कौन से शब्द में विसर्ग नहीं लगा है? - kaun se shabd mein visarg nahin laga hai?

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वर्ण – वर्ण वह ध्वनि है जिसके और खंड (टुकड़े) नहीं किए जा सकते; जैसे- अ, इ – क, चु, ख, र इत्यादि।
वर्ण के भेद – वर्ण के दो भेद होते हैं-

  1. स्वर
  2. व्यंजन

वर्णमाला – वर्गों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी वर्णमाला होती है। हिंदी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और 33 व्यंजन हैं।

1. स्वर – जिन वर्णो को बोलने के लिए अन्य ध्वनियों का सहारा नहीं लेना पड़ता, उन्हें स्वर कहते हैं। स्वरों के उच्चारण में हवा हमारे मुख से बिना किसी रुकावट के निकलती हैं। हिंदी में ग्यारह स्वर हैं, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

2. व्यंजन – जिन वर्गों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ स्वर की सहायता लेनी पड़ती है।
जैसे-

कौन से शब्द में विसर्ग नहीं लगा है? - kaun se shabd mein visarg nahin laga hai?

स्वर के भेद
उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों के तीन भेद होते हैं।

  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

1. ह्रस्व स्वर – ‘ह्रस्व’ का अर्थ है-लघु अथवा छोटा। जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, उन्हें हम ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये कुल चार हैं-अ, इ, उ, ऋ।।

2. दीर्घ स्वर – दीर्घ का अर्थ है-बड़ा। जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा अधिक समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। ये कुल सात हैं-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।।

3. प्लुत स्वर – इसके उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है। इसका प्रयोग केवल संस्कृत में किया जाता है; जैसे ओम–यहाँ ‘इ’ प्लुत का चिह्न है।

व्यंजन के भेद
व्यंजन के तीन भेद हैं-

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अंतस्थ व्यंजन
  3. ऊष्म व्यंजन।

1. स्पर्श व्यंजन – स्पर्श यानी छूना। जिन व्यंजनों के उच्चारण के समय श्वास वायु और जिह्वा मुख के भागों को स्पर्श करती हैं, वे स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। कु से मु तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं।
क वर्ग का उच्चारण स्थल कंठ है।
च वर्ग का उच्चारण स्थल तालु है।
ट वर्ग का उच्चारण स्थल मूर्धा है।
त वर्ग का उच्चारण स्थल दाँत है।
प वर्ग का उच्चारण स्थल होठ है।

2. अंतस्थ व्यंजन – मध्य/बीच = स्थित। इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का – सा होता है। उच्चारण के समय जिवा मुख के किसी भाग को स्पर्श नहीं करती। ये चार है- य, र, ल, व।

3. ऊष्म व्यंजन ऊष्म = गर्म। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है। यानी उच्चारण के समय मुख से गर्म हवा निकलती है। ये चार हैं- श, ष, स, ह।।

मात्राएँ
स्वरों के लिए निर्धारित चिह्न मात्राएँ कहलाती हैं।
‘अ’ स्वर के अतिरिक्त सभी स्वरों के मात्रा चिह्न होते हैं।

कौन से शब्द में विसर्ग नहीं लगा है? - kaun se shabd mein visarg nahin laga hai?

अनुस्वार और विसर्ग – हिंदी वर्णमाला के अनुस्वार (‘) तथा विसर्ग (:) को ‘अ’ के साथ जोड़कर ‘अं’ और अ: लिखा जाता है। और प्रायः इन्हें स्वरों के साथ रखा जाता है क्योंकि इनका उच्चारण स्वरों के साथ ही होता है; जैसे- गंगा, चंदा, प्रातः, अतः आदि। परंतु ये स्वर नहीं हैं। संस्कृत में इन्हें ‘अयोगवाह’ कहा जाता है क्योंकि ये ‘अ’ की सहायता से ही बोले जाते हैं।

अनुनासिक – इनका उच्चारण नाक और गले दोनों से होता है; जैसे- चाँद, गाँधी, आँगन, आदि इसका चिह्न (*) होता है। अनुस्वार वर्णमाला के पंचम वर्ण के स्थान पर प्रयोग में आता है।

विसर्ग (:) – यह ‘ह’ के समान उच्चारित होता है; जैसे- चाँद, साँस, हँस आदि। अनुस्वार और अनुनासिक के उच्चारण में यदि ध्यान न रखा जाए तो हँस (क्रिया शब्द) हँस (पक्षी) बन जाएगा।

