अपठित काव्यांश वे काव्यांश हैं जिनका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है। इन काव्यांशों के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की भावग्रहण क्षमता को विकसित करना है। अपठित काव्यांश हल करने की विधि : गत वर्षों के पूछे गए प्रश्न निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- 1. शांति नहीं तब तक, जब तक प्रश्नः (ख) अपने अनुकूल समय को तेजस्वी जीतकर छीन लेते हैं। (ग) न्यायोचित अधिकार के लिए मनुष्य को संघर्ष करना पड़ता है। अपना हक माँगना पाप नहीं है। (घ) कृष्ण युधिष्ठिर को युद्ध के लिए इसलिए प्रेरित कर रहे हैं ताकि वे अपने हक को पा सकें, अपने प्रति अन्याय को खत्म कर सकें। 2. नीड़ का निर्माण फिर-फिर वह उठी आँधी कि नभ में धूलि-धूसर बादलों ने रात-सा दिन हो गया फिर लग रहा था अब न होगा, रात के उत्पात-भय से किंतु प्राची से उषा की नीड़ का निर्माण फिर-फिर प्रश्नः (ख) कवि निर्माण का आह्वान इसलिए करता है ताकि सृष्टि का चक्र चलता रहे। निर्माण ही जीवन की गति है। (ग) विपदाओं के कारण चारों तरफ निराशा का माहौल था। कवि को लगता था कि निराशा के कारण निर्माण कार्य रुक जाएगा। (घ) उषा की मुसकान मानव में कार्य करने की इच्छा जगाती है। वह मानव को
निराशा के अंधकार से बाहर निकालती है। 3. पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे, प्रश्नः (ख) तलवार की आवश्यकता हिंसक पशुओं से बचने के लिए होती है अर्थात् अन्यायी को समाप्त करने के लिए इसकी ज़रूरत होती है। (ग) इसका अर्थ है-क्रांतिकारी विचारों से मन में जोश व उत्साह का बनाए रखना। (घ) वे व्यक्ति जिनमें अंदर जोश है,
वैचारिक शक्ति है, उन्हें तलवार की ज़रूरत नहीं होती। 4. यह लघु सरिता का बहता जल तन का चंचल मन का विह्वल ऊँचे शिखरों से उतर-उतर धोता वसुधा का अंतस्तल हिम के पत्थर वो पिघल-पिघल, नित जलकर भी कितना शीतल कितना कोमल कितना वत्सल गंगा, यमुना, सरयू निर्मल प्रश्नः (ख) हिम के पिघलने से जल बनता है जो शुद्ध व पवित्र होता है। दूध को भी पवित्र व शुद्ध माना जाता है। अतः जल की तुलना दूध से की गई है। (ग) इसका मतलब है कि जिस प्रकार शरीर में मन चंचल अपने भावों के कारण हर वक्त गतिशील रहता है, उसी तरह छोटी नदी का जल भी हर समय गतिमान रहता है। (घ) इसमें भारत माता
को जननी कहा गया है। 5. यह जीवन क्या है ? निर्झर है, मस्ती ही इसका पानी है। कब फूटा गिरि के अंतर से? किस अंचल से उतरा नीचे। निर्झर में गति है जीवन है, वह आगे बढ़ता जाता है। बाधा के रोड़ों से लड़ता, वन के पेड़ों से टकराता, लहरें उठती हैं, गिरती हैं, नाविक तट पर
पछताता है, निर्झर कहता है बढ़े चलो! देखो मत पीछे मुड़कर, चलना है केवल चलना है! जीवन चलता ही रहता है, प्रश्नः (ख) जीवन की तुलना निर्झर से की गई है क्योंकि जिस तरह निर्झर विभिन्न बाधाओं को पार करते हुए निरंतर आगे चलता रहता है, उसी प्रकार जीवन भी बाधाओं से लड़ते हुए आगे बढ़ता है। (ग) जीवन का उद्देश्य सिर्फ चलना है। रुक जाना उसके लिए मृत्यु के समान है। (घ) इसका आशय है कि जब जीवन में विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं तो आम व्यक्ति रुक जाता है, परंतु युवा शक्ति आगे बढ़ती है। वह परिणाम की परवाह नहीं करती। 