हवन सामग्री में क्या मिलाया जाता है? - havan saamagree mein kya milaaya jaata hai?

सुगन्धित अगरबत्तियों के निर्माण का आगामी चरण है चन्दन बत्तियां कही जाने वाली सूखी धूपों और शंकु के आकार के कोनों का निर्माण। ब्लूम वैल्ली, पद्मिनी ब्राण्ड की पतली से लेकर मैसूर के महाराजा ब्राण्ड तक मोटे रूपों में कई सुगन्धों में ये बत्तियां तैयार की जाती हैं। कोन भी कई साइजों में बनाये जाते हैं। 

आज ये सुपरहिट हैं और परम्परागत काली धूपों के स्थान पर अधिकांश व्यक्ति इनका प्रयोग कर रहे हैं। इसके बावजूद हम पहले हवन सामग्रिर्यो, अत्यन्त तीव्र सुगन्ध प्रदायक पाउडरों तथा हवन में प्रयोग की जाने वाली टिकियाओं की बात कर रहे हैं। इसके तीन कारण हैं। चन्दन बत्तियों और कोनों के निर्माण के लिए एकाध मिक्सर और आकार देने के लिए कुछ जुगाड़ें तथा पर्याप्त स्थान चाहिए। तीव्र सुगन्धित पाउडरों तथा हवन सामग्रियों के मिश्रणों को मिलाकर बारीक पीसने के बाद डमी अगरबत्तियों के बाइण्डर में गूंधकर इन्हें आकार दिया जाता है। यही कारण है कि इनके निर्माण के लिए आगामी अध्याय में संकलित रचर्को और फॉर्मूलों का ज्ञान अनिवार्य है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हवन सामग्रियां तैयार करने के लिए अधिक जुगाड़ें या स्थान नहीं चाहिए, अत: आप सुगन्धित अगरबत्तियों के साथ इनका निर्माण आसानी से कर सकते हैं। वैसे केवल हवन सामग्रियों का निर्माण करके भी अच्छी रोजी-रोटी अर्जित की जा सकती है।

हवन सामग्रियों के चरणबद्ध निर्माण प्रक्रिया तथा मशीनों का चयन कैसे करें 

हवन सामग्रियों में पहले तो अगरबत्ती के आधार घटक अगर की लकड़ियों, धूपबत्ती के परम्परागत बाइण्डर धूप की जड़ों और चन्दन के बुरादे के साथ ही सीमित मात्रा में तेजपत्ते, बड़ी इलायची के दाने, लौंग, गुग्गुल, गुलाब के सूखे फूल मिलाये जाते थे। दालचीनी, पानड़ी के पत्ते और कपूर तथा देसी घी भी अच्छी हवन सामग्री में मिलाये जाते थे। इनमें भर्ती के रचर्को के रूप में हाउबेर का चूरा, ढाक की लकड़ी, देवदार, शीशम या सागवान जैसी कटोर लकड़ियों के बुरादे मिलाये जाते थे। इन वस्तुओं का प्रयोग करने पर कोई सुगन्ध मिलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। ये सभी वस्तुएं सूखे रूप में होती हैं और आसानी से इनका चूरा किया जा सकता है। यही कारण था कि लकड़ी या पत्थर की ओखली में सभी वस्तुएं मिलाकर डालने के बाद लकड़ी की बड़ी मूसली से कूटने पर सभी वस्तुएं बारीक चूरा बनने के साथ ही परस्पर भली प्रकार मिल भी जाती थीं। परन्तु वह युग कब का बीत चुका है, अब आपको चन्दन की लकड़ी का बुरादा तो क्या, बगैर तेल निकाली चन्दन की लकड़ी मिल ही नहीं सकती। लौंग, बड़ी इलायची के दानों तथा अन्य मसालों का प्रयोग इतना महंगा पड़ेगा कि आप इनका प्रयोग कर ही नहीं सकते। तेजपत्तों के स्थान पर सफेदे के पत्तों, दालचीनी के स्थान पर तज नामक वृक्ष अथवा सफेदे के पेड़ की छाल का प्रयोग इस उद्योग का सबसे बड़ा रहस्य है। 

