खादी और ग्रामोद्योग आयोग क्या है? - khaadee aur graamodyog aayog kya hai?

दूसरी तीसरी पहली पाँचवीं

Answer : A

Solution : खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवी- आईसी) संसद अधिनियम 1956 का खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम के तहत भारत सरकार द्वारा गठित एक साविधिक निकाय है। यह दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956 1961) के दौरान गठित किया गया था। अप्रैल 1957 में, इसमें अखिल भारतीय खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड का विलय कर दिया गया।

खादी और ग्रामोद्योग विभाग सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक शीर्ष संस्था है। Khadi Gram Udyog Business आज के समय का एक लाभकारी व्यवसाय है। ग्रामीण इलाकों में योजना बनाने, प्रचार करने, लोगों को सुविधाएँ और सहायता प्रदान करने के लिए खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की गई। अगर आप भी अपने इलाके में खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत खादी की दुकान खोलते हैं तो काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम Khadi Gram Udyog business के बारे में पूरी डिटेल में जानकारी देने वाले हैं इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िएगा।

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  • खादी ग्रामोद्योग क्या है ?
  • खादी ग्रामोद्योग की स्थापना
  • खादी ग्रामोद्योग आयोग के मुख्य उद्देश्य
  • खादी ग्रामोद्योग के काम
  • खादी के प्रकार
  • खादी में चरखा का महत्त्व
  • E- charkha की विशेषताएं
  • Components of E- Charkha
  • खादी ग्रामोद्योग पर्यावरण के लिए कैसे लाभदायक है
  • खादी ग्रामोद्योग की प्रयोगशाला

खादी ग्रामोद्योग क्या है ?

खादी ग्रामोद्योग का पूरा नाम खादी विकास और ग्रामोद्योग आयोग है, जिसे अंग्रेजी में KVIC के नाम से जाना जाता है। जिसका फुल फॉर्म है Khadi and Village Industries Commission. खादी हाथ के द्वारा काते गए और बुने हुए कपड़े को कहते हैं। खादी वस्त्र बनाने के लिए रेशम, कपास व ऊन जैसे कच्चे माल का इस्तेमाल करके चरखे की सहायता से कातकर धागा बनाया जाता है।

खादी ग्रामोद्योग की स्थापना

खादी ग्रामोद्योग विभाग की स्थापना संसद द्वारा पारित अधिनियम सन् 1956 में हुई थी। बाद में खादी ग्रामोद्योग विभाग के अधिनियम में 1987 और 2006 में संशोधन भी किया गया 1957 में अखिल भारतीय खादी एवं ग्रामीण उद्योग बोर्ड का पूरा कार्यभार खादी ग्रामोद्योग संगठन ने संभाल लिया इसका मुख्यालय मुंबई में है।

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खादी ग्रामोद्योग आयोग के मुख्य उद्देश्य

  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के लिए रोजगार उपलब्ध करवाना।
  • जो लोग खादी ग्रामोद्योग व्यवसाय शुरू करें उनको बेंचने के लिए सामग्री उपलब्ध कराना।
  • भारत की ग्रामीण क्षेत्र की जनता को आत्मनिर्भर बनाना तथा सुदृढ़ सामाजिक भावना का निर्माण करना।

