कोर्ट मैरिज करने से क्या होता है? - kort mairij karane se kya hota hai?

Court Marriage Procedure: कोर्ट मैरिज कैसे करें? कोर्ट मैरिज की फीस और डॉक्यूमेंट्स के बारे में जानें सबकुछ

Court Marriage Procedure in India: कोर्ट मैरिज का सीधे शब्दों में अर्थ है कानूनी रूप से पति-पत्नी बनना. कोर्ट मैरिज करने के लिए तीन गवाहों की भी आवश्यकता पड़ती है. कोर्ट में शादी करने पर औसत खर्च 10 से 20 हजार रुपये आ जाता है.

कोर्ट मैरिज करने से क्या होता है? - kort mairij karane se kya hota hai?

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कोर्ट मैरिज करने का पूरा प्रॉसेस क्या है, जानिए

भारत एक ऐसा देश है जहां कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं. इसकी खास बात ये है कि सभी धर्मों की शादियां यहां रीति-रिवाज़ों के अनुसार की जाती है. हालांकि देश में कोर्ट मैरिज सबसे अलग होता है. कोर्ट मैरिज के दौरान बिना किसी रस्मों और रिवाजों के कानूनी रूप से लड़का-लड़की एक रिश्तें में बंध जाते हैं. अब तो ज्यादातर नवविवाहित जोड़े अपने रिश्ते को कानूनी रूप देने के लिए कोर्ट में भी जाते हैं. आज की स्टोरी में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कोर्ट मैरिज क्या है और यहां शादी कैसे होती है?

  • अगर सीधे शब्दों में कहे तों कोर्ट मैरिज का अर्थ है कानूनी रूप से पति-पत्नी बनना. कोर्ट मैरिज में मैरिट ऑफिसर होता है जो ये शादी संपन्न कराता है.
  • कोर्ट में ये शादियां कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत होती हैं.
  • कोर्ट में किसी भी धर्म या जाति के बीच शादी हो सकती है. बशर्ते लड़के की उम्र 21 साल से अधिक और लड़की की उम्र 18 साल से ऊपर हो.
  • कोर्ट मैरिज के लिए पूरे देश में एक ही नियम हैं. हालांकि आज कल जहां हर काम ऑनलाइन हो रहा है वहीं मैरिज रजिस्ट्रेशन कराने के लिए उनके दफ्तर जाना पड़ता है. कोर्ट मैरिज के लिए लड़का-लड़की के अलावा गवाहों की भी जरूरत पड़ती है. 

कोर्ट मैरिज की शर्तें

  • लड़का-लड़की पहले से किसी शादी के बंधन में न बंधे हों.
  • लड़का-लड़की बालिग हों.
  • दोनों की मानसिक और शारीरिक हालत सही हो.

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • भरा हुआ आवेदन पत्र
  • लड़का-लड़की का चार पासपोर्ट साइज फोटो
  • निवास प्रमाण पत्र
  • 10वीं की मार्कशीट
  • तलाकशुदा मामले में तलाक के कागजात
  • विधवा या विधुर के मामलें में मृत्यु प्रमाण पत्र
  • गवाहों की फोटो
  • पैन कार्ड और पहचान पत्र

कोर्ट मैरिज कैसे होता है

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यदि लड़का-लड़की दूसरे धर्म में शादी करना चाहते हैं तो इस स्थिति में उन्हें संबंधित जिला के विवाह अधिकारी के पास अपनी शादी की एक लिखित सूचना देनी होगी. हालांकि किसी को इस शादी से आपत्ति है तो वो 30 दिनों के भीतर अपनी शिकायत कर सकता है. यदि किसी ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है तो विवाह रजिस्ट्रेशन की फीस देकर शादी हो सकती है. 

