लघु उत्तरीय प्रश्न Show प्रश्न 2. ‘लड़की जैसी दिखाई मत देना’ से कवि का क्या आशय है? प्रश्न 3. माँ का अपनी पुत्री का कन्यादान करने का दुःख क्यों प्रामाणिक स्वाभाविक था? प्रश्न 4. ‘उसे सुख का आभास तो होता था, लेकिन दुःख बाँचना नहीं आता था’, ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
व्याख्यात्मक हल: प्रश्न 5. कन्यादान कविता में किसे दुःख बाँचना नहीं आता था और क्यों? प्रश्न 6. लड़की, अभी सयानी नहीं थी, कवि ने इस सन्दर्भ में क्या-क्या कहा है? प्रश्न 7. ‘लड़की अभी सयानी नहीं
थी’ काव्य-पंक्ति से कवि ऋतुराज का क्या अभिप्राय है ? प्रश्न 8. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को किस प्रकार सावधान किया? अपने शब्दों में लिखिए।
व्याख्यात्मक हल: प्रश्न 9. ‘लड़की जैसी दिखाई देने’ का क्या आशय है ? कवि ने उसे उसके लिए मना क्यों किया है ? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर
लिखिए। प्रश्न 10. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को क्या-क्या सीखें दीं ?
प्रश्न 11. ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना। प्रश्न 12. माँ की सीख में समाज की कौन-सी कुरीतियों की ओर संकेत किया गया है ? प्रश्न 13. ‘लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना’ का क्या भाव है? प्रश्न 14.
‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को ‘लड़की होना पर, लड़की जैसी दिखाई मत देना’ सीख क्यों दी है ? प्रश्न 15. ‘कन्यादान’ कविता में वस्त्र और आभूषणों
को शाब्दिक-भ्रम क्यों कहा गया है ? प्रश्न 16. ‘कन्यादान’ कविता में किसके दुःख की बात की गई है और क्यों ?
प्रश्न 17. ‘कन्यादान’ कविता नारी को कैसे सचेत करती है ? प्रश्न 18. ‘कन्या’ के साथ दान के औचित्य पर अपने विचार लिखिए। प्रश्न 19. ‘कन्यादान’ कविता की माँ परम्परागत माँ से वैळसे भिन्न
है? प्रश्न 20. ‘कन्यादान’ कविता में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए। प्रश्न 21. ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अन्तिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?
व्याख्यात्मक हल: कन्यादान कविता नारी को कैसे सचेत करती?'कन्यादान' कविता नारी को कैसे सचेत करती है? सामाजिक व्यवस्था के तहत स्त्रियों के प्रति जो आचरण किया जा रहा है | उसके चलते अन्याय न सहन करने के लिए सचेत किया गया है क्योंकि समाज में लड़कियों के साथ में इतना अन्याय होता है कि वह उनको चुपचाप चारदीवारी के अंदर ही सहकर घुट घुट कर अपना जीवन जीती हैं।
कन्यादान कविता में मां नारी को क्या संदेश देना चाहती है?समाज उनको कमजोर समझता है और अत्याचार करता है। इसलिए अत्याचार के कारण अपने जीवन के प्रति सचेत रहना चाहिए अपने संचित अनुभव के आधार पर माँ कन्यादान के समय अपनी बेटी को शिक्षित कर रही है ताकि समाज में वह एक उच्च सुखी जीवन जी सके और समाज की मानसिकता से वह परिचित हो सके।
कन्यादान कविता हमे क्या सीख देती है?'कन्यादान' कविता में माँ द्वारा अपनी बेटी को जो सीख दी गई है वह उसके अनुभव की उपज है। माँ को दुनियादारी और ससुराल वालों द्वारा किए गए व्यवहार का अनुभव है। उन्हें ध्यान में रखकर भावी जीवन के लिए सीख देती है।
कन्यादान कविता में स्त्री जीवन का बंधन क्या है?Solution : कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।
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