जिंदगी और जीवन में क्या अंतर है? - jindagee aur jeevan mein kya antar hai?

ये लेख सबके लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा।इसलिए,ये लेख को अवश्य पूरा पढना।अक्सर हमे कभी ना कभी तो मन में यह ख्याल जरूर आता हैं की आखिरकार ये जीवन क्या हैं?मनुष्य जीवन हमें कैसे मिलता हैं?हमे अपना जीवन कैसे जीना चाहिए?जीवन का उद्देश्य क्या हैं?जीवन में परेशाानियां आए तो क्या करें?जिंदगी और जीवन में क्या अंतर हैं?

जिंदगी और जीवन में क्या अंतर है? - jindagee aur jeevan mein kya antar hai?
जिंदगी और जीवन में क्या अंतर है? - jindagee aur jeevan mein kya antar hai?

जीवन को कैसे जीना चाहिए उसके प्रति सभी के नजरिए अलग अलग होते हैं।सभी लोग कैसे जीवन जीते हैं वो भी अलग होते हैं इसलिए सब की नजरों में जीवन क्या हैं,कैसे समझना और कैसे जीना वो उस पर आधारित होता हैं।जीवन को कैसे जीना हैं वैज्ञानिक ओर आध्यात्मिक तरीके से भी लोग समझते हैं।हम इस लेख में हमारे तरीके से समझाने की कोशिश करेंगे।

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जीवन क्या हैं?जीवन की परिभाषा।

हमारे जन्म से लेकर मृत्यु के बीच की स्थिती को जीवन कहते हैं।जीवन हमे वरदान के रूप में भगवान द्वारा दिया गया होता हैं।हमें भगवान का शुक्रगुजार करना चाहिए, क्यूंकि हमें एसी मनोहर पृथ्वी के अच्छी जगह पर हमारा जन्म हुआ हैं।

मनुष्य जीवन हमें कैसे मिलता हैं?

गरुड पुराण के अनुसार हर जीव का पुनर्जन्म होता हैं,यानी वह फिर से जन्म लेता हैं।जिसका जन्म होता हैं,उसकी मृत्यु भी निश्चित हैं।हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य जीवन 84 लाख योनि में से भटकने के बाद मिलता हैं। योनियां क्या हैं?ये सभी को पत्ता हैं कि मादा के जिस अंग से जीवात्मा का जन्म होता हैं,उसे हम योनि कहते हैं।मनुष्य योनि,पशु योनि,कीट योनि,पक्षी योनि आदि भिन्न भिन्न योनि होती हैं।हमारा जन्म हमारी इच्छा मुजब नहीं होता है।यह मात्र नर और मादा के संभोग का परिणाम होता हैं।मनुष्य अपनी मृत्यु के बाद कोनसा जन्म धारण करेगा वो उसके पूर्व कर्मो के आधारीत होता हैं।मनुष्य अच्छा कर्म करता हैं तो उसको मोक्ष मिल जाता हैं।मनुष्य किस योनि में जन्म धारण करता है वे अपने कर्म के अनुसार होता हैं।मनुष्य जीवन सबसे सर्वोपरी है।मनुष्य जीवन में ही भगवान को प्राप्त करने का मोका मिलता हैं।अच्छे और बुरे कर्मो के फर्क को समझता है।इसलिए हमे मनुष्य जीवन मिला है तो उसका हमे सही उपयोग करना चाहिए।बुरे कामों नहीं करना चाहिए।

हमें अपना जीवन कैसे जीना चाहिए?

दोस्तों,हमे जीवन कैसा भी मिला हो उसके लिए तो सबसे पहले हमे भगवान का शुक्रगुजार करना चाहिए।हमे इस पृथ्वी पर एसी अच्छी जगह पर जीवन जीने का मोका मिला यही हमारे लिए अच्छी बात है।कुछ लोग के जीवन की यात्रा में ही भगवान का बुलावा आ जाता हैं और उसको जीवन जीने का मोका नहीं मिलता,इसलिए वे लोग अपना पूरा जीवन अच्छी तरह से नहीं जी पाते हैं।कुछ लोगों का जीवन अनेक बीमारियां से घिरा हुआ होता हैं,वो भी अपने जीवन का आनंद दुसरे लोग जीवन जीने का आनंद लेते हैं उसी तरह वे लोग जी नहीं पाते हैं,एसे लोगों की जीवन के प्रति अलग नजरिए होते हैं।कुछ लोग किसी की हत्या,किसी का रेप,कालाबाजारी ये सब बुरे कामों करते हैं इन सब व्यक्तियों को शर्म आनी चाहिए की एसे मस्त जीवन का आनंद लेने की बजाए बुरे कामों कर रहे हैं।एसे लोग कभी भी सुखी नहीं होते हैं और एसे लोगों को नर्क मिलता हैं।