6. आँसू से भाग्य पसीजा है, हे मित्र कहाँ इस जग में? प्रश्नः (ख) समय हमेशा कमजोर व्यवस्था को चुपचाप नष्ट कर देता है। दुर्बल तब समय के अनुसार स्वयं को बदल नहीं पाता तथा प्रेरणापरक कार्य नहीं करता। (ग) इतिहास उन्हें याद रखता है जो अपने बल व पुरुषार्थ के आधार पर समाज के लिए कार्य करते हैं। प्रेरक कार्य करने वालों को जनता याद रखती है। (घ) इसका अर्थ है कि अच्छे दिन सदैव नहीं रहते। मानव के जीवन में पतझर जैसे दुख भी आते हैं। 7. तरुणाई है नाम सिंधु की उठती लहरों के गर्जन का, प्रश्नः (ख) तरुणाई की निम्नलिखित विशेषताओं का उल्लेख कवि ने किया है-उत्साह, कठिन परिस्थितियों का सामना करना, हार से निराश न होना, दृढ़ता, सहनशीलता आदि। (ग) मार्ग की रुकावटों को युवा शक्ति तोड़ती है। जिस प्रकार झरने चट्टानों को तोड़ते हैं, उसी प्रकार युवा शक्ति अपने पंथ की रुकावटों को खत्म कर देती है। (घ) इसका अर्थ है कि युवा शक्ति जनसामान्य में उत्साह का संचार कर देती है। 8. अचल खड़े रहते जो ऊँचा शीश उठाए तूफानों में, प्रश्नः (ख) नवयुवक प्रगति के नाम को दुर्गम रास्तों पर चलकर सार्थक करते हैं। (ग) इसका आशय है कि पिछले कुछ समय से देश में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हो पा रहा है। (घ) कवि देश के नवयुवकों का आह्वान इसलिए कर रहा है क्योंकि उनमें नए, कार्य करने का उत्साह व क्षमता है। वे नए इतिहास को लिख सकते हैं। उन्हें देश में नया उत्साह जगाना है। 9. मैंने गढ़े प्रश्नः (ख) इसका आशय है कि सत्ता ने इंसानियत के शब्दों को कैद कर लिया। वे मुक्ति चाहते हैं, परंतु सत्ता उन्हें अपने हितों के लिए इस्तेमाल करती है। (ग) कवयित्री अपने शब्दों को बो रही है ताकि इन शब्दों को कोई लूट या कब्जा न कर सके। जब इनकी फ़सल उग जाएगी तो ये चिरस्थायी हो जाएँगे। (घ) ‘वे’ शब्द सफ़ेदपोश लुटेरों के लिए है। 10. खुल कर चलते डर लगता है प्रश्नः (ख) इस शहर के लोग संवेदनहीन, स्वार्थी, डरपोक, अन्यायी का गुणगान करने वाले व निरर्थक प्रलाप करने वाले हैं। (ग) इस पंक्ति का आशय है कि यहाँ विद्वान व समझदार लोगों को महत्त्व नहीं दिया जाता। सरल स्वभाव का व्यक्ति अपना जीवन निर्वाह भी नहीं कर सकता। (घ) इस शहर में असामाजिक तत्व दंगों से अपना शासन स्थापित करते हैं तथा नियम बनाते हैं। धनिक अवैध कार्य करके धन कमाते हैं। 11. जाग रहे हम वीर जवान, प्रश्नः (ख) उक्त भाव को व्यक्त करने वाली पंक्ति है-जितना कठिन खड्ग था कर में, उतना ही अंतर कोमल। (ग) कवि ने पूर्वज वीरों की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं
(घ) ‘वीरप्रसू माँ’ से तात्पर्य भारतमाता से है। भारतमाता ने देश का मान बढ़ाने वाले अनेक वीर दिए हैं। 12. देखो प्रिये, विशाल विश्व को आँख उठाकर देखो, रत्नाकर गर्जन करता है मलयानिल बहता है, इस विशाल, विस्तृत, महिमामय रत्नाकर के घर के, लाने को निज पुण्यभूमि पर लक्ष्मी की असवारी, प्रश्नः (ख) समुद्र को ‘रत्नाकर’ इसलिए कहा गया है क्योंकि इसके अंदर संसार के कीमती खनिज-पदार्थ, रत्न आदि मिलते हैं। (ग) विशाल सागर को देखकर कवि के मन में इसमें कूदकर तैरने की इच्छा उत्पन्न होती है। (घ) कवि कहता है कि समुद्र के तल पर सूर्य आधा निकला है जो लक्ष्मी के सोने के मंदिर का चमकता कंगूरा जैसा लगता है जैसे, लक्ष्मी की सवारी को लाने के लिए सागर ने सोने की सड़क बना दी हो। 13. तुम नहीं चाहते थे क्या प्रश्नः (ख) आतंकवादियों को-धरती पर फूल खिलना, भौरों का गुंजन, तितलियाँ उड़ना, वसंती हवा, मंजरियों का उत्सव, हिरनों की दौड़, कोयल का गाना आदि पसंद नहीं है। (ग) इसका अर्थ है कि आतंकवादियों को धूर्त व हत्यारी प्रकृति के लोग पसंद होते हैं। ऐसे लोगों की बढ़ती संख्या से जंगलीपन बढ़ता जाता है। (घ) ‘अब भी समय है’ कहकर कवि यह अपेक्षा करता है कि आतंकी अपना बहुत कुछ खो चुके हैं, परंतु अभी सुधरने का समय है। वे इन प्रकृतियों के खिलाफ खड़े होकर समाज को बचा सकते हैं। 14. ‘सर! पहचाना मुझे ?’ प्रश्नः (ख) ‘सर’ का हाथ जेब की ओर इसलिए गया होगा ताकि वह बाढ़ में अपना सब कुछ गँवाए हुए व्यक्ति की कुछ आर्थिक सहायता कर सके। (ग) आगंतुक ‘सर’ के घर आर्थिक मदद माँगने नहीं आया था। वह अपने अकेलेपन को दूर करने आया था। वह ‘सर’ से संघर्ष करने की क्षमता का आशीर्वाद लेने आया था। (घ) आगंतुक के घर का सामान बाढ़ में बह गया। इसके बावजूद वह निराश नहीं था। उसने मकान दोबारा बनाना शुरू किया। उसने ‘सर’ से आर्थिक सहायता लेने के लिए भी इनकार कर दिया। अतः हम कह सकते हैं कि आगंतुक स्वाभिमानी और संघर्षशील व्यक्ति है। 15. स्नायु तुम्हारे हों इस्पाती। देह तुम्हारी लोहे की हो, स्नायु तुम्हारे हों इस्पाती, जब तुम चलो चलो ऐसे अंतर हिंद महासागर-सा, हिमगिरि जैसी चौड़ी छाती। जग जीवन के आसमान में साँस-साँस हो झंझा जैसी रहे कर्म ज्वाला भड़काती। जनमंगल की नई दिशा में ‘ ऐसे सबक सिखाओ जिसको याद करे युग-युग संघाती। प्रश्नः (ख) कवि ने व्यवधान की गरदन मरोड़ने को कहा है क्योंकि उसे सबक सिखाने की ज़रूरत है। उसे ऐसे सबक को लंबे समय तक याद रखना होगा। (ग) बलिष्ठ युवकों की चाल-ढाल के बारे में कवि कहता है कि उन्हें तूफान की गति के समान चलना चाहिए। उनका मन हिंद महासागर के समान गहरा व सीना हिमालय जैसा चौड़ा होना चाहिए। (घ) युवकों की तेजस्विता के बारे में कवि कल्पना करता है कि वे संसार के आसमान में दोपहर के सूर्य के समान चमकें। वे अपने पवित्र चरित्र से उज्ज्वल दर्पण के समान दमकने चाहिए। 16. नए युग में विचारों की नई गंगा कहाओ तुम, अगर तुम ठान लो तो आँधियों को मोड़ सकते हो तुम्हारे
