क्या लाल चंदन केवल भारत में पाया जाता है? - kya laal chandan keval bhaarat mein paaya jaata hai?

लाल चंदन की लकड़ी को रक्त चंदन (Red Sanders) की लकड़ी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Pterocarpus Santalinus होता है। इसका रंग खून की तरह लाल होता है और यह 8 से 11 फुट लंबे लकड़ी के रूप में पाया जाता है। लाल चन्दन के पेड़ को आंध्र प्रदेश के चार जिलों- नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में पाया जाता है। यह सी लकड़ी है जिसका मांग विदेश में बहुत ही ज्यादा है। इस लकड़ी की कीमत इसी बात से पता चलती है कि कि इन पेड़ों की सुरक्षा के लिए स्पेशल टास्क फोर्स की तैनाती की गई है। लाल चन्दन के लकड़ी का प्रयोग औषधि रुप में भी किया जाता है। हैरान कर देने वाली बात यह है कि लाल चंदन की लकडी का घनत्व इतना अधिक होता है कि यह पानी में भी डूब जाती है जबकि अन्य लकड़ियां, इस प्रकार का व्यवहार नहीं करती हैं। ऐसा माना जाता है कि लाल चंदन की उत्पत्ति केवल भारत में ही होती है इसलिए अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत भारत पर रक्त/लाल चंदन के पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है।


क्या लाल चंदन केवल भारत में पाया जाता है? - kya laal chandan keval bhaarat mein paaya jaata hai?
लाल चंदन की लकड़ी

आंध्र प्रदेश में सवा दो लाख हेक्टेयर में फैली शेषाचलम की पहाड़िया लाल चंदन के लिए काफी प्रसिद्ध हैं। लाल चंदन की लकड़ी को कर्नाटक और तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश राज्यों से ही प्राप्त किया जा सकता है। भारत से इस लकड़ी का निर्यात मुख्यतः सबस अधिक चीन तथा जापान को होता है।


लाल चंदन की पहचान -:

1) इसके पेड़ की औसत ऊंचाई 8 से लेकर 11 मीटर तक होती है।

2) इस लकडी का घनत्व पानी की अपेक्षा अधिक होता है जिसके कारण यह पानी में डूब जाती है।

3) तमिलनाडु की सीमा से लगे आंध्र प्रदेश के चार जिलों नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में फैली शेषाचलम की पहाड़ियों में ही लाल चंदन के पेड़ पाए जाते हैं।

Lal Chandan : आप ने कभी न कभी Lal Chandan का नाम तो सुना ही होगा। यदि नहीं, तो भी कोई बात नहीं आज हम आप को इसके बारे में बताएंगे। लाल चन्दन जिसे Red Sandalwood भी कहते हैं, आज के समय में सबसे महंगा बिकने वाला चन्दन की प्रजाति है। और इसे लाल सोना भी कहा जाता है। ये सिर्फ हमारे देश भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में ही मिलता है। इसे हिन्दू धर्म में पवित्र लकड़ियों में से एक माना जाता है। इस के बारे में हम आप को इस लेख के माध्यम से सभी महत्वपूर्ण संबंधित जानकारी देने जा रहे हैं। जानने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें।

क्या लाल चंदन केवल भारत में पाया जाता है? - kya laal chandan keval bhaarat mein paaya jaata hai?
Lal Chandan: लाल चन्दन की लकड़ी

Contents show

1 Lal Chandan

2 कहाँ मिलते हैं Lal Chandan के पेड़ ?

2.1 Lal Chandan / लाल चन्दन की पहचान

3 क्यों महत्वपूर्ण होते हैं Lal Chandan के पेड़ और इसके क्या लाभ हैं ?

4 आखिर लाल चन्दन लकड़ी इतना महंगा क्यों बिकता है?

