का ने पर आदि क्या हैं - ka ne par aadi kya hain

मेरे हिसाब से हिंदी में सबसे बड़ी समस्या है लिंग की और उसके बाद यह समझने-समझाने की कि किन शब्दों को एक–दूसरे से मिलाकर लिखना है और किनको अलग-अलग। इसके बारे में हम कोई सर्वसम्मत नियम नहीं बना सकते, लेकिन काम करने और एकरूपता बनाए रखने के लिए कुछ नियम अपनाए जा सकते हैं।
आज हम ने, पर, को  आदि शब्दों के बारे में बात करेंगे जिन्हें व्याकरण की भाषा में विभक्तियाँ या परसर्ग कहते हैं। कई स्थानों पर इनको कारक चिह्न भी लिखा गया है। इनके बारे में पहली क्लास में ही बात कर चुका हूँ कि इन विभक्तियों के लगने से कैसे (तत्सम शब्दों को छोड़कर बाक़ी) पुल्लिंग आकारांत शब्द एकारांत में बदल जाते हैं जैसे गधा के बाद ने लगने से गधे हो जाएगा – गधे ने लात मारी।

विभक्तियाँ या कारक चिह्न कौन-कौनसे हैं, यह हम फिर से देख लेते हैं।

  • कर्ता     ने
  • कर्म     को
  • करण     से
  • संप्रदान     को, के लिए
  • अपादान     से
  • अधिकरण     में, पर
  • संबंध     का, के, की
  • संबोधन     ऐ, अरे, ओजी आदि

ये जो विभक्तियाँ, परसर्ग या कारक चिह्न आपने ऊपर देखे जैसे ने, को, में आदि इनको इनके पूर्व आनेवाले शब्दों के साथ मिलाकर लिखें या अलग-अलग, इसका एक सीधा-सा नियम है। यदि संज्ञा हो तो अलग लिखें, सर्वनाम हो तो साथ-साथ। संज्ञा और सर्वनाम तो समझते हैं न आप? नहीं भी समझते तो नीचे उदाहरणों से समझ जाएँगे। फिर भी नहीं समझ आए तो नीचे कॉमेंट में लिख दीजिएगा, समझा दूँगा। नीचे उदाहरण देखिए।

  • रूठे हुए पिंटू ने  कहा कि मैं आज नहीं खाऊँगा। उसके  ऐसा कहते ही उसकी माँ ने  कहा, ‘ठीक है। फिर आज भूखे ही सोना।‘

ऊपर के वाक्य में ‘पिंटू’ के बाद ‘ने’ विभक्ति आई है लेकिन चूँकि ‘पिंटू’ संज्ञा (नाम) है इसलिए ‘ने’ को अलग लिखा गया है। दूसरे वाक्य में ‘पिंटू’ का नाम दोबारा नहीं लिखा गया है। उसकी जगह ‘उस’ सर्वनाम का उपयोग किया गया है और ‘के’ और ‘की’ विभक्तियों को ‘उस’ के साथ मिलाकर लिखा गया है। उसी वाक्य में ‘माँ’ और ‘ने’ को अलग-अलग लिखा गया है क्योंकि ‘माँ’ भी संज्ञा है।
उम्मीद है, समझ में आ गया होगा। इस समझ को और पुख़्ता करने के लिए कुछ और उदाहरण दे देता हूँ।

  • विजय के घर में हमेशा टीवी बहुत ज़ोर से बजता रहता है। पता नहीं, उसके पड़ोस में  रहनेवाले बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे।
  • तरुण ने  यदि हेल्मेट पहना होता तो दुर्घटना में  उसकी जान न चली जाती।
  • उसने  मुझे खींच न लिया होता तो मैं गाड़ी के नीचे आ जाता।

जब कहीं सर्वनाम के साथ ‘के लिए’ विभक्ति का इस्तेमाल होगा तो ‘के’ मिलाकर लिखा जाएगा और ‘लिए’ अलग। उदाहरण देखिए – मैं उसके  लिए मैगी ख़रीदकर लाया।

