जल संकट की समस्या से कैसे निपटा जा सकता है?Published: Jun 09, 2021 05:40:46 pm Show
पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।जल संकट की समस्या से कैसे निपटा जा सकता है? कुओं-तालाबों का जीर्णोद्धार करवाया जाए
जल संकट का कारण एवं उपाय: जलस्रोतजल संकट का कारण एवं उपाय: जलस्रोतजल संकट का कारण एवं उपाय: जलस्रोत-जल संकट का कारण एवं उपय जल स्रोत ही है । आवश्यकता के अनुरूप जलस्रोत का न होना, जल स्रोतों में अतिक्रमण, जलस्रोतों को गंदा करके नष्ट करना, बांधों की कमी से वर्षा जल संरक्षित करने में कठिनाई आ रही है, इसी से जल संकट कहते हैं । इसका निदान भी केवल और केवल जलस्रोत पर ही निर्भर है । जल संकट की भयावहता-आज का यक्ष प्रश्न है कि गांव-गांव, शहर-शहर में ‘जल संकट से कैसे निपटा जाये‘ ? जहॉं देखो पानी के लिये मारा-मारी चल रहा है । लोग कुछ गुण्डी पानी लेने के लिये आपस में गुत्थम-गुत्थी कर रहे हैं । स्थिति इतनी भयावह कि ऐसा पहिली बार हो रहा है कि पानी के लिये पहरा लगाया जा रहा है । जल वितरण पुलिस के पहरेदारी में हो रहा है । इस स्थिति को देखकर हर कोई यही कहता है- पानी का उपयोग कम करो यार, पानी की बचत करो । जल संकट क्यों है?सभी जीव जन्तु और वनस्पती का जीवनयापन पानी के बिना सम्भव नहीं है । इसलिये प्रकृति ने भूमि में अथाह जल दिया है। भूमि में पानी की मात्रा लगभग 75 प्रतिशत है । मात्रा के आधार पर भूमि में पानी करीब 160 करोड़ घन कि.मी. उपलब्ध है। लगभग 97.5 प्रतिशत पानी नमकीन है। केवल 2.5 प्रतिशत पानी ही उपलब्ध है उसमें इसी पानी का एक बहुत बड़ा भाग बर्फीली क्षेत्र में बर्फ के रूप में होने के कारण सिर्फ 0.26 प्रतिशत पानी ही नदियाें, झीलों, में मनुश्य के उपयोग हेतु उपलब्ध है। 0.26 प्रतिशत जल को यदि मात्रा में देखा जाये तो दुनिया की आबादी करीब 700 करोड़ के आधार पर प्रति व्यक्ति 6,00,000 घन मी0 पानी उपलब्ध है। पानी की इतनी मात्रा एक आदमी के नहाने-धोने, पीने-खाने के लिये पर्याप्त है यहां तक पानी बच भी जाये। फिर यह जल संकट क्यों ? जल संकट का आधारभूत कारण-पानी की उपलब्धता दो प्रकार से होती है एक भूमि के ऊपर भूतलीय जल के रूप में और दूसरा भूमि के भीतर भू-गर्भी जल के रूप में । यदि इस उपलब्धता में कमी आये अथवा उलब्ध जल उपयोग के लिये उपयुक्त न हो तो जल संकट होगा ही होगा । पानी के संग्रहण और संरक्षण में कमी होने पर जल संकट होगा ही । प्राकृतिक जल प्रकृति के जीव जंतु के जीवन के लिये पर्याप्त है । पानी की कमी का अनुभव तब हो रहा है जब इसका उपयोग औद्योगिक रूप में और कृषि में आवश्यकता से अधिक होने लग गया है । मूल कारण-
मूल कारण को कारण कहने का आधार –आजकल मनुष्य दैनिक जीवन यापन के लिये भूतलीय जल से अधिक भूगर्भी जल पर निर्भर होने लगे हैं । घर-घर में बोरवेल्स है, और पानी पम्प की सहायता से भू-गर्भी जल का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं । वैज्ञानिक बार-बार चेतावनी दे रहे हैं कि भूभर्गी जल स्तर लगातार गिर रहा है । इस बेतहासा जल दोहन से जल की उपलब्धता में कमी आ रही है । बस्ती के गंदे जल और कारखानों के अपशिष्ट जल, जल स्रोतों में जाकर मिल रहे हैं, जिससे उपयोगी जल की मात्रा में कमी आ रही है । पानी का उपयोग जीव जंतु के जीवनयापन के साथ अब औद्योगिक रूप में और उन्नत कृषि में हो रहा है । एक अनुमान के अनुसार उद्योग और कृषि में 70 प्रतिशत भू-गर्भ के जल का दोहन होने लगा है । केवल अनुभव करके देखिये एक एकड़ कृषि के लिये जितने जल का उपयोग किया जाता है, उस जल से एक गॉंव की प्यास बूझाई जा सकती है ।
