Show दशम भाव से जानें क्या पिता से मिलेगा धनपिता से मिलेगा धन लाभ अगर दशम में हो खास ग्रह
दशम भाव में उच्च का शुक्र हो तो उस जातक को पिता से धन लाभ मिलता है। यदि दशम भाव का स्वामी लग्न में हो, तब भी पिता से धन लाभ मिलता है। दशम भाव का स्वामी दशम भाव में ही हो तो पिता के कारोबार से सहयोग द्वारा धन का लाभ होता है। और भी पढ़ें :कुंडली में भावकिसी भी जातक के भविष्य का पूर्वानुमान उसकी कुंडली में ग्रहों की दशा व दिशा के अनुसार लगाया जाता है। जातक की कुंडली में 12 भाव होते हैं। इन भावों को घर, स्थान आदि की संज्ञा भी दी जाती है। कुंडली के प्रत्येक स्थान का अपना महत्व होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कुंडली के हर भाव से 4 लाख बातें ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जानी जा सकती हैं। लेकिन हम अपने इस लेख में आपको हर एक स्थान के प्रमुख पहलू के बारे में बतायेंगें कि किस भाव से किसका अनुमान लगाया जाता है। कुंडली का प्रथम भाव सामान्य तौर पर राशिचक्र की बात करें तो 12 राशियां होती हैं जिनमें पहली राशि मेष तो 12वीं राशि मीन होती है इस प्रकार कई बार अक्सर कुंडली का पहला भाव मेष को मान लिया जाता है जो कि उचित नहीं है। इसका कारण यह है कि जातक का जन्म जिस लग्न में होता है वही उसका पहला भाव माना जाता है मसलन यदि आपका जन्म मेष लग्न में न होकर मकर में होता है या मीन में होता है तो आपका और पढ़ें... कुंडली का तीसरा भाव जिस प्रकार जातक का जन्म होता है सबसे पहले उसकी कद काठी का अंदाजा लगता है, फिर उसके भाग्य में धन संपदा देखी जाती है, उसी प्रकार तीसरा घर पराक्रम का माना जाता है। तीसरे भाव से जाना जा सकता है कि जातक में कितनी रचनात्मकता है। किस तरह की प्रतिभाएं उसमें नीहित हैं। इसके साथ-साथ दायें स्कंध (कंधा) का हाल व भाई-बहनों के साथ आपके संबंधों और पढ़ें... कुंडली का चतुर्थ(चौथा) भाव कुंडली में चौथे भाव को सुख का कारक माना जाता है। सुख यानि कि आपके जीवन को सहज और सरल बनाने वाले साधनों की उपलब्धता आपके भाग्य में कितनी है। आपके भाग्य में घर व गाड़ी के मालिक बनने के योग कब हैं। चतुर्थ भाव माता का कारक और पढ़ें... कुंडली का पंचम भाव कुंडली का पंचम भाव उत्पत्ति का कारक माना जाता है। संतान का योग कब बनेगा, विद्या के क्षेत्र में आप कितनी उन्नति करेंगें, यहां तक आपके प्रेम संबंधों की व्याख्या भी पंचम भाव से ही की जाती है। कुल मिलाकर पंचम भाव और पढ़ें... कुंडली का छठा भाव कुंडली में छठा भाव रोग का कारक माना जाता है इसलिये आपकी सेहत के साथ यह सीधे तौर पर जुड़ा है। साथ ही आपके शत्रुओं का पलड़ा कितना भारी है या आप उनके वार को निष्फल करने का कितना मादा रखते हैं आदि के बारे में छठे घर से ही जानकारी और पढ़ें... कुंडली का सप्तम भाव कुंडली का सप्तम भाव बहुत ही जरूरी है क्योंकि जीवन की एक नई पारी की शुरुआत कब होगी और कैसी होगी यानि आपका दांपत्य जीवन कब आरंभ होगा व कैसा रहेगा आदि के बारे में कुंडली के इस भाव से जाना जा सकता है। गुप्तांग व पेट संबंधी समस्याओं और पढ़ें... कुंडली का अष्टम भाव अष्टम भाव यानि कुंडली का आठवां घर आठवां स्थान मृत्यु का स्थान माना जाता है। इसलिये इस घर में ग्रहों