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General Studies Free Mock Test 20 Questions 60 Marks 15 Mins Last updated on Sep 23, 2022 JSSC JE Re Exam Date Out on 22nd September 2022. This is in reference to advt no 06/2021 and 02/2022.The exam will be conducted between 23rd October and 7th November 2022 in CBT Mode. Also, note that the exam will be held in Ranchi, Jamshedpur, Dhanbad and Hazirabagh districts. The candidates can download the JSSC JE Admit Card as and when out. After the exam is conducted, the board will release the provisional answer key. Jharkhand Gk Jharkhand Ka Rajkiya Diwas Kaunsa Hai ?Q.140011: झारखण्ड का राजकीय दिवस कौनसा है ? More quiz in Hindiझारखण्ड का राजकीय दिवस कौनसा है ? - What is the official day of Jharkhand? - Jharkhand Ka Rajkiya Diwas Kaunsa Hai ? Jharkhand Gk in hindi, सामान्य ज्ञान 15 November question answers in hindi pdf 21 March questions in hindi, Know About 15 September Jharkhand Gk online test Jharkhand Gk MCQS Online Coaching in hindi quiz book 2 April Comments।
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जवाब या सवाल नीचे दिये गए बॉक्स में लिखें। झारखंड का भव्य उत्सव है प्रकृति पर्व ‘सरहुल’, जानिए आदिवासियों के इस विशेष त्योहार और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे मेंसरहुल में प्रचलित है- नाची से बांची. यानी जो नाचेगा वही बचेगा. क्योंकि, मान्यता है कि नृत्य ही संस्कृति है. इसमें पूरे झारखंड में जगह-जगह नृत्य उत्सव होता है. इस बार सरहुल 15 अप्रैल 2021 को है. महिलाएं लाल पाढ़ साड़ी पहनती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि सफेद पवित्रता और शालीनता का प्रतीक है.By Prabhat khabar Digital Updated Date Wed, Apr 14, 2021, 6:00 AM IST
झारखंड में पूरे हर्षोल्लास के साथ त्योहारों को मनाया जाता है झारखंड राज्य में बनाए जाने वाले त्योहारों झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है हालांकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी देवारा के उत्सव में होता है। 1– करमा पर्व =प्रकृति संबंधित त्यौहार है, यह त्यौहार भाद्रपद माह में मनाया जाता है, अर्थात भादो एकादशी मनाया जाता है। इस त्यौहार का प्रमुख संदेश कर्म की जीवन प्रधानता है इस त्यौहार में ‘ जावा ‘ को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। आदिवासी व सदानों में समान रूप से प्रचलिंत है। यह पर्व हिंदूओं के भाई दूज पर्व की भांतिं भाई-बहन के प्रेम का पर्व है। करमा पूजा की दो श्रेणियां है:- (1):- देश करमा :- इसमें मुख्यता: अखरा में की जाने वाली सामूहिक पूजा है। (2):- राज्य करमा:– इसमें घर के आंगन में की जाने वाली पारिवारिक पूजा होती है। Read also : आपको वोट क्यों देना चाहिए और कौन वोट कर सकता है ?2. सरहुल :– यह जनजातियों का सबसे बड़ा पर्व है , यह प्रकृति से संबंधित त्यौहार है, यह चैत माह के शुक्ल पक्ष को मनाया जाता है। इस पर्व में चावल मुर्गी का मांस मिलाकर ‘ सूड़ी ‘ नामक खिचड़ी बनाई जाती है जिसे प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है । सरहुल पूजा के दौरान पाहन, पुजारी,नेगना तीन अलग -अलग रंग के युवा मुर्गा प्रदान करते हैं। 1. सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए 2. गांव के देवताओं के लिए 3. गांव के पूर्वजों के लिए => गांव के पुजारी ग्रामीण को साल के फूल जावा वितरित करते हैं और तो और भी हर घर की छप्पर पर इन फूलों को डालते है, जिसे दूसरे शब्दों में फुल खोशी भी कहा जाता है। पूजा समाप्ति के बाद ग्रामीण लोग हड़िया पेय पदार्थ पीते हैं यह त्यौहार छोटा नागपुर की इस क्षेत्र में लगभग सप्ताह भर पर मनाया जाता है। => कोलाहन क्षेत्र में इस त्यौहार को ‘ बा पोरोब’ कहा जाता है, इसका अर्थ फूलों का त्यौहार भी होता है। 3.मंडा पर्व:— इस पर्व में रखने वाले पुरुष व्रती को भगत और महिला व्रती को सोखताइन कहते हैं। 4. सोहराई पर्व:– यह पर दिवाली के दूसरे दिन मनाया जाता है । यह पर्व संथाल प्रजाति का का सबसे बड़ा पर्व है। इस पर्व को मनाने से पूर्व जनजाति समुदायों द्वारा अपने घरों की दीवारों को सुशोभित रुप से रंगों में रंगा जाता है। Read also : जम्मू और कश्मीर के परिसीमन से किसका फायदा और किसका नुकसान5. टुसू पर्व:– यह सूर्य पूजा से संबंधित त्यौहार है। इसमें सूर्य की पूजा अर्चना बड़ी धूमधाम से की जाती है, इस पर्व के दौरान लड़कियों के द्वारा रंगीन कागज से लकड़ी या बाद एक फ्रेम सजाया जाता है, तथा इसे के पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवाहित किसी नदी को भेंट कर दिया जाता है। मकर संक्रांति से शुरू होने वाला पर्व समानता एक माह तक चलता है। यह मुख्य रूप से कुरमाली और झारखंड के आदिवासियों में टूसू पर्व ,मकर पर्व,पूस पर्व,तीनो नाम से जाना जाता है। 6.जितिया:–यह पर्व मुख्यतः माँ एवं पुत्र के बीच अतुल्य प्रेम की दिव्य चमक के रूप में ममता को प्रदर्शित करता है ,इस पर्व में मुख्यतः माँ अपने बच्चों अर्थात अपने पुत्र के दीर्घायु जीवन के लिए तथा उसकी सुख समृद्धिके लिए व्रत रखती है। 7. भाई भीख :– भाई भिख भी ऐसा पर्व है जो 12 वर्ष में एक बार मनाया जाता है ,इस पर्व में बहन अपने भाई के घर से भिक्षा मांगकर अनाज लाती है तथा एक निश्चित दिन निमत्रंण देकर अपने भाई अपने घर पर भोजन कराती है। 8.जनी शिकार:- यह शिकार कुरुख महिलाओं द्वारा बख्तियार खिलजी ( अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति) को भगा देने के याद में किया जाता है। जो रोहतारागढ़ में त्यौहार के नव वर्ष के अवसर पर का कब्जा करना चाहता था। 9. आसाढ़ी पूजा:- आषाढ़ माह मनाए जाने वाले इस पर्व में घर आंगन मैं बकरी की बलि दी जाती है, तथा हरिया का तपान चढ़ाया जाता है, ऐसी मान्यता है कि इस बार को मनाने से गांव में चेचक जैसी बीमारियां का प्रकोप नहीं होता है। 10.चांडी पर्व :– यहां पर उराव जनजाति द्वारा मनाया जाता है, इस पर्व में महिलाएं भाग नहीं लेती हैं, तथा जिस परिवार में कोई महिला गर्भवती हो उस परिवार का पुरुष भी इस पर्व में भाग नहीं लेता। Read also : भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी असफल क्यों हैं ?11. वंदना: इस पर्व का आयोजन कार्तिक : अमावस्या में किया जाता है, या पर काले चंद्रमा के दौरान मनाया जाता है। सबसे प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, यह त्यौहार मुख्य रूप से जानवरों के लिए है, आदिवासी जानवरों और पालतू जानवरों के साथ बहुत करीब होते हैं। इस त्यौहार में लोग अपनी गाय एवं बैलो को नहलाते है, साफ करते हैं, इस त्यौहार के गीत को “ओहीरा” कहते हैं। जो पशुओं को समर्पित होते हैं, इस दीवार के पीछे धरना यह है कि पशु हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, के अंदर भी इंसान जैसे ही आत्मा होती है। 