क्या भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए हैं? - kya bhaarat ne vyaapak pareekshan pratibandh sandhi par hastaakshar kie hain?

भारत का CTBT पर हस्ताक्षर करने से इनकार

भारत ने कहा कि वो ऐसे किसी नियम को स्वीकार नहीं करेगा जो राष्ट्रहित में न हो।

  • News18India
  • Last Updated : September 25, 2009, 03:59 IST

    नई दिल्ली। भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि यानी सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करने से साफ इनकार कर दिया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को साफ-साफ ठुकरा दिया है जिसमें परमाणु अप्रसार संधि के दायरे में नहीं आने वाले देशों को उस पर अपनी सहमति देने को कहा गया। भारत ने कहा कि वो बाहर से सुझाए गए ऐसे किसी नियम को स्वीकार नहीं करेगा जो राष्ट्रहित में न हो।

    दरअसल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने परमाणु निशस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार के लिए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के इस विशेष सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने प्रस्ताव 1887 के तहत उन सभी देशों से परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने को कहा गया है, जिन्होंने अभी तक इस संधि को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने ये भी कहा कि ये जटिल मामला है क्योंकि देशों के बीच अविश्वास का स्तर बहुत ज़्यादा है। लेकिन इसे किया जाना ज़रूरी है।

    लेकिन भारत ने तुरंत इसका खंडन करते हुए अपनी स्थिति साफ कर दी। भारतीय विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा कि लंबे समय से हमारी ये नीति रही है कि पूरी दुनिया से परमाणु हथियार ख़त्म किए जाएं। लेकिन हम ऐसी कोई संधि स्वीकार नहीं कर सकते जिसके तहत कुछ देशों को ऐसे हथियार रखने की इजाज़त मिलती हो। भारत का तर्क है कि विकसित देशों ने पहले ही परमाणु हथियारों का भंडार बना लिया है और बाक़ी देशों पर अप्रसार संधि थोप रहे हैं।

    परमाणु अप्रसार और निशस्त्रीकरण के लिए पारित इस प्रस्ताव में सभी देशों से अपील की गई है कि वे अपने वादे को पूरा करें। अमरीका की अगुआई में पारित इस प्रस्ताव का रूस और चीन ने भी समर्थन किया। जबकि सीटीबीटी पर हस्ताक्षर का विरोध करने वाले भारत समेत आठ और देश शामिल हैं।

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    Tags: India

    FIRST PUBLISHED : September 25, 2009, 03:59 IST

    सीटीबीटी को लागू करना परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए ज़रूरी

    29 अगस्त 2019शांति और सुरक्षा

    संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि परमाणु हथियारों के परीक्षणों ने दुनिया को तबाही के सिवाय और कुछ नहीं दिया है. आज की बढ़ते तनावों की दुनिया में हम सबकी सामूहिक सुरक्षा इस बात पर निर्भर है कि परमाणु विस्फोटों पर पाबंदी लगाने वाली एक वैश्विक संधि लागू की जाए. 

    परमाणु परीक्षणों के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने अपने संदेश में कहा, "मैं सभी देशों से अपनी पुकार फिर दोहराता हूँ कि जिन देशों ने अभी परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, वो हस्ताक्षर कर दें और इस संधि को मंज़ूरी भी दे दें, ख़ासतौर से वो देश जिनकी मंज़ूरी इस संधि के लागू होने के लिए ज़रूरी है."

    अंतरराष्ट्रीय परमाणु परीक्षण निषिद्ध दिवस हर साल 29 अगस्त को मनाया जाता है. 

    दुनिया भर में परमाणु निरस्त्रीकरण के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में सीटीबीटी एक महत्वपूर्ण स्तंभ है.

    सीटीबीटी को दुनिया भर में काफ़ी समर्थन मिला है, 184 देशों ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं और 168 देशों ने इसे औपचारिक रूप से मंज़ूरी भी दे दी है.

    क़रीब दो दशक पहले वजूद में आने के बावजूद ये संधि अभी लागू नहीं हो सकी है.

    महासचिव ने कहा कि परमाणु हथियारों के पीड़ितों और प्रभावितों की तकलीफ़ों को दूर करने के लिए ज़रूरी है कि परमाणु परीक्षणों पर स्थाई रूप में पाबंदी लगाई जाए.

    उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए असरदार और क़ानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबंधों का लागू होना अभी सपना ही बना हुआ है.

    संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि सीटीबीटी ये सुनिश्चित करने के लिए बहुत ज़रूरी है कि परमाणु परीक्षणों से अब और कोई इंसान प्रभावित ना हो; परमाणु निरस्त्रीकरण को आगे बढ़ाने के लिए भी सीटीबीटी बहुत ज़रूरी है.

    परमाणु परीक्षणों के विरुद्ध आंतरराष्ट्रीय दिवस उस घटनाक्रम की याद में मनाया जाता है जब 1991 में कज़ाख़्स्तान में परमाणु परीक्षण स्थल को बंद कर दिया गया था.

    सेमीपलातिंस्क नामक वो स्थान पूर्व सोवियत संघ में सबसे बड़ा ख़ाली स्थान था. वहाँ 450 से भी ज़्यादा परमाणु परीक्षण किए गए और उनके प्रभाव दशकों बाद तक भी महसूस किए जा सकते हैं. 

    सीटीबीटी संगठन विएना स्थित एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो इस संधि के लागू होने के साथ ही वजूद में आएगा.

    इस संधि के तहत परमाणु परीक्षण गतिविधियों पर प्रतिबंध को लागू करने की निगरानी की ज़िम्मेदारी होगी जिसके लिए ये संगटन वैश्विक स्तर पर एक निगरानी प्रणाली चलाएगा और स्थलों पर जाकर भी निरीक्षण करेगा.

    सीटीबीटी संगठन की तैयारी के लिए 1997 में एक आयोग भी बनाया गया था जोकि संयुक्त राष्ट्र के एक साझीदार संगठन है. 

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    परीक्षण प्रतिबंध संधि पर कब हस्ताक्षर हुए?

    व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को ही कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी कहा जाता है। यह एक ऐसा समझौता है जिसके जरिए परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया है। यह संधि 24 सितंबर 1996 को अस्तित्व में आयी। उस समय इस पर ७१ देशों ने हस्ताक्षर किया था।

    1995 में व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि पर भारत का क्या रुख था?

    भारत ने सुझाव दिए। भारत ने इसका विरोध किया और इसकी जगह एक नई संधि की। भारत ने इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।

    भारत ने NPT पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए?

    गैर-परमाणु पक्षकार देशों की आशंकाएँ: NPT के निरस्त्रीकरण प्रावधानों को लागू करने में प्रगति की कमी को लेकर ये देश शिकायत रखते हैं। परमाणु शक्ति संपन्न देशों द्वारा हथियारों के नियंत्रण पर किसी भी तरह के संवाद के अभाव ने स्थिति को और बदतर कर दिया है।

    वर्तमान समय में व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि में कितने देश शामिल है *?

    वर्तमान में 183 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिनमें से 164 देशों ने इस संधि का अनुसमर्थन भी कर दिया है। इस संधि में यह भी प्रावधान था कि तत्कालीन वे 44 देश, जिनके पास किसी भी रूप में परमाणु हथियार या परमाणु रिएक्टर अनुसंधान की सुविधा है जब वे इस संधि पर हस्ताक्षर करेंगे, तभी यह संधि लागू होगी।