जल स्तर गिरता क्यों है ?जल स्तर गिरता क्यों है, यदि इसके कारणों पर विचार करते हैं तो हम पाते हैं इसका मुख्य कारण भूसतही जल और भूगर्भी जल में अनुपातिक अंतर आना है, इसमें असंतुलन उत्पन्न होना है । भूगर्भी जल का स्तर भू सतही जल पर निर्भर करता है और भूसतही जल का स्तर जल के प्राकृतिक और कृत्रिम स्रोताों पर । जल स्रोत नदी-नाले, जलाशय, पोखर, बांध, तालाब आदि हैं, जो वर्षा के जल को संरक्षित करते है । इस संरक्षण से भूसतही जल संतुलित रहता है और इसके संतुलन से भू-गर्भी जल संतुलित होता है । यह एक चक्रिय प्रक्रम है । इस प्रक्रम का मुख्य घटक जल स्रोत ही है । इसलिये जल स्रोत का संरक्षण आवश्यक है । जल की उपलब्धता और उपयोगिता को समझने की आवश्यकता-व्यवसाय में जिस प्रकार आय-व्यय के लेखा-जोखा किया जाता है ठीक उसी प्रकार उलब्धता और उपयोग को समझने की आवश्यकता है । जल की उपलब्धता भूतलीय और भूगर्भी है । भूमि के ऊपर पानी संरक्षित रहने से भूगर्भी जल स्तर संरक्षित होता है । भूतलीय जल का स्रोत नदी, नाले तालाब, पोखर, कुँआ आदि है । इन प्राकृतिक एवं कृत्रिम स्रोतों में ही वर्षा के जल को संरक्षित किया जाता है। बच्चे-बच्चे जानते हैं कि वर्षा के पानी यदि रोको न जाये तो वह बह कर सागर में समा जाता है जो हमरे लिये किसी प्रकार से उपयोगी नहीं होता । ‘पानी बचाओ‘ के नारों को हम गलत ढंग से समझ और समझा रहे हैं-‘पानी बचाओ‘ के नारों को हम गलत ढंग से समझ और समझा रहे हैं । ‘ पानी बचाओं’ नारा से प्रभावित होकर यदि हम सचमुच कुछ लीटर पानी बचा रहे हों किन्तु हजारों-लाखों क्यूबिक मीटर जल के जल स्रोत को नष्ट कर रहे हो तो क्या समचमु हम पानी बचा रहे हैं ? क्या इस तरह जल संरक्षण संभव है ? क्या आप जानते हैं बड़े-बड़े शहरों को पीने का पानी किसी न किसी नदी से ही कराया जाता है । यदि नदियों पर अंधाधुंध अतिक्रमण किया जाये तो नदियों का अस्तित्व शेष रहेगा ? तालाबों का जल जो पेय भी होता था कम से कम गैरपेयजल के रूप में उपयोग में तो लाया जा सकता है ? उन तालाबों पर बस्ती बसते जा रहे हैं । कुँओं का तो अस्तित्व पहले से समाप्त हो चुँका है । नहर-बांध की संख्या सीमित है । ऐसे में आप ही सोचिये आपके कुछ लीटर पानी बचाने से पानी बचेगा कि जल स्रोत बचाने से पानी बचेगा । इसलिये ‘पानी बचाओं’ के नारे को परिवर्तित करके ‘जलस्रोत बचाओ’ कर देना चाहिये । जल स्रोतो की क्या स्थिति है ?अपने चारो ओर देखिये तो भला जल स्रोतो की क्या स्थिति है ? इंसान नदियों, नालो, तालाबों, बांधों में अतिक्रमण करके कोई खेती कर रहा है तो कोई वहां मकान बना कर बैठ गया है । सोचिये इस अतिक्रमण से कितने जल स्रोत नष्ट हो रहे हैं ? जिन जल स्रोतों पर अतिक्रमण नहीं है वहां अधिकांश में मनुष्य उसमें कचड़े फेक-फेंक कर कचड़ाखना बना दिये हैं । औद्योगिक कचड़े का निपटारा भी इन्ही जलस्रोतो पर किया जा रहा है । इस समस्या के मूल में इंसानों का बेपरवाह और लालची होना है । जब सभी के सभी किसी न किसी रूप में इन जल स्रोतों को नष्ट करने पर तुले हुये हैं तो अच्छे परिणाम की आशा किस से किया जाये ?