              इन्हें पहले विभिन्न सुगन्धियों में प्रीफिक्स किया जाता है और प्रीफिक्सिंग की सटीकता पर ही निर्भर करेगी आपके द्वारा बनायी जाने वाली हवन सामग्री की गुणवत्ता। प्रयोग की जाने वाली वस्तुओं को साफ करके सुखाने के बाद कूटकर, पीसकर अथवा काटकर वांछित आकार देना प्रथम चरण है। सभी वस्तुओं को अलग-अलग सुगन्धों में प्रीफिक्स करना दूसरा चरण है, तो इन्हें मिलाकर हवन सामग्रियों का रूप देना तीसरा चरण है, तो पैकिंग तो सभी उत्पादों के निर्माण का अन्तिम चरण है ही।

काटना, चूरा करना और दरदरा पीसना

चन्दन के बुरादे के स्थान पर तो चन्दन की सुगन्ध में प्रीफिक्स किये गये देवदार, सागवान, शीशम, आम तथा जामुन जैसी कठोर लकड़ियों के बुरादे का प्रयोग होता ही है, अन्य अधिकांश सुगन्धे भी बुरादे में प्रीफिक्स की जाती हैं। आरा मशीनों से बुरादा लेने के बाद धूप में दो-तीन दिन तक सुखाने पर इसकी नमी तो निकल ही जाती है, इनकी गन्धे भी लगभग समाप्त हो जाती हैं। इन बुरादों में लकड़ियों की छालों के टुकड़े, टहनियों के टुकड़े होने के साथ ही कुछ बुरादा काफी मोटा भी होता है। भवन बनाते समय सीमेण्ट में मिलायी जाने वाली नदियों की रेत और स्टोनडस्ट नामक पत्थर के बुरादे को छानने के लिए लकड़ी के फ्रेम में तार की जाली लगाकर बनाये गये बहुत बड़े माप के छलनों का प्रयोग किया जा सकता है। मकानों में लगाये जाने वाले पुराने बेकार जंगलों पर जाली लगाकर इस प्रकार के छलने बनाना अधिक अच्छा रहेगा। आप बड़े छिद्रों वाली तथा छोटे छिद्रों वाली जालियां लगाकर कम-से-कम दो छलने तो बनवा हो लीजिये। मकानों के जंगलों पर मच्छरों से बचाव के लिए ये जालियां लगाई जाती हैं। अत: हार्डवेयर की वस्तुएं बेचने वालों के यहां प्रति वर्ग फुट की दर पर आसानी से मिल जाती है।

         मोटी जाली लगे छलने में छानने पर छालों और डण्डियों के टुकड़े तथा मोटा बुरादा अलग निकल आयेगा। इन्हें तो आप अन्य छालों के साथ कूट-पीस लेंगे। छने हुए बुरादे को बारीक जाली लगे हुए छलने में भी आप अवश्य छानिये। बुरादों में पर्याप्त मात्रा में रेत और मिट्टी भी मिली होती है, जो हवन सामग्री की गुणवत्ता को काफी कम कर देती है। इस रेत में पर्याप्त मात्रा में लकड़ियों का अत्यन्त बारीक बुरादा भी मिला होता है। अनाज साफ करने के समान ही सूप में फटककर आप यह बारीक बुरादा निकाल लीजिये। मसालों की सुगन्धे इस बारीक बुरादे में प्रोफिक्स करना अधिक अच्छा रहेगा। यद्यपि यह अनिवार्य नहीं, परन्तु मोटे बुरादे को गहरे पीले, केसरिया और हल्के लाल रंगों में रंग लेने पर उपभोक्ताओं को लकड़ियों का बुरादा असली चन्दन के बुरादे जैसा लगेगा प्लास्टिक के डर्मों में बुरादा भरने के बाद एक बाल्टी में पानी में घुलनशील डाई घोलकर बुरादे के ऊपर फैलाकर डाल दीजिये।