कोर्ट में शादी संपन्न कराने के लिए तीन गवाहों का होना आवश्यक है. शादी की रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है और इसके लिए अलग-अलग फिस भी निर्धारित है. वैसे तो कोर्ट मैरिज करने की न्यूनतम फीस एक हजार रुपये है लेकिन कागजी कार्यवाही और वकिलों को लेकर ये खर्च 10 हजार से 20 हजार रुपये तक आ जाता है. 

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परम्परागत शादी-विवाह समारोह के तामझाम से हटकर कोर्ट मैरिज साधारण रूप से कोर्ट में मैरिज अधिकारी के समक्ष होता है। सभी कोर्ट मैरिज विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत ही सम्पन्न होते हैं। कोर्ट मैरिज किसी भी जाति, सम्प्रदाय, धर्म के बालिग युवक युवतियों के बीच हो सकती है। यह किसी भी भारतीय और विदेशी युवक युवतियों के बीच भी हो सकती है। इसके लिए दोनों पक्षों को रजिस्ट्रार के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक कोर्ट मैरिज पुरे भारत में एक सामान है। इसे विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत शासित किया गया है।

कोर्ट मैरिज के लिए शर्ते | Court Marriage Guidelines | Court Marriage Rules

अध्याय 2 और धारा 4 के अनुसार कोर्ट मैरिज करने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना आवश्यक है।

  • पूर्व में कोई विवाह नहीं हुआ हो : विवाह में शामिल होनेवाले दोनों पक्षों के पूर्व शादी के पति या पत्नी कोई जीवित न हो। साथ ही पूर्व का कोई विवाह वैद्य न हो।
  • वैद्य सहमति : विवाह में शामिल होने वाले वर और वधु दोनों अपनई शादी के लिए सहमति देने में सक्षम हो। अपनी स्वेच्छा से दोनों पक्षों को विवाह के लिए कोर्ट के अधिकारी के सामने शामिल होनी होगी।
  • आयु : कोर्ट मैरिज के लिए लड़के का उम्र 21 वर्ष और लड़की का उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए।
  • निषिद्ध सम्बन्ध : अनुसूची 1 के अनुसार दोनों पक्षों को निषिद्ध सम्बन्धो की सीमा से बहार रहना आवश्यक है। हालाँकि किसी एक पक्ष के धर्म की परम्पराओं में इसकी अनुमति हो तो यह शादी मान्य होगा।

कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया | Court Marriage Process 

स्टेप1 | Step 1

  • कोर्ट मैरिज करने के लिए सर्वप्रथम जिले के विवाह अधिकारी को सूचित करना चाहिए। यह सूचना विवाह में शामिल होने वाले पेक्षों द्वारा लिखित रूप में होनी चाहिए।
  • सूचना जहाँ दी जा रही हो वहाँ सूचना देने के तारीख से कम से कम एक महीना तक दोनों पक्षो में से किसी एक ने उस शहर में निवास किया हो। उदाहरण के लिए शादी करने वाले लड़का और लड़की यदि लखनऊ में रहता है और वे दिल्ली में शादी करना चाहते हैं, तो उन दोनों में से किसी एक का विवाह अधिकारी को सूचना देने की तारीख से कम से कम 30 दिन पहले से दिल्ली में निवास करना अनिवार्य है।
  • सुचना का स्वरूप अनुसूची 2 के नियमानुसार होनी चाहिए। जिसके साथ-साथ आयु प्रमाणपत्र और निवास प्रमाणपत्र भी संलग्न होनी चाहिए।

स्टेप2 | Step 2

  • जिले के विवाह अधिकारी जिसके यहाँ सूचना प्रस्तुत की गई थी, वो ही सूचना प्रकाशित करता है।
  • सुचना की एक प्रति कार्यालय के एक विशेष स्थान पर और एक दूसरी प्रति दोनों पक्ष जहाँ स्थाई निवासित है, वहाँ के कार्यालय में प्रकाशित की जाती है।

