पौधों में पोषण(nutrition in plants) Show
पोषण की विधियाँ (Methods of nutrition) : भोज्य पदार्थों की प्राप्ति के आधार पर जीवधारियों को दो समूहों में विभाजित किया जा सकता है 1.स्वपोषी (Autotrophic nutrition) :
2. परपोषी (Heterotrophic nutrition) :
पौधों के पोषण में विभिन्न तत्त्वों की भूमिका (Role of different elements in plant nutrition) :
1. दीर्घमात्रिक पोषक तत्व (Macronutrientelements) :
2. लघुमात्रिक पोषक तत्व (Micronutrient elements) :
3. क्रान्तिक तत्त्व (Critical elements) :
पौधों के पोषण में निम्नलिखित तत्वों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है 1. कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन :
2. नाइट्रोजन :
3. सल्फर
4. फॉस्फोरस :
5. पोटैशियम :
6. कैल्सियम :
7. मैग्नीशियम :
8. लोहा :
9. मैंगनीज :
10. ताँबा :
11. जिंक :
12. बोरोन :
13. मॉलिब्डेनम :
नोट :
नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen fixation):
नाइट्रोजन का स्थिरीकरण दो विधियों द्वारा होता है 1. प्राकृतिक विधि :
2. विद्युत विसर्जन द्वारा : due to the action of electric discharge
विनाइट्रीकरण (Denitrification) :-
प्रकाश संश्लेषण प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) :
ग्लूकोज प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्चा पदार्थ : 1. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) :
2. जल (H2O) :
3. पर्णहरित (Chlorophyll) :
4. प्रकाश (Light) :
प्रकाश संश्लेषण की क्रिया :
प्रकाश संश्लेषण क्रिया की अवस्थाएँ : प्रकाश संश्लेषण क्रिया की दो अवस्थाएँ होती हैं 1. प्रकाश रासायनिक क्रिया तथा 2. रासायनिक प्रकाशहीन क्रिया। प्रकाश रासायनिक क्रिया (Photo chemical reaction) :
रासायनिक प्रकाशहीन क्रिया (Chemical dark reaction) :
6CO2 + 12 ATP + 12NADPH→ C6H12O6 + 12 ATP + 12 NADP प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक (Factors governing photo synthesis): प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करनेवाले कारक निम्नलिखित हैं 1. प्रकाश (Light) :
2. ताप (Temperature):
3. कार्बन डाइऑक्साइड (CO,):
4. जल (Water):
श्वसन श्वसन (Respiration):
सम्पूर्ण कोशिकीय श्वसन को दो अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है। 1. अवायवीय श्वसन (Anaerobic respiration) 2. वायवीय श्वसन (Aerobic respiration) 1. अवायवीय श्वसन (Anaerobic respiration):
(i) पायरुवेट ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में इथेनॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है। यह क्रिया किण्वन (Fermentation) कहलाती है, जो यीस्ट (Yeast) में होता है। (ii) ऑक्सीजन के अभाव में पेशियों में पायरुवेट से लैक्टिक अम्ल का निर्माण होता है। पेशी कोशिकाओं में अधिक मात्रा में लैक्टिक अम्ल के संचय से दर्द होने लगता है। बहुत ज्यादा चलने या दौड़ने के पश्चात् मांसपेशियों में इसी कारण क्रैम्प (Cramp) होती है। (iii) ऑक्सीजन की उपस्थिति में पायरुवेट का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है एवं CO2, तथा जल का निर्माण होता है। चूँकि यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है, अतः इसे वायवीय श्वसन कहते हैं। 2. वायवीय श्वसन (Aerobic respiration)
पौधों में श्वसन (Respiration in plants) :
पौधों में श्वसन की क्रिया जन्तुओं के श्वसन से भिन्न होती है। 1. पौधों के प्रत्येक भाग अर्थात् जड़, तना एवं पत्तियों में अलग-अलग श्वसन होता है। 2. जन्तुओं की तरह पौधों में श्वसन गैसों का परिवहन नहीं होता है। 3. पौधों में जन्तुओं की अपेक्षा श्वसन की गति धीमी होती है। वाष्पोत्सर्जन (Transpiration):
वाष्पोत्सर्जन के प्रकार : वाष्पोत्सर्जन मुख्यतः 4 प्रकार का होता है। ये हैं 1. पत्रीय वाष्पोत्सर्जन (Leaf transpiration):
2. उपत्वचीय वाष्पोत्सर्जन (Cuticular transpiration):
3. (Tenticellular transpiration):
4.बिन्दुस्राव (Guttation):
वाष्पोत्सर्जन को प्रभावित करने वाले कारक : 1. प्रकाश की तीव्रता : प्रकाश की तीव्रता बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ती है। 2. तापक्रम : तापक्रम के बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ती है। 3. आर्द्रता : आर्द्रता के बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर घटती है। 4. वायु : वायु की गति तेज होने पर वाष्पोत्सर्जन तीव्र गति से होता है। वाष्पोत्सर्जन का महत्व : 1. यह खनिज लवणों को जड़ से पत्तियों तक पहुँचाने में सहायता करता है। 2. यह पौधे का तापमान संतुलित रखने में सहायता करता है। सामान 3. यह जल अवशोषण एवं रसारोहण में मदद करता है। 4. यह वायुमण्डल को नम (Moist) बनाकर जल चक्र (Hydrologic cycle) को पूरा करने में मदद करता है। 5. प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के लिए यह जल का संभरण करता है।
हरे पौधे में कौन सा पोषण पाया जाता है?हरे पौधे स्वपोषी प्रकार का पोषण दर्शाते हैं अतः स्वपोषी कहलाते हैं। स्वपोषियों को कार्बनिक पदार्थों के निर्माण के लिए बाहर की ऊर्जा स्रोत की आवश्यक होती है। हरे पादप सूर्य से प्रकाश ऊर्जा प्राप्त करते हैं इसलिए उन्हें प्रकाशस्वपोषी कहते हैं। पौधों में खाद्य संश्लेषण की क्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।
हरे पौधों में कौन सा वर्णक पाया जाता है?पर्णहरित, हरितलवक, (chlorophyll) पर्ण हरिम या क्लोरोफिल एक प्रोटीनयुक्त जटिल रासायनिक यौगिक है। यह वर्णक पत्तों के हरे रंग का कारण है। यह प्रकाश-संश्लेषण का मुख्य वर्णक है।
पेड़ पौधों में पोषण कैसे होता है?प्रकाशीय-स्वपोषित (Photo-autotrophic) = प्रकाश-संश्लेषणी (Photosynthetic) — ये पौधे हरे होते हैं तथा पर्णहरिम की सहायता से प्रकाश की उपस्थिति में वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) तथा भूमि से जल (H2O) लेकर कार्बनिक भोज्य-पदार्थ बना लेते हैं। इस क्रिया को प्रकाश-संश्लेषण (photosynthesis) कहते हैं।
पेड़ पौधों को स्वपोषी क्यों कहा जाता है?स्वपोषी सजीवों को खाद्य श्रृंखला में उत्पादक कहा जाता है। हरे पेड़-पौधें प्रकाश की उपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वंय बनाते हैं तथा स्वपोषी कहलाते हैं।
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