4.1 लाल चन्दन की तस्करी की समस्या और निर्धारित दंड

5 लाल चन्दन (Lal Chandan) से सम्बंधित प्रश्न उत्तर

Lal Chandan

आप की जानकारी के लिए बता दें कि चन्दन के मुख्य दो प्रकार होते हैं। पहला है – सफ़ेद चन्दन (Santalum Album linn.) और दूसरा है – लाल चन्दन (Pterocarpus santalinus). इन दोनों ही प्रजाति की कीमत अधिक होती है। खासकर लाल चन्दन (Red Sandalwood) सबसे अधिक महंगा होता है। ये बहुत ही खास होता है क्यूंकि इसे हिन्दू इसे पवित्र मानते हैं और इसका उपयोग पूजा पाठ में भी करते हैं। इसमे सफ़ेद चंदन की तरह कोई महक नहीं होती। इसकी खेती सामान्य तौर पर जंगलों में ही की जाती है। इन्हे अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। इसकी उपयोगिता के चलते इसकी मांग देश भर में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुतायत मात्रा में हैं। रेड सैंडलवुड को अन्य अनेक नामों से भी जाना जाता है। जैसे कि –

  • लाल चंदन
  • रतनजलि,
  • रक्तचंदनम,
  • शेन चंदनम,
  • अत्ती,
  • शिवप्पु चंदनम,
  • रूबी लकड़ी
  • रेड सैंडलवुड
  • अल्मुग
  • रागत चंदन,
  • रुखतो चंदन,
  • पटरोकार्पस सैंटालिनस (वैज्ञानिक नाम) आदि।

कहाँ मिलते हैं Lal Chandan के पेड़ ?

लाल चन्दन की लकड़ियां दक्षिण भारत के तमिल नाडु और आंध्र प्रदेश में मिलती है। विशेषरूप से आंध्र प्रदेश में सवा दो लाख हेक्टेयर में फैली “शेषाचलम की पहाड़ियों” में लाल चन्दन के वृक्ष पाए जाते हैं। ये लाल चन्दन के पेड़ तमिल नाडु से लगे आंध्र प्रदेश के मुख्य 4 जिलों में पाए जाते हैं। ये जिले हैं -नेल्लोर, कुर्नूल, कडप्पा और चित्तूर।

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क्या लाल चंदन केवल भारत में पाया जाता है? - kya laal chandan keval bhaarat mein paaya jaata hai?

Lal Chandan / लाल चन्दन की पहचान

यहाँ हम आप को लाल चन्दन की पहचान करने के लिए कुछ तथ्य बता रहे हैं जो लाल चन्दन की विशेषतायें भी हैं –

  1. लाल चन्दन के पेड़ या उसकी लकड़ी से सफ़ेद चंदन की तरह कोई सुगंध नहीं होती है।
  2. पेड़ की ऊंचाई की बात करें तो ये 8 से 11 मीटर तक का ऊँचा हो सकता है।
  3. ये सिर्फ आंध्र प्रदेश और तमिल नाडु में ही मिलता है। खासकर 4 जिलों में जिनके नाम हमने लेख में दिए हैं।
  4. लाल चन्दन (Red Sandalwood )का रंग खून की तरह लालिमा लिए होता है।
  5. Lal Chandan की लकड़ी में घनत्व अधिक होता है, और यही वजह है कि ये लकड़ी पानी में आसानी से डूब जाती है। जबकि अन्य लकड़ियां नहीं डूबती।

क्यों महत्वपूर्ण होते हैं Lal Chandan के पेड़ और इसके क्या लाभ हैं ?

आइये अब जानते हैं कि लाल चन्दन की उपयोगिता क्या है ? जिसके चलते लगातार लाल चन्दन (Red Sandalwood) की कीमत इतनी बढ़ जाती है।