स्टेप3 | Step 3

  • अध्याय 2 अधिनियम के अनुभाग 4 में सूचीबद्ध के आधार पर कोई भी व्यक्ति विवाह में आपत्तियाँ सम्बंधित जिला के विवाह अधिकार के सामने प्रस्तुत कर सकता है। इन आपत्तियों की जाँच विवाह अधिकारी द्वारा ही की जाती है।
  • आपत्ति प्रस्तुत करने के 30 दिनों के भीतर विवाह अधिकारी द्वारा जाँच पड़ताल करना जरूरी है। अगर आपत्तियाँ सही पाई गई तो विवाह संपन्न नही होगा।
  • आपत्ति स्वीकार होने के 30 दिनों के भीतर कोई भी पक्ष द्वारा अपील दर्ज किया जा सकता है।
  • अपील आपके स्थानीय जिला न्यायालय में विवाह अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में दर्ज की जा सकती है।

स्टेप4 | Step 4

  • दोनों पक्ष और तीन गवाह विवाह अधिकारी के समक्ष घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करेंगे। विवाह अधिकारी भी घोषणापत्र पर प्रतिहस्ताक्षरित करता है।
  • घोषणा का प्रारूप अधिनियम के अनुसूची 3 में प्रदान किया गया है।

स्टेप5 | Step 5

  • शादी विवाह अधिकारी के कार्यालय में या उचित दूरी के अंतर्गत किसी भी जगह हो सकती है।

मैरिज सर्टिफिकेट 2023 | Marriage Certificate 2023

विवाह अधिनियम की अनुसूची 4 में निर्देशित नियम के अनुसार विवाह अधिकारी शादी का एक प्रमाणपत्र जारी करेगा। इस विवाह प्रमाणपत्र दोनों पक्ष और तीन गवाहों के हस्ताक्षर होंगे। यह प्रमाण पत्र अदालत में भी विवाह का निर्णायक प्रमाण होता है।

विवाह प्रमाणपत्र के प्रारूप | Court Marriage form 2023

मैं विवाह अधिकारी, इसके द्वारा प्रमाणित करता हूँ कि ____ 21 __  के __ दिन दूल्हा और दुल्हन मेरे समक्ष उपस्थित हुए और उनमें से प्रत्येक ने, मेरी उपस्थिति में तथा तीन गवाहों की उपस्थिति में, जिन्होंने वहाँ हस्ताक्षर किए हैं, ने धारा 11 के लिए आवश्यक घोषणाएँ की और इस इस अधिनियम के तहत मेरी उपस्थिति में उनके बीच एक विवाह की घोषणा की गई थी। (हस्ताक्षर)

कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज | Required Documents for Court Marriage

  • पूरी तरह से भरा हुआ आवेदन पत्र और अनिवार्य शुल्क।
  • पहचान प्रमाणपत्र
  • आयु प्रमाणपत्र या मैट्रिक का सर्टिफिकेट।
  • दूल्हा और दुल्हन में से किसी का भी किसी और से अवैध रिश्ता नही है, उसका शपथपत्र।
  • वर वधू दोनों का 4 फोटोग्राफ।
  • तीनो गवाहों का पैनकार्ड और फोटोग्राफ।
  • पहचान के लिए आधारकार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस होनी चाहिए।

कोर्ट मैरिज का फ़ीस | Court Marriage Fee

कोर्ट मैरिज के लिए आप फ़ो प्यरकर का विकल्प चुन सकते हैं। आपके खर्च उसी पर निर्भर करेगा।

