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CT 1: History of Ancient and Medival India - I 10 Questions 20 Marks 9 Mins Latest MPPSC State Service Updates Last updated on Oct 21, 2022 MPPSC State Service Result, cut off declared. This is with reference to the prelims exam of the 2021 cycle. Earlier, the Madhya Pradesh Public Service Commission (MPPSC) had released the scoreboard for the MPPSC State Service Prelims (2021) that was conducted on 19th June 2022. The candidates can check their MPPSC State Service Results by following the steps mentioned here. The MPPSC State Service exam to recruit eligible candidates for the posts of State Civil Services, State Police Services, Naib Tehsildar, etc. A total number of 283 vacancies were released. The selection process of the MPPSC State Service exam consists of 3 stages i.e. prelims, mains, and interview. The collective marks of the mains and interview will be taken into consideration to prepare the final merit list. विषयसूची जीवाश्म ईंधन से क्या हानियां है?इसे सुनेंरोकें(i) जीवाश्म ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत हैं जो कि सीमित हैं। (ii) इसके ज्वलन से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड्स उत्पन्न होते हैंजो स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ये जल और भूमि संसाधनों पर भी बुरा प्रभाव डालता है। (iii) कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाउस प्रभाव से वातावरण तापमान में वृद्धि होती है। जीवाश्म ईंधन के लगातार दोहन से भविष्य में क्या क्या संकट आ सकते हैं बताइए? इसे सुनेंरोकेंयह प्रदूषक न केवल ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देते हैं किंतु हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। साथ ही यह वर्षा चक्र को बिगाड़ने अर्थात बारिश को कम करने एवं सूखे का कारण बनते हैं। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग को समाप्त करना ही एक स्पष्ट तरीका है। जीवाश्म ईंधन के दहन से कौन सी गैस उत्पन्न होती है?इसे सुनेंरोकेंStep by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams. ऑक्सीजन। जीवाश्म ईंधन का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है? इसे सुनेंरोकेंजीवाश्म एवं जैव ईंधन का प्रयोग, कृषि, और औद्योगिक गतिविधियाँ पर्यावरण में हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों एवं प्रदूषणकारी कणों में बढ़ोतरी के मुख्य कारक हैं। यह प्रदूषक न केवल ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देते हैं किंतु हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होते हैं। जीवाश्म ईंधन जलाने का मुख्य कारण क्या है?इसे सुनेंरोकेंवायु प्रदूषण के स्रोत: ऊर्जा के लिए जीवाश्म और जैव ईंधन को जलाना, कृषि अवशेष और कचरे को जलाना एवं प्राकृतिक तथा मानव निर्मित स्रोतों से उड़ने वाली धूल वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। ऊर्जा के लिए ईंधन जलाना: हम अपनी ऊर्जा आवश्कताओं को पूरा करने के लिए प्रति वर्ष 1.6 से 1.7 बिलियन टन जीवाश्म ईंधन जलाते हैं। समझाइए जीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन क्यों है? इसे सुनेंरोकेंजीवाश्म ईंधन समाप्त होने वाले प्राकृतिक संसाधन हैं क्योंकि एक बार इसका उपयोग करने के पश्चात इसे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। ये मृत जीवों से बनते हैं और मृत जीवों को ईंधन में परिवर्तित होने में लाखों वर्षों का समय लगता हैं। हमारे पास जो जीवाश्म ईंधनों का भंडार है वह कुछ सालों के लिए पर्याप्त हैं। जीवाश्म ईंधन के जलने से कौन सी गैस निकलती है?जीवाश्म ईंधन कौन कौन से हैं नाम लिखो? इसे सुनेंरोकेंपेट्रोलियम उत्पाद, कोयला और प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन के उदाहरण हैं। कोल, एक प्रकार का जीवाश्म ईंधन है। जीवाश्म ईंधन एक प्रकार का कई वर्षों पहले बना प्राकृतिक ईंधन है। यह लगभग 65 करोड़ वर्ष पूर्व जीवों के जल कर उच्च दाब और ताप में दबने से हुई है। यह ईंधन पेट्रोल, डीजल, घासलेट आदि के रूप में होता है। इसका उपयोग वाहन चलाने, खाना पकाने, रोशनी करने आदि में किया जाता है। उत्पत्ति[संपादित करें]पेट्रोल और प्राकृतिक गैस करोड़ों वर्ष पूर्व बने थे। यह मुख्यतः नदी या झील के बहुत नीचे होते हैं। जहाँ यह बहुत उच्च ताप और दाब के कारण ईंधन बन जाते हैं। जिसमें यह अलग अलग परत के रूप में होते हैं। जिसमें पेट्रोल, प्राकृतिक गैस आदि के अलग अलग परत होते हैं। अलग अलग गहराई में अलग अलग ताप और दाब मिलने के कारण यह असमानता आती है। महत्त्व[संपादित करें]एक बार इसका उपयोग करने के पश्चात इसे दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है। इसके निर्माण के लिए बहुत अधिक तापमान और दाब की आवश्यकता होती है। जिसे मानव द्वारा बना पाना वर्तमान में असंभव है। क्योंकि यह ईंधन प्राकृतिक रूप से ही बनी है। साथ ही इसके निर्माण में लाखों वर्षों का समय भी लग गया था। इस कारण इसका पुनः निर्माण और उतने बड़े क्षेत्र का लाखों वर्षों तक अधिक तापमान और दाब में रखने में अधिक पैसे लगेंगे। इसके स्थान पर यदि अक्षय ऊर्जा का उपयोग किया जाता है तो उसमें इससे कम लागत में ऊर्जा मिल जाती है। लेकिन इस ऊर्जा का उपयोग वर्तमान में बहुत महत्वपूर्ण कार्यों में किया जाता है। इस कारण इसका संरक्षण करना अधिक आवश्यक है।[1] पर्यावरणीय प्रभाव[संपादित करें]निजी वाहनों और अन्य यातायात के साधन में इसी ईंधन का उपयोग किया जाता है। लेकिन यह एक सीमित मात्रा में ही पृथ्वी में उपस्थित है। साथ ही इसके उपयोग से वायु प्रदूषण के साथ ही पृथ्वी का तापमान भी बढ्ने लगता है। इस कारण कई स्थानों के बर्फ पिघलते हैं, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है और कुछ स्थानों पर अधिक बारिश होती है और कुछ स्थानों पर सूखे की स्थिति बन जाती है। सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]जीवाश्म ईंधन के जलने से कौन सी गैस नहीं निकलती है?कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड ऑक्सीजन।
ईंधन के अधूरे जलने से कौन सी गैस निकलती है?सही उत्तर कार्बन मोनोऑक्साइड है ।
जीवाश्म ईंधन के जलने से कौन सा प्रदूषण होता है?बाहरी प्रदूषण में हानिकारक और जहरीले रसायन होते हैं जो जीवाश्म ईंधन के दहन के उत्पाद होते हैं। इसमें ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर, सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और ऑटोमोबाइल निकास से निकेल शामिल हैं। बाहरी प्रदूषण के कुछ घटक प्राकृतिक प्रक्रियाओं के परिणाम भी हैं।
लकड़ी के जलने से कौन सी गैस निकलती है?लकड़ी को जलाने पर कार्बन मोनोऑक्साइड या CO भी उत्सर्जित होता है, हालाँकि कुछ हद तक। यह एक और कार्बन गैस है, लेकिन यह तब और अधिक बार उत्पन्न होती है जब आग की ऑक्सीजन तक पहुंच नहीं होती है। यह गंधहीन और रंगहीन होता है और बड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में मनुष्यों के लिए अधिक खतरनाक हो सकता है।
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