कृष्ण भगवान को कौन सा चंदन लगाना चाहिए? - krshn bhagavaan ko kaun sa chandan lagaana chaahie?

वैष्णव तिलक गोपी-चन्दन से लगाया जाता है। गोपी-चन्दन को गीला करने भगवान विष्णु के नाम का उच्चारण करते हुए अपने माथे पर V चिन्ह की तरह लगाए। वैष्णव तिलक को अपनी भुजाओं, वक्ष स्थल और पीठ पर भी लगाया जा सकता है।

हिन्दू परंपरा के अनुसार ललाट (माथे) को सुना नहीं रखना चाहिए। किसी प्रकार का तिलक या टीका लगाना चाहिए। हम लोगों के माथे पर तरह-तरह के तिलक देखते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि आखिर इन तिलक का महत्व क्या है? आप यह तो भली भांति जानते होंगे कि माथे पर राख या चंदन की तीन आड़ी रेखाओं वाला तिलक लगाने वाला शिव भक्त है। इसी तरह कुछ लोग अपने माथे के ऊपर तिकोन या "V" चिन्ह दर्शाने वाला तिलक लगाते हैं। इस तिलक को वैष्णव तिलक कहा जाता है। जो भगवान विष्णु के भक्त लगाते हैं। आपको शायद ही इस तिलक के महत्व बारे में पता होगा। आज हम आपको वैष्णव तिलक लगाने की विधि और इसके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। जो आज से पहले आपने शायद ही सुना होगा।

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गोपी-चंदन से ही लगता है वैष्णव तिलक- 

लोग कई प्रकार के तिलक लगाते है। कोई राख, कोई चंदन, कोई कुम-कुम तथा कोई सिंदूर का तिलक अपने माथे पर लगाता है। लेकिन वैष्णव तिलक गोपी-चन्दन नामक मिट्टी से लगाया जाता है। यह मिट्टी द्वारका से कुछ दूर एक स्थान पर पायी जाती है। जिस स्थान पर यह मिट्टी पाई जाती है उसके बारे में बताया जाता है कि भगवान कृष्ण जब धरती से अपनी लीलाएं समाप्त करके वापस गोलोक गए तो उनकी गोपियों ने इसी स्थान पर एक नदी में शामिल होकर में अपने शरीर त्यागे थे। तब से यहां की मिट्टी से यह वैष्णव तिलक लगाया जाता है।

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ऐसे लगाया जाता है वैष्णव तिलक- 

वैष्णव तिलक गोपी-चन्दन से लगाया जाता है। गोपी-चन्दन को गीला करने भगवान विष्णु के नाम का उच्चारण करते हुए अपने माथे पर "V" चिन्ह की तरह लगाए। वैष्णव तिलक को अपनी भुजाओं, वक्ष स्थल और पीठ पर भी लगाया जा सकता है। इस तिलक को देखते ही भगवान श्री कृष्ण का स्मरण होता है। यह तिलक मनुष्य के शरीर को एक मंदिर की तरह अंकित करता है। यह मानव शरीर को शुद्ध कर बुरे प्रभाव से रक्षा भी करता है।

वैष्णव तिलक का महत्व- 

वैष्णव तिलक का महत्व अनेक शास्त्रों एवं ग्रंथो में मिलता है। गर्ग संहिता के अनुसार जो मनुष्य प्रतिदिन गोपी-चंदन का वैष्णव तिलक धारण करता है। उसे एक हजार अश्वमेघ यज्ञों तथा राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है। इस तिलक को धारण करने वाले को समस्त तीर्थ स्थानों में दान देने तथा व्रत पालन करने का फल मिलता है। साथ ही वह जीवन में परम लक्ष्य को प्राप्त करता है। बताया यह भी जाता है कि प्रतिदिन गोपी-चंदन से वैष्णव तिलक धारण करने वाला पापी मनुष्य भी भगवान कृष्ण के धाम, गोलोक वृन्दावन को प्राप्त होता है। जो इस भौतिक संसार से बहुत परे है।

सप्ताह में सात दिन होते हैं। यदि इन सात दिनों में भगवान को अलग-अलग तिलक लगाएं तो आपको अलग-अलग लाभ मिलेगा।

इसके लिए ये उपाय आजमाएं...