  • लाल चन्दन को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र लकड़ियों में माना जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल पूजा पाठ करने के लिए भी किया जाता है।
  • Lal Chandan में बहुत से औषधीय गुण होते हैं जो अनेक बीमारियों के साथ साथ त्वचा के लिए भी बहुत लाभकारी होते हैं।
  • इस चन्दन (Red Sandalwood) का प्रयोग सुंदरता को निखारने के लिए होता है। साथ ही इसे बहुत से ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने के लिए भी किया जाता है।
  • लाल चन्दन से उच्च क्वालिटी के फर्नीचर बनाये जाते हैं, जिनकी देश विदेश में बहुत मांग है।
  • सजावट हेतु भी उपयोग किया जाता है।
  • Red Sandalwood का उपयोग शराब / मादक पेय के स्वाद बढ़ाने हेतु भी किया जाता है।
  • पारंपरिक वाद्ययंत्र के निर्माण हेतु भी इसे (लाल चन्दन) निर्यात किया जाता है।
  • लाल चंदन का उपयोग चेहरे के दाग-धब्बे, टैन, रैशेश और मुंहासों को दूर करने के लिए किया जाता है।
  • Red Sandalwood का उपयोग औषधि के तौर पर किया जाता है।
    • पाचन तंत्र शोधन
    • शरीर में तरल संचय हेतु औषदि की तरह प्रयोग।
    • पाचन तंत्र की समस्याओं और द्रव प्रतिधारण के इलाज हेतु
    • नेत्र विकारों के इलाज
    • एक ज्वरनाशक , कृमिनाशक उपयोग।

आखिर लाल चन्दन लकड़ी इतना महंगा क्यों बिकता है?

लाल चन्दन बहुत महंगा बिकता है। ये तो सभी जानते हैं लेकिन ऐसा क्यों है ये हम आप को यहाँ बताने जा रहे हैं। जैसा की आप जानते हैं की लाल चन्दन की इस लकड़ी में बहुत से औषधीय गुण हैं और इस से बहुत से औषधि भी बनायी जाती है। जो Red Sandalwood की उपयोगिता को बढ़ाते हैं। यही नहीं देश विदेश में इसकी बहुत अधिक मांग होने के चलते दिन प्रतिदिन इसकी कीमत बढ़ती ही जाती है। विदेशों में इसकी मांग इसकी बहुत सी विशेषता के चलते होती है। जैसे कि Red Sandalwood औषधि के साथ साथ फर्नीचर्स, कास्मेटिक आदि अन्य चीजों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही पवित्र लाल चन्दन से धार्मिक भावनाएं भी जुडी हैं और इसे पूजा पाठ आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।

इन सबसे बढ़कर लाल चन्दन (Red Sandalwood ) से जुडी ये बात इस की कीमत को बढ़ाती है कि ये पूरी दुनिया में सिर्फ और सिर्फ भारत में पाया जाता है। वो भी सिर्फ दक्षिण के मुख्य 4 जिलों के जंगलों में। ऐसे में इतनी कीमती चीज जिसकी उपयोगिता सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हो, उसकी कीमत बढ़ना लाज़िमी है। अगर रक्त चन्दन / लाल चन्दन / रेड सैंडलवुड इतनी मुश्किल से प्राप्त होने वाला और कम मात्रा में है तो इसका दाम बढ़ना स्वाभाविक ही है। ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर और यूएई समेत कई देशों में इसकी बहुत मांग है। लेकिन आप को जानकारी दे दें की इसकी सबसे अधिक मांग चीन में हैं।

लाल चन्दन की तस्करी की समस्या और निर्धारित दंड

Lal Chandan /लाल चन्दन की विदेशों में बहुत मांग है। और इसलिए हमारे देश से चन्दन का निर्यात किया जाता है। यह बहुत ही कीमती लकड़ी होने के चलते अच्छी खासी कीमत मिल जाती है। लेकिन कुछ कुछ लोगों के लालच के चलते लाल चन्दन की तस्करी के मामले सामने आये हैं। आज भी बहुत से लोग अधिक पैसों के लालच में इसकी तस्करी करते हैं। लाल चन्दन का 100 ग्राम पाउडर भी 500 रूपए से कम में नहीं बिकता। ऐसे में इसे बेचकर लोग बहुत लाभ कमाने के उद्देश्य से तस्करी जैसा अपराध करते हैं।

