दुर्लभ वन्य जीव प्रजाति कस्तूरी मृग उत्तराखंड का राज्य पशु है। इसकी गिनती जंगल के खूबसूरत जीवो में होती है। कस्तूरी मृग को हिमालयन मस्क डियर के नाम से भी जाना जाता है। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम मॉस्कस फ्रांईसोगास्ट है। अपनी आकर्षक खूबसूरती के साथ यह कस्तूरी मृग नाभि से निकलने वाली अप्रतिम खुशबू के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है जो इस कस्तूरी मृग की सबसे खास बात है। Show कस्तूरी मृग की नाभि में गाढा तरल पदार्थ होता है जिसमें से मनमोहक खुशबू की धारा बहती है कस्तूरी केवल नर कस्तूरी मृग में ही पाया जाता है यह जीव उत्तराखंड के अलावा हिमालय के क्षेत्रों हिमाचल प्रदेश और सिक्किम में भी पाया जाता है कस्तूरी मृग की 4 प्रजाति पाई जाती है जो कि आपस में भी बहुत ही मिलती जुलती है कस्तूरी मृग नामक पशु मृगो के एगंयू लेटा कुल के होते हैं। यह कस्तूरी मृग मोस्कस प्रजाति का सींग रहित चौपाया है। यह प्रायः हिमालय के 2400 से 3600 मीटर तक की ऊंचाइयों पर तिब्बत नेपाल हिंद चीन और कोरिया इत्यादि के पहाड़ी स्थानों पर पाया जाता है। कस्तूरी मृग एक अन्य मृग की ही समान नाटी बनावट का होता है और इनके पिछले पैर आगे के पैरों से अधिक लंबे होते हैं इस कस्तूरी मृग की ऊंचाई 52 से 55 सेंटीमीटर होती है। कस्तूरी मृग की लंबाई 80 से 100 सेंटीमीटर तक होती है और इसका वजन 7 से 17 किलोग्राम तक होता है। कस्तूरी मृग का जीवनकाल 10 से 20 वर्ष का होता है कस्तूरी मृग के पैर कठिन भूभाग मे चढ़ाई के लिए अनुकूल होते हैं। राज्य में पाए जाने वाले कस्तूरी मृग प्रकृति के सुंदरतम जीवो में से एक है। इसके पेट के निचले भाग में जननांग के समीप एक ग्रंथि से एक प्रकार की विशेष सुगंध बहती रहती है यह इसके पेट के नीचे एक थैलीनुमा स्थान पर इकट्ठी होती है कस्तूरी मृग छोटा और शर्मिला जानवर है इसका रंग भूरा और उस पर काले पीले धब्बे होते हैं। कस्तूरी की पहचान क्या है? कस्तूरी की नाप मटर के दाने के बराबर होती है, कहीं कहीं पर यह इलायची के दाने के बराबर भी पायी जाती है। इससे बडी कस्तूरी नही मिलती है। कस्तूरी की नाप मटर के दाने के बराबर होती है, कहीं कहीं पर यह इलायची के दाने के बराबर भी पायी जाती है। कस्तूरी में तीव्र गंद आती है। शुद्ध कस्तूरी को पानी में घोलकर सूंघने से सुगंध आती है और अगर नकली है तो पानी में डालने के बाद सूंघने पर कीचड़ की तरह या विकृत गंद आती है। शुद्ध कस्तूरी पानी में अविलेय होती है पानी का रंग भी मैला नही होता। अगर आप कस्तूरी को जलाएंगे तो यह चमड़े की तरह चिट – चिट की आवाज के साथ जलती है एवं गंद भी चमड़े के सामान आती है । कस्तूरी किसका प्रतीक है? हिरण की नाभि में कस्तूरी रहता है जिसकी सुगंध चारों ओर फैलती है। हिरण इससे अनभिज्ञ पूरे वन में कस्तूरी की खोज में मारा मारा फिरता है। कबीर ने हिरण को उस मनुष्य के समान माना है जो ईश्वर की खोज में दर दर भटकता है। 1 मृग में लगभग 30 से 45 ग्राम तक कस्तूरी पाई जाती है नर की बिना बालों वाली पूछ होती है। कस्तूरी मृग जबड़े में 2 दांत पीछे की ओर झुके हुए होते हैं इनका तो का उपयोग यह अपनी सुरक्षा और जड़ी-बूटी को खोदने में करता है। कस्तूरी मृग की सूंघने की शक्ति बड़ी तेज होती है कस्तूरी का उपयोग औषधि के रूप में दमा निमोनिया आदि की दवाई बनाने में होता है। कस्तूरी से बनने वाला इत्र अपनी खुशबू के लिए बहुत प्रसिद्ध है कस्तूरी मृग तेज गति से दौड़ने वाला जानवर है लेकिन दौड़ते समय 40 से 50 मीटर आगे जाकर पीछे मुड़ कर देखने की आदत ही इसके लिए काल बन जाती है कस्तूरी मृग को संकटग्रस्त प्रजातियों