 बुरादे के एक चौथाई से एक तिहाई तक रंग मिश्रित पानी डालना पर्याप्त रहेगा। बीच-बीच में बुरादे को पूरी ताकत से दबाते रहिये, जिससे पानी तल तक पहुंच जाये। दूसरे दिन इसे छाया में सूखने के लिए डाल दीजिये। पर्याप्त मात्रा में पेड़ों के पत्ते, टहनियां और छालें भी हवन सामग्रियों में मिलायी जाती हैं। ग्राइण्डर में इन्हें पीसते समय पहले कूटकर छोटे-छोटे टुकड़े भी करने पड़ेंगे। ग्राइण्डर में पीसने पर इनका फाइन अथवा दरदरा पाउडर बन जायेगा, जो बारीक बुरादे जैसा लगेगा। यही कारण है कि आप ग्राइण्डर पर किसी भी वस्तु को न पीसिये। इन्हें ओखली में कूटकर चूरा करने के बाद आप हवन सामग्री में मिला सकते हैं। वैसे अधिक अच्छा रहेगा इन्हें टुकड़ों के रूप में काटकर प्रयोग करना। इन्हें काटने के लिए आप पशुओं का चारा काटने के काम आने वाली मशीन का प्रयोग करके सात-आठ क्विण्टल प्रतिदिन तक ये वस्तुएं आसानी से काट सकते हैं। इसके विपरीत शाकभाजी बेचने वालों द्वारा बथुआ, पालक और चने का साग काटने के लिए प्रयोग की जाने वाली चारा काटने की मशीन के बहुत छोटे रूप का प्रयोग करके दस-पन्द्रह किलोग्राम प्रति घण्टा ये वस्तुएं काटी जा सकती हैं। वैसे ऊपर प्रदर्शित टोबेको लीव्स चिपिंग मशीन का प्रयोग सबसे अच्छा रहेगा। इस मशीन पर पतले लच्छों के रूप में छाल और पत्ते कटते हैं, अत: बाद में इन्हें तोड़ना भी नहीं पड़ता।

बुरादों की  प्रीफिक्स कैसे करें

चन्दन के बुरादे के स्थान पर चन्दन के तेल की तीव्र सुगन्ध प्रदायक सिट्रोला नामक रसायनों से निर्मित सुगन्ध में सामान्य बुरादे को प्रीफिक्स करके प्रयोग किया जाता है। लौंग, दालचीनी, जायफल, जावित्री और दालचीनी के स्थान पर गरम मसाले की रसायनों से निर्मित तीक्ष्ण सुगन्ध में बुरादे को प्रीफिक्स करके मिलाया जाता है। यह इस उद्योग का सबसे बड़ा रहस्य है और साथ ही सबसे सुगम कार्य भी। चन्दन का बुरादा बनाने के लिए एक ड्रम में लकड़ी के बुरादे की दस- बारह सेण्टीमीटर मोटी सतह बिछाकर आधा लिटर चन्दन की कृत्रिम सुगन्ध बिखेर दीजिये। इसके ऊपर तेरह से पन्द्रह सेण्टीमीटर ऊंची बुरादे की सतह बिछाकर आधा लिटर चन्दन की कृत्रिम सुगन्ध छिड़क दीजिये। ड्रम का पूरा भरना अनिवार्य नहीं, कितनी भी सतहें बिछायी जा सकती हैं और सबसे ऊपर भी बुरादे की आठ-दस सेण्टीमीटर ऊंची सतह बिछायी जायेगी। ड्रम का मुंह एअर टाइट बन्द करके दो-तीन सप्ताह के लिए रख दीजिये। लकड़ियों के बुरादे में की सुगन्ध स्थायी रूप से बस जायेगी और इस प्रकार तैयार हो जायेगा चन्दन की लकड़ी का बुरादा।

ड्रम में तीन चौथाई तक बुरादा भरना ही अधिक अच्छा रहेगा। इस अवस्था में एक सप्ताह बाद ड्रम को जमीन पर लुढ़काने से सम्पूर्ण बुरादा लोटपोट होकर समान रूप में सुगन्धित हो जाता है। दो-तीन दिन के अन्तराल पर तीन-चार बार यह कार्य कीजिये। आप तीक्ष्णतम सुगन्धित रूप में चन्दन का यह बुरादा तैयार कीजिये; क्योंकि प्रयोग करते समय इसके साथ वांछित मात्रा में सामान्य बुरादा मिलाकर किसी भी सीमा तक सुगन्ध को कम किया जा सकता है। इसी प्रकार लौंग, दालचीनी, गरम मसाले आदि की कृत्रिम सुगन्धों में भी थोड़े-थोड़े बुरादे आप प्रीफिक्स करके रख लीजिये। कम मात्राओं में, परन्तु अत्यन्त तीक्ष्ण रूप में तैयार किये जाने के कारण इन्हें कांच के जारों में प्रीफिक्स करना अधिक अच्छा रहेगा। इन ड्रमों और जारों को धूप, ताप और नमी या सीलन से रहित सूखे और ठण्डे स्थान पर रखना अनिवार्य है। यही कारण है कि जारों को रखने के लिए लकड़ी की अलमारियों का प्रयोग अधिक अच्छा रहेगा।

