सप्तांग राज्य की कल्पना प्राचीन भारतीय विचारको के अनुसार एक जीवित शरीर की कल्पना है जिसके सात अंग होते है। श्रग्वेद में समस्त संसार की कल्पना विराट पुरुष के रूप में कई गई है जिसके अवयव द्वारा सृष्टि की विभिन्न रूपो का बोध कराया गया। Show कौटिल्य भारतीय राजनीति के रंगमंच पर प्रथम विचारक है जिसने राज्य को पूर्ण रूप से परिभाषित किया कौटिल्य ने कौटिल्य ने राज्य के सात अंग माने राज्य की सात अंगों के कारण ही राज्य की प्रकृति के संबंध में कौटिल्य का सिद्धांत “सप्तांग सिद्धांत” कहलाता है। कौटिल्य राज्य के सावयवी रूप में विश्वास रखते थे उनके अनुसार राज्य की सात प्रकृतियाँ है- स्वामी,अमात्य, जनपद, दुर्ग,कोष,दंड,और मित्र। राज्य का अस्तित्व इन्ही के आपसी संबंधों व सहयोग पर आश्रित है राज्य को इसमें प्रमुख प्रकृति मन गया है।
कौटिल्य द्वारा प्रतिपादित मण्डल सिद्धांत को निम्न चित्र के माध्यम से समझा जा सकता है-
मण्डल सिद्धांत का विश्लेषण
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