12. रोहिणी/ रोहिन— झारखंड राज्य का प्रथम त्यौहार है, इस त्यौहार प्रारंभ के दिन में किसानों द्वारा खेतों में बीज बोने की शुरुआत की जाती है, इस त्यौहार को मनाने के दौरान किसी प्रकार का नित्य प्रदर्शन या लोकगीत गाया नहीं किया जाता है। 13. एरोक पर्व:- यह पर्व संथाल जनजाति के द्वारा मनाया जाता है:-, या आषाढ़ के महीने में बीज बोते समय मनाया जाने वाला पर्व है। 14.हरियाड़ पर्व:– इस पर्व को संथाल जनजाति के द्वारा ही मनाया जाता है, धान में हरियाली आने पर अच्छी फसल आने के लिए इस पर्व को सावन महीने मनाया जाता है। 15.साकरात पर्व:- इस पर्व को भी संथाल जनजाति द्वारा मनाया जाता है:-, यह प्रमुखता माता के लिए एवं जीवन के लिए मनाया जाता है। Read also : आज ही शुरू करें इस शानदार बिजनेस को जल्द ही बन जायेंगे करोड़पति ;जानिए तरीका16. बाहा पर्व:- व्यापार भी संथाल जनजाति के द्वारा मनाए:-, व्यापार व फागुन माह में मनाया जाता है जिसमें लोग शुद्ध जल से होली खेलते हैं, अर्थात से शुद्ध जल से आने वाली होली का त्यौहार भी कहा जाता है। 17.जतरापर्व — यह पर्व उराव जनजाति के द्वारा मनाया जाता है, यह कार्तिक माह में मनाया जाने वाला पर्व है। 18.जंकोर पर्व:- यह पर्व खड़िया जनजातियों द्वारा मनाया जाता है, जाखड़िया जनजाति का वंश उत्सव है। 19.मक्का सेंदरा:– इस पर्व के दौरान जनजातियां महिलाएं पुरुष के कपड़े पहनकर दिनभर पशुओं का शिकार करती है। 20. कुटसी पर्व:-कुटसी पर्व असुरों द्वारा मनाया जाता है, यह प्रमुखता लोहा गलाने के उद्योग की उन्नति के लिए मनाया जाता है। 21. गांगी आड़या:- यह पर्व माल पहाड़ियों के द्वारा मनाया जाता है, या मुख्यता: के काटने के उपलक्ष पर भादो माह में महीने मनाया जाता है। Read also : 1. बिरसा मुंडा की जीवनी खोरठा भाषा में2. सेमीकंडक्टर चिप3. बटन मशरूम की खेती कैसे करें ?4. नागपुरी व्याकरण लिंग की सम्पूर्ण जानकारी5. हिन्दी व्याकरण के विलोम शब्दझारखंड का राजकीय त्योहार क्या है?इस राज्य में मनाये जाने वाले त्योहारों से झारखंड का भारत में सांस्कृतिक विरासत के अद्भुत उपस्थिति का पता चलता है। हालाकि झारखंड के मुख्य आकर्षण आदिवासी त्योहारों के उत्सव में होता है। यहाँ की सबसे प्रमुख, उल्लास के साथ मनाए जाने वाली त्योहारो में से एक है सरहुल।
झारखंड में कौन सा त्यौहार चार दिन तक मनाया जाता है?झारखंड में सरहुल बड़े जोशो-खरोश के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक इसका जश्न चलता रहता है। अलग-अलग जनजातियाँ इसे अलग-अलग समय में मनाती हैं।
आदिवासियों का मुख्य पर्व कौन सा है?सरहुल आदिवासियों का प्रमुख पर्व है। पतझड़ के बाद, जब पेड़ पौधे हरे-हरे होने लगते हैं, फूल वाले पौधों की डालियों पर कलियां निकलने लगती हैं। यानी जब पूरी धरती रंग-बिरंगी होकर उल्लास से नाच उठती है, तब त्यौहार मनाया जाना शुरू होता है और कई दिनों तक चलता है। चैत की तृतीया से शुरू होकर यह पर्व महीने भर चलता है।
झारखंड का कौन सा त्यौहार फूलों का त्यौहार के रूप में माना जाता है?सही उत्तर सरहुल है। सरहुल त्योहार 'फूलों के त्योहार' के रूप में जाना जाता है। यह झारखंड क्षेत्र के उरांव, मुंडा और हो जनजातियों द्वारा मनाया जाता है।
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