सोमवार : सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है। इसलिए भगवान को सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इस दिन भस्म भी लगा सकते हैं।

मंगलवार : मंगल हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का शरीर में संचार होता है।

बुधवार : बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन होता है। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है।

गुरुवार : इस दिन के विशेष देवता हैं ब्रह्मा जी। गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। इस दिन सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए। हल्दी का तिलक लगाना भी शुभ होता है।

शुक्रवार : शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है। इस दिन लाल चंदन लगाने से जहां तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होती है।

शनिवार : शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए।

रविवार : रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं। इससे निर्भयता आती है।

अक्सर माथे पर चंदन या तिलक देखकर सवाल आता है कि आखिर इसको क्यों लगाते हैं? इसकी वजह क्या है? इससे क्या फायदे होते हैं? धार्मिक नजरिए से देखें, तो चंदन आस्था का प्रतीक है. हालांकि वैज्ञानिक नजरिए से भी चंदन का महत्व है. चंदन के चमत्कारी गुण और महत्व के बारे में जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो.....Dharam: Benefits of tilak or chandanWe alway see Chandan or Tilak on the forehead. Here the question is that why is it used by people? What are the benefits of tilak or chandan? in this video, Know about the religious and scientific perspective of chandan or tilak. see full video....

We alway see Chandan or Tilak on the forehead. Here the question is that why is it used by people? What are the benefits of tilak or chandan? in this video, Know about the religious and scientific perspective of chandan or tilak. see full video....

हिन्दू परंपराओं में सिर, मस्तक, गले, हृदय, दोनों बाजू, नाभि, पीठ, दोनों बगल आदि मिलाकर शरीर के कुल 12 स्थानों पर तिलक लगाने का विधान है। माथे के ठीक बीच के हिस्से को ललाट बिंदु कहते हैं, यह भौहों का भी मध्य भाग है। तिलक हमेशा इसी स्थान पर धारण किया जाना चाहिए। ऐसा करना बहुत लाभदायक है क्योंकि सिंदूर उष्ण होता है। पूजा के समय तिलक लगाने का विशेष महत्व है और भगवान को स्नान करवाने के बाद उन्हें चन्दन का तिलक किया जाता है।पूजन करने वाला भी अपने मस्तक पर चंदन का तिलक लगाता है। यह सुगंधित होता है तथा इसका गुण शीतलता देने वाला होता है।

शास्त्रों के अनुसार सिंदूर धारण करने से पहले कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए जैसे नहा धोकर वस्त्र धारण करने के पश्चात उत्तर दिशा की ओर मुख करके माथे पर तिलक लगाया जाना चाहिए। भगवान को चंदन अर्पण करने का भाव यह है कि हमारा जीवन आपकी कृपा से सुगंध से भर जाए तथा हमारा व्यवहार शीतल रहे यानी हम ठंडे दिमाग से काम करे। अक्सर उत्तेजना में काम बिगड़ता है। चंदन लगाने से उत्तेजना काबू में आती है। विष्णु संहिता में इस बात का उल्लेख है कि किस प्रकार के कार्य में किस अंगुली से तिलक लगाना उचित होता है। किसी भी तरह के शुभ और वैदिक कार्य में अनामिका अंगुली, पितृ कार्य में मध्यमा, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक क्रियाओं में प्रथम यानि तर्जनी अंगुली का प्रयोग किया जाना चाहिए। तिलक लगाने के लिए भिन्न-भिन्न अंगुलियां का प्रयोग अलग-अलग फल प्रदान करता है। अगर तिलक अनामिका अंगुली से लगाया जाता है तो इससे शांति मिलती है।मध्यमा अंगुली से तिलक करने पर आयु में बढ़ोत्तरी होती है, इसके अलावा अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक माना गया है।

कृष्ण भगवान को कौन सा चंदन लगाना चाहिए? - krshn bhagavaan ko kaun sa chandan lagaana chaahie?

तिलक चार प्रकार के होते हैं-

1- कुमकुम

2- केशर

3- चंदन

4- भस्म

कुमकुम हल्दी चुना मिलकर बना होता है जो हमारे आज्ञा चक्र की शुद्धि करते हुए उसे केल्शियम देते हुए ज्ञान चक्र को प्रज्व्व्लित करता है

केशर जिसका मस्तिष्क ठंडा/ शीतल होता है उसको केसर का तिलक प्रज्ज्वलित करता है

चंदन दिमाग को शीतलता प्रदान करते हुए मानसिक शान्ति भी देता है

भस्मी वैराग्य की अग्रसर करते हुए मस्तष्क के रोम कूपों के विषाणुओं को भी नष्ट करता है।