बाहुबल पर विश्व को भारी भरोसा है- पसीना तुम अगर इस भूमि में अपना मिला दोगे, नया जीवन तुम्हारे हाथ का हल्का इशारा है प्रश्नः (ख) कवि नवयुवकों से आग्रह करता है कि वे नए विचार अपनाकर जनता को जाग्रत कर तथा उनमें आत्मविश्वास का भाव जगाएँ। (ग) युवक यदि परिश्रम करें तो करोड़ों दीन-हीनों को नया जीवन मिल सकता है। (घ) इस पंक्ति का अर्थ है कि युवकों में इतनी कार्यक्षमता है कि वे कम साधनों के बावजद विकट स्थितियों में भी समाज को अधिक दे सकते हैं। 17. महाप्रलय की अग्नि साथ लेकर जो जग में आए प्रश्नः (ख) ‘टूट गई बंधन की कड़ियाँ’ पंक्ति में कवि ने पराधीनता के बंधन की बात कही है। (ग) “विश्वबली शासन’ से तात्पर्य है- ब्रिटिश शासन। कवि ने विश्वबली शासन इसलिए कहा है क्योंकि उस समय दुनिया के बड़े हिस्से पर अंग्रेज़ों का शासन था। (घ) शहीद वे हैं जो क्रांति की ज्वाला लेकर आते हैं तथा देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं। वे मृत्यु से भी नहीं घबराते। शहीदों के बलिदान से हमें आज़ादी मिली। अन्य उदाहरण (हल सहित) 1. एक दिन सहसा प्रश्नः (ख) वह दुर्घटना दूसरे विश्वयुद्ध के अंत में जापान के हिरोशिमा नगर में हुई। (ग) परमाणु बम विस्फोट अचानक हुआ था और कुछ ही क्षणों में सब कुछ नष्ट हो गया था। (घ) इसका अर्थ है कि प्रचंड गरमी के कारण मनुष्य नष्ट हो गए। वे राख बन गए थे। 2. कलम आज उनकी जय बोल प्रश्नः (ख) कवि की मान्यता है कि इतिहास में स्वार्थ-प्रेरित कुछेक लोगों का वर्णन मिलता है। सच्चे वीरों के वृत्तांत इतिहास में नहीं मिलते। इतिहास युग का दर्पण नहीं है। इसीलिए इतिहास को बेचारा व अनजाना कहा है। (ग) स्वतंत्रता के शहीदों के चश्मदीद गवाह सूरज, चाँद, ज़मीन और आकाश इसलिए बताए गए हैं, क्योंकि उन्होंने सत्य देखा है और वे इतिहास की भाँति अँधे नहीं हैं। (घ) कवि चाहता है कि लेखनी उन बलिदानी वीरों की जय-जयकार करे, जिन्होंने स्वतंत्रता की बलिवेदी पर प्राण निछावर कर दिए और उनके बलिदान की आग से आज भी अंग्रेज़ी सत्ता थर्राती है। 3. वैराग्य छोड़ बाहों की विभा सँभालो, चढ़ तुंग शैल-शिखरों पर सोम पियो रे। छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाए, तुम स्वयं मरण के मुख पर चरण धरो रे, स्वातंत्र्य जाति की लगन व्यक्ति की धुन है, वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे। प्रश्नः (ख) कवि के अनुसार, आत्मसम्मान की प्राप्ति रक्षा के लिए यदि मृत्यु भी स्वीकार करनी पड़े तो चिंता नहीं करनी चाहिए। (ग) कवि का मानना है कि प्राकृतिक रूप से मानव स्वतंत्र रहने का आदी होता है। कोई भी व्यक्ति पराधीन नहीं रहना चाहता। यह गुण जन्मजात होता है। यह बाहरी गुण नहीं है। (घ) इस काव्यांश का मूल स्वर वैराग्य भाव त्यागकर पराक्रमी बनकर रहने का है। पराक्रमी व्यक्ति अपनी व देश की स्वाधीनता को कायम रख सकता है। 4. काँधे धरी यह पालकी यह कर्ज पुश्तैनी अभी किस्तें हज़ारों साल की। इस पाँव से उस पाँव पर, यह माल ढोते थक गई तकदीर खच्चर हाल की। फिर एक दिन आँधी चली तब भेद आकर यह खुला
हमसे किसी ने चाल की प्रश्नः (ख) इस पंक्ति में, कवि ने कर्ज की समस्या को बताया है। समाज का एक बड़ा तबका महाजनी ऋण से दबे रहते हैं तथा उनकी कई पीढ़ियाँ इस कर्ज को चुकाने में गुज़र जाती है। (ग) क्रांति की आँधी ने एक दिन पालकी ढोने वालों को यह भेद बताया कि इसमें दुल्हा व दुल्हन नहीं थी। इसमें पूँजीपति थे जो उनका शोषण कर रहे थे। (घ) ‘लाला अशर्फीलाल’ पूँजीपति वर्ग तथा ‘पालकी ढोने वाले’ समाज के शोषित वर्ग के प्रतीक हैं जो सदियों से पूँजीपतियों की मार झेल रहे हैं। 