  1. विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी की योजना : इसके तहत आप धर्मो रीति रिवाजों के फेर में न पड़कर सीधे रजिस्ट्रार से शादी करना चाहते हैं। इसमें वर वधू को विवाह अधिकारी के समक्ष अपने विवाहवकी योजना की सूचना देनी पड़ती है। 30 दिनों के भीतर कोई भी शादी के लिए आपत्ति दर्ज करा सकता है। साथ ही आपत्ति सही पाए जाने पर अगले 30 दिनों के भीतर विवाह पंजीकरण रद्द भी हो सकता है। इसमें तीन गवाहों की आवश्यकता होती है। इस विवाह का पंजीकरण शुल्क विभिन्न स्थानो पर भिन्न-भिन्न है। तकनीकि रूप से इसका शुल्क 1000 ₹ से कम है, लेकिन वास्तविकता में कागजात , अधिवक्ता अदि की फीस लेकर 10-20 हजार ₹ लग जाता है।
  2. एक शादीशुदा का विवाह पंजीकरण : यह लोगों का सबसे पसंदीदा और त्वरित होने वाला प्रक्रिया है। इसमें वार-वधु एक ही धर्म के या एक  ही धर्म में परिवर्तित हो पहले शादी कर लेते हैं फिर उसका पंजीकरण करा लेते हैं। इसके तहत फ़ीस 100 ₹ से कम ही लगते हैं।

कोर्ट मैरिज से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातें | Guidelines for Court Marriage

कोर्ट मैरिज करने वाले दम्पत्ति के ऊपर कुछ अधिनियम स्वतः लागू हो जाते हैं। कोर्ट मैरिज के बाद जो क़ानूनी प्रावधान आप पर स्वत् लागू हो जाता है वह निम्नलिखित है।

  • शादी के पहले वर्ष तलाक के लिए प्रतिबंधित होता है। यानि वर या वधू किसी भी पक्ष द्वारा कोर्ट मैरिज के एक साल के भीतर न्यायालय में तलाके के लिए आवेदन नाह8 दे सकता है।
  • परन्तु जिस मामले में न्यायालय को यह लगता है कि वादी द्वारा असाधारण कठिनाइयों का सामना किया है, या प्रतिवादी बहुत ही ज्यादा भ्रष्ट हो, ऐसी परिस्थिति में अदालत तलाके पर सुनवाई का आदेश दे सकता है।
  • अगर अदालत को लगता है कि प्रतिवादी द्वारा तलाक के लिये न्यायालय को दिग्भमित किया गया है, तो न्यायालय धारा 29 के अंतर्गत 1 वर्ष के बाद ही प्रभावित होने का आदेश जारी कर सकती है।

अपने खुद के प्यार से शादी करने के लिए क्या करें?

पढ़ते हैं आगे....
1 - परिवारों वालों को पहले से ही दें संकेत ... .
2 - सकारात्मक माहौल में करें बात ... .
3 - धैर्य से लें काम ... .
4 - दूसरों का दें उदहारण ... .
5 - किसी दूसरे की ले सकते हैं मदद ... .
6 - बताएं पार्टनर भी है शादी के लिए तैयार ... .
7 - लव मैरिज की बात करने से नकारात्मक लोगों से बनाएं दूरी ... .
8 - एक बार दोनों को जरूर मिलवाएं.

भाग कर शादी कैसे की जाती है?

भाग कर शादी करना कोई अच्छा ऑप्शन नहीं है सबसे पहले आपको अपने माता-पिता को इस विवाह के लिए राजी करना चाहिए राजी हो जाने के बाद विवाह करना चाहिए परंतु कुछ प्रेमी जोड़े ऐसे भी हैं जिनके मां बाप इस रिश्ते से इंकार कर देते हैं तब प्रेमी जोड़े के पास कोई ऑप्शन नहीं बचता वह भाग कर शादी कर लेते हैं।

शादी करने में क्या क्या लगता है?

भरा हुआ आवेदन पत्र.
लड़का-लड़की का चार पासपोर्ट साइज फोटो.
निवास प्रमाण पत्र.
10वीं की मार्कशीट.
तलाकशुदा मामले में तलाक के कागजात.
विधवा या विधुर के मामलें में मृत्यु प्रमाण पत्र.
गवाहों की फोटो.
पैन कार्ड और पहचान पत्र.