खादी ग्रामोद्योग के काम

खादी ग्रामोद्योग के निम्नलिखित कार्य हैं-

  • खादी ग्रामोद्योग में काम कर रहे लोगों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करना।
  • खादी ग्रामोद्योग से जुड़े व्यक्तियों में आपसी सहयोग की भावना का विकास करना जिससे किसी भी मुश्किल का सामना मिलजुलकर आसानी से किया जा सके।
  • खादी ग्रामोद्योग से जुड़े हुए लोगों को कच्चा माल, उपकरण और औजारों को उपलब्ध करवाना जिससे खादी वस्त्र का उत्पादन किया जा सके।
  • खादी ग्रामोद्योग द्वारा उत्पादन किये हुए उत्पादों के लिए marketing सुविधा उपलब्ध करवाना।
  • Khadi Gram Udyog आयोग का काम ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योगों को बढ़ावा देना और नए नए शोध करके उसके परिणामों को लोगों तक पहुचाने का भी है।
  • नए नए तकनीक के द्वारा खादी ग्रामोद्योग की उत्पादकता को बढ़ाना और श्रम को कम करने का कार्य भी खादी ग्रामोद्योग करता है।
  • खादी ग्रामोद्योग का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में लगे लघु उद्योगों के द्वारा उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में स्पर्धात्मक विचारधारा को बढ़ावा देना भी है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित लघु उद्योगों में समय समय पर आने वाली समस्याओं का समाधान करना।
  • खादी और ग्रामोद्योग से जुड़ी संस्था और इस उद्योग से जुड़े व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • खादी ग्रामोद्योग आयोग खादी वस्तुओं की उत्पादकता की जाँच करता है कि ये वस्तुएं आयोग के गुणवत्ता मानकों के आधार पर उत्पादित किये गए हैं या नहीं।

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खादी के प्रकार

खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत खादी को तीन भागों में बांटा गया है –

  • सूती वस्त्र – सूती वस्त्र का प्रयोग ड्रेस मटेरियल और कमीज आदि बनाने के लिए किया जाता है।
  • ऊनी वस्त्र – ऊनी वस्त्र का प्रयोग स्वेटर, कम्बल, मोज़े, शाल आदि बनाने में किया जाता है।
  • रेशमी वस्त्र – रेशमी वस्त्र का प्रयोग साड़ी, ड्रेस व कमीज बनाने के लिए किया जाता है।

खादी में चरखा का महत्त्व

खादी और ग्रामोद्योग आयोग क्या है? - khaadee aur graamodyog aayog kya hai?
Khadi Gram Udyog e charkha

सन 1100 ई० चरखे की शुरुवात सबसे पहले चीन में हुई थी उस समय चरखे का आकार दुसरे प्रकार का था। समय के परिवर्तन के अनुसार चरखे में भी बदलाव किया गया और उसकी उत्पादन क्षमता को बढाया गया। जब चरखे की शुरुआत हुई थी तब से लेकर आज तक चरखे के उपयोग में कभी कमी देखने को नहीं मिला। समय के परिवर्तन के अनुसार चरखे का स्वरुप और ढांचा बदल दिया गया लेकिन उसका काम वही था जो पहले था। खादी ग्रामोद्योग में आज भी चरखे का विशेष महत्त्व है जिससे खादी वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है।

E- charkha की विशेषताएं

  • चरखा खरीदने वाले को खादी ग्रामोद्योग की तरफ से जेनरेटर की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
  • दो स्पिंडल वाले चरखे से यदि कोई व्यक्ति 2 घंटे तक कताई करता है तो उससे 2.4 km लम्बा धागा तैयार किया जा सकता है।
  • दो स्पिंडल वाले चरखे से 2 घंटे तक धागा की कताई करने पर लगभग 7.5 घंटे का पॉवर बैकअप मिल जाता है जो एक दिन प्रयोग करने के लिए पर्याप्त रहता है।
  • generator को चार्जिंग से on/off बटन को प्रेस करके connect और disconnect किया जा सकता है।
  • जो 7.5 घंटे का पॉवर बैकअप मिलता है उससे आप 7.5 घंटे तक LED लाइट जला सकते हैं साथ ही इतने ही समय तक रेडियो भी सुन सकते हैं।
  • एक महीने में यदि आप 25 दिन तक दो स्पिंडल वाले चरखे से कताई करते हैं तो एक सिंगल बेड शीट, एक नहाने के लिए तौलिया तथा एक कमीज का धागा तैयार किया जा सकता है।

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Components of E- Charkha

  • धागा की कताई करने के लिए ई चरखा एक,दो और आठ स्पिंडल में उपलब्ध रहता है।
  • एक वाट का led बल्ब lighting unit का हिस्सा है।
  • ट्रांजिस्टर रेडियो AM/FM tuner के साथ उपलब्ध रहता है।
  • Battery भी Avilable रहता है।