जो भी व्यक्ति बिना तिलक लगाए भोर या संध्या का हवन करता है उसे इसका फल नहीं प्राप्त होता।

ज्योतिष के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है तो सभी पाप नष्ट हो जाते है सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं। चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं। यदि वार अनुसार तिलक धारण किया जाए तो उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।

तिलक सप्ताह के किस दिन

सोमवार : सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं।चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं। इस दिन विभूति या भस्म भी लगा सकते हैं।

मंगलवार : मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है।मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है। इससे मन की उदासी और निराशा हट जाती है और दिन शुभ बनता है।

बुधवार : बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए। इस तिलक से बौद्धिक क्षमता तेज होती है और दिन शुभ रहता है।

गुरुवार : गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह।गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। इस दिन सफेद चन्दन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर लेप को माथे पर लगाना चाहिए या टीका लगाना चाहिए। हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं। इससे मन में पवित्र और सकारात्मक विचार तथा अच्छे भावों का उद्भव होगा जिससे दिन भी शुभ रहेगा और आर्थिक परेशानी का हल भी निकलेगा।

शुक्रवार : शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है।हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे। इस दिन लाल चंदन लगाने से जहां तनाव दूर रहता है वहीं इससे भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि होती है। इस दिन सिंदूर भी लगा सकते हैं।

शनिवार : शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह।शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं और किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होने देते। दिन शुभ रहता है।

रविवार : रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह जो ग्रहों के राजा हैं।इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं। भगवान विष्णु की कृपा रहने से जहां मान-सम्मान बढ़ता है वहीं निर्भयता आती है।

कृष्ण भगवान को कौन सा चंदन लगाना चाहिए? - krshn bhagavaan ko kaun sa chandan lagaana chaahie?

तिलक लगाने का मंत्र !!

केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।

पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।

कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।

ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।

किसी के माथे पर तिलक लगा देखकर मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर टीका लगाने से फायदा क्या है? टीका लगाने के पीछे आध्यात्मिफक भावना के साथ-साथ दूसरे तरह के लाभ की कामना भी होती है।

आम तौर पर चंदन, कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म आदि का तिलक लगाने का विधान है। अगर कोई तिलक लगाने का लाभ तो लेना चाहता है। पर दूसरों को यह दिखाना नहीं चाहता, तो शास्त्रों में इसका भी उपाय बताया गया है। कहा गया है कि ऐसी स्थिति में ललाट पर जल से तिलक लगा लेना चाहिए।

तिलक लगाने का लाभ

तिलक करने से व्यक्ति त्व प्रभावशाली हो जाता है। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्तिञ के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है। ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है। लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं. यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है। दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है. यह उत्साह लोगों को अच्छे कामों में लगाता है। इससे सिरदर्द की समस्या में कमी आती है। हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है। हल्दी में एंटी बैक्ट्रिवयल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है.। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है। माना जाता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।

कृष्ण भगवान को कौन सा चंदन लगता है?

इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं।

किस देवता को कौन सा तिलक लगाना चाहिए?

किसी दिन चंदन का तिलक लगाया जाता है तो किसी दिन रोली का. तो आइए जानते हैं कि सप्‍ताह के सातों दिन माथे पर तिलक लगाने के क्‍या नियम हैं. सोमवार को शिव जी (Shiv Ji) का दिन माना जाता है. इस दिन के स्‍वामी ग्रह चंद्रमा हैं इसलिए इस दिन सफेद चंदन, विभूति या फिर भस्म का तिलक लगाना चाहिए.

लाल चंदन का तिलक लगाने से क्या होता है?

चंदन का तिलक लगाने से एकाग्र शक्ति में वृद्धि होती है तथा ध्यान करने की शक्ति भी दृढ़ होती है. चंदन का टीका लगाने से हमारा मस्तिष्क और शरीर शांत रहता है तथा शरीर में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है. चंदन का टीका लगाने से शारीरिक तापमान कम रहता है और शरीर की विभिन्न तंत्रिकाएं सेहतमंद रहती हैं.

गोपी चंदन कौन सा होता है?

गोपी चंदन एक प्रकार का चंदन है जो कि द्वारका के पास स्थित गोपी सरोवर की रज से बनता है। सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व दिया गया है और ब्राह्मणों में इसको परम् पवित्र माना गया है। ऐसा कहा गया है कि श्री कृष्ण ने गोपियों की भक्ति से खुश होकर द्वारका के पास गोपी सरोवर का निर्माण किया था।