का प्रभाव भी थोड़ा निकृष्ट ही माना जाता है। मृत्यु के साथ-साथ यह स्थान यात्रा के योगों के बारे में भी बताता है। साथ ही बांये पांव और पढ़ें... कुंडली का नवम भाव आपकी किस्मत आपके साथ है या नहीं यानि भाग्य आपका साथ देगा या नहीं? यह कुंडली के नौंवे भाव से जाना जाता है क्योंकि कुंडली का नवम भाव भाग्य का स्थान माना जाता है। भाग्य के साथ-साथ यह माता के कुल व अध्यात्मक के प्रति आपकी रूचि, अरूचि और पढ़ें... कुंडली का दशम भाव कुंडली में दसवां स्थान कर्म का माना जाता है। यानि आपकी नौकरी कैसी रहेगी, किस क्षेत्र में आपके लिये रोजगार के अवसर अधिक हैं, किस क्षेत्र में आप अच्छा प्रदर्शन कर तरक्की हासिल करेंगें या फिर आपका व्यवसाय कैसा रहेगा। कैसा बिजनेस करना आपके लिये लाभकारी रह सकता है। आदि जानकारी आपको कुंडली का दसवां भाव देता है। साथ ही दसवां भाव पिता के साथ आपके और पढ़ें... कुंडली का ग्यारहवां भाव ग्यारहवां घर लाभ का घर माना जाता है। यानि दसवें स्थान से आप जानेंगें कि आप क्या कार्य करेंगें लेकिन उस कार्य से लाभ कितना होने के आसार हैं यह ग्यारहवें स्थान से पता चलता है। इसके साथ ही ग्यारहवां स्थान बांये कंधे व कानों के हाल-चाल और पढ़ें... कुंडली का बारहवां भाव बारहवां भाव खर्च का माना जाता है। आपके खर्चे बढ़ेंगें या कम होंगे यह 12वें स्थान में ग्रहों की दृष्टि कैसी पड़ रही है इस पर निर्भर करता है। व्यय के साथ-साथ यह उरू यानि कूल्हों व बांयी आंख की सेहत और पढ़ें... आपकी कुंडली में कौन सा दोष है इसे जानने के लिये आप एस्ट्रोयोगी पर देश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्यों से परामर्श कर सकते हैं। अभी बात करने के लिये यहां क्लिक करें। जन्म कुंडली में पिता का भाव कौन सा होता है?जन्म कुंडली में पिता का भाव दशम माना गया है। दशम भाव व दशम भाव पर बैठे ग्रह ही उस जातक के लिए लाभकारी होते हैं। सी जातक की कुंडली में दशम भाव बलवान हो तो उसको पिता का धन मिलता है। दशम भाव में उच्च का शुक्र हो तो उस जातक को पिता से धन लाभ मिलता है।
पहला घर किसका होता है?ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में पहले घर को लग्न स्थान कहते हैं। कुंडली को सीधा रखने पर टॉप में जो खाना होता है वही लग्न स्थान होता है। लग्न से नवम स्थान भाग्य स्थान कहलाता है यानी कुंडली का नौवां घर भाग्य स्थान कहलता है।
कुंडली में माता का घर कौन सा होता है?जातक की माता को चतुर्थ भाव से देखा जाता है। इसे सुख का भाव भी कहा गया है। अगर किसी जातक की कुण्डली में चतुर्थ भाव सौम्य ग्रहों से प्रभावित हो और चतुर्थ भाव का अधिपति शुभ प्रभाव में हो तो जातक को अपनी प्राथमिक शिक्षा के दौरान न केवल घर में बेहतरीन वातावरण मिलता है बल्कि जातक की माता भी सुखी रहती है।
कुंडली में 5 घर किसका होता है?जन्म कुंडली का 5वां भाव (kundli 5th house)
कुडंली का प्रत्येक भाव अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है. यहां बात कर रहे हैं पंचम भाव की तो कुंडली के इस भाव से प्रेम, यानि लव लाइफ और लव रिलेशन के बारे में पता लगाया जाता है. इस भाव को संतान और शिक्षा का भी कारक माना गया है.
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