एक बात तो हम सबको समझ लेनी चाहिए की हमारा जन्म  इस पृथ्वी पर हुआ हैं तो कुछ अच्छे कामों करने के लिए हमे ये जन्म भगवाने दिया है,तो एसी ही जीवन को हमे बर्बाद नहीं करना चाहिए।अच्छे कामों करें,दूसरों की मदद करें,मेहनत करके सफल बने,दूसरों की निंदा मत करें।हमे जीवन को समझना चाहिए,हमे अपनी लाइफ की कद्र करनी चाहिए।हमे जेसे भी लाइफ मिली हो हमे उसका स्वीकार करना चाहिए।जीवन के हर क्षण का आनंद लेना चाहिए।हर दिन खुशियों के साथ बिताना चाहिए।ये जिंदगी है,ये जिंदगी का कुछ अतापत्ता नहीं है,कब ये हमारी जिंदगी समाप्त हो जाए उसके बारे में हमे पत्ता नहीं है इसलिए हमे जैसे भी जिंदगी मिली हो उसका हमे अच्छे तरह से जीना चाहिए।हमे अच्छे कामों करना चाहिए।अपनी जिंदगी से हमे कभी भी नाराज नहीं होना चाहिए।हमे एसा मानना चाहिए कि हमे जैसे भी जिंदगी मिली अच्छी मिली और हम अब तक जिंदगी जी रहे हे ये ही हमारे लिए गर्व की बात है।

जीवन जीने का उद्देश्य क्या हैं?

आप सब को कभी भी तो ऐसा विचार प्रकट हुआ होगा की आखिरकार एसी टेक्नोलॉजी वाली,प्रतियोगिता वाली,एक दूसरे के साथ हरिफाई वाली,पैसा कमाने के पीछे भागे जाने वाली दुनिया में आखिरकार जीवन जीने का असली उद्देश्य कया हैं?हम एसे ही खा,पीकर,मोज करकर और अंत में मरजाना एसे ही हमारी लाइफ है क्या?हम सिर्फ ये सब करने के लिए ही पैदा हुए हैं।आपको पत्ता ही होगा की ये मनुष्य जीवन हम जैसे भी मोज कर रहे ने ये जीवन हमे ऐसे ही नहीं मिल जाता हैं।मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता हैं।हमे ये जीवन भगवान द्वारा मिला है तो उसके पीछे कुछ तो मकसद होगा।एसे ही बिना मकसद के हमे ये जिंदगी तो भगवान ने नहीं दी हैं।हम जी रहे हे इससे पहले भी लोग तो इस दुनिया में जी रहे थे तो फिर हमे एसे ही बिना मकसद के बिना हमे ये जिंदगी भगवान ने थोडी दिया है।हमे इसलिए ये मनोहर धरती पर जन्म दिया है की हम जीवन का महत्व समझे,अच्छे कर्म करें,अपने लक्ष्य को पाए और एक सफल इंसान बनकर तरक्की करे और समाज के काम में आए और इस खूबसूरत दुनिया को और बेहतर खूबसूरत बनाने में अपना सहयोग दे।

जीवन में परेशानियां आए तो क्या करे?

जीवन में परेशानियां तो आती जाती रहेगी।हमे परेशानियां के साथ जीवन जीने की कोशिश कर लेने चाहिए।परेशानियां से भागना उसका समाधान नहीं है।हमे परेशानियां को दूर करना चाहिए।परेशानियां आए तो धीरज रखो,परेशानियां से मत डर उसको दूर करने के बारे मे सोचो।

आज काल किसी को भी पूछो की कैसी जिंदगी चल रही हैं।क्या हाल है? बस जिंदगी चल रही है जैसी वैसी करके ऐसा ही उत्तर मिलता हैं।ऐसा लगता हैं की हम सब सिर्फ जिंदगी को गुजार रहे हैं और ऐसा लगता हैं की हम जबरदस्ती जिंदगी जी रहे हैं और कुछ मजा ही नही रहा है लाइफ में।एक बात तो याद रखनी चाहिए की जिंदगी जीना और जिंदगी गुजारना ये दोनो अलग – अलग बात है।पशु तो जिंदगी को गुजारते हैं,हम तो इंसान हैं हमे जिंदगी को मोज सोख,भक्ति,अच्छे कर्मों, सफल इंसान बनकर जिंदगी को अच्छी और मस्त रिते जीना हैं।कुछ पाने का लक्ष्य होना चाहिए,कुछ पाने की तडप होनी चाहिए।अपने जीवन को अच्छा बनाने की कोशिश होनी चाहिए।

