ज्ञान का महत्वा धर्म से कही ज्यादा ऊपर है इसलिए किसी भी सज्जन के धर्म को किनारे रख कर उसके ज्ञान को महत्वा देना चाहिए। कबीर दस जी उदाहरण लेते हुए कहते है कि - जिस प्रकार मुसीबत में तलवार काम आता है न की उसको ढकने वाला म्यान, उसी प्रकार किसी विकट परिस्थिती में सज्जन का ज्ञान काम आता है, न की उसके जाती या धर्म काम आता है। Kabir Das Show 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. कबीर दास के दोहे हिंदी अर्थ सहित10. 11. 12. 13. Kabir ke dohe on demandनिम्न कुछ कबीर के दोहे आप लोगो के अनुरोध पर लाया गया है। यदि आप और कुछ पढ़ना पसंद करेंगे तो निचे कमेंट करके हमे बताये, हम उसे आपके लिए जरूर उपलब्ध करायेगे।15. 16. 17. Also Read: -
18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26. 27. 28. 29. 30. 31. 32. कबीर के 5 दोहे अर्थ सहित?कबीर के 10 बेहतरीन दोहे : देते हैं जिंदगी का असली ज्ञान. मैं जानूँ मन मरि गया, मरि के हुआ भूत | ... . भक्त मरे क्या रोइये, जो अपने घर जाय | ... . मैं मेरा घर जालिया, लिया पलीता हाथ | ... . शब्द विचारी जो चले, गुरुमुख होय निहाल | ... . जब लग आश शरीर की, मिरतक हुआ न जाय | ... . मन को मिरतक देखि के, मति माने विश्वास | ... . कबीर मिरतक देखकर, मति धरो विश्वास |. कबीर दास जी के दोहे का अर्थ?माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर। अर्थ- कोई व्यक्ति लंबे समय तक हाथ में लेकर मोती की माला तो घुमाता है, पर उसके मन का भाव नहीं बदलता, उसके मन की हलचल शांत नहीं होती। कबीर की ऐसे व्यक्ति को सलाह है कि हाथ की इस माला को फेरना छोड़ कर मन के मोतियों को बदलो या फेरो।
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ class 7?अर्थ-कबीर दासजी लोगों को सलाह देते हैं कि कल का काम आज ही कर लो और आज का काम अभी तुरन्त, क्योंकि इस जीवन का कोई भराेसा नहीं, इसलिए दुबारा कब करोगे। साँई इतना दीजिए, जामे कुटुम समाय। सरलार्थ—संत कबीर ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि हे ईश्वर! मुझे इतनी ही सम्पत्ति दो, जिसमें हमारे परिवार वालों का भरण-पोषण हो जाए।
कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ class 6?जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय । व्याख्या : कबीर कहते हैं कि दुःख में हर इंसान ईश्वर को याद करता है लेकिन सुख के समय सब ईश्वर को भूल जाते हैं। लेकिन कोई भी इंसान सुख में ईश्वर को याद नहीं करता यदि वह सुख में भी ईश्वर कोई याद करता तो उसके जीवन में कभी भी दुख आता ही नहीं।
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