हवन सामग्रियां कैसे तैयार करें 

प्रीफिक्स किये हुए बुरादे, पत्तों, छालों और टहनियों के टुकड़े मिलाकर हवन सामग्रियां तैयार की जाती हैं। इन्हें तैयार करते समय कोई सुगन्ध मिश्रण नहीं मिलाया जाता; क्योंकि इन्हें तो आप पहले ही बुरादों में प्रीफिक्स कर चुके हैं। सभी वस्तुएं एक परात में अथवा कमरे के फर्श पर डालकर और लोटपोट करके मिलाई जा सकती हैं, परन्तु सुगन्ध का एक बड़ा भाग व्यर्थ ही उड़ जायेगा। वैसे आगामी अध्यायों में संकलित प्रचण्ड सुगन्ध प्रदायक पाउडरों के समान बॉलमिल का प्रयोग अधिक अच्छा रहता है, परन्तु एक सौ लिटर क्षमता के बॉलमिल का मूल्य

भी लगभग पचास हजार रुप है। अत: अधिक अच्छा तो यह रहेगा कि आप नीचे चित्र में प्रदर्शित छह पहल . पाउडर मिक्सिंग ड्रम की जुगाड़ किसी बढ़ई से तैयार करवा लीजिये। कोई भी बढ़ई यह जुगाड़ तैयार कर देगा। लकड़ी के छह समान लम्बे-चौड़े तख्तों का ड्रम बनावकर उसके ऊपर व नीचे भी लकड़ी के तख्ते जड़वा लीजिये।

आठ तख्तों का प्रयोग करके आठ पहलू का ड्रम तो बनवाया ही जा सकता है, दो सौ लिटर का लोहे का ड्रम लेकर उसे भी छह पहलू के ड्रम के स्थान पर इसी प्रकार सेट किया जा सकता है।

इस ड्रम में रचक डालने और तैयार हवन सामग्री निकालने के लिए एक दरवाजा भी आपको बनवाना होगा। मोटर सहित लगभग पांच हजार रुपये में यह जुगाड़ तैयार हो जायेगी। लोहे के गोल या लकड़ी के छह पहलू के ड्रम के बीच में एक शाफ्ट डालकर अच्छी तरह सेट कर देते हैं। यह शाफ्ट दो स्टैण्डों पर रखी जाती है और वी-बेल्ट लगाकर बिजली की मोटर शाफ्ट से जोड़ दी जाती है। जब विद्युत् मोटर चलती है, तो शाफ्ट घूमती है, फलस्वरूप

ड्रम भी अपने आधार पर गोलाई में घूमने लगता है और उसमें भरा सूखे रचकों का मिश्रण लोट-पोट होने लगता है। इस पाउडर मिक्सिंग ड्रम का प्रयोग करते समय आप दो बातों का ध्यान रखिये। ड्रम को उसकी क्षमता से आधा ही भरिये तथ अत्यन्त मन्द गति पर चलाइये, वरना सभी वस्तुएं समान रूप में अच्छी प्रकार मिल नहीं पायेंगी।

हवन सामग्रियों की पैकिंग व्यवस्था कैसे करें 

इन्हें पैक करने के लिए किसी मशीन का प्रयोग आप चाहते हुए भी नहीं कर सकते। एक तराजू तथा आधा और एक किलोग्राम के बाट ही पर्याप्त रहेंगे। पॉलीथिन की बिना छपी पारदर्शी थैलियों में भरने के बाद हाथ के दबाव से