5. बहुत दिनों से आज मिली है साँझ अकेली-साथ नहीं हो तुम । पेड़ खड़े बाहें फैलाए कुलबुल-कुलबुल नीड़-नीड़ में धुन अलबेली-साथ नहीं हो तुम। ऊँचे स्वर से गाते निर्झर प्रश्नः (ख) सूर्यास्त के पूर्व पेड़ ऐसे खड़े मिलते हैं मानो बाहें फैलाए हुए हैं, चरवाहे घर लौट रहे हैं, पक्षियों के घरों में चहचहाहट है तथा झरने ऊँचे स्वर में गा रहे होते हैं। (ग) सायंकाल के समय पक्षियों के झुंडों से आने वाली आवाज़ को ‘अलबेली’ कहा गया है क्योंकि उसमें मिलन की व्याकुलता होती है। (घ) इसका अर्थ है कि सांझ के समय मौसम सुहावना व मस्त है। प्रकृति व मानव की हर क्रिया मिलन की तरफ बढ़ रही है, परंतु कवि अकेला है। उसे प्रेमिका की कमी खल रही है। वह इस पीड़ा को सहन कर रहा है। 6. स्वातंत्र्य उमंगों की तरंग, नर में गौरव की ज्वाला है, जिंदगी वहीं तक नहीं, ध्वजा जिस जगह विगत युग में गाड़ी, रोटी उसकी जिसका अनाज, जिसकी ज़मीन, जिसका श्रम है, प्रश्नः
(ख) कवि दासता फैलाने वाला उसे मानता है जो हमेशा यह कहते रहते हैं कि मनुष्य संपूर्णता को प्राप्त कर चुका है तथा इससे आगे कुछ भी नहीं है। इससे मानव की विकास प्रक्रिया बाधित होती है। (ग) कवि के मत में स्वतंत्रता का सीधा क्रम यह है कि जो व्यक्ति मेहनत करता है, भोजन पर हक भी उसी का है। (घ) स्वतंत्रता हमें निम्नलिखित अधिकार देती है
7. जीवन का अभियान दान-बल से अजस्र चलता है, प्रश्नः (ख) दान को जीवन का झरना कहा गया है क्योंकि जिस प्रकार झरना बिना किसी भेदभाव के सबको जल देता है, उसी प्रकार दान करना भी जीवन का महान कार्य है। दान न करने से जीवन रुक जाता है तथा नाश को प्राप्त करना है। (ग) कवि कहता है कि वृक्ष फलों को इसलिए देते हैं कि उनकी डालियाँ स्वस्थ रहें तथा नए-नए फल आएँ। यदि वे ऐसा न करें तो फल सड़ जाएगा तथा उसमें कीड़े हो जाएँगे जो पेड़ को भी नष्ट कर देंगे। अतः दी हुई वस्तु पर मोह नहीं दिखाना चाहिए। (घ) वे व्यक्ति जो दूसरों के लिए अपना जीवन न्योछावर कर देते हैं, वे मृत्यु को प्राप्त करके भी अमर रहते हैं। उनके कार्य सदैव याद किए जाते हैं। 8. जहाँ भूमि पर पड़ा कि शक्तिहीन जो हुआ कि मातृभूमि है उसकी, जिसको भूमि खींचती है
मुझको काला बादल आता है विद्रोही हैं हमीं, हमारे प्रश्नः (ख) इसका अर्थ है कि संसार में कोई भी व्यक्ति कितना ही शक्तिशाली, धनी, सुंदर आदि हो, उसका अभिमान सदा नहीं रहता। अंत में, सबको इस संसार से जाना पड़ता है तथा वे सभी अन्य लोगों की तरह मिट्टी में ही मिल जाते हैं। (ग) कवि ने ‘मातृभूमि’ उन लोगों के लिए उपयुक्त बताई है जिनमें संघर्ष करने की क्षमता होती है तथा ‘दहनभूमि’ के योग्य उन व्यक्तियों को बताया है जो क्षण-क्षण गिरते जाते हैं। (घ) काला बादल विद्रोही व क्रांतिकारी विचारों वाले व्यक्ति का अभिषेक करता है क्योंकि बादल स्वयं गर्जना करके विद्रोह का परिचय देता है। 9. जिसकी भुजाओं की शिराएँ फड़की ही नहीं, शिव का पदोदक ही पेय जिनका है रहा, जिनके हृदय में कभी आग सुलगी ही