में शामिल किया गया है इसके खूर और नाखूनों की बनावट इतनी छोटी नुकीली और विशेष ढंग की होती है कि बड़ी फुर्ती से दौड़ते वक्त भी इसकी टांगे चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़ों पर भी आसानी से टिक सकती है। इसकी 1-1 छलांग 15 से 20 मीटर लंबी होती है इसके कान लंबे और गोलाकार होते हैं। इसकी सुनने की शक्ति बड़ी तेज होती है इसके शरीर का रंग भी समय के साथ साथ बदलता रहता है। पेट और कमर के नीचे भाग लगभग सफेद ही होते हैं और बाकी शरीर कत्थई भूरे रंग का होता है कभी-कभी शरीर का ऊपरी हिस्सा सुनहरी चमक लिए हुए लाल हल्का भूरा भी पाया जाता है। दोस्तों कस्तूरी की खास बात यह है कि अगर आप इसको धूप में भी रख दे तो इसकी खुशबू खत्म नहीं होगी देखा होगा अन्य चीजों की खुशबू उड जाती है रंग उड़ जाते हैं लेकिन कस्तूरी का ना रंग उड़ता है ना खुशबू। इसकी खुशबू दो-तीन महीने तक कायम रहेगी अगर आप इसको धूप में लगातार रखें। और अगर आप इसे धूप में रख देते हैं तो आप इस खुशबू को दोबारा भी पा सकते हैं जैसे ही आप उस मृत कस्तूरी को एक बंद ढक्कन के बर्तन में रख देंगे और उसको किसी नम जगह पर रखेंगे तो उसकी खुशबू दोबारा से जीवित हो जाएगी और वह बिल्कुल वैसे ही खुशबू होगी जैसी पहले थी यह असली कस्तूरी की पहचान होती है और कस्तूरी जब तक दवाई में काम में ली जा सकती है जब तक कि इसकी खुशबू खत्म ना हो जाए और इसकी खुशबू 30 साल से 40 साल तक लगातार रहती है। कस्तूरी की कीमत क्या है? अंतरराष्ट्रीय बाजार में कस्तूरी की कीमत प्रति सौ ग्राम 50 हजार डॉलर है। नर मृग से हर साल 17 से 22 ग्राम तक कस्तूरी निकाली जा सकती है। कस्तूरी से क्या लाभ है? कस्तूरी कभी प्रकार के सुगंधित पदार्थो में सबसे सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है। इसका उपयोग इत्रों की सुगंध को और तीव्र करने के लिए भी किया जाता रहा है। इसका प्रयोग मात्र सुगंध के लिए ही नहीं किया जाता है इसका प्रयोग कई प्रकार की दवाओं में भी किया जाता रहा है। कस्तूरी का क्या अर्थ होता है? कस्तूरी का मतलब हिंदी में कस्तूरी संस्कृत [संज्ञा स्त्रीलिंग] एक प्रसिद्ध सुगंधित पदार्थ जो हिरन की जाति के एक पशु की नाभि में पाया जाता है तथा औषधि बनाने में प्रयुक्त होता है। 1 ग्राम कस्तूरी की कीमत क्या है?कामरूपी कस्तूरी सबसे श्रेष्ठ होती है। इसकी कीमत 25 से 30 हजार रुपये प्रति ग्राम होती है।
कस्तूरी क्या चीज का बनता है?कस्तूरी मृग
कस्तूरी को प्राप्त करने के लिए, हिरण को मार डाला जाता है और उसकी ग्रंथि जिसे "कस्तूरी फली" भी कहा जाता है को निकाल दिया जाता है। सूखने पर, कस्तूरी फली के अंदर भूरे लाल लसदार मिश्रण काले दानेदार सामग्री में बदल जाते हैं जिसे "कस्तूरी दाने" कहते हैं और जिसे इसके बाद शराब से भरा जाता है।
कस्तूरी घर में रखने से क्या फायदा होता है?जिन लोगों को स्तंभन दोष या कामेच्छा की कमी होती है, उनके लिए इसका सेवन काफी लाभदायक होता है. आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए कस्तूरी का इस्तेमाल किया गया है. हृदय संबंधी बीमारियों में कस्तूरी को खास उपयोग किया जाता है. कस्तूरी का इस्तेमाल कॉस्मेटिक्स में भी किया जाता है.
हिरण की नाभि से क्या निकलता है?नाभि में सुगंधित धारा
अपनी आकर्षक खूबसूरती के साथ-साथ यह जीव नाभि से निकलने वाली खुशबू के लिए मुख्य रूप से जाना जाता है जोकि इस मृग की सबसे बड़ी खासियत है। इस मृग की नाभि में गाढ़ा तरल (कस्तूरी) होता है जिसमें मनमोहक खुशबू की धारा बहती है। कस्तूरी केवल नर मृग में ही पाया जाता है।
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