खादी ग्रामोद्योग पर्यावरण के लिए कैसे लाभदायक है

खादी के जितने भी वस्त्र होते हैं सभी वस्त्र चरखे की सहायता से हाथ के द्वारा सूत कातकर बनाया जाता है। चरखे की सहायता से सूत कातने के लिए किसी भी प्रकार की फैक्ट्री नहीं लगनी पड़ती है, जबकि जो अन्य प्रकार के वस्त्रों का उत्पादन किया जाता है उनको उत्पादन करने के लिए बड़ी-बड़ी फैक्ट्री लगायी जाती है जिससे काफी ज्यादा प्रदूषण होता है।

चरखे के द्वारा सूत कातने के लिए किसी भी प्रकार की ईंधन की आवश्यकता नहीं होती है। खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत जितने भी वस्त्र बनाये जाते हैं सब हाथ से बुने हुए होते हैं जिससे आने वाली पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी है और इसका कोई दुष्परिणाम भी नहीं है। Global वार्मिंग को कम करने के लिए खादी ग्रामोद्योग एक अच्छा विकल्प है इसलिए खादी को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए। फक्ट्रियों में ज्यादातर मशीनें ही काम करती है जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है खादी को बढ़ावा देने से लोगों को रोजगार भी मिलेगा और वातावरण भी शुद्ध रहेगा।

खादी ग्रामोद्योग की प्रयोगशाला

पूरे भारतवर्ष में दो प्रयोगशालाएं ऐसी हैं जहाँ पर सभी उपकरण उबलब्ध हैं पहला अहमदाबाद में खादी ग्रामोद्योग प्रयोग समिति और दूसरा मुंबई में डायरेक्टोरेट ऑफ खादी प्रोसेस्सिंग बोरीवली खादी ग्रामोद्योग समिति। अहमदाबाद को यांत्रिक प्रसंस्करण की जिम्मेदारी दी गई है खाड़ी ग्रामोद्योग से जुड़ी ऐसी संस्थाएं जिनका आकार थोड़ा बड़ा है ऐसी संस्थाओं को खादी ग्रामोद्योग समिति इन हाउस सुविधा भी प्रदान करती है। खादी ग्रामोद्योग के अंतर्गत उत्पाद किये गए कपड़ों पर रंगाई और छपाई का काम डायरेक्टोरेट ऑफ खादी प्रोसेस्सिंग बोरीवली मुंबई को दिया गया है।

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खादी कपड़ा क्या है?

खादी या खद्दर भारत में हाथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी वस्त्र सूती, रेशम, या ऊन से बने हो सकते हैं। इनके लिये बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। खादी वस्त्रों की विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठण्डे और सर्दी में गरम रखते हैं।

खादी ग्रामोद्योग विभाग राजस्थान की स्थापना कब हुई?

राजस्थान में खादी और ग्रामोद्योग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दृष्टि से राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड का गठन राज्य विधान सभा द्वारा पारित राजस्थान खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड अधिनियम, 1955 के अन्तर्गत अप्रेल, 1955 में किया गया।

उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की स्थापना कब हुई थी?

खादी और ग्राम आयोग की स्थापना सरकार द्वारा की गई थी । भारत के खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956 के तहत । इसका मुख्यालय मुंबई में है । यह एक वैधानिक निकाय है।

छत्तीसगढ़ में खादी प्रदर्शनी कब और किसने लगाई?

छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड एवं खादी ग्रामोद्योग आयोग के द्वारा 15 दिवसीय राज्य स्तरीय खादी तथा ग्रामोद्योग प्रदर्शनी सह विक्रय मेला का आयोजन 12 से 26 मार्च तक मुंगेली नाका मैदान में किया जा रहा है। प्रदर्शनी का उद्घाटन छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी ने किया।