कभी कभी तो लोग अच्छे और मस्त जीवन को बर्बाद कर देते हैं।आत्महत्या कर लेते हैं।कुछ लोग प्रेम में,धंधे में नुकसानी आने के कारण और भी कारणों का सॉल्यूशन आत्महत्या नहीं है।हम सब के जीवन में परेशानियां तो आती ही रहेगी।कभी सुख तो कभी दुःख जीवन में आता ही रहेगा।धंधे में उतार-चढाव भी होता ही रहेगा।ये सब मुश्केलिया के लिए जीवन का अंत ही उसका समाधान नहीं है दोस्तो।

श्री कृष्ण ने भगवत गीता में कहा की सुख और दुःख विरोधी नहीं है,पूरक हैं।वास्तव में ये एक सिक्के के दो पहलू की तरह हैं।यदि दुख ना हो तो सुख की अनुभूति नहीं होती और यदि दुख आता है तो उसके बाद सुख की प्राप्ति की इच्छा होती हैं।सुख आने की कीमत समझ में आती है।

अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा की,”भगवन,आप ऐसा वाक्य कहे की दुख में पढा जाए तो मन में सुख की प्राप्ति हो ओर दुख में पढा जाए तो मन विचलित ना हों।फिर,श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा की,”ये समय भी बित जाएगा।”अर्जुन!समय का पहिया कभी एक जगह पर नहीं थमता,ये तो चलता ही रहेगा।कभी दुख आएगा तो कभी सुख आएगा।

जिंदगी और जीवन में क्या अंतर हैं?

जिंदगी हमे भगवान द्वारा उपहार के रूप में दी जाती हैं।हमे भगवान द्वारा तो जिंदगी मिल जाती हैं,लेकिन हमे जिंदगी को कैसे जीनी हैं और जिंदगी को कैसे खूबसूरत बनानी है ये सब हम पर निर्भर है और हम अपनी मर्जी से जिंदगी को कैसे जीते है उसको हम जीवन कहते हैं।हम चाहे तो जीवन को अच्छा बना सकते है और बुरा बना सकते हे,ये सब के हाथो में होता है।हम जैसा भी जीवन व्यतीत करते हैं उसके कर्मो के अनुसार ही हमे अगला जन्म किस योनि में मिलता हे उस पर आधारित होता है।

निष्कर्ष

दोस्तों,हमने ये लेख में जीवन क्या है?जीवन को केसे जीना चाहिए उसके बारे में हमारे तरीके से समझाने की कोशिश की है।जीवन के प्रति सभी के नजरिए अलग होते हैं।हमारा लेख पढकर आपको थोडी सी भी जानकारी मिली होगी।हमारा लेख पढने के लिए धन्यवाद।

जिंदगी में सबसे जरूरी क्या होता है?

जिंदगी के लिए सबसे पहले ऑक्सीजन, पीने के लिए पानी और खाने के लिए भोजन ,पहनने के लिए कपड़े,परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त धन।

जिंदगी की परिभाषा क्या है?

जिंदगी एक संज्ञा है जिसका अर्थ है समय का समुचित उपयोग करना । धन्यवाद! ज़िंदगी वह है जो आप उसे बनाते हैं

जिंदगी जीने का अर्थ क्या है?

जिंदगी का सही मतलब है मै को पहचानना कि मै कोन हूँ, क्या हूँ और क्यों हूँ । जब हम अपने आप को पहचान लेंगे तो ही हमारा ध्यान अपने आप से हटकर समाज की भलाई में लगेगा । अन्यथा हम अपनी ही समस्याओं में उलझे रहेंगे ना तो जिंदगी का आनन्द ले पाएँगे ना ही समाज को कुछ दे पाएँगे।

जीवन और उम्र में क्या फर्क है?

सबसे पहले जवाब दिया गया: 'उम्र' और ज़िंदगी में क्या अंतर है ? 'उम्र' केवल एक गणितीय संख्या है, जो प्रतिवर्ष परिवर्तित होनी ही है। लेकिन जिंदगी, जिंदादिली से जीने का नाम है, जिसे हम जीवन के प्रथम दिन से लेकर, मृत्यु तक मजे से जी सकते है, बिना किसी वार्षिक परिवर्तन के।।