करने वाले सीलर से थैलियों का मुंह बन्द कर दिया जाता है। लेबल लगाने के स्थान पर छपा हुआ पर्चा थैली के अन्दर ही रख दिया जाता है अथवा हवन सामग्री भरी थैली और पर्चे को दूसरी थैली में रखकर मुंह बन्द कर दिया जाता है। दस- बारह वर्ष पूर्व धूपों के बड़े निर्माता हरीदर्शन और पिसे हुए मसालों के बेताज बादशाह एम०डी०एच० ने बड़े स्तर पर इनका निर्माण और थैलियों को पिसे हुए मसालों के समान कार्डबोर्ड के डिब्बों में पैक करना प्रारम्भ किया। अब कुछ अन्य बड़े निर्माता भी ऐसा कर रहे हैं। यह सत्य है कि पहली बार डिब्बे तैयार कराने पर तीस-चालीस हजार रुपये लग जायेंगे, परन्तु डिब्बों में पैक करने पर जहां तीन-चार रुपये खर्च होते हैं, वहीं पन्द्रह-बीस प्रतिशत अधिक दरों पर बड़ी मात्राओं में हवन सामग्रियां सहज ही बिक जाती हैं।

हवन सामग्रियों  बिक्री (मार्केटिंग) व्यवस्था कैसे करें 

जहां तक की हवन सामग्रियों की बिक्री व्यवस्था का प्रश्न है, धूप-अगरबत्तियां बेचने वाले तो इन्हें बेचते ही हैं, अधिकांश पंसारी भी रखते हैं। आर्यसमाज मन्दिरों के आसपास की दुकानों पर ये सबसे अधिक मात्रा में बिकती हैं। कारण स्पष्ट है। प्रत्येक आर्यसमाज मन्दिर में तो सुबह-शाम हवन होता ही है, अधिकांश आर्यसमाजी परिवारों में भी नित्य हवन किया जाता है। अन्तिम संस्कार का सामान बेचने वाले भी इन्हें बड़ी मात्रा में बेचते हैं; क्योंकि दाहकरण संस्कार में दो से पांच किलोग्राम तक हवन सामग्री का प्रयोग होता ही है। आप किसी भी स्तर पर हवन सामग्रियों का निर्माण करें, इनके साथ प्रचण्ड सुगन्ध प्रदायक, जीवाणुनाशक और मच्छर भगाने वाल पाउडरों का निर्माण तो एक प्रकार से अनिवार्य है। आपके लिए इसका आगाम चरण होगा चन्दनबत्ती कही जाने वाली सूखी धूपों तथा शंकु के आकार के कोनो का निर्माण।

हवन सामग्री में क्या क्या मिलता है?

हवन साम्रगी आम की लकड़ी, तना और पत्ता, पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, कर्पूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लोभान, इलायची, शक्कर और जौ। इसके अलावा एक सूखा नारियल या गोला, कलावा या लाल रंग का कपड़ा और एक हवन कुंड।

हवन में क्या डाला जाता है?

जैसे :- गिलोय, जायफल, ब्राह्मी, अगर, तगर, इन्द्र जव, सफेद चंदन,लाल चन्दन , जटामांसी, शंखपुष्पी आदि . तिल ,जौ,चावल, शक्कर का अनुपात होता है वो इस प्रकार है .

हवन विधि कैसे बनाई जाती है?

हवन की विधि : हवन करने से पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। इसके तहत सबसे पहले प्रतिदिन की तरह पूजा करने के बाद अग्नि स्थापना करते हुए, हवन कुंड में आम की चौकोर लकड़ी लगाकर, कपूर रखकर जला दें। उसके बाद हवन मंत्रों से आहुति देते हुए प्रारंभ करें। फिर नवग्रह के नाम या मंत्र से आहुति दें।

हवन में कितनी आहुति देनी चाहिए?

अगर अगर आपको हवन में 50 या 100 आहुति देनी हैं तो कनिष्ठा उंगली से कोहनी (1 फुट से 3 इंच )तक के माप का हवन कुंड तैयार करें. 2. यदि आपको 1000 आहुति का हवन करना हैं तो इसके लिए एक हाथ लम्बा (1 फुट 6 इंच ) हवन कुंड तैयार करें.