हलंत – जब व्यंजन वर्ण स्वर के बिना लिखे जाते हैं तो हलंत ( ) का प्रयोग होता है, जैसे क् च् ट् आदि।

अर्ध चंद्र – यह विदेशी ध्वनि जिसे आगत नाम से जाना जाता है। इसका प्रयोग अंग्रेजी भाषा के शब्दों में किया जाता है; जैसे-डॉक्टर, ऑफ़िसर, कॉलोनी, कॉफ़ी आदि।

वर्ण-संयोग – वर्णो का मेल वर्ण संयोग कहलाता है। क्ष, त्र, ज्ञ संयुक्त वर्ण है, जो क् + ष = क्ष, त् + र = त्र ज + अ = ज्ञ बनते हैं। जब एक व्यंजन अपने जैसे दूसरे व्यंजन से मिलता है तो उसे वित्व व्यंजन कहते हैं; जैसे-पक्का (क् + क)।।

बहुविकल्पी प्रश्न

1. भाषा की सबसे छोटी लिखित इकाई है
(i) पद
(ii) वाक्य
(iii) शब्द
(iv) वर्ण

2. इनमें से कौन-सा स्वर नहीं है
(i) अ
(ii) ओ
(iii) ऊ
(iv) ज

3. इनमें से कौन-सा व्यंजन नहीं है
(i) क
(ii) च
(iii) ट
(iv) ए

4. ‘स्वर’ वर्गों के कितने भेद होते हैं
(i) तीन
(ii) चार
(iii) छह
(iv) सात

5. हिंदी में व्यंजनों की संख्या कितनी है
(i) सैंतीस
(ii) छत्तीस
(iii) अड़तीस
(iv) पैंतीस

6. जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगे, वे कहलाते हैं
(i) स्वर
(ii) व्यंजन
(iii) मात्रा
(iv) प्लुत स्वर

7. जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न स्थानों को छूती है, वे हैं
(i) संयुक्त व्यंजन
(ii) स्पर्श व्यंजन
(iii) ऊष्म व्यंजन
(iv) इनमें से कोई नहीं

8. एक से अधिक व्यंजन जब जोड़कर बोले या लिखे जाते हैं वे कहलाते हैं
(i) स्वर
(ii) व्यंजन
(iii) संयुक्ताक्षर
(iv) इनमें से कोई नहीं

9. विसर्ग का चिह्न है
(i) (‘)
(ii) (ँ)
(iii) (:)
(iv) (,)

10. स्वरों के उच्चारण में सहायता लेनी पड़ती है
(i) स्वर की
(ii) व्यंजन की
(iii) मात्रा की
(iv) किसी की नहीं

उत्तर-
1. (iv)
2. (iv)
3. (iv)
4. (i)
5. (i)
6. (iv)
7. (iii)
8. (iii)
9. (iii)
10. (ii)

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विसर्ग का प्रयोग कहाँ नहीं होता है?

जैसे आगे बताया गया है, विसर्ग यह अपने आप में कोई अलग वर्ण नहीं है; वह केवल स्वराश्रित है। विसर्ग का उच्चारण विशिष्ट होने से उसे पूर्णतया शुद्ध लिखा नहीं जा सकता, क्योंकि विसर्ग अपने आप में ही किसी उच्चारण का प्रतीक मात्र है ! किसी भाषातज्ज्ञ के द्वारा उसे प्रत्यक्ष सीख लेना ही जादा उपयुक्त होगा।

विसर्ग शब्द कौन कौन से हैं?

विसर्ग संधि के नियम 05.
निः + उपाय =निरुपाय.
निः + झर =निर्झर.
निः + जल =निर्जल.
निः + धन =निर्धन.
दुः + गन्ध =दुर्गन्ध.
निः + गुण =निर्गुण.
निः + विकार =निर्विकार.
दुः + आत्मा =दुरात्मा.

विसर्ग कितने हैं चार उदाहरण भी दीजिए?

निः + चय = निश्चय, दुः + चरित्र = दुश्चरित्र, ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र, निः + छल = निश्छल।

विसर्ग में कब परिवर्तन नहीं होता है?

नियम (6): विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है। नियम (7): विसर्ग के बाद क, ख, प या फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता है।