पहले ये विभक्तियाँ संज्ञा के मामले में भी साथ ही लिखी जाती थीं। लेकिन अब हिंदी में कुछ अपवादों को छोड़ सभी जगह यही नियम अपनाया जाता है कि संज्ञा शब्दों के मामले में अलग और सर्वनाम शब्दों के मामले में साथ। एक ‘दैनिक आज’ है जो सभी विभक्तियों को संज्ञा के साथ मिलाकर लिखता था (अब वाराणसी संस्करण में शीर्षक में विभक्तियाँ साथ लिखी जा रही हैं, मैटर में नहीं) और दूसरा गीता प्रेस जिसकी किताबों में आज भी विभक्तियाँ हर मामले में साथ लिखी जाती हैं जैसे सीताजीने, गौतमजीकी आदि।

सर्वनाम उन शब्दों को कहा जाता है, जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि,के नाम के स्थान पर करते हैं। इसके अंतर्गत मैं, तुम, तुम्हारा, आप, आपका, इस, उस, यह, वह, हम, हमारा ,आदि शब्द आते हैं।

परिभाषा[संपादित करें]

कामताप्रसाद गुरू के मतानुसार- सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं जो पूर्वापर संबंध से किसी भी संज्ञा के बदले में आता है, जैसे, मैं (बोलनेवाला), तू (सुननेवाला), यह (निकट-वर्ती वस्तु), वह (दूरवर्ती वस्तु) इत्यादि। वाक्य में जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा के बदले में होता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द का अर्थ है- सब का नाम। संज्ञा जहाँ केवल उसी नाम का बोध कराती है, जिसका वह नाम है, वहाँ सर्वनाम से केवल एक के ही नाम का नहीं, सबके नाम का बोध होता है। जैसे – राधा कहने से केवल इस नामवाली लड़की का बोध होगा किन्तु सीता, गीता, राम, श्याम सभी अपने लिए मैं का प्रयोग करते हैं तो मैं इन सबका नाम होगा। इसी तरह बोलनेवाले अनेक नामों के बदले तुम या आप और सुननेवाले अनेक नामों के बदले वह या वे का प्रयोग होता है। जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञा के स्थान पर किया जाता है उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे - मैं, तुम, हम, आप, वे । हिंदी के मूल सर्वनाम 11 हैं, जैसे- मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, क्या, कोई, कुछ। प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम के छः प्रकार हैं-

  1. पुरूषवाचक - मैं, तू, वह, हम, मैंने
  2. निजवाचक - आप
  3. निश्चयवाचक - यह, वह
  4. अनिश्चयवाचक - कोई, कुछ
  5. संबंधवाचक - जो, सो
  6. प्रश्नवाचक - कौन, क्या

पुरूषवाचक सर्वनाम-[संपादित करें]

पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं : उत्तम पुरुष (Uttam Purush) इन सर्वनाम का प्रयोग बात कहने या बोलने वाला अपने लिए करता है । उदाहरण : मैं, मुझे, मेरा, मुझको, हम, हमें, हमारा, हमको । मध्यम पुरुष (Madhyam Purush) इन सर्वनाम का प्रयोग बात सुनने वाले के लिए किया जाता है । उदाहरण : तू, तुझे, तेरा, तुम, तुम्हे, तुम्हारा । आदर सूचक : आप, आपको, आपका, आप लोग, आप लोगों को आदि । अन्य पुरुष इन सर्वनाम का प्रयोग बोलने वाला अन्य किसी व्यक्ति के लिए करता है । उदाहरण :वह, उसने, उसको, उसका, उसे, उसमें, वे, इन्होंने, उनको, उनका, उन्हें, उनमें आदि । जो सर्वनाम शब्द कर्ता के स्वयं के लिए प्रयुक्त होते हैं उन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे :स्वयं, आप ही, खुद, अपने आप । उदाहरण : उसने अपने आप को बर्बाद कर लिया । मैं खुद फोन कर लूँगा । तुम स्वयं यह कार्य करो । श्वेता आप ही चली गयी । नोट: इसके 'आप' का प्रयोग अपने लिए / स्वयं (self) होता है आदर सूचक 'आप' के लिए नहीं । जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे : यह, वह, ये, वे । उदाहरण : यह मेरी घडी है । वह एक लड़का है । वे इधर ही आ रहे हैं । जिन सर्वनाम शब्दों से किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध नहीं होता है उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे : कुछ, किसी ने (किसने), किसी को, किन्ही ने, कोई, किन्ही को । उदाहरण : लस्सी में कुछ पड़ा है । भिखारी को कुछ दे दो । कौन आ रहा है ? राम को किसने बुलाया है ? शायद किसी ने घंटी बजायी है । जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से सम्बन्ध ज्ञात होता है उसे सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे : जो-सो, जहाँ-वहाँ, जैसा-वैसा । उदाहरण : जहाँ चाह वहाँ राह । जैसा बोओगे वैसा काटोगे । वह कौन है जो रो पड़ा । जो सो गया वो खो गया । जो करेगा सो भरेगा । जिन सर्वनाम से वाक्य में प्रश्न का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं । जैसे : कौन, कहाँ, क्या, कैसे । उदाहरण : रमेश क्या खा रहा है ? कमरे में कौन बैठा है ? वे कल कहाँ गए थे ? आप कैसे हो ? नोट : कुछ सर्वनाम शब्द ऐसे भी होते हैं जिन्हें संयुक्त सर्वनाम की कोटि में रखा गया हैं । जैसे : जो कोई, सब कोई, कुछ और, कोई न कोई । उदाहरण : जो कोई आए उसे रोक लो । जाओ, वहाँ कोई न कोई तो मिल ही जायेगा । देखो, कुछ और लोग वहाँ हैं । कोई-कोई तो बिना बात बहस करता है । कौन-कौन आ रहा है ? किस-किस कमरे में छात्र पढ़ रहे है ? अपना-अपना बस्ता उठाओ और घर जाओ । अब कुछ-कुछ याद आ रहा है । वाक्य में संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं। जैसे - काला कुत्ता। इस वाक्य में 'काला' विशेषण है। जिस शब्द (संज्ञा अथवा सर्वनाम) की विशेषता बतायी जाती है उसे विशेष्य कहते हैं। उपरोक्त वाक्य में 'कुत्ता' विशेष्य है। जिस विकारी शब्द से संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित होती है, उसे भी विशेषण कहते हैं। जैसे- मेहनती विद्यार्थी सफलता पाते हैं। धरमपुर स्वच्छ नगर है। वह पीला है। ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा? इन वाक्यों में मेहनती, स्वच्छ, पीला और ऐसा शब्द विशेषण हैं। जो क्रमशः विद्यार्थी, धरमपुर, वह और आदमी की विशेषता बताते हैं। विशेषण शब्द जिसकी विशेषता बताये, उसे विशेष्य कहते हैं, अतः विद्यार्थी, धरमपुर, वह और आदमी शब्द विशेष्य हैं। जो सर्वनाम वक्ता (बोलनेवाले), श्रोता (सुननेवाले) तथा किसी अन्य व्यक्ति के लिए प्रयुक्त होता है, उसे पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- मैं, तू, वह आदि। पुरूषवाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं-

अ. उत्तम पुरूष- वक्ता या लेखक अपने लिए उत्तम पुरूष का प्रयोग करते हैं। जैसे- मैं लिखता हूँ। हम लिखते हैं। इन वाक्यों में मैं और हम शब्द उत्तम पुरूष सर्वनाम हैं।

आ. मध्यम पुरूष- श्रोता के

निजवाचक सर्वनाम-[संपादित करें]