नहीं, जिनको सहारा नहीं-भुज के प्रताप का है, उसकी सहिष्णुता, क्षमा का है महत्त्व ही क्या, करुणा, क्षमा को छोड़ और क्या उपाय उसे, सहता प्रहार कोई विवश कदर्प जीव करुणा, क्षमा है क्लीव जाति के कलंक घोर, प्रश्नः (ख) इसका अर्थ है-अत्याचार, विद्रोह आदि को देखकर प्रतिकार का भाव न उठना। ऐसे व्यक्तियों को कायर माना जाता है जो कभी प्रतिरोध भाव को व्यक्त नहीं करते। (ग) कवि का मत है कि आत्मबल का भरोसा वही लोग करते हैं जिनकी भुजाओं में ताकत नहीं है। वे अन्याय का प्रतिकार नहीं कर पाते। (घ) शूरवीरों का श्रृंगार क्षमा करने की क्षमता है। इसका कारण यह है कि शूरवीर ही किसी को क्षमा कर सकता है। कमज़ोर व्यक्ति प्रतिरोध न करने के कारण क्षमा करने का अधिकारी नहीं होता। 10. किस भाँति जीना चाहिए किस भाँति मरना चाहिए, आओ मिलें सब देश-बांधव हार बनकर देश के, प्राचीन हो कि नवीन, छोड़ो रूढ़ियाँ जो हों बुरी, मुख से न होकर चित्त से देशानुरागी हो सदा, प्रश्नः (ख) कवि कहता है कि जिस प्रकार विभिन्न तरह के फूल एक माला में बँधकर रहते हैं, उसी प्रकार भारत में अनेक धर्मों के लोग मिल-जुलकर रह सकते हैं। इस तरीके से कवि को विश्वास है कि सांप्रदायिकता हमारी एकता को भंग नहीं कर सकती। (ग) रूढियाँ समय के बदलने पर विकास में बाधा उत्पन्न करती हैं। कवि रूढ़ियों को त्यागने की बात कहता है क्योंकि ये हर युग में प्रासांगिक नहीं होती। हमें विवेकपूर्वक कार्य करने चाहिए। (घ) इसका अर्थ है कि मनुष्य को देश विकास या देशप्रेम की केवल बातें नहीं करनी चाहिए। देश-कल्याण के लिए सार्थक प्रयास भी करने चाहिए। कवि व्यावहारिकता पर बल देता है। 11. इन दिनों छटपटा रहा है वह प्रश्नः (ग) इसका अर्थ है-प्रारंभ से समाप्ति तक। (घ) इसका अर्थ है कि समाज में पीड़ा, कुंठा, भूख, तनाव आदि उच्चतम स्तर पर है। आम व्यक्ति को अच्छी लगने वाली बातें नहीं होती। 12. भीड़ जा रही थी प्रश्नः (ख) कवि ने तीन बार ‘धन्यवाद’ किया है। इससे पता चलता है कि मित्र की प्रेरणा से कवि में उत्साह जगा है। वह अपनी हार्दिकतरीके से आभार व्यक्त करना चाहता है। (ग) मित्र के साथ न रहने पर कवि को भरोसा है कि उस समय दोस्त की स्मृति उसके साथ रहेंगी जो सदैव उसमें उत्साह पैदा करती रहेगी। (घ) इसका अर्थ है कि निरंतर चलना ही जीवन है। मनुष्य को स्वयं भी आगे बढ़ना चाहिए तथा दूसरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए। कैसे व्यक्ति को तलवार की आवश्यकता होती है?लहू गर्म करने को रक्खो मन में ज्वलित विचार, हिंस्र जीव से बचने को चाहिए किन्तु तलवार । जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले, 1 | अधिकतम अंक : 100 [ Maximum marks : 100 [P.T.O. Page 2 2. 2/1/3 (क) कलम किस बात की प्रतीक है ? तलवार की आवश्यकता कहाँ पड़ती है ? (ग) लहू को गर्म करने से कवि का क्या आशय है ?
तलवार और ढाल की आवश्यकता कब पड़ती है?Explanation: तलवार और ढाल की आवश्यकता ऐतिहासिक युद्ध के दौरान पड़ती हैं, जब दो विरोधी राज्यों और शासकों के बीच बहुत भयंकर लड़ाई होती थी।
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