सरकार ने लाल चन्दन की तस्करी को रोकने के लिए इन जंगलों में एंटी स्मगलिंग टास्क फोर्स को तैनात किया है। साथ ही सैटेलाइट के माधयम से भी इन जंगलों पर नज़र रखी जा रही है। इसके अलावा सरकार ने तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सजा का प्रावधान भी किया है। यदि कोई व्यक्ति लाल चन्दन की तस्करी करते हुए पकड़ा जाता है तो उसे भारी जुर्माने के साथ साथ 11 साल की जेल भी होगी।

लाल चन्दन (Lal Chandan) से सम्बंधित प्रश्न उत्तर

लाल चन्दन महंगा क्यों होता है ?

Lal Chandan बहुत महंगा होता है क्यूंकि इसकी मांग अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत है। इससे भी खास वजह ये है कि ये पूरी दुनिया में सिर्फ भारत में ही पाए जाते हैं। इसके उपयोगिता के चलते इसकी कीमत बहुत ही अधिक है।

लाल चन्दन का पेड़ कहाँ मिलेगा?

ये लाल चन्दन के पेड़ दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश के जंगलों में मिलता है। खासकर तमिलनाडु के सीमा से जुड़े आंध्र प्रदेश के इन चार जिलों में – नेल्लोर, कुर्नूल, कडप्पा और चित्तूर।

Lal Chandan का वैज्ञानिक नाम क्या है ?

 पेरोकार्पस सैंटलिनस (Pterocarpus santalinus) लाल चन्दन का वैज्ञानिक नाम है।

लाल चन्दन की कीमत कितनी होती है ?

1 तन लाल चन्दन की कीमत 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ तक होती है। इसकी 1 किलो की कीमत हजारों में होती है। जैसे की 35000 रूपए से लेकर 50 हजार रूपए तक भी बिकता है।

Red Sandalwood को लाल सोना क्यों कहते हैं ?

लाल चन्दन (Red Sandalwood) को लाल सोना इसलिए कहते हैं क्यूंकि इसका रंग लाल होता है और ये बहुत कीमती होता है। साथ ही इसकी कीमत भी बहुत अधिक होती है।

आज इस लेख के माध्यम से हम ने आप को Red Sandalwood / Lal Chandan के बारे में जानकारी प्रदान की है। उम्मीद है आपको ये जानकारी पसंद आयी होगी। यदि आप ऐसे ही अन्य रोचक और उपयोगी लेखों को पढ़ना चाहें तो हमारी वेबसाइट Hindi NVSHQ से जुड़ सकते हैं।

लाल चंदन की लकड़ी कौन से देश में पाई जाती है?

लाल चंदन के बारे में जानकारी ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर और यूएई समेत कई देशों में लाल चंदन की काफी डिमांड है. लेकिन इसकी डिमांड सबसे अधिक चीन में है. इसके पेड़ मुख्यत: तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में फैली शेषाचलम पहाड़ियों पर पाए जाते हैं, जिनकी ऊंचाई 26 फीट और मोटाई 50 से 150 सेमी तक हो सकती है.

लाल चंदन के पेड़ कहाँ पाए जाते हैं?

लाल चंदन के पेड़ दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश की शेषाचलम पहाड़ियों (Seshachalam Forest) में पाए जाते हैं. ये पहाड़ियां तमिलनाडु की सीमा से लगने वाले आंध्र प्रदेश के चार जिलों नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, कडप्पा में पड़ती हैं. इसके अलावा पूरी दुनिया में कहीं भी ऐसे लाल चंदन के पेड़ नहीं होते हैं.

1 किलो चंदन की कीमत क्या है?

बीज भी 300 रुपए किलो बिकते हैं। जानकारी के अनुसार चंदन की लकड़ी का औसत बाजार मूल्य 5 से 6 हजार रुपए प्रतिकिलो है।

1 टन लाल चंदन की कीमत कितनी है?

यानि कि एक लाल चंदन के पेड़ की कीमत 6 लाख रुपए है और 2 तो एक टन लाल चंदन की कीमत दो करोड़ रुपए हो जाती है।