जो सर्वनाम तीनों पुरूषों (उत्तम, मध्यम और अन्य) में निजत्व का बोध कराता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- मैं खुद लिख लूँगा। तुम अपने आप चले जाना। वह स्वयं गाडी चला सकती है। उपर्युक्त वाक्यों में खुद, अपने आप और स्वयं शब्द निजवाचक सर्वनाम हैं। निजवाचक'आप'का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण(निश्चय)के लिए होता है । जैसे-मैं आप वहीं से आया हूँ।

निश्चयवाचक (संकेतवाचक) सर्वनाम-[संपादित करें]

जो सर्वनाम निकट या दूर की किसी वस्तु की ओर संकेत करे, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- यह लड़की है। वह पुस्तक है। ये हिरन हैं। वे बाहर गए हैं। इन वाक्यों में यह, वह, ये और वे शब्द निश्चयवाचक सर्वनाम हैं।

  • हेमंत मेरा भाई है वह मुम्बई में रहता है.(पुरूष वाचक सर्वनाम )
  • यह मेरी क़िताब है वह तुम्हारी है. (निश्चय )
उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे-

बाहर कोई है। मुझे कुछ नहीं मिला। इन वाक्यों में कोई और कुछ शब्द अनिश्चयवाचक सर्वनाम हैं। कोई शब्द का प्रयोग किसी अनिश्चित व्यक्ति के लिए और कुछ शब्द का प्रयोग किसी अनिश्चित पदार्थ के लिए प्रयुक्त होता है।

संबंधवाचक सर्वनाम-[संपादित करें]

जो सर्वनाम किसी दूसरी संज्ञा या सर्वनाम से संबंध दिखाने के लिए प्रयुक्त हो, संबंधवाचक सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में दो शब्दों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे जो,वो,सो आदि उदाहरण:- "जो करेगा सो भरेगा, जैसे-वैसे, जिसकी-उसकी, जितना-उतना, आदि।"

इस वाक्य में जो शब्द संबंधवाचक सर्वनाम है और सो शब्द नित्य संबंधी सर्वनाम है। अधिकतर सो लिए वह सर्वनाम का प्रयोग होता है। जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाए वे शब्द संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

प्रश्नवाचक सर्वनाम[संपादित करें]

जिस सर्वनाम से किसी प्रश्न का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- तुम कौन हो ? तुम्हें क्या चाहिए ? इन वाक्यों में कौन और क्या शब्द प्रश्रवाचक सर्वनाम हैं। कौन शब्द का प्रयोग प्राणियों के लिए और क्या का प्रयोग जड़ पदार्थों के लिए होता है।

अन्य भाषाओं में सर्वनाम[संपादित करें]

सर्वनाम सभी भाषा में नहीं होते। यथा, जापानी भाषा में एक सौ से अधिक शब्द हैं जिसके आम तौर के उपयोग सर्वनाम जैसे हैं लेकिन ये शब्द सर्वनाम नहीं क्यूँकि प्रत्येक शब्द के दूसरे अर्थ है। जैसा, 'मैं' के लिए जापानी बोलने वाले लोग 'वाताशी' (私) बोल सकते हैं, मगर इसके अर्थ व्यक्तिगत ही है। हिंदी में 'मैं' शब्द के कोई और अर्थ नहीं।

सर्वनाम उपयोग करता हुआ भाषाओं में भी कोई फ़र्क़ भी हो सकता है। हिंदी भाषा तीन शब्द इस्तेमाल करते है- "आप", "तुम", "तू"- जबकि अंग्रेज़ी में एक है- "यू" । इसके अलावा, हिंदी अपने निश्चयवाचक सर्वनाम फ़ासला, इज़्ज़त, और राशि से अलग करते है- "यह, वह, ये, वे"- किंतु अंग्रेज़ी में ये सर्वनाम लिंग और राशि से अलग किये जाते हैं- "ही, शी, दे ।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • हिन्दी

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]