेजी हिंदी कोश Question 18. Answer: (d) अन्नप्राशन संस्कार Question 19. Answer: (a) देवरारु Question 20. Answer: (c) मसीही विधि के अनुसार गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न (1) फादर को ज़हरबाद से नहीं मरना चाहिए था। जिसकी रगों में दूसरों के लिए मिठास भरे अमृत के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं था उसके लिए इस ज़हर का विधान क्यों हो ? यह सवाल किस ईश्वर से पूछे ? प्रभु की आस्था ही जिसका अस्तित्व था। वह देह की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखिरी देहरी पर क्यों दे ? एक लंबी, पादरी के सफेद चोगे से ढकी आकृति सामने है-गोरा ग, सफ़ेद झाँईं मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखें बाँहें खोल गले लगाने को आतुर। इतनी ममता, इतना अपनत्व इस साधु में अपने हर एक प्रियजन के लिए उमड़ता रहता था। मैं पैंतीस साल से इसका साक्षी था। तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे। आज उन बाँहों का दबाव मैं अपनी छाती पर महसूस करता हूँ! Question 1. Answer: (c) ज़हरबाद। Question 2. Answer: (a) मिठास का अमृत। Question
3. Answer: (b) प्रभु की आस्था को। Question 4. Answer: (d) नीली। Question 5. Answer: (c) इलाहाबादी। (2) आज वह नहीं हैं। दिल्ली में बीमार रहे और पता नहीं चला। बाँहें खोलकर इस बार उन्होंने गले नहीं लगाया। जब देखा-तब वे बाँहें दोनों हाथों की सूजी उँगलियों को उलझाए ताबूत में जिस्म पर पड़ी थीं। जो शांति बरसती थी वह चेहरे पर स्थिर थी। तरलता जम गई थी। वह 18 अगस्त, 1982 की सुबह दस बजे का समय था। दिल्ली में कश्मीरी गेट के निकलसन कब्रगाह में उनका ताबूत एक छोटी-सी नीली गाड़ी में से उतारा गया। कुछ पादरी, रघुवंश जी का बेटा और उनके परिजन राजेश्वरसिंह उसे उतार रहे थे। फिर उसे उठाकर एक लंबी सँकरी, उदास पेड़ों की घनी छाँह वाली सड़क से कब्रगाह के आखिरी छोर तक ले जाया गया जहाँ धरती की गोद में सुलाने के लिए कब्र अवाक् मुँह खोले लेटी थी। ऊपर करील की घनी छाँह थी और चारों ओर कलें और तेज़ धूप के व्रत्त । Question 1. Answer: (d) दिल्ली में। Question 2. Answer: (a) अगस्त, 1982 Question 3. Answer: (c) कश्मीरी गेट में दिल्ली के निकलसन कब्रगाह में। Question 4. Answer: (a) उदास Question 5. Answer: (d) करील की (3) फादर को याद करना एक उदास, शांत संगीत को सुनने जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था और बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे ‘परिमल’ के वे दिन याद आते हैं जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसे थे; जिसके बड़े फादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मज़ाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते, हमारी रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते और हमारे घरों के किसी भी उत्सव और संस्कार में वह बड़े भाई और पुरोहित जैसे खड़े हो हमें अपने आशीषों से भर देते। मुझे अपना बच्चा और फ़ादर का उसके मुख में पहली बार अन्न डालना याद आता है और नीली आँखों की चमक में तैरता वात्सल्य भी-जैसे किसी ऊँचाई पर देवदारु की छाया में खड़े हों। Question 1. Answer: (b) उदास शांति में संगीत सुनने जैसा। Question 2. Answer: (d) निर्मल जल में स्नान करने जैसा। Question 3. Answer: (a) निर्लिप्त भाव से। Question 4. Answer: (c) बड़े भाई और पुरोहित की तरह। Question 5. Answer: (c) देवदारु के (4) फादर बुल्के संकल्प के संन्यासी थे। कभी-कभी लगता है वह मन से संन्यासी नहीं थे। रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे। दसियों साल बाद मिलने के बाद भी उसकी गंध महसूस होती थी। वह जब भी दिल्ली आते ज़रूर मिलते-खोजकर, समय निकालकर, गर्मी, सर्दी, बरसात झेलकर मिलते, चाहे दो मिनट के लिए ही सही। यह कौन संन्यासी करता है ? उनकी चिंता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। हर मंच से इसकी तकलीफ़ बयान करते, इसके लिए अकाट्य तर्क देते। बस इसी एक सवाल पर उन्हें झुंझलाते देखा है और हिंदी वालों द्वारा ही हिंदी की उपेक्षा पर दुःख करते उन्हें पाया है। घर-परिवार के बारे में, निजी दुख-तकलीफ़ के बारे में पूछना उनका स्वभाव था और बड़े से बड़े दुख में उनके मुंख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जन्मती है। ‘हर मौत दिखाती है जीवन को नयी राह।’ मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु याद आ रही है और फ़ादर के शब्दों से झरती विरल शांति भी। Question 1. Answer:
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(5) मैं नहीं जानता इस संन्यासी ने कभी सोचा था या नहीं कि उसकी मृत्यु पर कोई रोएगा। लेकिन उस क्षण रोने वालों की कमी नहीं थी। (नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है) इस तरह हमारे बीच से वह चला गया जो हममें से सबसे अधिक छायादार फल-फूल गंध से भरा और सबसे अलग, सबका होकर, सबसे ऊँचाई पर, मानवीय करुणा की दिव्य चमक में लहलहाता खड़ा था। जिसकी स्मृति हम सबके मन में जो उनके निकट थे किसी यज्ञ की
पवित्र आग की आँच की तरह आजीवन बनी रहेगी। मैं Question 1. Answer:
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बोधात्मक प्रश्न Question 1. Answer:
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Question 5. Answer:
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