जल संरक्षण तभी संभव है जब जल स्रोत संरक्षित हो-जल संरक्षण तभी संभव है जब जल स्रोतों का संरक्षण किया जाये । वैज्ञानिक रूप से वर्षा के जल को संरक्षित करने पर जोर दे रहे हैं प्रश्न तो यही है यह वर्षा का जल कहां संरक्षित हो । इसके लिये या तो हमें पुराने जल स्रोतों को संरक्षित करना होगा और इसके साथ ही नये जल स्रोता का विकास भी करना होगा । इसलिये आवश्यक है कि जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करके साफ किया जाये और उपयोग के लायक बनाया जाये । हमारे पूर्वज इस बात से परिचित थे कि जल स्रोतो का संरक्षण आवश्यक है इसलिये जल स्रोतों के विकास के लिये तालाब, कुँआ और बांध बनवाने को आस्था से जोड़कर रखें थे । जल स्रोत बनवाने से पुण्य की प्राप्ति होती है, इस आस्था से लोग नये जल स्रोत बनवाते थे पुराने जल स्रोता का संरक्षण भी करते थे, इससे जल स्रोत अक्षुण बना रहता था किन्तु आस्था में गिरावट आने के कारण हम लोग नये जल स्रोत बनवाने की बात सोचना तो दूर, बचे हुये जल स्रोतों को ही नष्ट कर रहे हैं । जल संकट से उबरने के उपाय-कोई समस्या तत्कालिक पैदा नहीं होता न ही उसका तत्कालिक निदान होता । तत्कालिक की गई उपाय केवल समस्या को कम कर सकता है । उसका समूल निदान नहीं कर सकता । उसके समूल विनाश के लिये उसके कारण को जान कर, उस कारण को दूर करने का दीर्घकालिक योजना पर काम करना होता है । समस्या है तो उसका निदान भी अवश्य होगा । हमें उसी उपाय पर काम करने की जरूरत है । बिना पेड़ लगाये फल प्राप्त नहीं किया जा सकता यह जानते हुये भी हम बिना जल संरक्षण के जिम्मेदारी लिये केवल भूगर्भी जल का दोहन किये जा रहे हैं। इस समस्या का निदान वैज्ञानिक तरीकों के साथ-साथ नैतिकता पर भी निर्भर है । जल संकट से उबरने के प्रयासों में जब तक जनभागीदारी नही होगी पूर्ण सफलता संदिग्ध ही रहेगा । यदि हर इंसान अपनी नैतिक जिम्मेदारी को मान ले तभी प्रकृति इंसानों को साथ दे सकती है । आम तौर पर हम मान लेते हैं यह सब कार्य सरकार का है, इससे हमें क्या ? यह सोच जब तक बना रहेगा तब तक यह समस्या बनी रहेगी । यदि इस संकट का निदान करना हे तो हर आदमी को अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग देना ही होगा । इस बात को समझ कर जल स्रोतों अतिक्रमण मुक्त करें, जल स्रोतों को गंदा करने से बचें । उपलब्ध जल स्रोतों का संरक्षण करें और नये जल स्रोतों विकास के बारे में सोचें इसी सी जल संकट का स्थायी निदान संभव है ।
-रमेश चौहान 1,821 total views, 3 views today जल संकट को रोकने के क्या उपाय हैं?अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर उनका संरक्षण करना चाहिए, ताकि वायुमंडल में नमी होने पर बादल आकर्षित होकर वर्षा करें। जल प्रदूषण नहीं होना चाहिए। घरों में स्नान करते समय बाल्टी का प्रयोग करें। टूथब्रश के समय नल की टोटी को कम खोलें या मग के पानी का उपयोग करें।
पानी के संकट का प्रमुख कारण क्या है?वैश्विक जल संकट के कारण
वर्षा की मात्रा में कमी। अनियंत्रित पानी की खपत। जनसंख्या में वृद्धि। उचित जल संरक्षण तकनीक का आभाव।
जल संकट क्या है?एक क्षेत्र के अंतर्गत जल उपयोग की मांगों को पूरा करने हेतु उपलब्ध जल संसाधनों की कमी को ही 'जल संकट' कहते हैं। विश्व के सभी महाद्वीप में रहने वाले लगभग 2.8 बिलियन लोग प्रत्येक वर्ष कम-से-कम एक महीने जल संकट से प्रभावित होते हैं। लगभग 1.2 बिलियन से अधिक लोगों के पास पीने हेतु स्वच्छ जल की सुविधा उपलब्धता नहीं होती है।
जल संरक्षण के लिए आप कौन कौन से उपाय कर सकते हैं?पर्यावरण के साथ निरंतर खिलवाड़ का यह नतीजा है कि आज पूरी जनसंख्या हेतु पर्याप्त स्वच्छ जल के संकट से पूरा विश्व गुजर रहा है।. हर नागरिक में जल संरक्षण हेतु जागरूकता लानी होगी।. हर नागरिक शावर की जगह बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें।. सेविंग करते समय नल बंद रखें।. बर्तन धुलते समय नल के स्थान पर टब का प्रयोग करें।. |